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  1. Aryabhata
  2. भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट
  3. 0 खोजने वाले गणितज्ञ और खगोल शास्त्री : आर्यभट्ट Aryabhatta
  4. Know some interesting facts about india's first sattelite Aryabhata
  5. आर्यभट्ट: Class 8 संस्कृत Chapter 14 Translation in Hindi ( व्याख्या )
  6. आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान
  7. Know some interesting facts about india's first sattelite Aryabhata
  8. आर्यभट्ट: Class 8 संस्कृत Chapter 14 Translation in Hindi ( व्याख्या )
  9. भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट
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Aryabhata

• Afrikaans • अंगिका • العربية • Aragonés • অসমীয়া • Asturianu • अवधी • Azərbaycanca • বাংলা • Башҡортса • Беларуская • भोजपुरी • Български • Bosanski • Brezhoneg • Català • Čeština • Corsu • Deutsch • डोटेली • Ελληνικά • Español • Esperanto • Euskara • فارسی • Français • Galego • ગુજરાતી • 한국어 • हिन्दी • Hrvatski • Ido • Bahasa Indonesia • Íslenska • Italiano • עברית • Jawa • ಕನ್ನಡ • ქართული • Қазақша • Kreyòl ayisyen • Kurdî • Latviešu • Magyar • मैथिली • Македонски • Malagasy • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • Nederlands • नेपाली • नेपाल भाषा • 日本語 • Norsk bokmål • Norsk nynorsk • Occitan • ଓଡ଼ିଆ • Oʻzbekcha / ўзбекча • ਪੰਜਾਬੀ • پنجابی • Piemontèis • Polski • Português • Română • Русский • संस्कृतम् • Simple English • Slovenčina • Slovenščina • Српски / srpski • Srpskohrvatski / српскохрватски • Suomi • Svenska • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • ತುಳು • Türkçe • Українська • اردو • Tiếng Việt • Winaray • 吴语 • 粵語 • 中文 Kusumapura ( Died 550 CE (aged 73–74) Academic background Influences Academic work Era Main interests Notable works Notable ideas Explanation of Influenced Aryabhata ( आर्यभट, Āryabhaṭa) or Aryabhata I Arya- For his explicit mention of the relativity of motion, he also qualifies as a major early physicist. Biography Name While there is a tendency to misspell his name as "Aryabhatta" by analogy with other names having the " Time and place of birth Aryabhata mentions in the Aryabhatiya that he was 23 years old 3,600 years into the Other hypothesis āśmakīya, "one belong...

भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट

By Jan 16, 2023 भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट | Aryabhatta in the Indian knowledge Tradition – आर्यभट्ट भारत के पहले महान गणितज्ञ तथा खगोल विज्ञानी थी। गुप्तकाल के गणितज्ञो मे आर्यभट्ट का नाम उल्लेखनीय है क्योंकि गुप्तकाल में साहित्य में कला, विज्ञान व ज्योतिष के क्षेत्र अभूतपूर्व प्रगति हुई। आय सम्भवतः आर्यभट्ट का आजकल कर्म क्षेत्र 66 कुसुमपुर” 10 जिसे पटना के नाम से जाना जाता है। उस समय इतिहास लेखन की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। अत: उनके जन्म विषय में हमे प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती है फिर भी 8 हमें उनके जन्मकाल के बारे में उनके स्वयं के ग्रन्थ से पता चलता है अर्थात उन्होंने वहां लिखा है 6 जब वह 23 वर्ष का था, उस समय 60 वर्षो के 60 युग और तीन युगपद (सत्युग । त्रेता और द्वापर ) बीत चुके थे ” तो उनके अनुसार उनका जन्म समय मूलतः 476 ई0 के आसपास था। आर्यभट्ट अपने जीवन में अनेक रचनाएं लिखी थी। जिसमें से प्रमुख आर्यभटीयम् है। उन्होने अनेक क्षेत्रों मे अपना योगदान भी दिया है उन्होंने -गणित व खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है गीत के पाइ का मान क्षेत्र मे जैसे शून्य की उत्पत्ति, ‘बीजगणित इत्यादि के विषय मे की है ग्रहण + खगोल विज्ञान में समीकरणे रविस्तृत व्याख्या ग्रहो की गातै न बी- सूर्यव चन्द्र ग्रहण तथा दिन रात व वर्ष का होना व नक्षत्र इत्यादि । इसके अतिरिक्त इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रो मे भी कार्य किए उन्होने भारत सरकार अनेक सेटालाइट का भी आविष्कार किया है इस प्रकार उन्होने अपने जीवन में योगदान देते हुए 74वर्ष की आयु मे अर्थात् 550 ई. में “प्राचीन भारत) मे मृत्यु हो गयी थी। उनका मृत्यु स्थान संभवत: पाटलिपुत्र ही था जहां पर उन्होने शिक्षा ग्रहण की तथा अन...

