बलवंत राय मेहता समिति कब आई?

  1. All you need to know about Balwant Rai Mehta Samiti in Hindi
  2. प्रशासनिक व्यवस्था
  3. Bihar Board 12th Sociology Objective Answers Chapter 9 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ – Bihar Board Solutions
  4. पंचायती राज संबंधी महत्वपूर्ण समितियां
  5. [Solved] 1986 में राजीव गांधी द्वारा "लोकतंत्र और विकास
  6. बलवंत राय मेहता समिति क्या है ?
  7. [Solved] पंचायती राज की शुरुआत करने वाला भारत का पहला र
  8. [Solved] पंचायती राज पर निम्नलिखित समितियों को कालानु


Download: बलवंत राय मेहता समिति कब आई?
Size: 58.36 MB

All you need to know about Balwant Rai Mehta Samiti in Hindi

बलवंत राय मेहता समीति (Balwant Rai Mehta Samiti) जनवरी, 1956 ई. में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में इस समिति Balwant Rai Mehta Samiti का गठन किया गया था. जिसने सामुदायिक विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय विस्तार सेवा का व्यापक अध्ययन करने के बाद 24 नवम्बर, 1957 को अपनी रिपोर्ट सरकार के सम्मुख प्रस्तुत की. वहीं समिति की सिफारिशों को 1 अप्रैल, 1958 को लागू किया गया. Balwant Rai Mehta Samiti को गठित करने का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि जनता में पंचायतों के प्रति उत्साह क्यों कम है और इस समस्या से निजात पाने के लिए कौन सी पद्धति अपनायी जानी चाहिए. मेहता दल ने 1957 के अंत में अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की, जिसके अनुसार-“लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण और सामुदायिक विकास कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायती राज व्यवस्था की तुरंत शुरुआत की जानी चाहिए.” इस बलवंत राय मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) की प्रमुख सिफारिशों में यह कहा गया थी कि- विकेन्द्रित प्रशासनिक ढाँचा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होना चाहिए. वहीं पंचायतों में आवश्यकता अनुसार निर्वाचित प्रतिनिधि होने चाहिए. इसके साथ ही महिलाओं के लिए दो तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए एक-एक स्थान आरक्षित होना चाहिए. सरकार को कुछ कार्यों व अधिकारों को निचले स्तर पर हस्तांतरित करना चाहिए तथा निचले स्तरों पर पर्याप्त वित्तीय साधन भी उपलब्ध कराने चाहिए. समिति ने सिफारिश की कि पंचायती राज संस्था चुनी हुई और कानूनी होनी चाहिए. उसका कार्य क्षेत्र व्यापक होना चाहिए. मेहता समिति (Balwant Rai Mehta Samiti) ने पंचायती राज व्यवस्था को “लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण ” का नाम दिया. इस समित...

प्रशासनिक व्यवस्था

• राजस्थान में ऊर्जा संसाधन • राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था : स्थानीय स्वशासन • राजस्थान में वन सम्पदा • वन्य जीव एवं अभ्यारण्य • राजस्थान में परिवहन - वायु • राजस्थान में परिवहन - रेल • राजस्थान में परिवहन - सड़क • राजस्थान में खनिज सम्पदा • राजस्थान में स्थापत्य कला - हवेलियां • राजस्थान में हस्त कलाएं • राजस्थान में स्थापत्य कला - छतरियां • राजस्थान में स्थापत्य कला - महल • राजस्थान में स्थापत्य कला - दुर्ग • राजस्थान का इतिहास - बीकानेर का राठौड़ वंश • राजस्थान का इतिहास - अजमेर के चौहान • राजस्थान का इतिहास - आमेर का कछवाह वंश • राजस्थान का इतिहास - जोधपुर के राठौड़ • राजस्थान का इतिहास - गुहिल राजवंश • राजस्थान का इतिहास - प्रतिहार राजवंश • राजस्थान का प्राचीन इतिहास • राजस्थान का सामान्य परिचय • राजस्थान में चित्रकला • राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन • राजस्थान में किसान एवं आदिवासी आंदोलन • राजस्थान का स्थिति एवं विस्तार • राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था : राज्य स्तरीय • राजस्थान की जलवायु • राजस्थान में औद्योगिक विकास • राजस्थान की जनगणना - 2011 • राजस्थान की लोकदेवियां • जीणमाता - सीकर (राजस्थान) • करणी माता - देशनोक (बीकानेर) • राजस्थान के लोकगीत • राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं • राजस्थान की झीलें • राजस्थान की नदियां - आतंरिक अपवाह तंत्र • राजस्थान की नदियां - अरब सागर का अपवाह तंत्र • राजस्थान की नदियां - बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र • राजस्थान के लोक देवता • राजस्थान के प्रमुख पशु मेले • राजस्थान के प्रमुख मेले • राजस्थान के त्यौहार • राजस्थान में कृषि • राजस्थान के व्यावसायिक लोकनृत्य • राजस्थान में प्रथम • राजस्थान के जातीय लोकनृत्य • राजस्थान का एकीकरण • राजस्थ...

