आर्य भट्ट

  1. महान गणितज्ञ आर्यभट्ट About Aryabhatta In Hindi
  2. आर्य भट्ट विद्या मंदिर से की पढ़ाई, बोले
  3. महान गणितज्ञ आर्यभट्ट About Aryabhatta In Hindi
  4. आर्य भट्ट विद्या मंदिर से की पढ़ाई, बोले


Download: आर्य भट्ट
Size: 14.19 MB

महान गणितज्ञ आर्यभट्ट About Aryabhatta In Hindi

भारत के इतिहास में जिसे ‘गुप्त काल’ या ‘सुवर्ण युग’ के नाम से जाना जाता है, उस समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। प्राचीन काल में भारतीय गणित और ज्योतिष शास्त्र अत्यंत उन्नत था। गुप्त काल में ही महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म माना जाता है। भारत को विश्व में चमकाने वाले अनमोल नक्षत्र आर्यभट्ट ने वैज्ञानिक उन्नति में योगदान ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में चार चाँद लगाया। ‘ आर्यभट्टीय’ नामक ग्रंथ की रचना करके, उन्होंने भारत को विश्व में गौरवान्वित किया। आर्यभट्ट द्वारा की गई जीरो की खोज ने समस्त विश्व को नई दिशा दी। माना जाता है कि आर्यभट्ट बिहार राज्य की राजधानी पटना जो उस समय पाटलीपुत्र के नाम से मशहूर थी, के निकट कुसुमपुर के रहने वाले थे। माता-पिता का नाम तथा वंश परिचय के बारे में प्रमाणित जानकारी नहीं मिलती। अनुमानो के आधार पर उनकी जन्म तिथि 13 अप्रैल 476 और मृत्यु 550 में मानी जाती है। इसी के आधार पर प्रसिद्ध अर्न्तराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने आर्यभट्ट की 1500वीं जयंती मनाई थी। उस समय मगध विश्वविद्यालय विद्या का केन्द्र था। यहाँ पर खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिये एक अलग विभाग था और बौद्ध धर्म विख्यात था। उस दौरान जैन धर्म भी अपने चरम पर था। लेकिन आर्यभट्ट के श्लोकों से लगता है कि वे इन धर्मो का अनुसरण नहीं करते थे । प्राचीन कृतियों के रचनाकारों की तरह वे अपने श्लोकों के प्रारंभ में इष्ट देव की स्तुति करते और माना जाता है कि ब्रह्मा के वरदान से ही उन्होंने सम्पूर्ण ज्ञान आदि प्राप्त किया था। हालांकि भारत में खगोल शास्त्र का जन्म आर्यभट्ट से पहले सदियों पूर्व हो चुका था। यहाँ पर पंचांग के नियम नक्षत्र विभाजन आदि ईसा के जन्म से 13-14 शताब्दी प...

आर्य भट्ट विद्या मंदिर से की पढ़ाई, बोले

यूपी बोर्ड परीक्षा के हाई स्कूल का परिणाम घोषित हो चुका है। इस बार हाई स्कूल में जहां सीतपुर की प्रियांशी सोनी ने पहला स्थान हासिल करके अपने जिले का नाम रोशन किया है। तो वहीं कानपुर देहात के कुशाग्र पांडे ने दूसरे स्थान प्राप्त करके जिले का नाम रोशन किया है। कुशाग्र पांडे के गांव में बधाई देने के लिए उसके घर के बाहर रिश्तेदारों व पड़ोसियों का तांता लग गया है। कानपुर देहात के मंगलपुर कस्बे में रहने वाले कुशाग्र पांडे आर्य भट्ट विद्या मंदिर में हाई स्कूल में पढ़ते हैं। कुशाग्र पांडे ने कड़ी मेहनत के साथ कानपुर देहात का नाम रोशन करते हुए यूपी बोर्ड की परीक्षा में उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। कुशाग्र पांडे के दूसरे स्थान प्राप्त करने की जानकारी होते ही कुशाग्र पांडे के कस्बे में जश्न का माहौल बन गया है। स्कूल प्रबंधक व शिक्षकों ने कुशाग्र पांडे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उसका उत्साह वर्धन किया है। हाई स्कूल में दूसरे नंबर पर आने वाले कुशाग्र पांडे ने साथियों के साथ जश्न मनाया। सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को कुशाग्र पांडे ने बातचीत करते हुए कहा कि वह सभी को धन्यवाद करना चाहता है। उसे बहुत अच्छा लग रहा है। कुशाग्र ने कहा कि मेरी सफलता के पीछे मेरे माता-पिता व मेरे गुरुजनों का हाथ है। मैं अपने से छोटे सभी भाई बहनों को सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि सफलता का मूल मंत्र है है थोड़ा पढ़ो लेकिन मन लगाकर पढ़ो। कुशाग्र ने कहा कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूं।

