भगत सिंह की पत्नी का नाम

  1. Durga Bhabhi B’day: भगत सिंह से चंद्रशेखर आजाद, सबकी मदद की थी दुर्गा भाभी ने
  2. untold story of bhagat singh and durga bhabhi
  3. Bhagat Singh Biography In Hindi
  4. दुर्गा भाभी जिन्होंने भगत सिंह की पत्नी बनकर अँग्रेज़ों को चकमा दिया
  5. Azadi Ka Amrit Mahotsav : दुर्गा भाभी ने ब्रिटिश गवर्नर हैली पर चला दी थी गोली, पत्नी बनकर भगत सिंह को लाहौर से निकाला था
  6. Shaheed Diwas 2023 : पत्नी बनकर की थी भगत सिंह की मदद, जानें कौन थीं दुर्गा भाभी?
  7. Durgawati Become Bhagat Singh Wife Ten Fact About Durga Bhabhi On Her


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Durga Bhabhi B’day: भगत सिंह से चंद्रशेखर आजाद, सबकी मदद की थी दुर्गा भाभी ने

दुर्गा भाभी क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की पत्नी थी जो खुद भी एक क्रांतिकारी थीं. दुर्गा भाभी ने अंग्रेजी अधिकारियों पर भी गोली चला कर हमले किए थे. उन्होंने कई अहम क्रांतिकारी घटनाओं में सक्रिय भागीदारी भी की थी. अगर आपने शहीद भगतसिंह (Bhagat Singh) की कोई भी फिल्म देखी होगी तो उसमें दुर्गा भाभी (Durga Bhabhi) का एक चरित्र जरूर देखा होगा. दुर्गाभाभी क्रांतिकारियों (Revolutionary Freedom fighter) की सूची में बहुत बड़ा नाम भले ही ना हो लेकिन कम भी नहीं है. 1920 के दशक में जब भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारी अंग्रेजों के जुल्म का जवाब उन्हीं की जुबान में देने की कोशिश कर रहे थे तो एक महिला होने के बाद भी दुर्गाभाभी ने अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर और फिर उनकी मौत के बाद भी क्रांतिकारी गतिविधियों सक्रियता से भाग लिये 7 अक्टूबर को उनकी जन्मतिथि पर उनके योगदान के बारे मे जानते है. 11 साल की उम्र में विवाह दुर्गा भाभी के नाम से लोकप्रिय दुर्गावती देवी का जन्म सात अक्टूबर 1907 को कौशांबी जिसे के शहजादपुर ग्राम में पंडित बांके बिहारी के घर हुआ था. बचपन में वे लाड़ प्यार से पली बढ़ी थीं. ग्यारह साल की उम्र में ही उनका विवाह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ हो गया जो खुद एक सम्पन्न परिवार थे. पति का हर कदम पर साथ बोहरा के पिता रेलवे में ऊंचे पद पर तैनात थे फिर भी वे आजादी की लड़ाई में शामिल होना चाहते थे. 1920 में वे पूरी तरह से क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हो गए. दुर्गावती ने अपने पति का कदम कदम पर भरपूर साथ दिया. 1923 में उन्होंने बीए की डिग्री हासिल की थी. दुर्गावती के ससुर और उनके पिता ने संकट के समय में काम आने केलिए बड़ी रकम उन्हें और उन...

untold story of bhagat singh and durga bhabhi

Bhagat Singh : 23 मार्च 1931 में राजगुरु और सुखदेव के साथ भगत सिंह को भी फांसी दे दी गई। उसके बाद दुर्गा भाभी (Durga Bhabhi) 1940 में लखनऊ कैंट इलाके में रहने लगीं। जहां पर उन्होंने एक स्कूल खोला वह स्कूल उन्होंने काफी समय तक चलाया यानी दुर्गा भाभी 1970 तक लखनऊ में ही मौजूद रहीं। इसके बाद वह परिवार के कुछ सदस्यों के साथ गाजियाबाद आ गईं और यहीं अंतिम सांस ली। Bhagat Singh : दिल्ली से सटे गाजियाबाद एक सड़क का नाम दुर्गा भाभी मार्ग और पार्क के नाम के अलावा दुर्गा भाभी चौक भी बना हुआ है। नई पीढ़ी को दुर्गा भाभी (Durga Bhabhi) के बारे में भले ही कोई जानकारी ना हो। लेकिन, पुराने लोग अभी तक भी दुर्गा भाभी को नहीं भूल पाए हैं। क्योंकि दुर्गा भाभी वह इंसान थीं, जिन्होंने मुसीबत के समय शहीद भगत सिंह की बेहद मदद की थी। इस दौरान दुर्गा भाभी का सफर भी कम कठिनाइयों से भरा हुआ नहीं रहा। हर मोड़ पर उन्होंने हर तरह की चुनौती को स्वीकार किया। यहां तक कि एक बार उन्होंने शहीद भगत सिंह की पत्नी बनकर पुलिस से बचाया था। उन्हीं को लेकर भगत सिंह और सुखदेव के बीच दरार पैदा होने का भी दावा किया जाता है।