Bihar Board 12th Sociology Objective Answers Chapter 9 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ – Bihar Board Solutions

प्रश्न 2. किस समाजशास्त्री ने प्रजातंत्र का विरोध किया एवं फासीवाद का समर्थन किया ? (a) पैरेटो (b) कॉम्टे (c) मार्क्स (d) वेबर उत्तर- (a) पैरेटो प्रश्न 3. संविधान के कौन-से संशोधनों के द्वारा स्थानीय स्वशासन निकायों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की कोशिश की गई है? (a) 51वाँ एवं 52वाँ (b) 73वाँ एवं 74वाँ (c) 81वाँ एवं 82वाँ (d) इनमें से कोई नहीं उत्तर- (a) 51वाँ एवं 52वाँ प्रश्न 4. पंचायतों को बल प्रदान करने वाला विधेयक संविधान के किस संशोधन द्वारा लाया गया ? (a)71वाँ (b) 73वाँ (c)75वाँ (d) 69वाँ उत्तर- (b) 73वाँ प्रश्न 5. भारत में राजनीतिक दल को कौन मान्यता देता है ? (a) राष्ट्रपति (b) उच्चतम न्यायालय (c) संसद (d) चुनाव आयोग उत्तर- (d) चुनाव आयोग प्रश्न 6. पंचायत समिति का अध्यक्ष कौन होता है ? (a) सी. ओ. (b) प्रमुख (c) मुखिया (d) बी. डी. ओ. उत्तर- (b) प्रमुख प्रश्न 7. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किसने की थी ? (a) महात्मा गाँधी (b) मोतीलाल नेहरू (c) राजेन्द्र प्रसाद (d) ए. ओ. ह्यूम उत्तर- (d) ए. ओ. ह्यूम प्रश्न 8. प्रजातंत्र की विशेषता है (a) सार्वभौमिक मताधिकार (b) कानून की दृष्टि में समानता (c) प्रेस की स्वतंत्रता (d) इनमें सभी उत्तर- (d) इनमें सभी प्रश्न 9. बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों को लागू करनेवाला पहला राज्य था. (a) बिहार (b) मध्य प्रदेश (c) राजस्थान (d) गुजरात उत्तर- (c) राजस्थान प्रश्न 10. कितने वर्ष के अंतर्गत के बच्चों को किसी खतरनाक कार्य में . लगाना दंडनीय अपराध माना गया है ? (a) 14 वर्ष (b) 18 वर्ष (c) 10 वर्ष (d) 20 वर्ष उत्तर- (a) 14 वर्ष प्रश्न 11. पंचायती राज व्यवस्था कितने स्तर की है ? (a) दो स्तरीय (b) तीन स्तरीय (c) चार स्तरीय (d...

