आमोद प्रमोद का स्थान

  1. ॠग्वैदिक काल, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन/दशा
  2. मैक्स वेबर का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएं
  3. आमोद प्रमोद (Amod pramod) meaning in English
  4. शतरंज के खिलाड़ी: मुंशी प्रेमचंद की कहानी
  5. UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 1 राष्ट्र को स्वरूप – UP Board Solutions
  6. क्या परमेश्‍वर प्रसन्नता का विरोधी है?
  7. भारतीय संगीत का इतिहास
  8. ॠग्वैदिक काल, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन/दशा
  9. क्या परमेश्‍वर प्रसन्नता का विरोधी है?


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ॠग्वैदिक काल, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन/दशा

ऋग्वैदिक काल rigvaidik kal samajik aarthikarthik bharmik rajnitik jivan;1500 ई. पू. से 200 ई. पू. तक के इतिहास को वैदिक युग के नाम से जाना जाता है। वेदों की संख्या चार है-- 1. ॠग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अर्थर्ववेद। इन वेदों मे प्राचीनतम वेद ॠग्वेद है। अतः वैदिक काल मे प्रारम्भिक युग को ऋग्वैदिक काल कहा जाता है। शेष तीनों वेद उत्तरवैदिक काल मे रचित हुए। ॠग्वैदिक काल का सामाजिक जीवन (rigvaidik kal ka samajik jivan) ऋग्वेद ग्रन्थ से इस काल की सामाजिक व्यवस्था पर व्यापक प्रकाश पड़ता है। 1. परिवार आर्यों के सामाजिक जीवन का भुख्य आधार परिवार हुआ करता था। ऋग्वैदिक काल मे परिवार पितृसत्तात्मक हुआ करता था मतलब किसी भी परिवार का मुखिया उस परिवार का सार्वाधिक आयु वाला पुरूष हुआ करता है। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई थी। इस काल मे सामूहिक परिवार की प्रणाली प्रचलित थी। परिवार मे गृह-पत्नी का विशेष महत्व और आदर किया जाता था। 2. भोजन ऋग्वैदिक काल मे लोग दूध और दूध से बनी हुए वस्तुओं के सेवन के विशेष शोकिन थे। आर्यों के भोगन मे गेहूँ, जौ, चावल, दूध-दही और घी आदि मुख्य थे। इस काल मे लोग माँसाहारी भी थे। पेय पदार्थ मे सोमरस का प्रचलन था। वैदिक काल मे समाज (आर्य और अनार्य) दो वर्गों मे विभाजित था। पुरूष सुक्त मे चार वर्णों का उल्लेख मिलता है। इसके मुताबिक आदि पुरुष के मुख से ब्राह्राण, भुजाओं से क्षत्रिय, जांघों से वैश्य तथा चरणो मे शुद्र पैदा हुए है। इस तरह वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है, लेकिन जाति मे जटिलता नही आई थी। एक सुक्त मे उल्लेख किया गया है कि मै एक कवि हूँ, मेरा पिता वैद्य है और मेरी माता अनाज पीसने वाली है। यह जन्म पर नही बल्कि कर्म पर आधारित थी। 4. वेश-भूषा तथा प्रसाध...

