बुद्ध वंदना

  1. त्रिरतन वंदना 1
  2. संपूर्ण बुद्ध पूजा पालि में हिंदी अर्थ सहित
  3. Buddha Vandana Lyrics
  4. [PDF] बुद्ध वंदना
  5. भगवान बुद्ध वंदना
  6. [PDF] बुद्ध वंदना
  7. भगवान बुद्ध वंदना
  8. Buddha Vandana Lyrics
  9. संपूर्ण बुद्ध पूजा पालि में हिंदी अर्थ सहित
  10. त्रिरतन वंदना 1


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त्रिरतन वंदना 1

इतिपि सो भगवा अरहं, सम्मासम्बुद्धो, विज्जाचरणसम्पन्नों, सुगतो, लोकविदू, अनुत्तरो, पुरिसदम्मसरथि, सत्था देव-मनुस्सानं, बुद्धो भगवा’ति बुद्धं याव जीवितं सरणं गच्छामि। 1 ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता। पच्चुपन्ना च ये बुद्धा, अहं वंदामि सब्बदा॥ 2 नत्थि मे सरणं अञ्ञम, बुद्धो मे सरणं वरं। एतेन सच्चवज्जेन होतु मे जयमङ्गलं॥ 3 उत्तमङ्गेन वन्दे हं पादपंसुवरूत्तमं। बुद्धे यो खलीतो दोसो, बुद्धो खमसु तं ममं॥ 4 बुद्ध वंदना हिंदी में अनुवाद वे भगवान अर्हत हैं, वे सम्यक सम्बुद्ध हैं, सभी सद-विद्याओं और सदाचरणों से युक्त हैं, सदगति को प्राप्त हैं, सभी लोकों के जानकार हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, भटके हुए लोगों को सही मार्ग पर ले आने वाले कुशल सारथी हैं, देव और मनुष्यों के शास्ता (अध्यापक) हैं. मैं जीवन भर के लिए उन बुद्ध की शरण जाता हूँ. 1 भूतकाल में जो बुद्ध हुए हैं, भविष्य में जो बुद्ध होंगे तथा वर्तमान में जो बुद्ध हैं, मैं उन सबकी सदा वंदना करता हूँ. 2 अन्य कोई मेरी शरण नहीं है केवल बुद्ध ही उत्तम शरण हैं, इस सत्य वचन से मेरा जय और मंगल हो. 3 मैं उन भगवान बुद्ध की सर्वोत्तम चरण धूलि की सिर से वंदना करता हूँ. यदि बुद्ध के प्रति मुझ से कोई दोष हुआ हो तो बुद्ध मुझे क्षमा करें. 4 — भवतु सब्ब मङ्गलं —

