Basant panchami kab ki hai

  1. वसन्त पञ्चमी
  2. Shodashopachara Saraswati Puja Vidhi
  3. Basant Panchami
  4. Basant Panchmi 2023
  5. Basant Panchami 2023: 25 जनवरी या 26? कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
  6. Vasant Panchami 2021:प्रकृति और भारतीय परंपरा का उत्सव है वसंत
  7. Vasant Panchami 2020: कब है वसंत पंचमी? नया काम शुरू करने के लिए शुभ दिन, जानिए कैसे हुई मां सरस्वती की उत्पत्ति


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वसन्त पञ्चमी

उपनिषदों की कथा के अनुसार • तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमण्डल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की। ब्रम्हा जी के किये स्तुति को सुन कर भगवान • ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण आदिशक्ति दुर्गा माता के शरीर से स्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में वर मुद्रा थे । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी "सरस्वती" कहा। • फिर आदिशक्ति भगवती दुर्गा ने ब्रम्हा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई ये देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेंगी, जैसे लक्ष्मी श्री विष्णु की शक्ति हैं, पार्वती महादेव शिव की शक्ति हैं उसी प्रकार ये सरस्वती देवी ही आपकी शक्ति होंगी। ऐसा कह कर आदिशक्ति श्री दुर्गा सब देवताओं के देखते - देखते वहीं अंतर्धान हो गयीं। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो ...

Shodashopachara Saraswati Puja Vidhi

Saraswati Puja Vidhi We are giving detailed Saraswati Puja Vidhi which can be performed during all Saraswati Puja including Shri Panchami and it is the most significant day to worship and seek the blessings of Goddess of arts, knowledge and wisdom. This Puja Vidhi is given for new Pratima or Murti (मूति॔) of Namodevyai Mahadevyai Shivayai Satatam Namah। Namah Prakrityai Bhadrayai Niyatah Pranatah Smatam॥ Tamagnivarnam Tapasajvalantim Vairochanim Karmaphaleshu Jushtam। Durgam Devim Sharanamaham Prapadye Sutarasi Tarase Namah॥ Devi Vachamanajanayanta Devastam Vishvarupah Pashvo Vadanti। Sa No Mandreshamurjam Duhana Dhenurvagasmanupa Sushtutaitu॥ Kalaratrim Brahmastutam Vaishnavim Skandamataram। Saraswatimaditim Dakshaduhitaram Namamah Pavanam Shivam॥

Basant Panchami

Basant Panchami बसंत पंचमी हिंदु धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व हैं। हिंदु पंचांग के माघ मास की शुक्लपक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी के नाम से पुकारा जाता हैं। इस दिन को ज्ञान पंचमी और श्री पंचमी भी कहा जाता हैं। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा किये जाने का विधान हैं। देवी सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी कहा जाता हैं। इस दिन विधि-विधान से माँ सरस्वती की पूजा करने से देवी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से साधक को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती हैं। साथ ही संगीत आदि अन्य कलाओं मे प्रवीणता प्राप्त होती हैं। बसंत पचमी के दिन कामदेव और रति की पूजा भी की जाती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन कामदेव और रति धरती पर भ्रमण के लिये आते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती हैं। Basant Panchami Ka Mahatva बसंत पंचमी का महत्व हिंदु पंचांग में कुछ विशेष शुभ दिनों को अबूझ मुहूर्त के रूप में माना जाता हैं, उनमें से बसंत पंचमी भी एक हैं। बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त माना जाता हैं। इस दिन कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है और उसके लिये कोई मुहूर्त देखना नही पडता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पचमी के दिन ब्रहमा जी के मुख से देवी सरस्वती प्रकट हुयी थी। देवी सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता हैं। इन्ही की कृपा से गायन, वादन, संगीत, ज्ञान-विज्ञान, और विद्या की प्राप्ति होती हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन विधि-विधान से पूरी श्रद्धा-भक्ति के साथ देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना करने से माँ सरस्वती प्रसन्न होती है और जातक का मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। बसंत पंचमी के दिन को अति शुभ माना जाता हैं। यह दिन शिक्षा आरम्भ करने, कोई नवीन विद्या सीखने, संगी...

Basant Panchmi 2023

• History • Places to visit • How to reach Basant or Vasant Panchmi is one of the prominent Indian festivals that celebrates the advent of Spring Season. This festival is also celebrated as Saraswati Puja, an ode to Goddess Saraswati, the deity of wisdom, knowledge or gyan, art, and culture. This auspicious festival is celebrated with a lot of joy, happiness, excitement, and devotion. People get dressed up in yellow, representing the mustard fields of Haryana and Punjab. On this day, children attending the school for the first time are encouraged to write their first words in front of the Goddess Saraswati Pooja. History of Basant Panchmi Although there are lots of stories about Basant Panchmi and why it is celebrated, one story that finds a lot of credence is about Kalidasa, the famos poet. As the legend goes, when Kalidasa was spurned by his wife, he decided to put an end to his misery and commit suicide. He decided to jump in a river and end his life by drowning. As he was about to jump, Goddess Saraswati emerged from the river and blessed him with immense wisdom. He went on to become a famous poet. Significance of Basant Panchmi India is a country that symbolizes culture, peace, and a bond of togetherness among its citizens and this has been the Indian way of living since ancient times. Our cultural values and age-old traditions have been proof of that. And apart from these traditions, and age-old rituals, ours is also a country where festivals celebrate the glory of n...

