अन्नपूर्णा माता की कहानी

  1. काशी अन्नपूर्णा मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास, महत्व और कहानी
  2. अन्नपूर्णा
  3. शिव और माँ अन्नपूर्णा की कहानी Lord Shiva and Maa Annapurna Story in Hindi
  4. अन्नपूर्णा माता व्रत कथा
  5. Annapurna Mata Vrat Katha (पढ़ें पूरी कथा)
  6. रसोई की इस दिशा में लगाएं मां अन्नपूर्णा की दान करती हुई ये तस्वीर, भर जाएंगे अन्न के भंडार और होगी धन में वृद्धि
  7. माँ अन्नपूर्णा की व्रत कथा
  8. Maa Annapurna Katha : मां अन्नपूर्णा की कथा


Download: अन्नपूर्णा माता की कहानी
Size: 56.66 MB

काशी अन्नपूर्णा मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर का इतिहास, महत्व और कहानी

Kashi Annapurna Mandir इतिहास और महत्व माता अन्नपूर्णा को हिंदू “पौराणिक कथाओं” में भोजन और धन की देवी के रूप में उल्लेख किया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर बनारस में माता अन्नपूर्णा का मंदिर है। अन्नपूर्णा को तीनों लोकों में अन्न की जननी कहा जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने स्वयं भगवान शिव को भोजन कराया था। अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरः प्राणवल्लभे । ज्ञान वैराग्य सिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वती ।। माना जाता है कि अन्नपूर्णा मंदिर वाराणसी का निर्माण पेशवा बाजी राव ने 1700 के दशक में करवाया था। अन्नकूट पर्व पर एक दिन भक्तों द्वारा मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन किए जाते हैं। वर्ष में एक दिन खुलने वाले स्वर्ण प्रतिमा का मंदिर कई सौ साल पुराना है। मंदिर के भीतर, अन्नादात्री की ठोस सोने की मूर्ति कमलासन पर विराजमान है और चांदी की शिल्प में ढ़ले भगवान शिव की थैली में भोजन दान कर रही है। माँ अन्नपूर्णा के दाहिनी ओर माँ लक्ष्मी की स्वर्ण विग्रह और बायीं ओर भूदेवी है। सिंहासन का शिखर और मूर्तियाँ लगभग साढ़े पाँच फीट की हैं। ऐसी मूर्ति और भव्य दरबार शायद ही कहीं और देखने को मिले। अन्नपूर्णा देवी का संबंध उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर से भी माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नपूर्णा स्तोत्र की रचना की तथा ज्ञान और वैराग्य प्राप्त करने की कामना की। काशी खंड में कहा गया है कि चैत्र मास, शुक्ल पक्ष अष्टमी में भक्तों को भवानी [अन्नपूर्णा] 108 बार प्रसारित करनी चाहिए। ऐसा करने से भक्तों को सभी पहाड़ों, समुद्रों, दिव्य आश्रमों, पूरी भूमि और पूरी दुनिया की परिक्रमा करने का लाभ मिलेगा। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण के भीतर कुछ मूर्तियाँ स्थापित हैं, ज...

अन्नपूर्णा

भोजन, धान, पोषण, पोषक तत्वों और खाद्य संसाधन की देवी Member of देवी श्री अन्नपूर्णेश्वरी माता और महेश्वर भगवान अन्य नाम विशालाक्षी,विश्वशक्ति, रेणु, कुमारी,पार्वती संबंध देवी निवासस्थान कैलाश, काशी ॐ अन्नपूर्णा सदा पूर्णा शंकर प्राणवल्लभे ज्ञान विज्ञान सिध्यर्थम भिक्षाम देही च पार्वती । अस्त्र अक्षय पात्र, करछुल जीवनसाथी सवारी सिंहासन त्यौहार अन्नपूर्णा जयंती अन्नपूर्णा देवी अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मान्य देवी-देवताओं में विशेष रूप से पूजनीय हैं। इन्हें माँ जगदम्बा का ही एक रूप माना गया है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है। इन्हीं जगदम्बा के अन्नपूर्णा स्वरूप से संसार का भरण-पोषण होता है। अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है- 'धान्य' (अन्न) की अधिष्ठात्री। सनातन अनुक्रम • 1 शिव की अर्धांगनी • 1.1 भक्त वत्सल • 2 इन्हें भी देखें • 3 बाहरी कड़ियाँ शिव की अर्धांगनी [ ] कलियुग में माता अन्नपूर्णा की पुरी काशी है, किंतु सम्पूर्ण जगत् उनके नियंत्रण में है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी के अन्नपूर्णाजी के आधिपत्य में आने की कथा बडी रोचक है। भगवान शंकर जब पार्वती के संग विवाह करने के पश्चात् उनके पिता के क्षेत्र हिमालय के अन्तर्गत कैलाश पर रहने लगे, तब देवी ने अपने मायके में निवास करने के बजाय अपने पति की नगरी काशी में रहने की इच्छा व्यक्त की। महादेव उन्हें साथ लेकर अपने सनातन गृह अविमुक्त-क्षेत्र (काशी) आ गए। काशी उस समय केवल एक महाश्मशान नगरी थी। माता पार्वती को सामान्य गृहस्थ स्त्री के समान ही अपने घर का मात्र श्मशान होना नहीं भाया। इस पर यह व्यवस्था बनी कि सत्य, त्रेता, और द्वापर, इन तीन युगों में काशी श्मशान रहे और कलियुग में यह अन्नपूर्णा की पुरी होकर बसे। इसी कारण वर्तमान...

