अभिमन्यु और उत्तरा का पुत्र

  1. अभिमन्यु कथा
  2. अभिमन्यु किसका पुत्र था?
  3. अभिमन्यु किसका पुत्र था?
  4. Abhimanyu kiska putra tha
  5. परीक्षित
  6. Mahabharat 27 April Episode 61
  7. उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र का नाम क्या है? » Uttara Aur Abhimanyu Ke Putra Ka Naam Kya Hai
  8. रानी सती मन्दिर


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अभिमन्यु कथा

लेख सारिणी • • • • अभिमन्यु कथा | Abhimanyu Katha अभिमन्यु अर्जुन का पुत्र था| श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा इनकी माता थी| यह बालक बड़ा होनहार था| अपने पिता के-से सारे गुण इसमें विद्यमान थे| स्वभाव का बड़ा क्रोधी था और डरना तो किसी से इसने जाना ही नहीं था| इसी निर्भयता और क्रोधी स्वभाव के कारण इसका नाम अभि (निर्भय) मन्यु (क्रोधी) ‘अभिमन्यु’ पड़ा था| अर्जुन ने धनुर्वेद का सारा ज्ञान इसको दिया था| अन्य अस्त्र-शस्त्र चलाना भी इसने सीखा था| पराक्रम में यह किसी वीर से भी कम नहीं था| सोलह वर्ष की अवस्था में ही अच्छे-अच्छे सेनानियों को चुनौती देने की शक्ति और समार्थ्य इसमें थी| इसकी मुखाकृति और शरीर का डीलडौल भी असाधारण योद्धा का-सा था| वृषभ के समान ऊंचे और भरे हुए कंधे थे| उभरा वक्षस्थल था और आंखों में एक जोश था| महाभारत का भीषण संग्राम छिड़ा हुआ था| पितामह धराशायी हो चुके थे| उनके पश्चात गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों का सेनापतित्व संभाला था| अर्जुन पूरे पराक्रम के साथ युद्ध कर रहा था| प्रचण्ड अग्नि के समान वह बाणों की वर्षा करके कौरव सेना को विचलित कर रहा था| द्रोणाचार्य कितना भी प्रयत्न करके अर्जुन के इस वेग को नहीं रोक पा रहे थे| कभी-कभी तो ऐसा लगता था, मानो पाण्डव कौरवों को कुछ ही क्षणों में परास्त कर डालेंगे| प्रात:काल युद्ध प्रारंभ हुआ| श्रीकृष्ण अपना पांचजन्य फूंकते, उसी क्षण अर्जुन के बाणों से कौरव सेना में हाहाकार मचने लगता| संध्या तक यही विनाश चलता रहता| दुर्योधन ने इससे चिंतित होकर गुरु द्रोणाचार्य से कहा, “हे आचार्य ! यदि पांडवों की इस गति को नहीं रोका गया, तो कौरव-सेना किसी भी क्षण विचलित होकर युद्धभूमि से भाग खड़ी होगी| अत: कोई ऐसा उपाय करिए, जिससे पांडवों की इस बढ़ती शक्त...

अभिमन्यु किसका पुत्र था?

नमस्कार दोस्तों, यदि आपने महाभारत देखी है या फिर महाभारत के युद्ध की कहानी सुनी है, तो आपने इस महाभारत के अंतर्गत अभिमन्यु का नाम तो जरूर सुना होगा, जिसकी बहादुरी के बारे में महाभारत के अंतर्गत बताया गया है। दोस्तों क्या आप जानते हैं, कि अभिमन्यु किसका पुत्र था, तथा अभिमन्यु के माता पिता कौन थे (abhimanyu ke mata pita ka naam) यदि आपको इस सवाल का जवाब मालूम नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं, की अभिमन्यु किसका पुत्र था, तथा अभिमन्यु के माता पिता कौन थे। और इस विषय से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी अभी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं। अभिमन्यु किसका पुत्र था? (abhimanyu kiska putra tha) दोस्तों महाभारत के अंतर्गत यदि आपने अभिमन्यु की कहानी सुनी है, तो आपके मन में यह सवाल है, कि अभिमन्यु किसका पुत्र था तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं, कि अभिमन्यु अर्जुन तथा उसकी पत्नी सुभद्रा का पुत्र था। या फिर हम कह सकते हैं, कि अभिमन्यु अर्जुन का पुत्र था। अगर अभिमन्यु की कहानी के बारे में बात की जाए, तो अभिमन्यु महाभारत का सबसे कम उम्र वाला योद्धा था। इसके अलावा अभिमन्यु के बारे में खास बात यह भी थी कि जब अभिमन्यु अपनी मां सुबधरा के पेट में पल रहा था, तब ही अभिमन्यु ने युद्ध विद्या सीख ली थी तथा उसने चक्रव्यूह को भेजना भी सीख लिया था हालांकि वह चक्रव्यू से बाहर कैसे निकलना है इसके बारे में नहीं सीख पाया था उसको सिर्फ इतना ही आता था, कि चक्रवायु को भेदकर किस तरह से उसके अंदर प्रवेश करना है। और वह ने युद्ध के मैदान में चक्कर भी बना लिया ...