महान गणितज्ञ आर्यभट्ट About Aryabhatta In Hindi

भारत के इतिहास में जिसे ‘गुप्त काल’ या ‘सुवर्ण युग’ के नाम से जाना जाता है, उस समय भारत ने साहित्य, कला और विज्ञान क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की। प्राचीन काल में भारतीय गणित और ज्योतिष शास्त्र अत्यंत उन्नत था। गुप्त काल में ही महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म माना जाता है। भारत को विश्व में चमकाने वाले अनमोल नक्षत्र आर्यभट्ट ने वैज्ञानिक उन्नति में योगदान ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में चार चाँद लगाया। ‘ आर्यभट्टीय’ नामक ग्रंथ की रचना करके, उन्होंने भारत को विश्व में गौरवान्वित किया। आर्यभट्ट द्वारा की गई जीरो की खोज ने समस्त विश्व को नई दिशा दी। माना जाता है कि आर्यभट्ट बिहार राज्य की राजधानी पटना जो उस समय पाटलीपुत्र के नाम से मशहूर थी, के निकट कुसुमपुर के रहने वाले थे। माता-पिता का नाम तथा वंश परिचय के बारे में प्रमाणित जानकारी नहीं मिलती। अनुमानो के आधार पर उनकी जन्म तिथि 13 अप्रैल 476 और मृत्यु 550 में मानी जाती है। इसी के आधार पर प्रसिद्ध अर्न्तराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने आर्यभट्ट की 1500वीं जयंती मनाई थी। उस समय मगध विश्वविद्यालय विद्या का केन्द्र था। यहाँ पर खगोल शास्त्र के अध्ययन के लिये एक अलग विभाग था और बौद्ध धर्म विख्यात था। उस दौरान जैन धर्म भी अपने चरम पर था। लेकिन आर्यभट्ट के श्लोकों से लगता है कि वे इन धर्मो का अनुसरण नहीं करते थे । प्राचीन कृतियों के रचनाकारों की तरह वे अपने श्लोकों के प्रारंभ में इष्ट देव की स्तुति करते और माना जाता है कि ब्रह्मा के वरदान से ही उन्होंने सम्पूर्ण ज्ञान आदि प्राप्त किया था। हालांकि भारत में खगोल शास्त्र का जन्म आर्यभट्ट से पहले सदियों पूर्व हो चुका था। यहाँ पर पंचांग के नियम नक्षत्र विभाजन आदि ईसा के जन्म से 13-14 शताब्दी प...

आर्य भट्ट विद्या मंदिर से की पढ़ाई, बोले

यूपी बोर्ड परीक्षा के हाई स्कूल का परिणाम घोषित हो चुका है। इस बार हाई स्कूल में जहां सीतपुर की प्रियांशी सोनी ने पहला स्थान हासिल करके अपने जिले का नाम रोशन किया है। तो वहीं कानपुर देहात के कुशाग्र पांडे ने दूसरे स्थान प्राप्त करके जिले का नाम रोशन किया है। कुशाग्र पांडे के गांव में बधाई देने के लिए उसके घर के बाहर रिश्तेदारों व पड़ोसियों का तांता लग गया है। कानपुर देहात के मंगलपुर कस्बे में रहने वाले कुशाग्र पांडे आर्य भट्ट विद्या मंदिर में हाई स्कूल में पढ़ते हैं। कुशाग्र पांडे ने कड़ी मेहनत के साथ कानपुर देहात का नाम रोशन करते हुए यूपी बोर्ड की परीक्षा में उत्तर प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। कुशाग्र पांडे के दूसरे स्थान प्राप्त करने की जानकारी होते ही कुशाग्र पांडे के कस्बे में जश्न का माहौल बन गया है। स्कूल प्रबंधक व शिक्षकों ने कुशाग्र पांडे के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उसका उत्साह वर्धन किया है। हाई स्कूल में दूसरे नंबर पर आने वाले कुशाग्र पांडे ने साथियों के साथ जश्न मनाया। सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को कुशाग्र पांडे ने बातचीत करते हुए कहा कि वह सभी को धन्यवाद करना चाहता है। उसे बहुत अच्छा लग रहा है। कुशाग्र ने कहा कि मेरी सफलता के पीछे मेरे माता-पिता व मेरे गुरुजनों का हाथ है। मैं अपने से छोटे सभी भाई बहनों को सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि सफलता का मूल मंत्र है है थोड़ा पढ़ो लेकिन मन लगाकर पढ़ो। कुशाग्र ने कहा कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूं।