बसंती हवा कविता का भावार्थ

  1. बसंती हवा: केदारनाथ अग्रवाल की कविता
  2. [Solved] बसंती हवा को मस्तमौला �
  3. Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 19 बसंती हवा – Bihar Board Solutions
  4. जयंती विशेषः केदारनाथ अग्रवाल की सर्वश्रेष्ठ कविता; 'बसंती हवा' और 'हमारी जिंदगी'
  5. BSEB Class 6 Hindi Kislay Chapter 19 बसंती हवा Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 6th Hindi Kislay Chapter 19 बसंती हवा Book Answers ~ HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board
  6. [Solved] बसंती हवा को एक अजीब मु�


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बसंती हवा: केदारनाथ अग्रवाल की कविता

वही हां, वही जो धरा की बसंती सुसंगीत मीठा गुंजाती फिरी हूं हवा हूं, हवा, मैं बसंती हवा हूं वही हां, वही जो सभी प्राणियों को पिला प्रेम-आसन जिलाए हुई हूं हवा हूं हवा मैं बसंती हवा हूं कसम रूप की है, कसम प्रेम की है कसम इस हृदय की, सुनो बात मेरी अनोखी हवा हूं बड़ी बावली हूं बड़ी मस्तमौला नहीं कुछ फिकर है, बड़ी ही निडर हूं जिधर चाहती हूं, उधर घूमती हूं, मुसाफ़िर अजब हूं न घर-बार मेरा, न उद्देश्य मेरा, न इच्छा किसी की, न आशा किसी की, न प्रेमी न दुश्मन, जिधर चाहती हूं उधर घूमती हूं हवा हूं, हवा मैं बसंती हवा हूं! जहां से चली मैं जहां को गई मैं शहर, गांव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन, हरे खेत, पोखर, झुलाती चली मैं झुमाती चली मैं! हवा हूं, हवा मैं बसंती हवा हूं चढ़ी पेड़ महुआ, थपाथप मचाया; गिरी धम्म से फिर, चढ़ी आम ऊपर, उसे भी झकोरा, किया कान में ‘कू’, उतरकर भगी मैं, हरे खेत पहुंची वहां, गेहुंओं में लहर ख़ूब मारी पहर दो पहर क्या, अनेकों पहर तक इसी में रही मैं! खड़ी देख अलसी लिए शीश कलसी, मुझे ख़ूब सूझी हिलाया-झुलाया गिरी पर न कलसी! इसी हार को पा, हिलाई न सरसों, झुलाई न सरसों, मज़ा आ गया तब, न सुधबुध रही कुछ, बसंती नवेली भरे गात में थी हवा हूं, हवा मैं बसंती हवा हूं! मुझे देखते ही अरहरी लजाई, मनाया-बनाया, न मानी, न मानी; उसे भी न छोड़ा पथिक आ रहा था, उसी पर ढकेला हंसी ज़ोर से मैं, हंसी सब दिशाएं, हंसे लहलहाते हरे खेत सारे, हंसी चमचमाती भरी धूप प्यारी; बसंती हवा में हंसी सृष्टि सारी! हवा हूं, हवा मैं बसंती हवा हूं! Illustration: Pinterest हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके...

[Solved] बसंती हवा को मस्तमौला �

बसंती हवा बिना फ़िक्र के निडरता पूर्वक इधर-उधर घूमती रहती है ।पूरी कविता बसंती हवा की विशेषताएँ बता रही है. अत: सही उत्तर विकल्प 4' क्योंकि बिना फ़िक्र के निडरता पूर्वक इधर-उधर घूमती रहती है । 'है . अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है । Key Points • 'मस्तमौला' शब्द हवा का विशेषण है । • मस्तमौलाका अर्थ - मनमौजी • संदर्भ पंक्ति - बड़ी बावली हूँ बड़ी मस्तमौला । Additional Information कविता का सारांश - हमारे देश में छह ऋतुएँ होती हैं, इन ऋतुओं में बसंत ऋतु को सर्वप्रिय ऋतु माना जाता है। बसंती हवा बसंत ऋतु में बहती है। बसंती हवा बावली, निडर और मस्तमौला होती है। उसे किसी बात की फ़िक्र नहीं होती।

Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 19 बसंती हवा – Bihar Board Solutions

