भगत सिंह के देशभक्ति गीत

  1. देशभक्ति के जज़्बे से भरे 10 गीत
  2. देशभक्ति गीत गाकर भगत सिंह को बच्चों ने किया याद
  3. On the birth anniversary of Bhagat Singh, patriotism
  4. Bhagat Singh birth anniversary
  5. देशभक्ति कविता बच्चों के लिए
  6. Bhagat Singh Birthday: किन बातों ने भगत सिंह को बनाया था क्रांतिकारी?


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देशभक्ति के जज़्बे से भरे 10 गीत

देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हर नागरिक में होता है। हिंदी सिनेमा ने भी इस मोहब्बत और जज़्बे को बख़ूबी अभिव्यक्त किया है। आज भी देशभक्ति के कई ऐसे गीत हैं जो लोकप्रिय हैं। बदलते वक़्त के साथ इनकी लोकप्रियता में इज़ाफ़ा ही हुआ है। ये बेशक़ीमती गीत हर नागरिक को वतन के प्रति अपनी मोहब्बत का इज़हार करने के लिए अल्फ़ाज़ देते हैं। आज़ादी स्पेशल में पेश है 10 लोकप्रिय देशभक्ति गीत...। 1965 को रिलीज़ हुई फ़िल्म 'शहीद' वतन पर क़ुर्बान होने वाले आज़ादी के परवानों की ज़िंदगी के मक़सद को बयां करती है। भगत सिंह को केंद्र में रखकर बनाई गई इस फ़िल्म में इस्तेमाल हुआ गीत 'मेरा रंग दे बसंती चोला' आज भी लोगों की ज़ुबान पर है। गीतकार प्रेम धवन और राम प्रसाद ने इसे क़लमबंद किया है। बेहद कर्णप्रिय इस गीत को संगीकार प्रेम धवन ने अपने संगीत से सजाया है। निर्देश एस राम शर्मा की इस मशहूर फ़िल्म को हिंदी में फ़ीचर फ़िल्म के लिए नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया था। यूट्यूब पर मौजूद इस गीत को यहां सुनें - यह गाना 1967 में आई फ़िल्म उपकार का है। मनोज कुमार ने यह फ़िल्म पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे 'जय जवान जय किसान' के नारे को केंद्र में रखकर बनाई थी। इस गीत को क़लमबंद किया है जाने-माने गीतकार इन्दीवर ने। महेन्द्र कपूर ने अपनी दिलकश आवाज़ से इस गीत को अमर कर दिया। गीत को संगीत से सजाया है मशहूर संगीतकार जोड़ी कल्याणजी-आनंदजी ने। मनोज कुमार को जिन चुनिंदा फ़िल्मों की वजह से भारत कुमार कहा जाता था, उनमें उपकार भी थी। मनोज कुमार ने इस फ़िल्म को ख़ुद लिखा, अभिनय किया और डायरेक्ट भी किया। इस गीत को बहुत ही खूबसूरती से फ़िल्माया गया है। 1964 में आई हक़ीकत फ़िल्म को लोगो...

देशभक्ति गीत गाकर भगत सिंह को बच्चों ने किया याद

देशभक्ति गीत गाकर भगत सिंह को बच्चों ने किया याद फरीदाबाद| सेक्टर-2 स्थित आधारशिला पब्लिक स्कूल में आज़ादी के शहज़ादे संस्था ने शहीद भगत सिंह की जयंती मनाई। इस दौरान बच्चों ने देशभक्ति गीत गाए। साथ ही शहीद भगत सिंह की जीवनी से संबंधित कुछ रोचक बातें भी बताई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य उषा शर्मा ने की। संस्था के संस्थापक हरीश चन्द्र आज़ाद ने बताया कि शहीद भगत सिंह हिन्दुस्तान के सबसे बड़े क्रांतिकारी थे। उन्होंने संस्था के माध्यम से सरकार से मांग की है कि शहीद भगत सिंह को सरकारी रिकार्ड में शहीद का दर्जा दिया जाए। राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा शर्मा ने कहा कि भगत सिंह एेसे महान भारत मां के सपूत थे जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूमा था। आज भी भारत और पाकिस्तान की जनता भगत सिंह को आजादी के दीवाने के रूप में देखती है।

On the birth anniversary of Bhagat Singh, patriotism

मैसूरु. राजस्थान विष्णु सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में शहीद भगत सिंह का 111वां जन्मदिवस बड़े धूमधाम से मनाया गया। सर्वप्रथम शहीद भगत सिंह की तस्वीर पर राजस्थान पशुपालन बोर्ड के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र देवासी ने हार पहनाया। पंडित अमृतलाल भट्ट व रवि शर्मा ने मन्त्रोचार से कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर देशभक्ति ओतप्रोत गीत प्रस्तुत किए गए। है प्रीत जहां की रीत सदा मैं गीत वहीं के गाता हूं भारत का रहने वाला हूं भारत की बात सुनाता हूं..., ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी... आदि देशभक्ति गीत पेश किए। मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में युवाओं से शहीदों का अनुसरण कर राष्ट्रधर्म का निर्वाह करने की बात कही।