पंचायती राज संबंधी महत्वपूर्ण समितियां

Table of Contents • • • • • • • पंचायती राज संबंधी महत्वपूर्ण समितियां (Important Committees for Panchayati Raj) पंचायती राज संबंधी महत्वपूर्ण समितियां इस प्रकार है – • बलवंत राय मेहता समिति (1957) – सामुदायिक विकास कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा। • वी.के. राव समिति (1960) – पंचायत संबंधी सांख्यिकी की तर्कसंगतता • एस.डी. मिश्र अध्ययन दल (1961) – पंचायत एवं सहकारिता का अध्ययन • वी. ईश्वरन अध्ययन दल (1961) – पंचायत राज प्रशासन का अध्ययन • जी.आर. राजगोपाल अध्ययन दल (1962) – न्याय पंचायत के गठन का अध्ययन • दिवाकर समिति (1963) – ग्राम सभा की स्थिति की समीक्षा • एम. रामा कृष्णनैया अध्ययन दल (1963) – पंचायती राज संस्थाओं की आय-व्यय गणना का अध्ययन • के. संथानम समिति (1963) – पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय प्रावधान एवं स्थिति की समीक्षा • के. संथानम समिति (1965) – पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन की रुपरेखा सम्बन्धी अध्ययन • आर.के. खन्ना अध्ययन दल (1965) – पंचायती राज संस्थाओं के लेखा एवं अंकेक्षण। • जी. रामचंद्रन समिति (1966) – पंचायतों के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की आवश्यकता पर अध्ययन। • वी. रामानाथन अध्ययन दल (1969) – भूमि सुधार उपायों के कार्यान्वयन में सामुदायिक विकास अभिकरण एवं पंचायती राज संस्थाओं की संलिप्तता एवं भूमिका। • एम. रामा कृष्णनैया अध्ययन दल (1972) – पांचवीं पंचवर्षीय योजना में सामुदायिक विकास एवं पंचायती राज को प्रमुख उद्देश्य के रूप में रखना। • दया चौबे समिति (1976) – सामुदायिक विकास एवं पंचायती राज की समीक्षा। • अशोक मेहता समिति (1977) – पंचायती राज के मूल एवं प्रशासनिक ढांचे संबंधी तत्व। • दांतेवाला समिति (1978) – खण्ड स्तर पर योजना स्वरूप • हनुमंत राव समि...

[Solved] 1986 में राजीव गांधी द्वारा "लोकतंत्र और विकास

3सही है, अर्थात एल.एम. सिंघवी समिति। Key Points ● पंचायती राज - • यह भारत में स्थानीय स्वशासन की एक प्रणाली है। • इसे 1992 में भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन के माध्यम से लागू किया गया था। • प्रणाली के तीन स्तर हैं : • ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर) • मंडल परिषद या ब्लॉक समिति या पंचायत समिति (ब्लॉक स्तर), • जिला परिषद (जिला स्तर)पंचायत राज व्यवस्था को सबसे पहले राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को अपनाया गया था। • भारत में पंचायती राज के बारे में सिफारिशों के लिए गठित समितियों की सूची: • बलवंत राय मेहता, 1957 • V.T. कृष्णमाचारी, 1960 • तखतमल जैन स्टडी ग्रुप, 1966 • अशोक मेहता समिति, 1978 • जी.वी.के. राव समिति, 1985 • डॉ.एल.एम. सिंघवी समिति, 1986 • पी.के. थंगोनसमिति, 1989 • एस.मोहिंदर सिंह, 2013 समिति वर्ष अनुशंसा G.V.K. राव समिति, 1985 1985 जिला परिषद भारत की पंचायती राज व्यवस्था में प्रमुख संस्था होनी चाहिए। एल.एम. सिंघवी समिति 1986 स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक मान्यता। राजीव गांधी द्वारा 1986 में"लोकतंत्र और विकास के लिए पंचायती राज संस्थान का पुनरोद्धार" पर नियुक्त समिति अशोक मेहता समिति 1978 पंचायती राज संस्थाओं (मंडल पंचायत और जिला परिषद) की दो-स्तरीयप्रणाली। बलवंत राय मेहता समिति 1957 पंचायती राज संस्थाओं (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) की त्रिस्तरीयप्रणाली।

बलवंत राय मेहता समिति क्या है ?

जनवरी, 1957 ई. में बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जिसने सामुदायिक विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय विस्तार सेवा का व्यापक अध्ययन करने के बाद 24 नवम्बर, 1957 को अपनी रिपोर्ट सरकार के सम्मुख प्रस्तुत की। इस समिति को गठित करने का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि जनता में पंचायतों के प्रति उत्साह क्यों कम है और इस समस्या से निजात पाने के लिए कौन सी पद्धति अपनायी जानी चाहिए ? बलवंत राय मेहता समिति ने अपने अध्ययन से यह निष्कर्ष निकाला कि ग्राम विकास योजनाओं में जनता को सक्रिय भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए योजना और प्रशासकीय सत्ता दोनों का विकेन्द्रीयकरण होना चाहिए, क्योंकि गाँव के स्तर पर ऐसी एजेंसी के बिना, जो पूरे समुदाय का प्रतिनिधित्व कर सके, और उत्तरदायित्व ले सके तथा विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को आवश्यक नेतृत्व प्रदान कर सके, ग्रामीण विकास के क्षेत्र में वास्तविक प्रगति सम्भव नहीं है। बलवंत रायमेहता समिति की सिफारिशें इस बलवंत राय मेहतासमिति की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थी- • पंचायती राज का ढाँचा त्रिस्तरीय होना चाहिए - ग्राम, प्रखण्ड और जिला स्तर पर और ये आपस में जुड़े होने चाहिए। • विकेन्द्रित प्रशासनिक ढाँचा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होना चाहिए। • पंचायतों में आवश्यकता अनुसार निर्वाचित प्रतिनिधि होने चाहिए एवं महिलाओं के लिए दो तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए एक-एक स्थान आरक्षित होना चाहिए। • सरकार को कुछ कार्यों व अधिकारों को निचले स्तर पर हस्तांतरित करना चाहिए तथा निचले स्तरों पर पर्याप्त वित्तीय साधन भी उपलब्ध कराने चाहिए। • समिति ने सिफारिश की कि पंचायती राज संस्था चुनी हुई और कानूनी होनी चाहिए, उसका कार्य क्...

