Bharat mein panchvarshiya yojana ki uplabdhiyon ka varnan kijiye

  1. भारत के अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम पर निबंध
  2. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना
  3. भारत के संविधान की विशेषताएं
  4. भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिये।
  5. भारत के उद्योग
  6. भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विभिन्न चरण
  7. भारत में सांप्रदायिकता के उदय के कारण (Causes of Rise of Communalism in India) » भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन »
  8. कृषि का महत्त्व


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भारत के अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम पर निबंध

भारत के अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम पर निबंध : भारत का पौराणिक इतिहास अंतरिक्षीय प्रसंगों से भरा पड़ा है। इंद्र से लेकर रावण तक अनेक विमान-सवारों के कथा प्रसंग पुऱाणों में उल्लिखित हैं। किंतु विधि की विडंबना कि आधुनिक कालम जब भारत सदियों की गुलामी के बाद टूट-फूट और बिखरकर आजाद हुआ तब संसार में भारत की हैसियत एक बैलगाड़ी आधारित अर्थ-व्यवस्था वाले कृषि-प्रधान देश की थी। भारत का पौराणिक इतिहास अंतरिक्षीय प्रसंगों से भरा पड़ा है। इंद्र से लेकर रावण तक अनेक विमान-सवारों के कथा प्रसंग पुऱाणों में उल्लिखित हैं। किंतु विधि की विडंबना कि आधुनिक कालम जब भारत सदियों की गुलामी के बाद टूट-फूट और बिखरकर आजाद हुआ तब संसार में भारत की हैसियत एक बैलगाड़ी आधारित अर्थ-व्यवस्था वाले कृषि-प्रधान देश की थी। भला हम अंतरिक्ष-यानिकी के सपने क्या देखते। हम टूट-बिखरकर और पीड़ित होकर आजाद हुए थे इसलिए हमें सँभलने में कुछ वक्त लगा और अमेरिका तथा रूस सन् 1969 में चांद पर अभियान कर आए। विडंबना यह भी थी कि विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों में कई भारतीय भी थे किंतु हमारे यहाँ इसके लिए जरूरी विज्ञान का ढाँचा ही तब उपलब्ध नहीं था। भाभा साराभाई प्रभृति अनेक वैज्ञानिकों को भारत सरकार ने इस दिशा में प्रयत्नशील किया। कई संस्थाओं का आरंभ हुआ। इसरो की स्थापना की। हमने अपने अंतरिक्ष विज्ञान में आशातीत सफलताएँ त्वरित गति से अर्जित करनी शरू की। विश्व के देश हमारी सफल अंतरिक्ष-यानिकी और अभियानों की सफलताएँ देखकर जल मरे। रूस से हमे इंजन की सप्लाई मिलनी थी किंतु अमेरिका और मित्र-राष्ट्रों ने हल्ला-गुल्ला मचा दिया और हमें रूस से उक्त इंजन नहीं लेने दिया। अभी अमेरिकी गुट के देश अपनी सफलता पर एक-दूसरे की पीठ थपथपाकर हटे ही थे कि...

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना

विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग विश्‍वविद्यालय शिक्षा के मापदंडों के समन्‍वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्‍थापित एक स्‍वायत्‍त संगठन है। पात्र विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्‍त आयोग केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों को उच्‍चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्‍यक उपायों पर सुझाव भी देता है। यह बंगलौर, भोपाल, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता और पुणे में स्थित अपने 6 क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ-साथ नई दिल्‍ली से कार्य करता है।

भारत के संविधान की विशेषताएं

भारत के संविधान की विशेषताएं भारतीय संविधान एक विस्तृत कानूनी दस्तावेज है। यह भारत की सर्वोच्च विधि है। अन्य सभी विधियां भारतीय संविधान के अधीन होती हैं। वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 25 भाग और 12 अनुसूचियां हैं। भारतीय संविधान में विभिन्न राजनीतिक दर्शन, नागरिकों के मूल अधिकार, नागरिकों के मूल कर्तव्य के अलावा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का विभाजन इत्यादि अनेक प्रावधानों को शामिल किया गया है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य विषयों का विभाजन भी किया गया है, ताकि इन दोनों के बीच उत्पन्न होने वाले मतभेदों को न्यूनतम ...

भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिये।

विषय सूची भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से स्त्री को इस संसार की जन्मदात्री माना जा रहा है। भारतीय समाज के सन्दर्भ में महिलाओं की स्थिति अधिक उत्तम रही है। हिन्दू समाज में स्त्रियों को देवी के रूप में माना जाता है, इसीलिए लक्ष्मी, सरस्वती तथा दुर्गा के रूप में स्त्रियों की पूजा की जाती है। स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक होते हैं। अतः एक स्त्री के बिना पुरुष अधूरा होता है तथा पुरुष के बिना सी। हिन्दू समाज में महिलाओं को श्रीज्ञान व शक्ति का द्योतक माना जाता है। मनुष्य के जीवन में स्त्रियों का महत्वपूर्ण योगदान हैं। एक स्त्री के बिना पुरुष न तो अपनी गृहस्थी बसा सकता है और न ही उसे चला सकता है। मनुस्मृति में भी स्त्रियों के महत्व को निम्नलिखित श्लोक द्वारा स्पष्ट किया गया है . "यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता। यत्र एतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः" उपरोक्त श्लोक में यह बताया गया है कि "जहाँ नारी का मान-सम्मान होता है, वहाँ पर देवता वास करते हैं। जहाँ इसका मान-सम्मान नहीं होता है, वहाँ पर समस्त क्रियायें विफल हो जाती हैं" प्रश्न 1. प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति क्या थी ? प्राचीनकाल में स्त्रियों की स्थिति : प्राचीनकाल में स्त्रियों का भारतीय समाज में महत्वपूर्ण स्थान था तथा उन्हें बहुत मान-सम्मान दिया जाता था। स्त्रियों को पुरुषों के समान माना जाता था। प्राचीनकाल के समय स्त्रियों के अधिकारों के विरुद्ध पुरुष कोई कार्य नहीं करता था। उस समय स्त्रियों को शिक्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जाता था तथा उनकी शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की जाती थी। लड़के और लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं माना जाता था। अतः उन्हें लड़कों के समान शिक्षा की सुविधाए...

भारत के उद्योग

[[chitr:Mathura-Refinery-1.jpg|thumb|250px| itihas prachin kal se hi vibhinn prakar ke prakritik sansadhanoan ki sampannata ke karan desh ki ganana vishv ke pramukh audyogik kshetroan mean ki jati thi. itana avashy tha ki us samay ki utkrisht vastuoan ka nirman bhi kutir udyogoan ke star par hi kiya jata tha. sooti evan reshami vastr, vinirman udyog prachin kal se hi vibhinn prakar ke prakritik sansadhanoan ki sampannata ke karan desh ki ganana vishv ke pramukh audyogik kshetroan mean ki jati thi. itana avashy tha ki us samay ki utkrisht vastuoan ka nirman bhi kutir udyogoan ke star par hi kiya jata tha sooti evan reshami vastr, lauh - ispat udyog evan any • • • • • • • • • bharat ke rajyoan ke udyog vishay soochi • 1 itihas • 2 vinirman udyog • 3 bharat ke rajyoan ke udyog • 4 tika tippani aur sandarbh • 5 bahari k diyaan • 6 sanbandhit lekh arunachal pradesh ke udyog • REDIRECT aandhr pradesh ke udyog • REDIRECT • • [[chitr:Saltern-Tuticorin-Tamil-Nadu.jpg|thumb|300px|left| odisha ke udyog • REDIRECT udyog protsahan evan nivesh nigam li., audyogik vikas nigam limited aur u disa rajy ilektr aauniks vikas nigam ye tin pramukh ejeansiyaan rajy ke udyogoan ko arthik sahayata pradan karati hai. ispat, elyoominiyam, telashodhan, urvarak adi vishal udyog lag rahe haian. rajy sarakar laghu, gramin aur kutir udyogoan ko protsahit karane ke lie chhoot dekar vittiy madad de rahi hai. 2004 - 2005 varsh mean 83,075 laghu udyog ikaee sthapit ki gayi. keral ke udyog • REDIRECT gujarat ...

भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विभिन्न चरण

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य- • • भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव 1757 के प्लासी के युद्ध से पूर्व जहाँ ब्रिटेन को भारत से वस्तुओं को क्रय करने हेतु भुगतान सोने और चांदी में करना होता था, वहीं इस युद्ध के बाद ब्रिटेन को भुगतान के लिए सोने,चांदी की आवश्यकता नहीं रही, अब वह भुगतान यहीं से वसूले गये धन से करता था। उपनिवेशवाद का मूल तत्व आर्थिक शोषण में निहित है, परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि एक उपनिवेश पर राजनीतिक नियंत्रण रखना आवश्यक नहीं है, अपितु उपनिवेशवाद का मूल स्वरूप ही आर्थिक शोषण के विभिन्न तरीकों में लक्षित होता है। प्रसिद्ध विद्वान रजनीपाम दत्त ने अपनी ऐतिहासिक कृति इंडिया टुडे में भारतीय औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का उल्लेखनीय चित्रण किया है जिसमें उन्होंने कार्लमार्क्स के ( भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद और आर्थिक शोषण) तीन चरणों वाले सिद्धांत को आधार बनाया है। • वाणिज्यिक चरण-1757-1813 • औद्यौगिक मुक्त व्यापार- 1813-1858 • वित्तीय पूँजीवाद-1860 के बाद उपनिवेशवाद के प्रथम चरण जिसकी शुरुआत प्लासी के युद्ध के बाद होती है, में उपनिवेशवाद के प्रथम चरण में कंपनी ब्रिटेन तथा यूरोप के अन्य देशों को कम कीमत पर तैयार भारतीय माल का निर्यात कर अच्छी कीमत वसूलती थी। उपनिवेशवाद के इस चरण में 1757 के बाद कंपनी द्वारा भारत से निर्यात किये जाने वाले माल के बदले कुछ भी नहीं लौटाया गया, इस तरह प्रतिवर्ष भारतीय माल और संपत्ति का दोहन होता रहा,परिणाम स्वरूप भारत की लूट और इंग्लैण्ड में पूंजी संचय का ही प्रत्यक्ष परिणाम था कि इंग्लैण्ड औद्योगिक क्रांति के दौर से गुजरा। आर.पी.दत्त के अनुसार कंपनी ने 1757 और 1765 के बीच बंगाल के नवाबों से करीब 40 लाख पौण्ड वार्षिक उपहार प्राप्त किया। ब...

भारत में सांप्रदायिकता के उदय के कारण (Causes of Rise of Communalism in India) » भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन »

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • भारत में सांप्रदायिकता के उदय के कारण सांप्रदायिकता का अर्थ ‘सांप्रदायिकता’ से तात्पर्य उस संकीर्ण मनोवृति से है, जो धर्म और संप्रदाय के नाम पर पूरे समाज तथा राष्ट्र के व्यापक हितों के विरुद्ध व्यक्ति को केवल अपने व्यक्तिगत धर्म व संप्रदाय के हितों को प्रोत्साहित करने और उन्हें संरक्षण देने की भावना को महत्व देती है। सांप्रदायिकता की भावना अपने धर्म के प्रति अंध-भक्ति तथा दूसरे धर्म और उसके अनुयायियों के प्रति विद्वेष की भावना उत्पन्न करती है। मौलिक रूप में संप्रदायवाद इस विश्वास का नाम है कि चूंकि कुछ लोग किसी एक विशेष धर्म को मानते हैं, इसलिए उनके सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हित भी समान होते हैं। संप्रदायवाद धार्मिक समूहों के मध्य तनावों से होते हुए अलगाववाद तक ले जाता है। एक ही देश में विभिन्न और प्रमुख संप्रदायों के बीच अलगाव और द्वेष की राजनीति को ‘ सांप्रदायिक राजनीति’ (Communal Politics ) के नाम से पुकारा जाता है। भारत में इस सांप्रदायिक राजनीति (Communal Politics ) के अंतर्गत पहले मुस्लिम सांप्रदायिकता (Muslim Communalism) का उदय हुआ और इसके बाद मुस्लिम सांप्रदायिकता की प्रतिक्रिया में हिंदू सांप्रदायिकता (Hindu Communalism) का उदय और विकास हुआ। सांप्रदायिक विचारधारा के चरण भारत में सांप्रदायिक विचारधारा (Communal Ideology) के मुख्यतः तीन चरण परिलक्षित होते हैं और उनमें एक तारतम्य दिखाई देता है। पहले चरण की सांप्रदायिक विचारधारा (Communal Ideology) के अनुसार चूंकि कुछ लोग किसी एक विशेष धर्म को मानते हैं, इसलिए उनके सांसारिक अर्थात् सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हित भी समान होते हैं। दूसरे शब्दों में, भारत में हिंदू, मुसलम...

कृषि का महत्त्व

mahattvapoorn tathy desh ki unnati tatha usake samagr vikas ke lie krishi ka mahattv kitana adhik hai, is bat ki nimnalikhit tathyoan se pushti ki ja sakati hai- • krishi udyog bharat ki adhikaansh janata ko rozagar pradan karata hai. is desh ki 52 pratishat abadi pratyaksh roop se krishi par nirbhar hai. krishi utpadoan ko • bharat ki khadyann avashyakata ki lagabhag shat-pratishat poorti bharatiy krishi dvara hi ki jati hai. isake atirikt chini, vastr, patasan, tel adi udyog prayah poori tarah bharatiy krishi par hi nirbhar karate haian. kyoanki inaki avashyakata ke kachche mal ki poorti mukhyatah ghareloo utpadan dvara hi hoti hai. kuchh lambe reshe ki rooee tatha patasan ki kami rahati hai, jo videshoan se prapt ki jati hai. • vishv ki sabase b di krishi sanbandhi arthavyavasthaoan mean se ek bharat mean krishi kshetr ka yogadan varsh • bharatiy krishi manasoon par nirbhar hai. isi karan bharatiy krishi ko 'manasoon ka jua' kaha gaya hai. yadi manasoon yatha-samay evan yathesht matra mean a jata hai to krishi utmadan bhi thik ho jata hai, jisase desh mean khadyannoan ki avashyakata ki poorti ho jati hai aur udyoangoan ko bhi yathesht • • bharat mean krishi ke mahatv ka karan yah hai ki isase anek pramukh udyogoan ko kachcha mal milata hai. sooti vastr, patasan, chini, vanaspati adi udyog bharatiy krishi ki samasyaean bharat krishi pradhan desh hai, parantu yahaan krishi ki dasha santoshajanak nahian hai. krishi utpadan mean vriddhi poorv mean janavriddhi dar se bhi kam...