मैक्स वेबर का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएं

Max Weber ka jeevan parichay मैक्स वेबर का जन्म जर्मनी के थुरिंगा (Thuringa) शहर में 21 अप्रैल 1864 को एक प्रोटेस्टेंट परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता के सात पुत्रों में से सबसे बड़ा था।मैक्स वेबर के पिता पश्चिमी जर्मनी के व्यापारियों तथा वस्त्र निर्माताओं के परिवार में उत्पन्न हुए थे। दृढ़ प्रोटेस्टेंट विश्वासों के कारण यह परिवार कैथोलिक धर्म-प्रधान क्षेत्र साल्ज़बर्ग से भगा दिया गया। मैक्स वेबर के जन्म के समय उनके पिता एरफ़र्ट में मैजिस्ट्रेट थे तथा मैक्स के पिता एक राजनीतिज्ञ थे। बर्लिन के नगर पार्षद के रूप में उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। बाद में वे प्रशा के हाउस ऑफ़ डेपुटीज़ के सदस्य बन गए। वे दक्षिणपंथी उदारवादी थे तथा राष्ट्रीय उदार दल के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे। इस दल ने बिस्मार्क से लड़ाई बंद की तथा उसकी राजनीति का समर्थन किया। 1882 में 18 वर्ष की आयु में मैक्सवेबर हैडेलबर्ग विश्वविद्यालय में आया। यहाँ आकर संकोची तथा अलग-थलग रहने वाला मैक्सवेबर अचानक सक्रिय हो गया तथा समाज में लोगों से मिलने-जुलने लगा। विश्वविद्यालय में वह छात्रों के बीच लोकप्रिय हो गया। परंतु उसने तीन सत्रों के बाद अपनी शिक्षा पूरी किए बगैर स्ट्रासबर्ग में सेना की नौकरी शुरू कर दी। दो वर्ष की सैनिक नौकरी के पश्चात 1884 में मैक्सवेबर अपने माता-पिता के पास वापस लौट गया। अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए उसने बर्लिन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। गॉटिंगन विश्वविद्यालय में भी शिक्षा प्राप्त की। इन दिनों जब वह घर में ही रह रहा था, मैक्सवेबर को अपनी माँ के व्यक्तित्व तथा धार्मिक मूल्यों से परिचित होने का अधिकाधिक मौका मिला। विद्यार्थी के रूप में, मैक्सवेबर ने बर्लिन विश्वविद्यालय के अध्यापकों के सा...

आमोद प्रमोद (Amod pramod) meaning in English

Information provided about आमोद प्रमोद ( Amod pramod ): आमोद प्रमोद (Amod pramod) meaning in English (इंग्लिश मे मीनिंग) is PLEASURE (आमोद प्रमोद ka matlab english me PLEASURE hai). Get meaning and translation of Amod pramod in English language with grammar, synonyms and antonyms by ShabdKhoj. Know the answer of question : what is meaning of Amod pramod in English? आमोद प्रमोद (Amod pramod) ka matalab Angrezi me kya hai ( आमोद प्रमोद का अंग्रेजी में मतलब, इंग्लिश में अर्थ जाने) Tags: English meaning of आमोद प्रमोद , आमोद प्रमोद meaning in english, आमोद प्रमोद translation and definition in English. English meaning of Amod pramod , Amod pramod meaning in english, Amod pramod translation and definition in English language by ShabdKhoj (From HinKhoj Group). आमोद प्रमोद का मतलब (मीनिंग) अंग्रेजी (इंग्लिश) में जाने |

शतरंज के खिलाड़ी: मुंशी प्रेमचंद की कहानी

भारत की अग्रणी हिंदी महिला वेबसाइट Femina.in/hindi को सब्स्क्राइब करें. फ़ेमिना भारतीय महिलाओं के मन को समझने का काम कर रही है और इन्हीं महिलाओं के साथ-साथ बदलती रही है, ताकि वे पूरी दुनिया को ख़ुद जान सकें, समझ सकें. और यहां यह मौक़ा है आपके लिए कि आप सितारों से लेकर फ़ैशन तक, सौंदर्य से लेकर सेहत तक और लाइफ़स्टाइल से लेकर रिश्तों तक सभी के बारे में ताज़ातरीन जानकारियां सीधे अपने इनबॉक्स में पा सकें. इसके अलावा आप पाएंगे विशेषज्ञों की सलाह, सर्वे, प्रतियोगिताएं, इन्टरैक्टिव आर्टिकल्स और भी बहुत कुछ! लेखक: मुंशी प्रेमचंद वाजिदअली शाह का समय था. लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था. छोटे-बड़े, ग़रीब-अमीर सभी विलासिता में डूबे हुए थे. कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था, तो कोई अफीम की पीनक ही में मज़े लेता था. जीवन के प्रत्येक विभाग में आमोद-प्रमोद का प्राधान्य था. शासन-विभाग में, साहित्य-क्षेत्र में, सामाजिक अवस्था में, कला-कौशल में, उद्योग-धंधों में, आहार-व्यवहार में सर्वत्र विलासिता व्याप्त हो रही थी. राजकर्मचारी विषय-वासना में, कविगण प्रेम और विरह के वर्णन में, कारीगर कलाबत्तू और चिकन बनाने में, व्यवसायी सुरमे, इत्र, मिस्सी और उबटन का रोजगार करने में लिप्त थे. सभी की आंखों में विलासिता का मद छाया हुआ था. संसार में क्या हो रहा है, इसकी किसी को ख़बर न थी. बटेर लड़ रहे हैं. तीतरों की लड़ाई के लिए पाली बदली जा रही है. कहीं चौसर बिछी हुई है; पौ-बारह का शोर मचा हुआ है. कही शतरंज का घोर संग्राम छिड़ा हुआ है. राजा से लेकर रंक तक इसी धुन में मस्त थे. यहां तक कि फकीरों को पैसे मिलते तो वे रोटियां न लेकर अफीम खाते या मदक पीते. शतरंज, ताश, गंजीफ़ा खेलने से बुद्धि तीव्र होती है, विचार-शक्...