शिव और माँ अन्नपूर्णा की कहानी Lord Shiva and Maa Annapurna Story in Hindi

शिव और माँ अन्नपूर्णा की कहानी Lord Shiva and Maa Annapurna Story in Hindi दोस्तों जैसा ही हम सभी जानते है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भोजन को पवित्र माना जाता है, और इसके सेवन से पहले प्रार्थना की जाती है। जो व्यक्ति भोजन के महत्व को समझता है, वह जीवन में प्रगति करता है। अन्नदानम (भोजन का दान) का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है। माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है, अन्नपूर्णा शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है भोजन और पोषण का दाता। अन्ना (अन्न) का अर्थ है “भोजन” और (पूर्ण) का अर्थ है भरा हुआ या परिपूर्ण”, इसीलिए अन्नपूर्णा का अर्थ भोजन से भरा हुआ होता है। पढ़ें : (सोमवार के दिन) अन्नपूर्णा देवी को अन्य नामो जैसे विशालाक्षी, विश्वशक्ति, विश्वमाता, भुवनेश्वरी, अन्नदा आदि नामों से भी जाना जाता है। भारत में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, और अन्नपूर्णा देवी मंदिर, देवी को समर्पित हैं। ऐसा माना जाता है, कि देवी अन्नपूर्णा पहाड़ों के राजा हिमवत की बेटियों में से एक हैं, इसलिए हिमालय में माउंट अन्नपूर्णा का नाम देवी अन्नपूर्णा के नाम पर रखा गया है। पश्चिमी देशों में खाद्य पदार्थों के साथ उनका नाम जुड़ा होने के कारण उन्हें “भोजन के हिंदू ईश्वर” के नाम से जाना जाता है। Table of Content • • • • • कहानी 1: अन्नपूर्णा की कहानी भगवान शंकर और मां पार्वती अक्सर कैलाश पर्वत पर पासा खेलते थे। एक दिन, भगवान शंकर और माता पार्वती के बीच प्रकृति के महत्व और पुरुष की श्रेष्ठता को लेकर बहस हो गयी। क्योंकि भगवान शंकर पुरुष की श्रेष्ठता पर जोर दे रहे थे। भगवान शंकर ने मां पार्वती से कहा कि संसार एक भ्रम है। प्रकृति एक भ्रम है। सभी कुछ एक मृगतृष्णा है, यहाँ पल आता है और चला जाता...

अन्नपूर्णा माता व्रत कथा

मां अन्नपूर्णा माता का महाव्रत मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष पंचमी से प्रारम्भ होता है और मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी को समाप्त होता है। यह उत्तमोत्तम व्रत सत्रह दिनों का होता है और कई भक्त 21दिन तक भी पालन करते हैं। माँ अन्नपूर्णा माता के महाव्रत की कथा एक समय की बात है, काशी निवासी धनंजय की पत्नी का नाम सुलक्षणा था। उसे अन्य सब सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का एक मात्र कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता रहता था। एक दिन सुलक्षणा पति से बोली- स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम चले। इस प्रकार कब तक काम चलेगा? सुलक्षणा की बात धनंजय के मन में बैठ गई और वह उसी दिन विश्वनाथ शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए बैठ गया और कहने लगा- हे देवाधिदेव विश्वेश्वर ! मुझे पूजा-पाठ कुछ आता नहीं है, केवल आपके भरोसे बैठा हूँ। इतनी विनती करके वह दो-तीन दिन भूखा-प्यासा बैठा रहा। यह देखकर भगवान शंकर ने उसके कान में अन्नपूर्णा ! अन्नपूर्णा ! अन्नपूर्णा ! इस प्रकार तीन बार कहा। यह कौन, क्या कह गया? इसी सोच में धनंजय पड़ गया कि मन्दिर से आते ब्राह्मणों को देखकर पूछने लगा- पंडितजी! अन्नपूर्णा कौन है? ब्राह्मणों ने कहा- तू अन्न छोड़ बैठा है, सो तुझे अन्न की ही बात सूझती है। जा घर जाकर अन्न ग्रहण कर। धनंजय घर गया, स्त्री से सारी बात कही, वह बोली- नाथ! चिंता मत करो, स्वयं शंकरजी ने यह मंत्र दिया है। वे स्वयं ही खुलासा करेंगे। आप फिर जाकर उनकी आराधना करो। धनंजय फिर जैसा का तैसा पूजा में बैठ गया। रात्रि में शंकर जी ने आज्ञा दी और कहा- तू पूर्व दिशा में चला जा। वह अन्नपूर्णा का नाम जपता जाता और रास्ते में फल खाता, झरनों का पानी पीता जाता। इस प्रकार कितने ही दिनों तक चलता गया। वहां उसे चांदी सी चमकती वन की श...

Annapurna Mata Vrat Katha (पढ़ें पूरी कथा)

अन्नपूर्णा माता व्रत कथा | Annapurna Mata Vrat Katha :->अन्नपूर्णा देवी की कहानी – माँ अन्नपूर्णा की कथा – Maa Annapurna Ki Kahani : annapurna maa katha मां अन्नपूर्णा की व्रत कथा# अन्न धन भंडार भरने वाली मां अन्नपूर्णा की कथा अन्नपूर्णा माता व्रत कथा | Annapurna Mata Vrat Katha एक समय की बात है। काशी निवासी धनंजय की पत्नी का नाम सुलक्षणा था। उसे अन्य सब सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता था । एक दिन सुलक्षणा पति से बोली- स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम चले । इस प्रकार कब तक काम चलेगा ? सुलक्षण्णा की बात धनंजय के मन में बैठ और वह उसी दिन विश्वनाथ शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए बैठ गया और कहने लगा- हे देवाधिदेव विश्वेश्वर ! मुझे पूजा-पाठ कुछ आता नहीं है, केवल तुम्हारे भरोसे बैठा हूँ । इतनी विनती करके वह दो-तीन दिन भूखा-प्यासा बैठा रहा । यह देखकर भगवान शंकर ने उसके कान में ‘अन्नपूर्णा ! अन्नपूर्णा!! अन्नपूर्णा!!!’ इस प्रकार तीन बार कहा। यह कौन, क्या कह गया ? इसी सोच में धनंजय पड़ गया कि मन्दिर से आते ब्राह्मणों को देखकर पूछने लगा- पंडितजी ! अन्नपूर्णा कौन है ? ब्राह्मणों ने कहा- तू अन्न छोड़ बैठा है, सो तुझे अन्न की ही बात सूझती है । जा घर जाकर अन्न ग्रहण कर। धनंजय घर गया, स्त्री से सारी बात कही, वह बोली-नाथ! चिंता मत करो, स्वयं शंकरजी ने यह मंत्र दिया है। वे स्वयं ही खुलासा करेंगे। आप फिर जाकर उनकी आराधना करो । धनंजय फिर जैसा का तैसा पूजा में बैठ गया। रात्रि में शंकर जी ने आज्ञा दी । कहा- तू पूर्व दिशा में चला जा । वह अन्नपूर्णा का नाम जपता जाता और रास्ते में फल खाता, झरनों का पानी पीता जाता । इस प्रकार कितने ही दिनों तक चलता गया...

रसोई की इस दिशा में लगाएं मां अन्नपूर्णा की दान करती हुई ये तस्वीर, भर जाएंगे अन्न के भंडार और होगी धन में वृद्धि

• • Faith Hindi • रसोई की इस दिशा में लगाएं मां अन्नपूर्णा की दान करती हुई ये तस्वीर, भर जाएंगे अन्न के भंडार और होगी धन में वृद्धि रसोई की इस दिशा में लगाएं मां अन्नपूर्णा की दान करती हुई ये तस्वीर, भर जाएंगे अन्न के भंडार और होगी धन में वृद्धि Vastu Tips : मां अन्नपूर्णा देवी सभी भक्तों की झोली भरती हैं. इनके आशीर्वाद से ना केवल घर में अन्न के भंडार भरते हैं बल्कि धन में वृद्धि भी होती है. हम बता रहे हैं मां अन्नपूर्णा की दान करती हुई तस्वीर रसोई घर में क्यों लगानी चाहिए. पढ़ते हैं आगे... माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी के रूप में पूजी जाती हैं. इनका वास रसोई घर में होता है. यही कारण है कि लोग अपने घर में मां अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं और रसोई घर में गंगाजल से छिड़काव करते है. आपने देखा होगा कि कुछ घरों में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर, जिसमें वो भगवान शिव को दान करती हुईं नजर आ रही है, लगी होती है. उस तस्वीर को देखकर आपके मन में ये सवाल आता होगा कि आखिर इस तस्वीर को लगाने का मुख्य कारण क्या है. बता दें कि इसके पीछे कहानी प्रचलित है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि लोग अपनी रसोई में ये तस्वीर क्यों लगाते हैं. पढ़ते हैं आगे… दान करतीं मां अन्नपूर्णा की कहानी एक बार धरती पर पानी और अन्न की कमी हो गई थी. हर तरफ हाहाकार मचने लगा. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों ने त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी की पूजा आराधना की थी. तब शिवजी भगवान ने धरती का भ्रमण किया और माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप धारण किया. बता दें कि भगवान शिव ने भिक्षु का रूप बनाया था. भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्क्षा लेकर धरती पर रहने वाले लोगों को अन्न...