Bhagat Singh birth anniversary

यह ध्यान देने कि बात है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवाद के कई प्रतिस्पर्धी दृष्टिकोण मौजूद थे लेकिन किसी भी विचार के नेता की देशभक्ति पर कभी संदेह नहीं किया गया था.विडंबना यह है कि भगत सिंह की 114वीं जयंती आते-आते भारत में ‘राष्ट्रवाद’ एक विवादित मुद्दा बन गया है और सिर्फ "भारत माता की जय" जैसे नारे के एक लिटमस टेस्ट में सिमट गया है. भगत सिंह के भी इमेज को अपनी सहूलियत से बदलने की कोशिश है. लेकिन क्या आज के भारत में उन रूढ़िवादी मान्यताओं को चुनौती देने की खुली आजादी है? कई उदाहरण ऐसे हैं जहां वो संकीर्ण सोच हमारे नीति-निर्माता और सरकारी तंत्र में नजर आया. जैसे उत्तराखंड के पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत का बयान कि “औरतों को फटी हुई जींस में देखकर हैरानी होती है. सवाल उठता है कि इससे समाज में क्या संदेश जाएगा?” कोरोना जैसे जानलेवा मुद्दे पर अवैज्ञानिक नजरिए को हमारे मंत्री बढ़ावा देते नजर आते हैं.

देशभक्ति कविता बच्चों के लिए

Comments जैसा की हम सभी जानते है की पहले हमारा देश अंग्रेज़ो का ग़ुलाम था हमारे भारत देश पर ब्रिटिश शासन था और उनके शासन से हमें 15 अगस्त 1947 में आज़ादी मिली थी | भारत देश को आज़ादी दिलाने के लिए हमारे कई महान देशभक्तो ने अपनी जान कुर्बान की थी जिनको की हर 15 अगस्त के दिन याद किया जाता है | इसीलिए हमारे कुछ महान देशभक्त कवियों द्वारा देशभक्ति की कविताएं लिखी गयी है जिन कविताओं के बारे में जानने के लिए आप हमारे माध्यम से जान सकते है तथा अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते है | Desh Bhakti Kavita in Hindi अगर आप any 5 indian patriotic hindi poem by rabindranath tagore, top 5 desh bhakti’, kavita in marathi small lyrics for republic day, kavita/veer ras/desh bhakti के बारे में जानें के लिए यहाँ से जान सकते है : “होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बह...

Bhagat Singh Birthday: किन बातों ने भगत सिंह को बनाया था क्रांतिकारी?

भगत सिंह देशभक्त और क्रांतिकारी परिवार से थे. लाला लाजपत राय का उन पर गहरा प्रभाव था. जलियांवाला बाग ने उनके मन पर बहुत ज्यादा असर डाला था. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (Indian Freedom Movement) में क्रांतिकारियों का योगदान भगत सिंह (Bhagat Singh)का नाम लिए बिना पूरा नहीं हो सकता है. वे एक मात्र ऐसे क्रांतिकारी हैं जो लोगों को सोच बदलने की सोचा करते थे. 28 सितंबर को उनका जन्मदिन (Bhagat Singh Birthday) है. यह जानना वाकई रोचक और शिक्षाप्रद भी है कि एक क्रांतिकारी के रूप में भगत सिंह का विकास कैसे और उनमें कैसे बदलाव आए और उनके जीवन में ऐसा क्या हुआ था जिससे बचपन से ही देशप्रेम और आजादी की भावना उनमें कूट कूट कर भर गई थी. लेकिन क्या था जिसने भगत सिंह को एक क्रांतिकारी बनने को प्रेरित किया था, भगत सिंह को समझने के लिए यह जानना भी जरूरी है. किसान सिख परिवार में जन्म भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लयालपुर के बांगा (अब पाकिस्तान में) गांव के एक सिख परिवार में हुआ था. एक मतानुसार उनकी जन्मतिथि 27 सितंबर को मानी जाती है. उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था. पिता किशन सिंह अंग्रेज और उनकी शिक्षा को पहले से ही पसंद नहीं करते थे इसलिए बांगा में गांव के स्कूल में शुरूआती पढ़ाई के बाद भगत सिंह को लाहौर के दयानंद एंग्लो-वैदिक स्कूल में दाखिला दिलवा दिया गया. परिवार में ही थे क्रांतिकारी भगत सिंह का परिवार उनके पैदा होने के पहले ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल था. खुद भगतसिंह के पिता और चाचा अजीत सिंह ने 1907 अंग्रेजों के कैनल कोलोनाइजेसन बिल खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था और बाद में 1914-1915 में गदर आंदोलन में भी भाग लिया था. इस तरह से बालक भग...