अतः श्री महाभारत कथा

  1. महाभारत कथा: पाण्डु का राज्य अभिषेक (Mahabharat Katha Pandu Ka Rajyabhishek)
  2. अथ श्री महाभारत कथा गीत
  3. सम्पूर्ण महाभारत कथा हिंदी के सभी पर्व व अध्याय स्लोग संख्या सहित (All the parv and chapters of the entire Mahabharata story in Hindi with the slog number) ~ BHAKT or BHAGWAN (भक्त और भगवान)
  4. महाभारत की मुख्य कथा क्या है? महाभारत की कहानी संक्षिप्त में


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महाभारत कथा: पाण्डु का राज्य अभिषेक (Mahabharat Katha Pandu Ka Rajyabhishek)

पाण्डु का राज्य अभिषेक धृतराष्ट्र जन्म से ही अन्धे थे अतः उनकी जगह पर पाण्डु को राजा बनाया गया,इससे धृतराष्ट्र को सदा अपनी नेत्रहीनता पर क्रोध आता और पाण्डु से द्वेषभावना होने लगती।पाण्डु ने सम्पूर्ण भारतवर्ष को जीतकर कुरु राज्य की सीमाओ का यवनो के देश तक विस्तार कर दिया।एक बार राजा पाण्डु अपनी दोनों पत्नियों – कुन्ती तथा माद्री – के साथ आखेट के लिये वन में गये। वहाँ उन्हें एक मृग का प्रणयरत जोड़ा दृष्टिगत हुआ। पाण्डु ने तत्काल अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुये मृगरुपधारी निर्दोष ऋषि ने पाण्डु को शाप दिया, राजन तुम्हारे समान क्रूर पुरुष इस संसार में कोई भी नहीं होगा। तूने मुझे प्रणय के समय बाण मारा है अतः जब कभी भी तू प्रणयरत होगा तेरी मृत्यु हो जायेगी। Mahabharat Katha Pandu ka rajyabhishek आप हमें भी वन में अपने साथ रखने की कृपा कीजिये। पाण्डु ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर के उन्हें वन में अपने साथ रहने की अनुमति दे दी।इसी दौरान राजा पाण्डु ने अमावस्या के दिन ऋषि-मुनियों को ब्रह्मा जी के दर्शनों के लिये जाते हुये देखा। उन्होंने उन ऋषि-मुनियों से स्वयं को साथ ले जाने का आग्रह किया। उनके इस आग्रह पर ऋषि-मुनियों ने कहा, राजन् कोई भी निःसन्तान पुरुष ब्रह्मलोक जाने का अधिकारी नहीं हो सकता अतः हम आपको अपने साथ ले जाने में असमर्थ हैं। ऋषि-मुनियों की बात सुन कर पाण्डु अपनी पत्नी से बोले, हे कुन्ती मेरा जन्म लेना ही वृथा हो रहा है क्योंकि सन्तानहीन व्यक्ति पितृ-ऋण, ऋषि-ऋण, देव-ऋण तथा मनुष्य-ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता क्या तुम पुत्र प्राप्ति के लिये मेरी सहायता कर सकती हो? कुन्ती बोली, हे आर्यपुत्र दुर्वासा ऋषि ने मुझे ऐसा मन्त्र प्रदान किया है जिससे मैं किसी भी देवता का...

अथ श्री महाभारत कथा गीत

“अथ श्री महाभारत कथा गीत” 1988 की प्रसिद्ध दूरदर्शन धारावाहिक महाभारत का गाना है। इसे सुरों से सजाया है महेंद्र कपूर ने व संगीतबद्ध किया है राज कमल ने। पंडित नरेंद्र शर्मा, राही मासूम रजा की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को। धारावाहिक में नीतीश भारद्वाज, फिरोज खान, पुनीत इस्सर,पंकज धीर,गुफी पेंटल, रूपा गांगुली, प्रवीण कुमार, वीरेंद्र राजदान, सुरेंद्र पाल, मुकेश खन्ना और गजेंद्र चौहान ने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ अदा की हैं। पढ़ें “अथ श्री महाभारत कथा गीत” लिरिक्स अथ श्री महाभारत कथा गीत गीत , महाभारत कथा। कर्मण्येवाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा, ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि। महाभारत.. महाभारत.. महाभारत.. आ.. आ.. आ.. अथ श्री महाभारत कथा गीत-२ महाभारत कथा, महाभारत कथा। कथा है पुरुषार्थ की ये, स्वार्थ की परमार्थ की, सारथि जिसके बने, शब्द दिग्घोषित हुआ जब, सत्य सार्थक सर्वथा, शब्द दिग्घोषित हुआ। यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम संभवामि युगे युगे। सीखे हम बीते युगो से, नए युग का करे स्वागत, करे स्वागत, करे स्वागत, करे स्वागत। भारत की है कहानी, सदियो से भी पुरानी, है ज्ञान की ये ये विश्व भारती है, वीरो की आरती है, है नित नयी पुरानी, भारत की ये कहानी। महाभारत.. महाभारत.. महाभारत.. धारावाहिक से जुड़े तथ्य धारावाहिक महाभारत वर्ष 1988 गायक / गायिका महेंद्र कपूर संगीतकार राज कमल गीतकार पंडित नरेंद्र शर्मा, राही मासूम रजा अभिनेता / अभिनेत्री नीतीश भारद्वाज, फिरोज खान, पुनीत इस्सर, पंकज धीर, गुफी पेंटल, रूपा गांगुली, प्रवीण कुमार, वीरेंद्र राजदान, सुरेंद्र पाल, दारा सिंह, मुकेश खन्ना विद...