Bhagat Singh Biography In Hindi

Bhagat Singh Biography In Hindi Bhagat Singh Biography In Hindi | भगत सिंह की जीवनी और क्रांतिकारी विचार भगत सिंह Bhagat Singh एक क्रांतिकारी समाजवादी थे जो भारत की भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में बहुत प्रभावशाली रहे | भगत सिंह का जन्म पंजाबी सिख परिवार में हुआ जो राजीनीति में सक्रिय परिवार था | उन्होंने बचपन से ही अपना जीवन भारत की स्वंतंत्रता में समर्पित कर दिया | Bhagat Singh कई क्रांतिकारी आन्दोलन में शामिल हुए और कई बार गिरफ्तार भी हुए | Bhagat Singh भगत सिंह को ब्रिटिश अफसर की हत्या के आरोप में 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया | Early life of Bhagat Singh भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन Bhagat Singh भगत सिंह का जन्म 1907 में वर्तमान पाकिस्तान के Lyallpur जिले [फैसलाबाद] के बंगा गाँव में हुआ | उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विध्यावती था | सयोंग से उनके जन्म पर उनके पिता और दो चाचा अजित सिंह और स्वर्ण सिंह जेल से रिहा हुए थे | Bhagat Singh का परिवार सिख था , जिसमे अधिकांश भारत के स्वंतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय थे और दुसरे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में थे | Bhagat Singh का पैतृक गाँव भारत के पंजाब राज्य के नवांशहर जिले [वर्तमान में इसका नाम शहीद भगत सिंह नगर कर दिया ] के बंगा कस्बे के निकट खत्करकला गाँव से थे | Bhagat Singh का परिवार शुरू से राजनीति में सक्रिय था | उनके दादाजी अर्जुन सिंह स्वामी दयानंद सरस्वती के हिन्दू सुधारवादी आंदोलन , आर्य समाज का अनुगमन कर कर रहे थे जिसका भगत सिंह Bhagat Singh पर काफी प्रभाव था | उनके पिता और चाचा करतार सिंह और हर दयाल द्वारा चलायी जा रही ग़दर पार्टी के सदस्य थे | अजित सिंह को अदालत में सुनवाई में देरी के चलते देश निकाला मिल...

दुर्गा भाभी जिन्होंने भगत सिंह की पत्नी बनकर अँग्रेज़ों को चकमा दिया

पोस्ट ऑफिस की इस सुपरहिट स्कीम में हर महीने जमा करें 1,500 रुपये और मैच्योरिटी पर पाएं 35 लाख, जानें- क्या है स्कीम? साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाठी-चार्ज में जब 'पंजाब केसरी' लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई तो 10 दिसंबर, 1928 को लाहौर में क्रांतिकारियों की एक बैठक बुलाई गई जिसकी अध्यक्षता दुर्गा देवी ने की. वे क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा की पत्नी थीं जिन्होंने 'हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन' का घोषणापत्र लिखा था. इस बैठक में तय किया गया कि लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया जाएगा. जाने-माने पत्रकार कुलदीप नैयर अपनी किताब 'विदाउट फ़ियर, द लाइफ़ एंड ट्रायल ऑफ़ भगत सिंह' में लिखते हैं, "दुर्गा देवी ने सबसे पूछा कि आप में से कौन स्कॉट की हत्या का बीड़ा उठा सकता है? भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू और चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने हाथ उठा दिए. पहले सुखदेव ये भूमिका अकेले निभाना चाहते थे लेकिन उनकी मदद के लिए चार और कॉमरेडों भगत सिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद और जयगोपाल को चुना गया." 17 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह और राजगुरु ने शाम 4 बजे अंग्रेज़ अधिकारी सैंडर्स को जान से मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले लिया. तीन दिन बाद सुखदेव भगवतीचरण वोहरा के घर गए जो उस समय भूमिगत चल रहे थे. उन्होंने उनकी पत्नी दुर्गा देवी से पूछा, 'क्या आप के पास कुछ रुपए होंगे?' दुर्गा ने उन्हें 500 रुपए दे दिए जो उनके पति ने उन्हें दिए थे. सुखदेव ने उनसे कहा, कुछ लोगों को लाहौर से बाहर निकालना है. क्या आप उनके साथ लाहौर से बाहर जा सकती हैं? उन दिनों दुर्गा भाभी लाहौर के महिला कॉलेज में हिंदी की अध्यापिका थीं. तीन चार दिनों में क्रिसमस की छुट्टियाँ होने वाली थीं. सुखदेव ने कहा कि वो उन्हें क्रिसमस से पह...