पाठ से – प्रश्न 1. बसंती हवा ने अपने आपको दूसरे मुसाफिरों से अलग क्यों बताया ? उत्तर: एक मुसाफिर जिसकी कोई मंजिल नहीं, कोई रास्ता नहीं बर्मनी हवा कहती है- ” जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ” आम तौर पर एक मुसाफिर का अपना एक गंतव्य स्थान हाताह जहाँ उसे पहुँचना होता है। फिर अपने स्थान तक पहुँचने का उसका एक निर्धारित मार्ग होता है पर बसंती हवा के सफर का कोई मार्ग नहीं, कोई अन्तिम पड़ाव नहीं। इसीलिये बसंती हवा ने अपने को अन्य मुसाफिरों से अलग माना है। प्रश्न 2. इस पाठ में कवि ने खेत-खलिहानों के हँसने की बात कही है। ऐसा उन्होंने क्यों कहा? उत्तर: बसन्त ऋतु में खेतो में पौधे लहलहाने लगते हैं। सरसों में पीले-पीले फूल निकल आते हैं, अलसी के नीलं फूलों की छटा ही न्यारी होती है-खेतों की हरियाली मन को मोहती है और बसन्ती हवा के झोकों से हरे, पीले, नीले रंग लहराते हैं तो अद्भुत छटा से दिशायें हँस उठती हैं। यही है खेत-खलिहानों का हँसना। प्रश्न 3. बसंती हवा का कौन-सा अंश आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है? उत्तर: छात्र उत्तर हेतु भावार्थ का अन्तिम अंश (पाराग्राफ) देखें। पाठ से आगे – प्रश्न 1. बसंत का आगमन कब होता है? इस ऋतु में आप कैसा अनुभव करते हैं? उत्तर: बसन्त का आगमन शरद ऋतु के अवसान यानी समाप्ति पर जनवरी माह के मध्य भाग से लगभग होता है जो मार्च तक रहता है। हिन्दी महीने की गणना के अनुसार इस ऋतु का आगमन -काल माघ माह के शुक्ल पक्ष से माना जाता है। इसी माह में बसन्तोत्सव के रूप में बसन्तपंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। होलिका दहन और होली के रंगोत्सव के साथ इसकी समाप्ति मानी जाती है। इसे ऋतुओं का राजा माना जाता है क्योंकि इस ऋतु के आते ही कंपकपाने वाली सर्दी खत्म हो जाती है और पसी...

जयंती विशेषः केदारनाथ अग्रवाल की सर्वश्रेष्ठ कविता; 'बसंती हवा' और 'हमारी जिंदगी'

कवि केदारनाथ अग्रवाल, त्रिलोचन और नागार्जुन के साथ प्रगतिशील कवियों की त्रयी के महत्त्वपू्र्ण स्तंभ हैं. उनकी कविताओं में एक लयात्मकता है. जीवन की सच्चाई के साथ ही उनके शब्द प्रकृति के सौंदर्य से खेलते से लगते हैं. केदारनाथ अग्रवाल बुंदेलखंड की धरती से जुड़े ऐसे कवि हैं, जिनकी रचनाओं में अपनी माटी की महक और उसके निवासियों का जीवन अपनी समूची विशेषताओं के साथ उपलब्ध है. केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं में संगीत का एक प्रवाह है. कविताएं चाहे उदासी की हों, उल्लास की, संघर्ष की या सियासत की. केदार जी की कविताओं पर काम करने वाले अशोक त्रिपाठी का कहना है कि केदार धरती के कवि हैं- खेत, खलिहान, कारखाने, और कचहरी के कवि हैं. इन सबके दुःख-दर्द, संघर्ष और हर्ष के कवि हैं. वे पीड़ित और शोषित मनुष्य के पक्षधर हैं. वे मनुष्य के कवि हैं. मनुष्य बनना और बनाना ही उनके जीवन की तथा कवि-कर्म की सबसे बड़ी साध और साधना थी.... अपनी कविताओं को लेकर खुद केदारनाथ अग्रवाल ने कहा था कि मैं नई कविता का विरोधी नहीं, उसके उन सब तत्वों का विरोधी हूं जो उसे कविता नहीं, 'मस्तिष्क की विकृति' और 'युग विशेष की एकांगी आकृति' बना देते हैं. नई उपमाओं, नए स्पर्शों के धरातल, नए आकार, नई ग्रहणशीलता आदि सबका स्वागत है. आज उनकी जयंती पर 'साहित्य आजतक' के पाठकों के लिए उनकी दो सर्वश्रेष्ठ कविताएं. 1. बसंती हवा हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ. सुनो बात मेरी - अनोखी हवा हूँ. बड़ी बावली हूँ, बड़ी मस्तमौला. नहीं कुछ फिकर है, बड़ी ही निडर हूँ. जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ, मुसाफिर अजब हूँ. न घर-बार मेरा, न उद्देश्य मेरा, न इच्छा किसी की, न आशा किसी की, न प्रेमी न दुश्मन, जिधर चाहती हूँ उधर घूमती हूँ. हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ...

BSEB Class 6 Hindi Kislay Chapter 19 बसंती हवा Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 6th Hindi Kislay Chapter 19 बसंती हवा Book Answers ~ HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board

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[Solved] बसंती हवा को एक अजीब मु�

बसंती हवावह सभी जगह पर निडर और स्वतंत्र रूप से मन मुताबिक घूमती है ।अत: उसे अजीब मुसाफिर खा गया है. पूरी कविता बसंती हवा की विशेषताएँ बता रही है । अत: सही उत्तर विकल्प 3'क्योंकि वह सभी जगह पर निडर और स्वतंत्र रूप से मन मुताबिक घूमती है । 'है . अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं । Key Points • 'अजीब मुसाफिर' शब्द हवा का विशेषण पदबंधहै । • अजीब मुसाफिरका अर्थ - अनोखा यात्री • संदर्भ पंक्ति - जिधर चाहती हूँ । उधर घुमती हूँ । मुसाफिर अजब हूँ । Additional Information कविता का सारांश - हमारे देश में छह ऋतुएँ होती हैं, इन ऋतुओं में बसंत ऋतु को सर्वप्रिय ऋतु माना जाता है। बसंती हवा बसंत ऋतु में बहती है। बसंती हवा बावली, निडर और मस्तमौला होती है। उसे किसी बात की फ़िक्र नहीं होती।