अभिमन्यु किसका पुत्र था?

अभिमन्यु हिंदू महाकाव्य महाभारत में एक बहादुर नायक था। वह भगवान कृष्ण की सौतेली बहन सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र था। अपनी मां के गर्भ में एक अजन्मे बच्चे के रूप में, अभिमन्यु अर्जुन से घातक और वस्तुतः अभेद्य चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान सीखता है। महाकाव्य बताता है कि उसने अर्जुन को गर्भ से अपनी मां के साथ इस बारे में बात करते हुए सुना था। अर्जुन ने चक्रव्यूह में प्रवेश करने की बात कही और बाद में सुभद्रा को नींद आ गई। सुनते-सुनते सुभद्रा को सोता देख अर्जुन ने चक्रव्यूह भागने की व्याख्या करना बंद कर दिया। एक प्रभाव के रूप में गर्भ में शिशु अभिमन्यु को इससे बाहर आने के बारे में जानने का मौका नहीं मिला। अभिमन्यु ने अपना बचपन अपनी माँ की नगरी द्वारका में बिताया। उन्हें श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और उनके महान योद्धा पिता अर्जुन द्वारा प्रशिक्षित किया गया था। अभिमन्यु का भगवान कृष्ण के मार्गदर्शन में उनका पालन-पोषण हुआ। अर्जुन ने कुरुक्षेत्र युद्ध के बदले पांडवों और विराट के शाही परिवार के बीच गठबंधन को मजबूत करने के लिए राजा विराट की बेटी उत्तरा से अभिमन्यु का विवाह करवाया था। उस समय पांडव अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष यानी अज्ञातवास के दौरान राजा विराट के मत्स्य साम्राज्य में छिपे हुए थे। हजारों शत्रुओं और सैकड़ों योद्धाओं को मारने व युद्धों के देवता भगवान इंद्र का पोता होने के नाते, अभिमन्यु एक साहसी और तेज योद्धा थे। अपने विलक्षण कारनामों के कारण अपने पिता के स्तर के बराबर माने जाने वाले अभिमन्यु द्रोण, कर्ण, दुर्योधन और दुशासन जैसे महान नायकों से युद्ध करने में सक्षम थे। अभीमन्यु को अपनी बहादुरी और अपने पिता के प्रति पूर्ण निष्ठा के लिए हमेशा सराहा गया। अभिमन्यु ने महाभ...

Abhimanyu kiska putra tha

Abhimanyu kiska putra tha : आज का हमारा विषय महाभारत काल के एक उस योद्धा के बारे में हैं जिसको आप भली-भांति जानते होंगे, अगर आपने सही ढंग से महाभारत को देखा है तो आप अभिमन्यु के नाम को कैसे भूल सकते हैं। आज के इस लेख में हम उसी वीर महान योद्धा अभिमन्यु के बारे में वह सभी जानकारियां आपके साथ साझा करने वाले हैं, जो शायद आपको पहले पता ना हो या फिर आपको उनमें किसी प्रकार का संशय हो। आज के हमारे इस महाभारत कालीन लेख में हम चर्चा करेंगे कि Abhimanyu kiska putra tha, अभिमन्यु की माता का नाम क्या था और अभिमन्यु अपनी वीरगति को कैसे प्राप्त हुआ था। इसके साथ ही हम जानेंगे अभिमन्यु के बारे में और कुछ जानकारियां जो शायद आपको महाभारत में बहुत ज्यादा देखने को ना मिली हो क्योंकि महाभारत के धारावाहिक में आपको किसी भी अंश के बारे में बहुत ज्यादा नहीं बताया जाता होगा परंतु आज के इस लेख को पढ़ने के बाद शायद आप अभिमन्यु के बारे में वे सभी जानकारियां जान सकेंगे जो शायद इस लेख को पढ़ने से पहले आपको ना पता हो। तो चले विस्तार में जानते है की महाभारत के अभिमन्यु किसका बीटा था Abhimanyu kiska putra tha विषय • • • • • • अभिमन्यु किसका पुत्र था (Abhimanyu kiska putra tha) अगर आपने महाभारत को सही ढंग से देखा है तो आप जानते होंगे कि अभिमन्यु अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र था। यह अर्जुन वही है जो पांच पांडवों में शामिल थे अभिमन्यु स्वयं भी अर्जुन के प्रकार एक महान योद्धा थे और उनका युद्ध कौशल भी देखने लायक था। अच्छे से अच्छा योद्धा भी अभिमन्यु के आगे हार मान जाता था क्योंकि वे अपने पिता अर्जुन की भांति ही इसमें निपुण थे। अगर बात की जाए अभिमन्यु की माता की तो उनकी माता का नाम सुबद्रा था जैसा कि हम आपको पहले ह...