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 1 राष्ट्र को स्वरूप – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 1 राष्ट्र को स्वरूप (डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल) are part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 12 Subject Samanya Hindi Chapter Chapter 1 Chapter Name राष्ट्र को स्वरूप (डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल) Number of Questions 5 Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi गद्य गरिमा Chapter 1 राष्ट्र को स्वरूप (डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल) लेखक का साहित्यिक परिचय और कृतियाँ प्रश्न 1. वासुदेवशरण अग्रवाल का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11] या वासुदेवशरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। [2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18] उत्तर जीवन-परिचय-डॉ० अग्रवाल का जन्म सन् 1904 ई० में मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था। इनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे; अत: इनका बचपन लखनऊ में व्यतीत हुआ और यहीं इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम०ए० तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से ‘पाणिनिकालीन भारत’ नामक शोध-प्रबन्ध पर डी०लिट्० की उपाधि प्राप्त की। डॉ० अग्रवाल ने पालि, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषाओं; भारतीय संस्कृति और पुरातत्त्व का गहन अध्ययन करके उच्चकोटि के विद्वान् के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ‘पुरातत्त्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष और बाद में आचार्य पद को सुशोभित किया। डॉ० अग्रवाल ने लखनऊ तथा मथुरा के पुरातत्त्व संग्रहालयों में निरीक्षक पद पर, केन्द्रीय सरकार के पुरातत्त्व विभाग में संचालक पद पर तथा दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में अध्यक्ष तथा आचार्य पद पर भी कार्य किया। भारतीय स...

क्या परमेश्‍वर प्रसन्नता का विरोधी है?

उत्तर कुछ लोग परमेश्‍वर की कल्पना एक निर्दयी तरीके से कार्य कराने वाले स्वामी के रूप में करते हैं, जो सभी तरह की मस्ती या आमोद प्रमोद का विरोध करता है। उनके लिए, वह पूर्ण-गम्भीरता वाला परमेश्‍वर या नियमों वाला परमेश्‍वर है। परन्तु यह परमेश्‍वर का एक सटीक, बाइबल आधारित चित्र नहीं है। परमेश्‍वर ने हमें प्रसन्नता का अनुभव करने की क्षमता के साथ बनाया है। पवित्र शास्त्र के कई प्रसंग हमें हर्षित और प्रसन्न रहने के बारे में बोलते हैं (उदाहरण के लिए, भजन संहिता 16; नीतिवचन 15:13; 17:22)। सृष्टि की सुन्दरता और मनुष्यों की विविधता हमें परमेश्‍वर के रचनात्मक रंगीन पटिया को दिखाती है। कई लोग अपने समय को बाहर व्यतीत करने या विभिन्न व्यक्तित्वों के साथ सम्बन्ध स्थापित करके बिताने में प्रसन्नता को प्राप्त करते हैं। यह अच्छा और उचित है। परमेश्‍वर चाहता है कि उसकी सृष्टि का आनन्द लिया जाए। बाइबल में, हम देखते हैं कि परमेश्‍वर स्वयं वस्तुओं का आनन्द लेता है। उदाहरण के लिए, सपन्याह 3:17 कहता है कि परमेश्‍वर हम में प्रसन्नता को प्राप्त करता है और हमारे लिए गीत गाते हुए मगन होता है। परमेश्‍वर ने पुराने नियम में कई समारोहों और त्यौहारों को भी स्थापित किया था। यह सुनिश्‍चित करते हुए कि इन उत्सवों में धर्मसैद्धान्तिक शिक्षा का तत्व था, तथापि वे उत्सव भी थे। पवित्रशास्त्र आनन्दित होने की बात करता है — फिलिप्पियों और भजन संहिता दो ऐसे स्थल हैं, जहाँ हम इसे बहुतायत के साथ देखते हैं। यीशु ने घोषणा की, "चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ" (यूहन्ना 10:10)। जीवन अपनी "पूर्णता के लिए" एक सुखद अनुभव की ...