संपूर्ण बुद्ध पूजा पालि में हिंदी अर्थ सहित

वण्ण-गन्ध-गुणोपेतं एतं कुसुमसन्ततिं। पूजयामि मुनिन्दस्स, सिरीपाद सरोरूहे। 1। पूजेमि बुद्दं कुसुमेन नेन पुञ्ञेन मेत्तेन लभामि मोक्खं। पुप्फं मिलायति यथा इदं मे, कायो तथा याति विनासभावं। 2। घनसारप्पदित्तेन, दीपेन तम धंसिना। तिलोक दीपं सम्बुद्धं पूजयामि तमोनुदं। 3। सुगन्धि काय-वदनं, अनन्त-गुण-गन्धिना। सुगंधिना, हं गन्धेन, पूजयामि तथागतं। 4। बुद्धं धम्मं च संघं सुगततनुभवा धातवो धातुगम्भे। लंकायं जम्बुदीपे तिदसपुरवरे नागलोके च थूपे। 5। सब्बे बुद्धस्स बिम्बे सकलदसदिसे केसलोमादिधातुं वन्दे। सब्बेपि बुद्धं दसबलतनुजं बोधिचेत्तियं नमामि। 6। वन्दामि चेतियं सब्बं सब्बट्ठानेसु पतिट्ठितं। सारीरिक-धातु महाबोधि बुद्धरूपं सकलं सदा। 7। संपूर्ण बुद्धपूजा हिंदी में इस वर्ण और गन्ध ऐसे गुणो से युक्त इन पुष्पों से गूंथी हुई मालाओं द्वारा मैं भगवान बुद्ध के कमलवत चरणों की पूजा करता हूँ. 1 इन कुसमों से मैं बुद्ध की पूजा करता हूँ, इस पुण्य से मुझे निर्वाण प्राप्त होगा. जिस प्रकार यह फूल कुम्हलाता है उसी प्रकार मेरा शरीर भी विनाश को प्राप्त होता है. 2 अंधकार को नष्ट करने वाले जलते हुए दीप के समान मैं तीनों लोकों के प्रदीप तुल्य अज्ञान-अंधकार को नष्ट करने वाले भगवान बुद्ध की पूजा करता हूँ. 3 मैं सुगंधियुक्त शरीर एवं मुखवाले, अनंत गुण युक्त सुगंधि से तथागत की पूजा करता हूँ. 4 बुद्ध, धम्म तथा संघ एवं सिरिलंका (श्रीलंका), जम्बुदीप, नागलोक और तिरिदसपुर (त्रिदसपुर) में स्थित स्तूपों में भगवान बुद्ध के शरीर के जितने भी अवशेष स्थापित हैं, उन सबको मैं प्रणाम करता हूँ. 5 सर्व दस दिशाओं में व्याप्त बुद्ध के केश, लोम आदि अवशेषों के जितने भी रूप हैं उन सबको, सब बुद्धों को, दसबलतनुजों को और बोधिचैत्यों को मैं नम...

Buddha Vandana Lyrics

अर्थ – उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। त्रिशरण बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि । अर्थ – मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं। मैं धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं संघ की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। पंचशील • पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • अर्थ – मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं कच्ची-पक्की शराब,नशीली वस्तुओं के प्रयोग से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। ॥ सबका मंगल हो ॥ ॥ भवतु सर्व मंगलं ॥

[PDF] बुद्ध वंदना

Buddha Vandana in Hindi PDF बुद्ध वन्दना : नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमों तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । त्रिशरण : बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पी संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पी संघ सरणं गच्छामि । पंचशील : पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । भवतु सर्व मंगलं बुद्ध वंदना त्रिशरण पंचशील PDF बुद्ध वन्दना : उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । ऊन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । त्रिशरण : मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं । मैं धम्म की शरण में जाता हूँ । में संघ की शरण में जाता हूँ । मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ । मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ । में दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ । मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ । मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ । में तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ । Buddha Vandana in Pali PDF पंचशील : अर्थ मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । में झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं कच्ची-पक्क...

भगवान बुद्ध वंदना

• • • • • • • • buddha vandana in marathi बुद्ध वन्दना नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । त्रिशरण बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि । पंचशील 1. पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 2. अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 3. कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 4. मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 5. सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । ॥ भवतु सर्व मंगलं ॥ Buddha Vandana Lyrics In Hindi बुद्ध वन्दना अर्थ: उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। त्रिशरण अर्थ: मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं। मैं धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं संघ की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। पंचशील अर्थ: 1. अर्थ मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 2. मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 3. मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 4. मैं झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 5. मैं ...

[PDF] बुद्ध वंदना

Buddha Vandana in Hindi PDF बुद्ध वन्दना : नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमों तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । त्रिशरण : बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पी संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पी संघ सरणं गच्छामि । पंचशील : पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । भवतु सर्व मंगलं बुद्ध वंदना त्रिशरण पंचशील PDF बुद्ध वन्दना : उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । ऊन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार । त्रिशरण : मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं । मैं धम्म की शरण में जाता हूँ । में संघ की शरण में जाता हूँ । मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ । मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ । में दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ । मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ । मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ । में तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ । Buddha Vandana in Pali PDF पंचशील : अर्थ मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । में झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ । मैं कच्ची-पक्क...