परीक्षित

पूर्ववर्ती युधिष्ठिर (बड़े दादाजी) उत्तरवर्ती जीवनसंगी मदरावती (पहली पत्नी),अद्रिका (दूसरी पत्नी) संतान पिता माता महाभारत के अनुसार परीक्षित ऐतिहासिकता [ ] वैदिक साहित्य में केवल एक परीक्षित का उल्लेख है । परंतु उत्तर-वैदिक साहित्य (महाभारत और पुराण) इस नाम से दो राजाओं के अस्तित्व का संकेत देते हैं, एक जो कुरुक्षेत्र युद्ध से पूर्व हुए एवं पांडवों के पूर्वज थे और दूजे वह जो पांडवों के अग्रज थे। इतिहासकार एच‌‌.सी.रायचौधुरी का मानना है कि दूसरे परीक्षित का वर्णन वैदिक राजा से उपर्युक्त ढंग से मेल खाता है, जबकि पूर्वज 'परीक्षित' के बारे में उपलब्ध विवरण अत्यंत अल्प और असंगत है, साथ ही रायचौधरी प्रश्न करती हैं कि 'क्या वास्तविकता में एक ही नाम के ऐसे दो अलग शासक थे?' किंवदंती [ ] अन्य परीक्षित [ ] इनके अतिरिक्त 'परीक्षित' नाम के चार अन्य राजा और हुए हैं जिनमें तीन कुरुवंशीय थे और एक इक्ष्वाकुवंशीय। पहले तीनों में प्रथम वैदिककालीन राजा थे। इनके राज्य की समृद्धि और शांति का उल्लेख सन्दर्भ क: कुरु साम्राज्य के संस्थापक ग: विचित्रवीर्य के निधन के बाद व्यास से धृतराष्ट्र और पांडु का जन्म हुआ। च: कुंती को विवाह से पहले कर्ण पैदा हुआ। ड: पांडव पांडु के पुत्र थे। लेकिन देवताओं के वर प्रभाव से कुंती और माद्री को ये पुत्र उत्पन्न हुए। त: दुर्योधन और उसके सौ भाई एक बार पैदा हुए। न: पांडवों को द्रौपदी से पाँच पुत्र उत्पन्न हुए। उनको उपपांडव कहते थे।: ** युधिष्ठिर से प्रतिविंध्य, भीम से शृतसोम, अर्जुन से शृतकर्म, नकुल से शतानीक, सहदेव से शृतसेन का जन्म हुआ। महत्वपूर्ण संकेत पुरष: blue border स्त्री: red border हरे रंग बॉक्स पीले बॉक्स गुलाबी बॉक्स

Mahabharat 27 April Episode 61

सुबह के एपिसोड की शुरुआत धृतराष्ट्र और भीष्म के वार्तालाप से होती है। धृतराष्ट्र कहते हैं कि मेरा दुर्भाग्य यह है कि अब आप भी मुझे मेरे अनुज पुत्रों का शत्रु समझने लगे हैं। दोनों एक-दूसरे से अपने दुख की चर्चा करते हैं। कौरव और पांडवों के साथ ही वे अभिमन्यु और उत्तरा के विवाह के निमंत्रण पत्र पर चर्चा करते हैं। भीष्म सलाह देते हैं कि हमें उनके विवाह में नहीं जाना चाहिए, इससे विवाद उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि वहां द्रोण और द्रुपद आमने-सामने होंगे तो विवाद होगा। दूसरी ओर अभिमन्यु और उत्तरा के विवाह में सुभद्रा के साथ पधारे भगवान श्रीकृष्ण का द्रौपदी से संवाद होता है। अभिमन्यु सहित कई पुत्र वहां पहुंचते हैं और द्रौपदी के चरण छूते हैं। कृष्ण के कहने पर द्रौपदी उसे विशेष आशीर्वाद देते हुए कहती हैं कि तुम स्वयं ही तुम्हारी पहचान बनो। इस तरह सभी पुत्रों को आशीर्वाद देती हैं। बाद में अभिमन्यु और उत्तरा का विवाह समारोह बताया जाता है। इस विवाह में कई महारथी एकत्रित होते हैं।विवाह के बाद वे कौरवों से युद्ध पर चर्चा करते हैं, लेकिन श्रीकृष्ण रोक देते हैं और कहते हैं कि अभी युद्ध की चर्चा उचित नहीं। अभी तो युद्ध की कोई जरूरत नहीं। श्रीकृष्ण कहते हैं कि युद्ध तो अंतिम चयन होता है। वे सलाह देते हैं कि पहले महाराज युधिष्ठिर का कोई दूत वहां जाए। बलराम भी इससे सहमत होकर श्रीकृष्ण का समर्थन करते हैं। लेकिन कोई भी श्रीकृष्ण की बात से सहमत नहीं होता है तो विवाद बढ़ता है। अंत में श्रीकृष्ण सभी को समझा लेते हैं और दूत भेजने पर सहमति व्यक्त करते हैं। इधर, कृपाचार्य और द्रोण के बीच संजय और भीष्म के बीच वार्तालाप होता है। संजय कहते हैं कि पांडव अपना दूत भेजें उससे पूर्व स्वयं महाराज ही अपना दूत भेजक...

उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र का नाम क्या है? » Uttara Aur Abhimanyu Ke Putra Ka Naam Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। विकी नमस्कार गुड मॉर्निंग आपने पूछा उत्तरा के पुत्र का नाम क्या है लेकिन परीक्षित भाटी के परीक्षित जो थे वह बहुत ही बड़े एक सम्राट बने ठीक है जैसा कि वासुदेव कृष्ण ने पहले ही बता दिया था

रानी सती मन्दिर

रानी सती मन्दिर (भारत) मानचित्र दिखाएँ भारत 28°8′7″N 75°24′13″E / 28.13528°N 75.40361°E / 28.13528; 75.40361 28°8′7″N 75°24′13″E / 28.13528°N 75.40361°E / 28.13528; 75.40361 वेबसाइट .dadisati .in रानी सती मंदिर (रानी सती दीदी मंदिर) भारत के राजस्थान राज्य के झुंझुनू जिले के झुंझुनू में स्थित एक मंदिर है। यह भारत का सबसे बड़ा मंदिर है, जो एक राजस्थानी महिला रानी सती को समर्पित है, जो 13 वीं और 17 वीं शताब्दी के बीच में रहती थी और अपने पति की मृत्यु पर सती (आत्मदाह) करती थी। राजस्थान और अन्य जगहों पर विभिन्न मंदिर उनकी पूजा और उनके कार्य को मनाने के लिए समर्पित हैं। रानी सती को नारायणी देवी भी कहा जाता है और उन्हें दादीजी (दादी) कहा जाता है। अनुक्रम • 1 कहानी • 2 मंदिर • 3 पर्व और त्यौहार • 4 बाहरीकड़ियाँ • 5 सन्दर्भ कहानी [ ] रानी सती दादी मां की कहानी महाभारत के समय से शुरू होती है जो अभिमन्यु और उनकी पत्नी उत्तरा से जुड़ी हुई है। महाभारत के भीषण युद्ध में कोरवो द्वारा रचित चक्रव्यूह को तोड़ते हुए जब अभिमन्यु की मृत्यु हुई, तो उत्तरा कौरवों द्वारा विश्वासघात में अभिमन्यु को अपनी जान गंवाते देख उत्तरा शोक में डूब गई और अभिमन्यु के सतह सती होने का निर्णय ले लिया। लेकिन उत्तरा गर्भ से थी और एक बच्चो को जन्म देने वाली थी। यह देखकर श्री कृष्ण ने उत्तरा से कहा कि वह अपना जीवन समाप्त करने के विचार को भूल जाए, क्योंकि यह उस महिला के धर्म के खिलाफ है जो अभी एक बच्चे को जन्म देने वाली है। श्री कृष्ण की यह बात सुनकर उत्तरा बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने सती होने के अपने निर्णय को बदल लिया लेकिन उसके बदले उन्होंने ने एक इच्छा जाहिर जिसके अनुसार वह अगले जन्म में अभिमन्यु की पत्नी बनकर स...