[Solved] पंचायती राज की शुरुआत करने वाला भारत का पहला र

सही उत्तर राजस्थान है। Key Points • भारत में पंचायती राज का इतिहास • पंचायती राज से तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की इकाइयों से है। • यद्यपि भारत में पंचायती राज संस्थाओं का एक हजार साल से अधिक पुराना इतिहास है, यह 1992 में ही था कि पंचायती राज से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने वाला एक विधेयक 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के रूप में अधिनियमित किया गया था और यह 1993 में लागू हुआ था। • यह पहला कानून था जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया और उनके लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और नियमित चुनाव सुनिश्चित किया। • अधिनियम में पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था का प्रावधान है जिसमें ग्राम सभा को गांवों में आधार बनाया गया है और इसके ऊपर मध्यवर्ती ब्लॉक और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा। • 1957 में, राष्ट्रीय विकास परिषद ने ग्रामीण स्तर पर स्थानीय स्वशासन को संगठित करने और पुनर्निर्माण करने के लिए बलवंत राय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की, जो उसी के संबंध में सिफारिशों के साथ आई। • 1958 में समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि गांव से लेकर जिला स्तर तक स्थानीय स्वशासन का त्रिस्तरीय ढांचा होना चाहिए, जो स्थानीय स्तर पर सरकार के सामाजिक और आर्थिक विकास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ निहित हो। • इन सिफारिशों के फलस्वरूप राजस्थान में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत हुई, जो ऐसा करने वाला पहला राज्य था। Additional Information • • भारत में पंचायती राज से संबंधित सबसे महत्वपूर्ण समितियां • बलवंत राय मेहता समिति: • त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली: ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद। • ग्राम...

[Solved] पंचायती राज पर निम्नलिखित समितियों को कालानु

सही उत्तर 3, 4, 1, 2 है। • बलवंत राय मेहता समिति - 1957 • अशोक मेहता समिति - 1977 • जी.वी.के. राव समिति - 1985 • एल.एम. सिंघवी समिति - 1986 Additional Information • बलवंत राय मेहता समिति (1957): समिति ने नवंबर 1957 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थ, जिसमें ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ शब्द पहली बार सामने आया। महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं: • इन निकायों के संसाधनों और सत्ता का हस्तांतरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। • जिला कलेक्टरको जिला परिषद का अध्यक्ष बनाया जाये। • त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना - ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत (प्रत्यक्ष चुनाव), ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद (अप्रत्यक्ष चुनाव)। • राजस्थान (1959) ने पहले इस प्रणाली को अपनाया, उसके बाद उसी वर्ष आंध्र प्रदेश ने। • अशोक मेहता समिति (1977): समिति का गठन उस समय की जनता सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के अध्ययन के लिए किया था। महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं: • पंचायती राज संस्थाओं को दी जाने वाली संवैधानिक मान्यता। • राज्य मंत्री परिषद द्वारा पंचायती राज के लिए एक मंत्री नियुक्त किया जाए। • राज्य स्तर पर योजना बनाने के लिए जिला परिषद को जिम्मेदार बनाया जाए। • इन संस्थानों को कराधान की अनिवार्य शक्तियां प्रदान करना। • राजनीतिक दलों को चुनाव में सभी स्तरों पर भाग लेना चाहिए। • थ्री-टियर सिस्टम को टू-टियर सिस्टम द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना। • जी.वी.के. राव समिति (1985): जी.वी.के. राव समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं: • नियमित चुनाव काहोना। • जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए DDC(जिला विकास आयुक्त) का पद। • जिला परिषद को प्रमुख महत्व दिया जाना चाहिए और उस स्तर पर सभी ...