आमोद

What is आमोद-प्रमोद meaning in English? The word or phrase आमोद-प्रमोद refers to . See Tags for the entry "आमोद-प्रमोद" What is आमोद-प्रमोद meaning in English, आमोद-प्रमोद translation in English, आमोद-प्रमोद definition, pronunciations and examples of आमोद-प्रमोद in English. आमोद-प्रमोद का हिन्दी मीनिंग, आमोद-प्रमोद का हिन्दी अर्थ, आमोद-प्रमोद का हिन्दी अनुवाद, aamoda-pramoda का हिन्दी मीनिंग, aamoda-pramoda का हिन्दी अर्थ.

भारतीय संगीत का इतिहास

अनुक्रम • 1 सक्षिप्त परिचय • 2 वैदिक काल का संगीत • 2.1 सामगान की स्वरलिपि • 3 महाकाव्य काल में संगीत • 4 भरतमुनि का नाट्यशास्त्र • 5 भरत के अनन्तर • 6 मुसलमानों के आगमन के पश्चात • 7 आधुनिक काल • 8 भारत में रचित संगीत ग्रन्थ • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ सक्षिप्त परिचय [ ] वैदिक युग में ‘संगीत’ समाज में स्थान बना चुका था। सबसे प्राचीन ग्रन्थ ‘ उत्तर वैदिक काल के ‘रामायण’ ग्रन्थ में भेरी, दुंदभि, वीणा, मृदंग व घड़ा आदि वाद्य यंत्रों व भँवरों के गान का वर्णन मिलता है, तो ‘महाभारत’ में कृष्ण की बाँसुरी के जादुई प्रभाव से सभी प्रभावित होते हैं। अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने उत्तरा को संगीत-नृत्य सिखाने हेतु बृहन्नला का रूप धारण किया। पौराणिक काल के ‘तैत्तिरीय उपनिषद’, ‘ऐतरेय उपनिषद’, ‘शतपथ ब्राह्मण’ के अलावा ‘याज्ञवल्क्य-रत्न प्रदीपिका’, ‘प्रतिभाष्यप्रदीप’ और ‘नारदीय शिक्षा’ जैसे ग्रन्थों से भी हमें उस समय के संगीत का परिचय मिलता है। चौथी शताब्दी में ग्यारहवीं शताब्दी में वैदिक काल का संगीत [ ] भारतीय संगीत का आदि रूप वेदों में मिलता है। भारतीय संगीत का इतिहास कम से कम ४००० वर्ष प्राचीन है। संसार भर में सबसे प्राचीन संगीत संभाव्य स्वरों के नियत क्रम का जो समूह है वह संगीत में "साम" कहलाता है। हम देख सकते हैं कि धीरे-धीरे विकसित होकर साम का पूर्ण ग्राम इस प्रकार बना- क्रुष्ट, प्रथम, द्वितीय, तृतीय, मंद्र, अतिस्वार्थ यह हम पहले ही कह चुके हैं कि साम का ग्राम अवरोही क्रम का था। नीचे हम सामग्रम और उनको आधुनिक संज्ञाओं को एक सारणी में देते हैं: साम आधुनिक क्रुष्ट मध्यम (म) प्रथम गांधार (ग) द्वितीय ऋषभ (रे) तृतीय षड्ज (स) चतुर्थ निषाद (नि) मंद्र घैवत (ध) अतिस्वार्य पंचम (प)...