माँ अन्नपूर्णा की व्रत कथा

माता अन्नपूर्णा का 21 दिवसीय यह व्रत अत्यन्त चमत्कारी फल देने वाला है। यह व्रत (अगहन) मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू कर 21दिनों तक किया जाता है। इस व्रत में अगर व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करके भी व्रत का पालन किया जा सकता है। इस व्रत में सुबह घी का दीपक जला कर माता अन्नपूर्णा की कथा पढ़ें और भोग लगाएं । अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति।। माता च पार्वति देवी पिता देवो महेश्वरः। बान्धवा शिव भक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्।एक समय की बात है। काशी निवासी धनंजय की पत्नी का नाम सुलक्षणा था । उसे अन्य सब सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता था । एक दिन सुलक्षणा पति से बोली- स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम चले । इस प्रकार कब तक काम चलेगा ? सुलक्षण्णा की बात धनंजय के मन में बैठ और वह उसी दिन विश्वनाथ शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए बैठ गया और कहने लगा- हे देवाधिदेव विश्वेश्वर ! मुझे पूजा-पाठ कुछ आता नहीं है, केवल तुम्हारे भरोसे बैठा हूँ । इतनी विनती करके वह दो-तीन दिन भूखा-प्यासा बैठा रहा । यह देखकर भगवान शंकर ने उसके कान में ‘अन्नपूर्णा ! अन्नपूर्णा!! अन्नपूर्णा!!!’ इस प्रकार तीन बार कहा। यह कौन, क्या कह गया ? इसी सोच में धनंजय पड़ गया कि मन्दिर से आते ब्राह्मणों को देखकर पूछने लगा- पंडितजी ! अन्नपूर्णा कौन है ? ब्राह्मणों ने कहा- तू अन्न छोड़ बैठा है, सो तुझे अन्न की ही बात सूझती है । जा घर जाकर अन्न ग्रहण कर । धनंजय घर गया, स्त्री से सारी बात कही, वह बोली-नाथ! चिंता मत करो, स्वयं शंकरजी ने यह मंत्र दिया है। वे स्वयं ही खुलासा करेंगे। आप फिर जाकर उनकी आराधना करो । धनंज...

Maa Annapurna Katha : मां अन्नपूर्णा की कथा

Table of Contents • • • • • • • • • • मां अन्नपूर्णा की कथा नमस्कार दोस्तों ! हमारे ब्लाग पोस्ट Maa Annapurna Katha में आपका हार्दिक स्वागत है। दोस्तों आज की पोस्ट में हम जानेंंगे माता अन्नपूर्णा की कथा के बारे में। अन्नकूट महोत्सव पर मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा एक दिन के लिए भक्त दर्शन कर सकते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना कर ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती।। कब मनाई जाती हैं अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti Date) माता अन्नपूर्णा का जन्म दिवस को अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन मार्गशीर्ष हिंदी मासिक की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं। इस दिन दान का महत्व होता हैं। इस वर्ष 2022 में यह दिवस 8 दिसम्बर को मनाया जायेगा। Maa Annapurna Vrat : अन्नपूर्णा व्रत कब किया जाता है? Annapurna Katha : मां अन्नपूर्णा की कथा अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मान्य देवी-देवताओं में विशेष रूप से पूजनीय हैं। इन्हें अन्नपूर्णा का शाब्दिक अर्थ है – धान्य अर्थात अन्न की अधिष्ठात्री। सनातन धर्म की मान्यता है कि प्राणियों को भोजन मां अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है। इसे भी पढ़ें:- Annapurna Katha: अन्नपूर्णा की कथा एक समय की बात है। काशी निवासी धनंजय की पत्नी का नाम सुलक्षणा था । उसे अन्य सब सुख प्राप्त थे, केवल निर्धनता ही उसके दुःख का कारण थी। यह दुःख उसे हर समय सताता था । एक दिन सुलक्षणा पति से बोली- स्वामी! आप कुछ उद्यम करो तो काम चले । इस प्रकार कब तक काम चलेगा ? सुलक्षण्णा की बात धनंजय के मन में बैठ और वह उसी दिन विश्वनाथ शंकर ज...