0 खोजने वाले गणितज्ञ और खगोल शास्त्री : आर्यभट्ट Aryabhatta

Aryabhatta Biography in Hindi – भारत देश में ऐसे बहुत सरे महान विद्वान हुए हैं जिन्होंने ऐसी ऐसी रचनाएँ की हैं जो आज भी हमारी रोज़ाना की ज़िंदगी में उतनी ही जरूरी हैं जितनी बाकी चीजें। हम रोज़ाना हमारे जीवन में ऐसी चीजें देखते हैं ऐसे काम देखते हैं जिनके बारे में हम सबको पता है पर हम यह नहीं जानते के उसकी शुरुआत कैसे हुई या उसे पहली बार किसने अम्ल में लाया। उदाहरण के तौर पर गणित हमारी जिंदगी का अभिन्न अंग है। हम गणित की कड़ी से कड़ी समीकरणों को जानते पहचानते हैं और हमें पता है के रोजाना के जीवन में गणित हमारे कितने काम आता है। घर के राशन का हिसाब करना , बच्चों की फीस का लेखा जोखा या पूरे महीने का लेखा जोखा हो, गणित हमारे हर रोज़ काम आता है पर हम कभी ये नहीं सोचते के गणित की शुरुआत किसने की ? इसमें इस्तेमाल होने वाले अंकों की शुरुआत किसने की या अंकों का विभाजन किसने किया। इस तरह के हिसाब के लिए इस तरह की समीकरण ही क्यों लगती है ? हमने यह सवाल कभी नहीं किये और न ही हमारे दिमाग में ऐसे सवाल आते हैं। भारत देश में ऐसे महान पुरुषों का जन्म हुआ जिन्होंने हमारे इन सब सवालों के जवाब दिए हैं। हमेंगणित के शून्य से लेकर बड़ी से बड़ी रकम के बारे में बताया है। उन्होंने उस समय में ऐसी ऐसी खोजें कर दी थी जिनको करने के लिए आज कितने ही दशकों का समय लग जाता है और कितना ही पैसा लग जाता है। उन्होंने सैकड़ों साल पहले ही सौरमंडल के बारे में ज्योतिष के बारे में हमें बता दिया था और गणित कैसे काम करता है ये भी हमें सिखा दिया था। Table of Contents • • • • • आर्यभट्ट का जीवन परिचय Aryabhatta Biography in Hindi आर्यभट्ट का जन्म स्थान और बचपन Aryabhatta Birthplace and Childhood महान विद्वान आर्यभट्ट के...

Know some interesting facts about india's first sattelite Aryabhata

आज के दिन भारत के पहले सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' को अंतरिक्ष में भेजा गया था. 19 अप्रैल 1975 को आर्यभट्ट सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था.इसलिए इस दिन को भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है. आपको बता दें कि गणितज्ञ आर्यभट्ट ने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था इसलिए उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया था. आर्यभट सैटेलाइट को सोवियत संघ की मदद से बनाई गई थी.हर साल 19 अप्रैल यानि आज के दिन इस उपलब्धि को याद किया जाता है. आर्यभट्ट उपग्रह से जुड़ी कई दिलचस्प घटनाएं हैं जो जानकर आपको हैरानी भी होगी. (फोटो साभार:@rajeev_mp )

आर्यभट्ट: Class 8 संस्कृत Chapter 14 Translation in Hindi ( व्याख्या )