ॠग्वैदिक काल, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन/दशा

ऋग्वैदिक काल rigvaidik kal samajik aarthikarthik bharmik rajnitik jivan;1500 ई. पू. से 200 ई. पू. तक के इतिहास को वैदिक युग के नाम से जाना जाता है। वेदों की संख्या चार है-- 1. ॠग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अर्थर्ववेद। इन वेदों मे प्राचीनतम वेद ॠग्वेद है। अतः वैदिक काल मे प्रारम्भिक युग को ऋग्वैदिक काल कहा जाता है। शेष तीनों वेद उत्तरवैदिक काल मे रचित हुए। ॠग्वैदिक काल का सामाजिक जीवन (rigvaidik kal ka samajik jivan) ऋग्वेद ग्रन्थ से इस काल की सामाजिक व्यवस्था पर व्यापक प्रकाश पड़ता है। 1. परिवार आर्यों के सामाजिक जीवन का भुख्य आधार परिवार हुआ करता था। ऋग्वैदिक काल मे परिवार पितृसत्तात्मक हुआ करता था मतलब किसी भी परिवार का मुखिया उस परिवार का सार्वाधिक आयु वाला पुरूष हुआ करता है। परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई थी। इस काल मे सामूहिक परिवार की प्रणाली प्रचलित थी। परिवार मे गृह-पत्नी का विशेष महत्व और आदर किया जाता था। 2. भोजन ऋग्वैदिक काल मे लोग दूध और दूध से बनी हुए वस्तुओं के सेवन के विशेष शोकिन थे। आर्यों के भोगन मे गेहूँ, जौ, चावल, दूध-दही और घी आदि मुख्य थे। इस काल मे लोग माँसाहारी भी थे। पेय पदार्थ मे सोमरस का प्रचलन था। वैदिक काल मे समाज (आर्य और अनार्य) दो वर्गों मे विभाजित था। पुरूष सुक्त मे चार वर्णों का उल्लेख मिलता है। इसके मुताबिक आदि पुरुष के मुख से ब्राह्राण, भुजाओं से क्षत्रिय, जांघों से वैश्य तथा चरणो मे शुद्र पैदा हुए है। इस तरह वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है, लेकिन जाति मे जटिलता नही आई थी। एक सुक्त मे उल्लेख किया गया है कि मै एक कवि हूँ, मेरा पिता वैद्य है और मेरी माता अनाज पीसने वाली है। यह जन्म पर नही बल्कि कर्म पर आधारित थी। 4. वेश-भूषा तथा प्रसाध...

क्या परमेश्‍वर प्रसन्नता का विरोधी है?

उत्तर कुछ लोग परमेश्‍वर की कल्पना एक निर्दयी तरीके से कार्य कराने वाले स्वामी के रूप में करते हैं, जो सभी तरह की मस्ती या आमोद प्रमोद का विरोध करता है। उनके लिए, वह पूर्ण-गम्भीरता वाला परमेश्‍वर या नियमों वाला परमेश्‍वर है। परन्तु यह परमेश्‍वर का एक सटीक, बाइबल आधारित चित्र नहीं है। परमेश्‍वर ने हमें प्रसन्नता का अनुभव करने की क्षमता के साथ बनाया है। पवित्र शास्त्र के कई प्रसंग हमें हर्षित और प्रसन्न रहने के बारे में बोलते हैं (उदाहरण के लिए, भजन संहिता 16; नीतिवचन 15:13; 17:22)। सृष्टि की सुन्दरता और मनुष्यों की विविधता हमें परमेश्‍वर के रचनात्मक रंगीन पटिया को दिखाती है। कई लोग अपने समय को बाहर व्यतीत करने या विभिन्न व्यक्तित्वों के साथ सम्बन्ध स्थापित करके बिताने में प्रसन्नता को प्राप्त करते हैं। यह अच्छा और उचित है। परमेश्‍वर चाहता है कि उसकी सृष्टि का आनन्द लिया जाए। बाइबल में, हम देखते हैं कि परमेश्‍वर स्वयं वस्तुओं का आनन्द लेता है। उदाहरण के लिए, सपन्याह 3:17 कहता है कि परमेश्‍वर हम में प्रसन्नता को प्राप्त करता है और हमारे लिए गीत गाते हुए मगन होता है। परमेश्‍वर ने पुराने नियम में कई समारोहों और त्यौहारों को भी स्थापित किया था। यह सुनिश्‍चित करते हुए कि इन उत्सवों में धर्मसैद्धान्तिक शिक्षा का तत्व था, तथापि वे उत्सव भी थे। पवित्रशास्त्र आनन्दित होने की बात करता है — फिलिप्पियों और भजन संहिता दो ऐसे स्थल हैं, जहाँ हम इसे बहुतायत के साथ देखते हैं। यीशु ने घोषणा की, "चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ" (यूहन्ना 10:10)। जीवन अपनी "पूर्णता के लिए" एक सुखद अनुभव की ...