भारत में एड्स का इतिहास

  1. प्राचीन भारत का इतिहास PDF Hindi – InstaPDF
  2. भारत में वेश्यावृत्ति
  3. भारतीय इतिहास की समयरेखा
  4. World Aids Day 2020:आखिर कब आएगा एड्स के लिए टीका? नई दवाओं ने पचास साल और दिए एड्स मरीजों को
  5. भारत में जीएसटी का इतिहास
  6. विश्व एड्स दिवस 2023 थीम, इतिहास, उद्देश्य
  7. Madrasa History in India: दुनिया का पहला मदरसा कहां खुला था? भारत में 831 साल का इतिहास. The first madrassa opened in India in 1191, now more than 24 thousand madrasas
  8. भारत में एड्स का पहला मरीज़ कौन था और कैसे मिला था?


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प्राचीन भारत का इतिहास PDF Hindi – InstaPDF

प्राचीन भारत का इतिहास Hindi प्राचीन भारत का इतिहास हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप प्राचीन भारत का इतिहास हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं प्राचीन भारत का इतिहास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत 1200 ईसापूर्व से 240 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी। यदि हम धार्मिक इतिहास के लाखों वर्ष प्राचीन इतिहास को न भी मानें तो संस्कृ‍त और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्‍यों के अनुसार प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत लगभग 13 हजार ईसापूर्व हुई थी अर्थात आज से 15 हजार वर्ष पूर्व। इस अवधि में महाजनपदों या सोलह गणराज्यों का भी उदय हुआ, और ये राज्य थे – अंग, अवंती, अस्सक, चेदि, गांधार, काशी, कम्बोज, कोसल, कुरु, मल्ल, मत्स्य, मगध, पांचाल, सुरसेन, वत्स और व्रिजी। प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म “वैदिक धर्म” या “सनातन धर्म” के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा।प्राचीन इतिहास अतीत की घटनाओं का समुच्चय है। इसकी शुरआत दर्ज किये गए मानव इतिहास से प्रारंभिक मध्य युग, यहाँ तक कि वैदिक युग तक विस्तृत है। इतिहास की अवधि 5000 साल है जिसकी शुरुआत सुमेरियन क्यूनीफ़ॉर्म लिपि, जो 30 वीं सदी क...

भारत में वेश्यावृत्ति

██वेश्यावृत्ति कानूनी और विनियमित ██वेश्यावृत्ति (पैसे के लिए सेक्स का आदान-प्रदान) कानूनी, लेकिन संगठित गतिविधियाँ जैसे नहीं विनियमित है ██वेश्यावृत्ति अवैध ██No data भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी है, इतिहास [ ] मुगलकाल के समय इन वेश्याओं को तवायफ़ के नाम से जाना जाता था जो भारत के कुलीन वर्ग की सेवा करती थीं। तवायफ़ों ने संगीत, नृत्य (मुजरा), रंगमंच, और उर्दू साहित्यिक परंपरा में उत्कृष्ट योगदान दिया सन्दर्भ [ ] • wcd.nic.in. . अभिगमन तिथि 28 नवम्बर 2015. • indiankanoon.org . अभिगमन तिथि 28 नवम्बर 2015. • U.S. Department of State. 25 फ़रवरी 2009. . अभिगमन तिथि 28 नवम्बर 2015. • BBC News. 10 दिसंबर 2009. • Sexuality, Poverty and Law (अंग्रेज़ी में). . अभिगमन तिथि 31 मार्च 2018. • Magdalena Rojas (12 जून 2016). firstpost.com . अभिगमन तिथि 20 अक्टूबर 2016. • www.aidsinfoonline.org. UNAIDS. . अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2018. • Prostitution.procon.org . अभिगमन तिथि 7 नवम्बर 2021. • Friedman, R.I. India’s shame: Sexual slavery and political corruption are leading to an AIDS catastrophe. Trends Organ Crim 3, 60–62 (1998). • Dalla, Rochelle L.; Kreimer, Lee M. (13 अक्टूबर 2016). "After Your Honor is Gone…": Exploration of Developmental Trajectories and Life Experiences of Women Working in Mumbai's Red-Light Brothel Districts". Sexuality & Culture. 21 (1): 163–186. नामालूम प्राचल |s2cid= की उपेक्षा की गयी ( • ↑ Chattopadhyay, Amit; McKaig, Rosemary G. (2004). AIDS Patient Care and STDs. 18 (3): 159–168. • Dangerous Sex, Invisible Labor: Sex Work and the Law in India. 978-1-400-83876-9. ...

भारतीय इतिहास की समयरेखा

अनुक्रम • 1 पाषाण युग • 1.1 भीमबेटका पाषाण आश्रय (9000- 7000 ई. पूर्व) • 1.2 मेहरगढ़ सभ्यता (७०००-३३०० ई पूर्व) • 1.3 सिंधु घाटी की सभ्यता (२८००-१९०० ई पूर्व) • 1.4 वैदिक काल (१५००-५०० ई पूर्व) • 2 लौह युग • 3 प्राचीन भारत (५०० ईसा पूर्व- ५५० ईस्वी) • 4 मध्यकालीन भारत • 5 स्वतन्त्र भारत • 5.1 १९४७ से १९५० • 5.2 १९५० से १९७० • 5.3 १९७० से १९८० • 5.4 १९८० से १९९० • 5.5 १९९० से २००० • 5.6 २००० से २०१० तक • 5.7 २०१० से २०२० तक • 5.8 २०२० से अब तक • 6 भारतीय इतिहास का संक्षिप्त कालक्रम • 6.1 ईसा पूर्व • 6.2 ईसवी • 6.3 1800 – 1900 • 6.4 1900 से भारत की स्वतंत्रतता तक • 6.5 1947 से भारत की स्वतंत्रतता के बाद का इतिहास • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ पाषाण युग [ ] मुख्य लेख: १९४७ से १९५० [ ] • देश आजाद: १४ अगस्त १९४७ को जैसे ही घड़ी की सुई में रात के १२ बजे, प्रथम • शोक की लहर: ३० जनवरी १९४८ को उस समय सारे देश में शोक की लहर दौड़ गई, जब • • भारत बना गणतंत्र: • जेल की बैरक में १९५० से १९७० [ ] • भाषाई आधार पर राज्यों का गठन: अलग • वामपंथ का उदय: सन् १९५४ में शीत युद्ध के दौर से गुजर रहे विश्व के समक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू ने • • पंडित नेहरू का देहान्त: • इंदिरा बनीं प्रधानमंत्री: ११ जनवरी १९६६ को • • • १९७० से १९८० [ ] • • • • • अन्तरिक्ष में भारत: १९ अप्रैल १९७५ को पहले भारतीय • • • १९८० से १९९० [ ] • • भारत बना क्रिकेट विश्व चैंपियन: १९८३ में खेलों की दुनिया में सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए भारत ने • 18-02-1983 को असम के नेल्ली में 10000 मुसलमानों का नरसंहार लेखक - श्रेष्ठ बाजपेई • • • सड़क पर उतरी • • • • भारत- • • • १९९० से २००० [ ] • • आर्थिक उदारीकरण: १९९२ मे...

World Aids Day 2020:आखिर कब आएगा एड्स के लिए टीका? नई दवाओं ने पचास साल और दिए एड्स मरीजों को

World AIDS Day 2020: आखिर कब आएगा एड्स के लिए टीका? नई दवाओं ने पचास साल और दिए एड्स मरीजों को आज विश्व एड्स दिवस है. दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण को लेकर जागरूकता फैले और इस गंभीर बीमारी को समझा जाए लिहाजा WHO ने 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस की शुरुआत की. हालांकि वैश्विक स्तर पर अगस्त 1987 में इसकी शुरुआत हुई थी. बहरहाल, आज इस शुरुआत को सालों बीत गए हैं. महामारी को लेकर जागरूकता उसके लक्षणों व बचाव के प्रचार ने दुनिया में एड्स के प्रति जानकारी को बढ़ाया ही है, लेकिन इसकी दवा को लेकर कुछ खास हाथ नहीं लग पाया है. हालांकि प्रयास हुए लेकिन उतने फलीभूत नहीं हुए. बहरहाल, फिलहाल दुनिया भर के वैज्ञानिक एड्स के बचाव का टीका तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन नाकामी ही उनके हाथ लगी है वजह यह की एचआईवी एक बेहद चालाक और शातिर वायरस है। यह विषाणु आपने आप को तेजी से बदलता रहता है। अब वैज्ञानिकों ने ऐसी नई दवाएं खोज ली है जो एंटीरिटरो वायरल थेरेपी यानी एआरटी के साथ लेकर मरीज एक लम्बी और लगभग निरोग जिन्दगी जी सकता है। यह दवा एड्स को खत्म तो नहीं करेगी लेकिन वायरस के प्रकोप को कम या निष्क्रिय कर देगी और एड्स मरीज कई दशकों तक एक सामन्य जीवन जी सकेगा। अस्सी के दशक का एक जमाना था जब एड्स की पहचान होने के दो साल के भीतर ही मरीज की मौत हो जाती थी। एड्स के विषाणुओं के खून में मिलते ही ये वायरस सबसे पहले इंसान लिंफेटिक सिस्टम पर हमला करता है। इसे जरा समझें। ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस यानी एचआईवी सीधे तौर पर मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक सेल्स पर आक्रमण करता है। यह वायरस अपनी जीन को अजीबो गरीब ढंग से मानव कोशिकाओं में ढाल लेता है। खास बात है कि यहां वह लंबे वक्त तक असक्रिय रह सकता है। यही वजह है कि ...

भारत में जीएसटी का इतिहास

जीएसटी, या माल और सेवा कर, वस्तुओं और सेवाओं की खपत के निर्माण के लिए एक मात्र कर है, जिसने पहले के अप्रत्यक्ष करों को समाप्त कर दिया है। वैश्विक जीएसटी का इतिहास 1 9 54 से शुरू होता है , जब फ्रांस इस कर शासन को लागू करने के लिए पहला देश बना। तब से, 160 से अधिक देशों ने इस कर प्रणाली को अपनाया है। कई यों की तरह, भारत ने भी इसका अनुकरण किया। भारत में, 2017 में एक दोहरी संरचना के साथ जीएसटी प्रभाव में आया । भारत में जीएसटी बिल का संक्षि प्त इतिहास • तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में जीएसटी के विचार का प्रस्ताव रखा। देश भर में एक वस्तु और सेवा कर मॉडल तैयार करने के लिए एक समिति की स्था पाना की गयी। • 2004 में, राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन पर के ल कर टार्क फोर्स ने पूरी तरह से एकीकृत जीएसटी के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन का प्रस्ताव रखा। • 2007-08 के केंद्रीय बजट को प्रस्तुत करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने जीएसटी लॉन्च तिथि की घोषणा 1 अप्रैल 2010 के रूप मे की। हालांकि, राजनीतिक आम सहमति की कमी ने जीएसटी प्रारंभ तिथि को कई बार स्थगित कि या। • 1 9 दिसंबर 2014 को एनडीए सरकार ने संसद में जीएसटी पर संवैधानिक (122 वें संशोधन) बिल 2014 को प्रस्तुत किया। लोकसभा ने अंततः 6 मई 2015 को यह बिल पारित किया। • 14 मई 2015 को, इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजा गया । समिति से सिफारिशों को शामिल करने के बाद, राज्य सभा ने 3 अगस्त 2016 को जीएसटी बिल पारित किया। • राज्य सरकारों की आवश्यक संख्या और भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद संविधान (101 वां संशोधन) अधिनियम 2016 लागू हुआ। • जीएसटी परिषद के अनुमोदन के बाद, 29 मार्च 2017 को, लोकसभा ने ...

विश्व एड्स दिवस 2023 थीम, इतिहास, उद्देश्य

हम सभी एड्स जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से वाकिफ है। प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर को लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। एड्स एचआईवी वायरस के कारण होने वाला घातक रोग है। अब तक पुरे विश्व मे इस रोग के कारण अनेको लोगो की मृत्यु हुई है। वर्तमान समय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या एड्स भी है। Unicef ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अब तक 37.9 मिलियन एड्स के शिकार हुए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार रोजाना 980 बच्चे एचआईवी के शिकार होते हैं जिनमें से 320 की मृत्यु हो जाती है। यह उन खतरनाक बीमारियों में से एक है जिनके लिए अब तक किसी भी प्रकार की वैक्सीन का निर्माण नहीं हुआ, परन्तु लोग इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लेते है और इनमे पढ़े लिखे लोग भी शामिल है। आज के अपने इस लेख के जरिये हम आपको विश्व एड्स दिवस के बारे मे जानकारी देंगे कि विश्व एड्स दिवस कब है? विश्व एड्स दिवस क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है और एड्स बीमारी के होने के क्या कारण है जैसी अन्य जानकारी भी प्रदान करेंगे। विश्व एड्स दिवस इस वर्ष 1 दिसंबर 2023, शुक्रवार के दिन पूरे विश्व में मनाया जाएगा। जिसके अंतर्गत कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे और लोगो को एड्स के बारे मे जानकरी प्रदान की जाएगी। विश्व एड्स दिवस मनाने का क्या इतिहास रहा है? (History of World AIDS Day) थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न ने साल 1987 में विश्व एड्स दिवस की नींव रखी थी। यह दोनों विश्व स्वास्थ्य संगठन जिनेवा विश्व एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के सार्वजनिक सूचना अधिकारी रहे थे। इन्होंने ग्लोबल कार्यक्रम के निर्देशक डॉक्टर जॉन नाथन मनन के सामने विश्व एड्स दिवस को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉक्टर...

Madrasa History in India: दुनिया का पहला मदरसा कहां खुला था? भारत में 831 साल का इतिहास. The first madrassa opened in India in 1191, now more than 24 thousand madrasas

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पहला मदरसा 1191-92 ई. में अजमेर में खोला गया था. उस वक्त मोहम्मद गौरी का शासन हुआ करता था. हालांकि UNESCO 13वीं शताब्दी में भारत में मदरसों की शुरुआत बताता है और उदाहरण के लिए ग्वालियर का मदरसा पेश करता है. इसके बाद लगातार मदरसों की संख्या भारत में बढ़ती गई और अकबर के वक्त में मदरसों में इस्लामिक शिक्षा के अलावा भी शिक्षा देना शुरू की गई. भारत में अंग्रेजों ने भी मदरसे खोले, वारेन हेस्टिंग्स ने 1781 में कोलकाता में अंग्रेजी सरकार का पहला मदरसा खोला था. उत्तर प्रदेश सरकार मदरसों का सर्वे करवा रही है. इस सर्वे में मदरसे में पढ़ाये जाने वाले सिलेबस से लेकर फंडिंग तक की जानकारी मांगी गई है. जिस पर विवाद खड़ा हो गया है. विरोध करने वाले कह रहे हैं कि मदरसों के सर्वे की क्या जरूरत है, जब सारी जानकारी पहले से ही सरकार के पास है. AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि- यूपी सरकार मुसलमानों को टारगेट कर रही है.

भारत में एड्स का पहला मरीज़ कौन था और कैसे मिला था?

ये भी पढ़ें : जेठमलानी के 10 खास केस- कब हुए कामयाब और कब नाकाम? फिलहाल भारत में 21.40 लाख से ज़्यादा एड्स मरीज़ (AIDS Patients) दर्ज हैं लेकिन यूएनएड्स के एक अनुमान के मुताबिक भारत में एड्स पीड़ितों की संख्या 30 लाख तक होना मुमकिन है. हालांकि पिछले कुछ सालों में एड्स के प्रति जागरूकता अभियानों (Awareness Programs) के ​चलते इस संक्रमण (Infection) पर कुछ हद तक काबू पाया गया है लेकिन बिहार से इस तरह की ताज़ा खबर आने का मतलब है कि चुनौतियां अब भी बरकरार हैं. जानिए कि देश में एड्स का सिलसिला (History of AIDS in India) शुरू कैसे हुआ था. एड्स पर बात करना शर्मनाक था ये बात 1980 के दशक की है जब अमेरिका में पहली बार इस तरह की बीमारी की आधिकारिक टेस्टिंग व्यवस्था पहली बार शुरू हुई थी. इस खबर ने जल्द ही भारत समेत पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था. खून के सैंपल की जांच से किसी व्यक्ति को एड्स होने का पता लगाया जा सकता था. उस समय भारत के कई राज्य पर्यटन के नक्शे पर उभर रहे थे. दक्षिणी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों में रोज़गार व कारोबार के लिए जाने लगे थे. ज़रूरी जानकारियों, सूचनाओं और दिलचस्प सवालों के जवाब देती और खबरों के लिए क्लिक करें कारोबारी और पर्यटन के कारणों के चलते मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों के कई लोग बड़ी संख्या में भारत आने लगे थे. ऐसे वक्त में जब अमेरिका से एड्स पर हो रहे शोधों को लेकर खबरें आईं तब तमिलनाडु में दो महिला डॉक्टरों ने इस बीमारी का खतरा पता लगाने का बीड़ा उठाया था. ये वो समय था जब सुरक्षित यौन संबंधों और इससे जुड़ी बीमारियों के बारे में लोग बात करने में शर्म महसूस करते थे और जो बात करे उसे बेशर्म तक कहा जाता था. टीचर और स्टूडेंट...