NCERT Solution of Class 8 Sanskrit रुचिरा आर्यभट्ट: व्याख्या for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. Class 8 Sanskrit all Chapters NCERT Solution with शब्दार्थ, व्याख्या, Translation in Hindi and English, अभ्यास के प्रश्न उत्तर and important Question answer ncert solution. Also Read:– Class 8 Sanskrit रुचिरा NCERT Solution NCERT Solution of Class 8th Sanskrit Ruchira / रुचिरा Chapter 14 आर्यभट्ट: / Aryabhata Vyakhya / व्याख्या / meaning in hindi / translation in hindi Solution. आर्यभट्ट: Class 8 Sanskrit Chapter 14 व्याख्या पूर्वदिशायाम् उदेति सूर्यः पश्चिमदिशायां च अस्तं गच्छति इति दृश्यते हि लोके। परं न अनेन अवबोध्यमस्ति यत्सूर्यो गतिशील इति । सूर्योऽचलः पृथिवी च चला या स्वकीये अक्षे घूर्णति इति साम्प्रतं सुस्थापितः सिद्धान्तः। सिद्धान्तोऽयं प्राथम्येन येन प्रवर्तितः, स आसीत् महान् गणितज्ञः ज्योतिर्विच्च आर्यभट: । पृथिवी स्थिरा वर्तते इति परम्परया प्रचलिता रूढिः तेन प्रत्यादिष्टा। तेन उदाहृतं यद् गतिशीलायां नौकायाम् उपविष्टः मानवः नौकां स्थिरामनुभवति, अन्यान् च पदार्थान् गतिशीलान् अवगच्छति। एवमेव गतिशीलायां पृथिव्याम् अवस्थितः मानवः पृथिवीं स्थिरामनुभवति सूर्यादिग्रहान् च गतिशीलान् वेत्ति। शब्दार्थ :- पूर्वदिशायाम् – पूर्व दिशा में। उदेति – उदय होता है। सूर्यः – सूर्य। पश्चिमदिशायां – पश्चिम दिशा में। च – और। अस्तं – अस्त। गच्छति – होता है। इति – यह। दृश्यते – देखा जाता है। हि – निश्चित रूप से। लोके – संसार में। परं – परंतु। न – नहीं। अनेन – इससे। अवबोध्यमस्ति – जानना चाहिए। यत्सूर्यो – कि सूरज। गतिशील – गतिशील...

आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान

आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में योगदान ,Aryabhatta Biography in Hindi, भारतीय गणितज्ञ का जीवन परिचय, आर्यभट्ट की जीवनी, आर्यभट्ट का जीवन परिचय pdf, aryabhatt ka jivan parichay, आर्यभट्ट केवल एक खगोलशास्त्री ही नहीं बल्कि महान गणितज्ञ भी थे। भारत में आधुनिक काल में जैसे आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम दुनियाँ को शून्य (0) का ज्ञान दिया। इस महान् खगोलशास्त्री के सम्मान में भारत सरकर ने अपना पहला उपग्रह का नाम ‘ आर्यभट्ट उपग्रह‘ रखा था। जिसे सन 1975 में छोड़ा गया था। आईये इस महान गणितज्ञ के बारें में विस्तार से जानते हैं। आर्यभट्ट कौन थे– Who is Aryabhatta in Hindi आर्यभट्ट भारत के महान खगोलज्ञ, ज्योतिषशास्त्री और गणितज्ञ थे जिसने दुनियाँ को शून्य का ज्ञान दिया। आर्यभट्ट का जीवन परिचय और गणित में उनके योगदान से पता चलता है की भले ही आज निकोलस कोपरनिकस को सौरमंडल का खोजकर्ता माना जाता है। लेकिन आज से करीव 1500 साल पहले भारत के आर्यभट्ट का जीवन परिचय – Aryabhatta Biography in Hindi सबसे पहले उन्होंने ही बताया था की पृथ्वी के घूर्णन के कारण ही दिन और रात होते है। आर्यभट्ट का मानना था की ब्रह्मांड का केंद्र विंदु पृथ्वी है। इन्हीं कारणों से आर्यभट्ट को प्राचीन भारतीय विज्ञान का सबसे चमकीला सितारा कहा जाता है। चलिए इस लेख में A ryabhatt ka jivan parichay aur unke yogdan के बारें में जानते हैं। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जीवन परिचय – Aryabhatta biography in Hindi नाम आर्यभट्ट (in English – Aryabhatta) प्रसिद्धि शून्य के अविस्कार के कारण आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी आर्यभट्ट का जन्म स्थान ज्ञात नहीं आर्यभट्ट की शिक्षा नालंदा विश्व विध्यालय, बिहार आर्यभट्ट की पत्नी का नाम ज्ञात नहीं आर्यभट्ट के ...

Know some interesting facts about india's first sattelite Aryabhata

आज के दिन भारत के पहले सैटेलाइट 'आर्यभट्ट' को अंतरिक्ष में भेजा गया था. 19 अप्रैल 1975 को आर्यभट्ट सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था.इसलिए इस दिन को भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है. आपको बता दें कि गणितज्ञ आर्यभट्ट ने पाई का सही मान 3.1416 निकाला था इसलिए उपग्रह का नाम आर्यभट्ट रखा गया था. आर्यभट सैटेलाइट को सोवियत संघ की मदद से बनाई गई थी.हर साल 19 अप्रैल यानि आज के दिन इस उपलब्धि को याद किया जाता है. आर्यभट्ट उपग्रह से जुड़ी कई दिलचस्प घटनाएं हैं जो जानकर आपको हैरानी भी होगी. (फोटो साभार:@rajeev_mp )

आर्यभट्ट: Class 8 संस्कृत Chapter 14 Translation in Hindi ( व्याख्या )

