आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी में

  1. श्री आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित, पाठ के नियम
  2. श्री आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
  3. Know About Aditya Hriday Stotram And How To Recite It
  4. आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित


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श्री आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित, पाठ के नियम

Quick Links • • • श्री आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किनको करना चाहिए? • अगर राज्य पक्ष से पीड़ा हो, कोई सरकारी मुकदमा चल रहा हो। • लगातार रोग परेशान कर रहें हों, ख़ासतौर से हड्डियों या आंखों के रोग। • अगर पिता के साथ संबंध अच्छे न हों। • अगर आंखों की समस्या गंभीर रूप से परेशान कर रही हों। • जीवन के किसी भी बड़े कार्य में सफलता के लिए भी इसका पाठ उत्तम होगा। • जो लोग प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हों, ऐसे लोगों को शीघ्र सफलता के लिए इसका पाठ करना चाहिए। श्री आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ के नियम • रविवार को उषाकाल में इसका पाठ करें। • नित्य सूर्योदय के समय भी इसका पाठ कर सकते हैं। • पहले स्नान करें और सूर्य को अर्घ्य दें। • तत्पश्चात सूर्य के समक्ष ही इस स्तोत्र का पाठ करें। • पाठ के पश्चात सूर्य देव का ध्यान करें। • जो लोग आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें वो लोग रविवार को मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें। • संभव हो तो सूर्यास्त के बाद नमक का सेवन भी न करें। आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ । रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ । उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥ हिंदी अर्थ: उधर श्री रामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिन्ता करते हुए रणभूमि में खड़े थे। इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया। यह देख भगवान अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले। राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्‌ । येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥ हिंदी अर्थ:‘सबके हृदय में रमण करने वाले महाबाहो राम!यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो। वत्स!इसके ...

श्री आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

विनियोग : ( हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़े ) ॐ अस्य आदित्यहृदयस्तोत्रसयागस्त्यऋषिरनुष्टुपछन्दः आदित्यहृदयभूतो देवता भगवान् ब्रह्मादेवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः | ( जल को किसी पात्र में छोड़ दे ) ॐ ततोयुद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम | रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम || १ || दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम | उपगम्याब्रवीद राममगस्त्यो भगवांस्तदा || २ || राम राम महाबाहो श्रुणु गुह्यं सनातनम | येन सर्वानरीन वत्स समरे विजयिष्यसे || ३ || आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनं | जयावहं जपं नित्यंमक्षयं परमं शिवम् || ४ || सर्वमङ्गलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम | चिंताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम || ५ || श्री रामचंद्र भगवान् युद्ध से थककर चिंता करते हुए रणभूमि में खड़े थे | इतने में रावण भी युद्ध के लिये उनके सामने आकर युद्ध के लिये खड़ा हो गया | यह देख भगवान् अगस्त्यमुनि , जो युद्ध देखने के लिये देवताओ के साथ आये थे | वो मुनि भगवान् राम के पास जाकर बोले | मुनि ने कहा हे सबके ह्रदय में रमण करने वाले महाबाहो राम , यह सनातन रमणीय गोपनीय स्तोत्र सुनो | वत्स इसके जाप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओ पर विजय पाओगे इसमें संदेह नहीं है | इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है " श्री आदित्यहृदयस्तोत्र " है | यह परम पवित्र और शत्रुओ का विनाश करनेवाला स्तोत्र है | इसके जाप से या पाठ से सदा विजय प्राप्त होगी | यह नित्यअक्षय और परमकल्याणमयी है | सम्पूर्ण मंगलो का भी मंगल है | इस स्तोत्र के पाठ से सभी पापो का विनाश हो जाता है | यह चिंता और शोक को मिटाने वाला है और आयु को बढ़ानेवाला है |( श्लोक १ - ५ ) रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतं | पूजयस्व विवस्वन्तं...