सम्पूर्ण महाभारत कथा हिंदी के सभी पर्व व अध्याय स्लोग संख्या सहित (All the parv and chapters of the entire Mahabharata story in Hindi with the slog number) ~ BHAKT or BHAGWAN (भक्त और भगवान)

सम्पूर्ण महाभारत कथा भूमिका (Complete Mahabharata Story role) “महाभारत” भारत का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। यह हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ है, हालाँकि इसे साहित्य की सबसे अनुपम कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। हिन्दू मान्यताओं, पौराणिक संदर्भो एवं स्वयं महाभारत के अनुसार इस काव्य का रचनाकार वेदव्यास जी को माना जाता है, और इसे लिखने का श्रेय भगवान गणेश को जाता है, इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया था। इस काव्य के रचयिता वेदव्यास जी ने अपने इस अनुपम काव्य में वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गुह्यतम रहस्यों का निरुपण किया हैं। इसके अतिरिक्त इस काव्य में न्याय, शिक्षा, चिकित्सा, ज्योतिष, युद्धनीति, योगशास्त्र, अर्थशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, कामशास्त्र, खगोलविद्या तथा धर्मशास्त्र का भी विस्तार से वर्णन किया गया हैं। महाभारत की विशालता और दार्शनिक गूढता न केवल भारतीय मूल्यों का संकलन है बल्कि हिन्दू धर्म और वैदिक परम्परा का भी सार है। महाभारत की विशालता महानता और सम्पूर्णता का अनुमान उसके प्रथमपर्व में उल्लेखित एक श्लोक से लगाया जा सकता है, जिसका भावार्थ है, जो यहाँ (महाभारत में) है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जायेगा, जो यहाँ नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा। यह कृति प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है। इसी में हिन्दू धर्म का पवित्रतम ग्रंथ भगवद्गीता सन्निहित है। पूरे महाभारत में लगभग १,१०,००० श्लोक हैं, जो यूनानी काव्यों इलियड और ओडिसी से परिमाण में दस गुणा अधिक हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर...

महाभारत की मुख्य कथा क्या है? महाभारत की कहानी संक्षिप्त में

Jankaritoday.com अब Google News पर। अपनेे जाति के ताजा अपडेट के लिए Last Updated on 18/11/2022 by महाभारत प्राचीन भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य है। ये एक धार्मिक ग्रन्थ भी है। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। इस ग्रन्थ को हिन्दू धर्म में पंचम वेद माना जाता है. महाभारत को महर्षि वेद व्यासजी ने लिखा था। महाभारत की रचना कब कि गई थी? इसका कोई सटीक उत्तर नहीं है। वास्तव में, जिस महाभारत का लिखित रूप आज हम देखते है उसका विकास लगभग हजार साल के कालखंड में हुआ है. इतिहास में इसकी रचना का कोई एक विशेष वर्ष तय नहीं किया गया है। आइए जानते हैं महाभारत की मुख्य कथा क्या है? महाभारत की मुख्य कथा क्या है? महाभारत कथा के मूल में महाभारत का युद्ध है जो द्वापर युग में हुआ था. एक तरफ पांडव थे और दूसरे तरफ कौरव. युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव इन पाँच भाईयों को पाण्डु पुत्र या पांडव के नाम से जाना जाता है.कौरव सेना में दुर्योधन सहित सौ भाईयों के अलावे महारथी भीष्म पितामह, गुरू द्रोणाचार्य, कुलगुरू कृपाचार्य, और कर्ण जैसे योद्धा भी थे. महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला. उस युद्ध में 10 दिनों तक भीष्म सेनापति थे. जब तक भीष्म सेनापति थे तब तक युद्ध नियमों अनुसार चलता रहा. भीष्म के बाद द्रोणाचार्य सेनापति बने. उसके बाद इस युद्ध में सभी नियम तोड़े गये. तेरहवें दिन अभिमन्यु का वध हुआ. पंद्रहवें दिन द्रोणाचार्य का मस्तक काटा गया. 17 वें दिन कर्ण की मृत्यु होती है और 18 वें दिन दुर्योधन की मृत्यु हुई। यह युद्ध हस्तिनापुर के राज सिंहासन के लिए हुआ था. युद्ध का परिणाम पांडवों के पक्ष में रहा और जीत के बाद युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा बना...