NCERT Solution of Class 8 Sanskrit रुचिरा आर्यभट्ट: व्याख्या for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. Class 8 Sanskrit all Chapters NCERT Solution with शब्दार्थ, व्याख्या, Translation in Hindi and English, अभ्यास के प्रश्न उत्तर and important Question answer ncert solution. Also Read:– Class 8 Sanskrit रुचिरा NCERT Solution NCERT Solution of Class 8th Sanskrit Ruchira / रुचिरा Chapter 14 आर्यभट्ट: / Aryabhata Vyakhya / व्याख्या / meaning in hindi / translation in hindi Solution. आर्यभट्ट: Class 8 Sanskrit Chapter 14 व्याख्या पूर्वदिशायाम् उदेति सूर्यः पश्चिमदिशायां च अस्तं गच्छति इति दृश्यते हि लोके। परं न अनेन अवबोध्यमस्ति यत्सूर्यो गतिशील इति । सूर्योऽचलः पृथिवी च चला या स्वकीये अक्षे घूर्णति इति साम्प्रतं सुस्थापितः सिद्धान्तः। सिद्धान्तोऽयं प्राथम्येन येन प्रवर्तितः, स आसीत् महान् गणितज्ञः ज्योतिर्विच्च आर्यभट: । पृथिवी स्थिरा वर्तते इति परम्परया प्रचलिता रूढिः तेन प्रत्यादिष्टा। तेन उदाहृतं यद् गतिशीलायां नौकायाम् उपविष्टः मानवः नौकां स्थिरामनुभवति, अन्यान् च पदार्थान् गतिशीलान् अवगच्छति। एवमेव गतिशीलायां पृथिव्याम् अवस्थितः मानवः पृथिवीं स्थिरामनुभवति सूर्यादिग्रहान् च गतिशीलान् वेत्ति। शब्दार्थ :- पूर्वदिशायाम् – पूर्व दिशा में। उदेति – उदय होता है। सूर्यः – सूर्य। पश्चिमदिशायां – पश्चिम दिशा में। च – और। अस्तं – अस्त। गच्छति – होता है। इति – यह। दृश्यते – देखा जाता है। हि – निश्चित रूप से। लोके – संसार में। परं – परंतु। न – नहीं। अनेन – इससे। अवबोध्यमस्ति – जानना चाहिए। यत्सूर्यो – कि सूरज। गतिशील – गतिशील...

भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट

By Jan 16, 2023 भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्यभट्ट | Aryabhatta in the Indian knowledge Tradition – आर्यभट्ट भारत के पहले महान गणितज्ञ तथा खगोल विज्ञानी थी। गुप्तकाल के गणितज्ञो मे आर्यभट्ट का नाम उल्लेखनीय है क्योंकि गुप्तकाल में साहित्य में कला, विज्ञान व ज्योतिष के क्षेत्र अभूतपूर्व प्रगति हुई। आय सम्भवतः आर्यभट्ट का आजकल कर्म क्षेत्र 66 कुसुमपुर” 10 जिसे पटना के नाम से जाना जाता है। उस समय इतिहास लेखन की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। अत: उनके जन्म विषय में हमे प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती है फिर भी 8 हमें उनके जन्मकाल के बारे में उनके स्वयं के ग्रन्थ से पता चलता है अर्थात उन्होंने वहां लिखा है 6 जब वह 23 वर्ष का था, उस समय 60 वर्षो के 60 युग और तीन युगपद (सत्युग । त्रेता और द्वापर ) बीत चुके थे ” तो उनके अनुसार उनका जन्म समय मूलतः 476 ई0 के आसपास था। आर्यभट्ट अपने जीवन में अनेक रचनाएं लिखी थी। जिसमें से प्रमुख आर्यभटीयम् है। उन्होने अनेक क्षेत्रों मे अपना योगदान भी दिया है उन्होंने -गणित व खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है गीत के पाइ का मान क्षेत्र मे जैसे शून्य की उत्पत्ति, ‘बीजगणित इत्यादि के विषय मे की है ग्रहण + खगोल विज्ञान में समीकरणे रविस्तृत व्याख्या ग्रहो की गातै न बी- सूर्यव चन्द्र ग्रहण तथा दिन रात व वर्ष का होना व नक्षत्र इत्यादि । इसके अतिरिक्त इसके अतिरिक्त अन्य क्षेत्रो मे भी कार्य किए उन्होने भारत सरकार अनेक सेटालाइट का भी आविष्कार किया है इस प्रकार उन्होने अपने जीवन में योगदान देते हुए 74वर्ष की आयु मे अर्थात् 550 ई. में “प्राचीन भारत) मे मृत्यु हो गयी थी। उनका मृत्यु स्थान संभवत: पाटलिपुत्र ही था जहां पर उन्होने शिक्षा ग्रहण की तथा अन...

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