Know About Aditya Hriday Stotram And How To Recite It

जीवन में उन्नति के लिए किया जाता है आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ मान्यता है कि माघ माह में 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का नियमित पाठ करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है. उल्लेखनीय स्तोत्र में राम रक्षा स्तोत्र और शिव तांडव स्तोत्र प्रमुख हैं. आज हम आपको आदित्य हृदय स्त्रोत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पाठ करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो सकती है. नई दिल्ली: शास्त्रों में 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का पाठ करना बहुत ही शुभ व लाभकारी बताया गया है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार 'आदित्य हृदय स्तोत्र' अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्ति के लिए दिया गया था. बता दें कि, एक संस्कृत शब्द है. इस शब्द का अर्थ है स्तुति. कहते हैं कि स्तोत्र एक प्रार्थना है, जो हम ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए एक लयबद्ध तरीके में प्रस्तुत करते हैं. मान्यता है कि माघ माह में 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का नियमित पाठ करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है. कहते हैं कि 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का पाठ करने से लंबी उम्र, नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास तथा सभी कार्यों में सफलता मिलती है. इसके साथ ही हर मनोकामना सिद्ध होती है. माना जाता है कि 'आदित्य हृदय स्तोत्र' का नित्य पाठ जीवन के अनेक कष्टों का एकमात्र निवारण है. मान्यता है कि अगर आपको अपने किसी विशेष कार्य में सफलता चाहिए और असाध्य रोग से मुक्ति चाहिए, तो आपको आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करना चाहिए. सूर्य देव (Surya Dev) को जल अर्पित करने के बाद आप इसका पाठ करें तो अच्छा रहता है.आदित्य हृदय स्तोत्र का उल्लेख रामायण में वाल्मीकि जी द्वारा किया गया है, जिसके अनुसार इस स्तोत्र को ऋषि अगस्त्य ने भगवान श्री राम को रावण पर विजय प्र...

आदित्य हृदय स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

हिंदी अर्थ: ‘इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है ‘आदित्यहृदय’। यह परम पवित्र और सम्पूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदा विजय की प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्ष्य और परम कल्याणमय स्तोत्र है। सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है। इससे सब पापों का नाश हो जाता है। यह चिन्ता और शोक को मिटाने तथा आयु को बढ़ाने वाला उत्तम साधन है।’ हिंदी अर्थ: ‘भगवान सूर्य अपनी अनन्त किरणों से सुशोभित (रश्मिमान्) हैं। ये नित्य उदय होने वाले (समुद्यन्), देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान् नाम से प्रसिद्ध, प्रभा का विस्तार करने वाले (भास्कर) और संसार के स्वामी (भुवनेश्वर) हैं। तुम इनका (रश्मिमते नमः, समुद्यते नमः, देवासुरनमस्कताय नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराय नमः इन नाम मंत्रों के द्वारा) पूजन करो।’ हिंदी अर्थ: ‘इन्हीं के नाम आदित्य (अदितिपुत्र), सविता (जगत को उत्पन्न करने वाले), सूर्य (सर्वव्यापक), खग (आकाश में विचरने वाले), पूषा (पोषण करने वाले), गभस्तिमान् (प्रकाशमान), सुर्वणसदृश, भानु (प्रकाशक), हिरण्यरेता (ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बीज), दिवाकर (रात्रि का अन्धकार दूर करके दिन का प्रकाश फैलाने वाले), हरिदश्व (दिशाओं में व्यापक अथवा हरे रंग के घोड़े वाले), सहस्रार्चि (हजारों किरणों से सुशोभित), तिमिरोन्मथन (अन्धकार का नाश करने वाले), शम्भू (कल्याण के उदगमस्थान), त्वष्टा (भक्तों का दुःख दूर करने अथवा जगत का संहार करने वाले), अंशुमान (किरण धारण करने वाले), हिरण्यगर्भ (ब्रह्मा), शिशिर (स्वभाव से ही सुख देने वाले), तपन (गर्मी पैदा करने वाले), अहरकर (दिनकर), रवि (सबकी स्तुति के पात्र), अग्निगर्भ (अग्नि को गर्भ में धारण करने वाले), अदितिपुत्र, शंख (आनन्दस्वरूप एवं व्यापक), शिशिरनाशन (शी...