Azadi Ka Amrit Mahotsav : दुर्गा भाभी ने ब्रिटिश गवर्नर हैली पर चला दी थी गोली, पत्नी बनकर भगत सिंह को लाहौर से निकाला था

Azadi Ka Amrit Mahotsav : दुर्गा भाभी ने ब्रिटिश गवर्नर हैली पर चला दी थी गोली, पत्नी बनकर भगत सिंह को लाहौर से निकाला था ये वही दुर्गा भाभी हैं जिन्होंने सांडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह की पत्नी बनकर उन्हें लाहौर से बाहर निकाला था. जीवन भर संघर्षों से लड़ते-लड़ते आखिरकार 1999 में उन्होंने अंतिम सांस ली. आजादी ऐसा स्वप्न था, जिसे पूरा करने के लिए देश के क्रांतिकारियों ने अपना सब कुछ गवां दिया. ऐसी ही एक वीर क्रांतिकारी महिला दुर्गा देवी भी थीं, क्रांतिकारियों के बीच दुर्गा भाभी के नाम से पुकारी जाने वाली ये वीर महिला क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाने का काम करती थीं. इसी बीच इन्होंने पिस्तौल चलाना सीख लिया, एक दिन इनका गर्वनर हैली से इनका सामना हुआ, दुर्गा भाभी का खून इतना खौला कि उन्होंने गर्वनर पर फायरिंग कर दी. हालांकि इस हमले में हैली बच गया पर दुर्गा भाभी अंग्रेजों के निशाने पर आ गईं. आजादी की लड़ाई में वे कई बार जेल गईं. ये वही दुर्गा भाभी हैं जिन्होंने सांडर्स की हत्या के बाद भगत सिंह की पत्नी बनकर उन्हें लाहौर से बाहर निकाला था. जीवन भर संघर्षों से लड़ते-लड़ते आखिरकार 1999 में उन्होंने अंतिम सांस ली. Tv9 की इस खास सीरीज में आज हम उन्हीं वीर दुर्गा देवी को नमन करते हैं. संपन्न परिवार से थीं दुर्गा भाभी सात अक्टूबर 1907 को कौशांबी जिले के शहजादपुर में जन्मीं दुर्गा देवी संपन्न परिवार से थीं, पिता बांके बिहारी कलेक्ट्रेट में तैनात थे. दादा जमींदारी करते थे. बेहद कम उम्र में ही इनका विवाह भगवती चरण वोहरा के साथ करा दिया गया. भगवती चरण के पिता रेलवे में तैनात थे, ऐसे में ससुराल भी संपन्न मिली. पति के साथ बनीं क्रांतिकारी भगवती चरण वोहरा क्रांतिकारी विचारों...

Shaheed Diwas 2023 : पत्नी बनकर की थी भगत सिंह की मदद, जानें कौन थीं दुर्गा भाभी?