Basant Panchami 2023: 25 जनवरी या 26? कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Basant Panchami 2023 kab hai: इस बार बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा का विधान बताया गया है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है. बसंत पंचमी को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से जाना जाता है. Basant Panchami 2023 Date: बसंत पंचमी के पर्व पर मां सरस्वती का अवतरण हुआ है. इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान और विद्या प्राप्त होती है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है. इस साल बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी को बहुत सी जगह पर श्री पंचमी और बहुत सी जगहों पर सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. बसंत पंचमी के दिन किए जाने वाले सबसे प्रसिद्ध संस्कारों में से अक्षर अभ्यास, विद्या आरंभ, बच्चों की शिक्षा से संबंधित इन कार्यों को माना गया है. बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2023 Shubh Muhurat) माघ माह की तिथि यानी बसंत पंचमी की तिथि का आरंभ 25 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. 26 जनवरी को बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. बसंत पंचमी को श्रीपंचमी, ज्ञान पंचमी और मधुमास के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है. इस दिन से सर्दियां समाप्त हो जाती है. इस दिन संगीत और ज्ञान की देवी की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है. इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत क...

Vasant Panchami 2021:प्रकृति और भारतीय परंपरा का उत्सव है वसंत

Vasant Panchami 2021: प्रकृति और भारतीय परंपरा का उत्सव है वसंत वसंत तो सारे विश्व में आता है पर भारत का वसंत कुछ विशेष है। भारत में वसंत केवल फागुन में आता है और फागुन केवल भारत में ही आता है। गोकुल और बरसाने में फागुन का फाग, अयोध्या में गुलाल और अबीर के उमड़ते बादल, खेतों में दूर-दूर तक लहलहाते सरसों के पीले-पीले फूल, केसरिया पुष्पों से लदे टेसू की झाड़ियां, होली की उमंग भरी मस्ती, जवां दिलों को होले-होले गुदगुदाती फागुन की मस्त बयार, भारत और केवल भारत में ही बहती है। वसंत पंचमी के दिन ही होलिका दहन स्थान का पूजन किया जाता है और होली में जलाने के लिए लकड़ी और गोबर के कंडे आदि एकत्र करना शुरूकरते हैं। इस दिन से होली तक 40 दिन फाग गायन यानी होली के गीत गाए जाते हैं। होली के इन गीतों में मादकता, एन्द्रिकता, मस्ती, और उल्लास की पराकाष्ठा होती है और कभी-कभी तो समाज व पारिवारिक संबंधों की अनेक वर्जनाएं तक टूट जाती हैं। भारत की छः ऋतुओं में वसंत ऋतु विशेष है। इसे ऋतुराज या मधुमास भी कहते हैं। “वसंत पंचमी” प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य, श्रृंगार और संगीत की मनमोहक ऋतु यानी ऋतुराज के आगमन की सन्देश वाहक है। वसंत पंचमी के दिन से शरद ऋतु की विदाई के साथ पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है। प्रकृति नवयौवना की भांति श्रृंगार करके इठलाने लगती है। पेड़ों पर नई कोपलें, रंग-बिरंगे फूलों से भरी बागों की क्यारियों से निकलती भीनी सुगंध, पक्षियों के कलरव और पुष्पों पर भंवरों की गुंजार से वातावरण में मादकता छाने लगती है। कोयलें कूक-कूक के बावरी होने लगती हैं। वसंत ऋतु में श्रृंगार रस की प्रधानता है और रति इसका स्थायी भाव है, इसीलिए वसंत के गीतों में छलकती है मादकता, यौवन की मस...

Vasant Panchami 2020: कब है वसंत पंचमी? नया काम शुरू करने के लिए शुभ दिन, जानिए कैसे हुई मां सरस्वती की उत्पत्ति

Vasant (Basant) Panchami Kab Ki Hai: हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये पर्व हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती की रचना की थी। इसलिए इस खास पर्व पर मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए मां सरस्वती की उत्पत्ति की ये कथा… Vasant Panchami 2020 Date And Time: मां सरस्वती के आगमन की खुशी में मनाया जाता है वसंत पंचमी पर्व। इस बार ये त्योहार 29 जनवरी को मनाया जायेगा। इस दिन विद्यालयों में देवी सपस्वती की अराधना की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये पर्व हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती की रचना की थी। इसलिए इस खास पर्व पर मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए मां सरस्वती की उत्पत्ति की ये कथा… मां सरस्वती की उत्पत्ति की कथा: सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की, परंतु वह अपनी सर्जना से संतुष्ट नहीं थे, तब उन्होंने विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल को पृथ्वी पर छि़ड़क दिया, जिससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई। जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जब इस देवी ने वीणा का मधुर नाद किया तो संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई, तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। इनसे संगीत की उत्पत्ति हुई थी जिस क...