गाजियाबाद. आज 23 मार्च, 2023 को पूरे देश में शहीद दिवस मनाया जा रहा है. उन वीरों को आज याद किया जा रहा है जिन्होंने देश के खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी. इस दिन भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव को याद किया जाता है. दरअसल 23 मार्च 1931 यानी आज के ही दिन इन तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर में फांसी दी गई थी. क्रांतिकारी भगत सिंह के साथ एक और रोचक किस्सा जुड़ा है. उनका नाम है दुर्गा भाभी. दुर्गा भाभी के बारे में शायद आज की युवा पीढ़ी को कुछ खास मालूम ना हो, लेकिन राजधानी से सटे गाजियाबाद जिले में एक सड़क का नाम दुर्गा भाभी मार्ग है. दुर्गा भाभी एक काफी मजबूत दिल की महिला थीं. एक बार उन्होंने भगत सिंह को उनकी पत्नी बनकर पुलिस से बचाया था. दुर्गा भाभी का पूरा नाम दुर्गा देवी वोहरा था. ऐसा कहते हैं कि दुर्गा भाभी के कारण शहीद भगत सिंह और सुखदेव में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी. दुर्गा भाभी का जन्म 7 अक्टूबर 1960 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था. जबकि 14 अक्टूबर 1999 को उन्‍होंने गाजियाबाद में अंतिम सांस ली. दुर्गा भाभी का गाजियाबाद से था खास रिश्‍ता गाजियाबाद के इतिहासकार प्रोफेसर डॉ कृष्ण कांत शर्मा ने News 18 Local को बताया की दुर्गा भाभी का संबंध गाजियाबाद से रहा है. उनके जीवन का एक लंबा समय गाजियाबाद में बीता है. दुर्गा भाभी को लोग भाभी के नाम से इसलिए जानते हैं क्योंकि उनका विवाह क्रांतिकारी भगवतीचरण वोहरा के साथ हुआ था. क्रांतिकारी भगत सिंह सुखदेव और चंद्रशेखर आजाद उन्हें भाभी कहा करते थे. इसलिए देशभर में आज उन्हें दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता है. दुर्गा भाभी भगत सिंह की पत्नी बनी! प्रोफेसर डॉ कृष्ण कांत शर्मा बताते हैं कि दुर्गा भाभी क्रांतिकारियों की मदद करती थ...

Durgawati Become Bhagat Singh Wife Ten Fact About Durga Bhabhi On Her

By: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में क्रांत‍िकारियों की बात हो और उसमें दुर्गावती बोहराका नाम न आए ऐसा हो नहीं सकता है। आज यह इस दुन‍िया में नहीं हैं लेकि‍न यह वही दुर्गा वती हैं ज‍िन्‍हें दुर्गा भाभी के नाम से भी जानते हैं। दुर्गा भाभी एक बार भगत सिंह की पत्‍नी भी बनी थीं। आइए जानें 7 अक्टूबर को जन्‍मीं दुर्गावती के बारे में खास बातें... चीफवार्डन को छात्रा से क्लीनचिट बहादुरी के किस्से दुर्गावती बहुत बहादुर थीं। 9 अक्टूबर, 1930 को गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी। इस दौरान वह तो बच गए एक लेकिन उनका सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। इसके अलावा उन्होंने कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी। अंग्रेजों से अकेले भिड़ी दुर्गावती पिस्तौल चलाने में माहिर थीं। अंग्रेजों से लड़ते वक्त जिस चंद्रशेखर आजाद ने पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी वह उन्हें दुर्गा भाभी ने ही लाकर उनको दी थी। कई मोड़ ऐसे भी आए जब वह अंग्रेजों से अकेले भी भिड़ीं थीं। भगत सिंह की पत्नी दुर्गा भाभी का भगत सिंह की पत्नी बनने वाला किस्सा आज भी चर्चित है। अंग्रेजों के एक मिशन को फेल करने के लिए दुर्गा भाभी ने 18 दिसंबर 1928 को वेश भूषा बदलकर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। क्रांतिकारी भी साथ थे इस दौरान वह भगत सिंह की पत्नी बनकर उनके साथ बैठ गई थीं। वहीं राजगुरु सर्वेन्ट्स के कम्पार्टमेंट में बैठे थे। जब इस मिशन में इनके साथ शामिल चंद्रशेखर तीर्थयात्रियों के ग्रुप में गाते हुए सफर कर रहे थे। पति शहीद हो गए दुर्गावती के पति भगवती चरण वोहरा 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद उसके परीक्षण में शहीद हो गए थे। इसके बाद इन्होंने एक शिक्षिका के रूप में काम किया। मांटेसरी स्कूल की नींव इतना ही नहीं इन...