भगवान बुद्ध वंदना

• • • • • • • • buddha vandana in marathi बुद्ध वन्दना नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स । त्रिशरण बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि । पंचशील 1. पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 2. अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 3. कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 4. मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । 5. सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । ॥ भवतु सर्व मंगलं ॥ Buddha Vandana Lyrics In Hindi बुद्ध वन्दना अर्थ: उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। त्रिशरण अर्थ: मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं। मैं धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं संघ की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। पंचशील अर्थ: 1. अर्थ मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 2. मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 3. मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 4. मैं झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। 5. मैं ...

Buddha Vandana Lyrics

अर्थ – उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। उन भगवन अर्हत सम्यक सम्बुद्ध को नमस्कार। त्रिशरण बुद्धं सरणं गच्छामि । धम्म सरणं गच्छामि । संघ सरणं गच्छामि । दुतियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । दुतियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । दुतियम्पि संघ सरणं गच्छामि । ततियम्पि बुद्धं सरणं गच्छामि । ततियम्पि धम्म सरणं गच्छामि । ततियम्पि संघ सरणं गच्छामि । अर्थ – मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं। मैं धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं संघ की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं दूसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी बुद्ध की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी धम्म की शरण में जाता हूँ। मैं तीसरी बार भी संघ की शरण में जाता हूँ। पंचशील • पाणतिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • सुरा-मेरय-मज्ज-पमादट्ठानावेरमणी सिक्खापदं समादियामि । • अर्थ – मैं अकारण प्राणी हिंसा से दूर रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं बिना दी गयी वस्तु को न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं कामभावना से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं झूठ बोलने और चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। • मैं कच्ची-पक्की शराब,नशीली वस्तुओं के प्रयोग से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ। ॥ सबका मंगल हो ॥ ॥ भवतु सर्व मंगलं ॥

संपूर्ण बुद्ध पूजा पालि में हिंदी अर्थ सहित

वण्ण-गन्ध-गुणोपेतं एतं कुसुमसन्ततिं। पूजयामि मुनिन्दस्स, सिरीपाद सरोरूहे। 1। पूजेमि बुद्दं कुसुमेन नेन पुञ्ञेन मेत्तेन लभामि मोक्खं। पुप्फं मिलायति यथा इदं मे, कायो तथा याति विनासभावं। 2। घनसारप्पदित्तेन, दीपेन तम धंसिना। तिलोक दीपं सम्बुद्धं पूजयामि तमोनुदं। 3। सुगन्धि काय-वदनं, अनन्त-गुण-गन्धिना। सुगंधिना, हं गन्धेन, पूजयामि तथागतं। 4। बुद्धं धम्मं च संघं सुगततनुभवा धातवो धातुगम्भे। लंकायं जम्बुदीपे तिदसपुरवरे नागलोके च थूपे। 5। सब्बे बुद्धस्स बिम्बे सकलदसदिसे केसलोमादिधातुं वन्दे। सब्बेपि बुद्धं दसबलतनुजं बोधिचेत्तियं नमामि। 6। वन्दामि चेतियं सब्बं सब्बट्ठानेसु पतिट्ठितं। सारीरिक-धातु महाबोधि बुद्धरूपं सकलं सदा। 7। संपूर्ण बुद्धपूजा हिंदी में इस वर्ण और गन्ध ऐसे गुणो से युक्त इन पुष्पों से गूंथी हुई मालाओं द्वारा मैं भगवान बुद्ध के कमलवत चरणों की पूजा करता हूँ. 1 इन कुसमों से मैं बुद्ध की पूजा करता हूँ, इस पुण्य से मुझे निर्वाण प्राप्त होगा. जिस प्रकार यह फूल कुम्हलाता है उसी प्रकार मेरा शरीर भी विनाश को प्राप्त होता है. 2 अंधकार को नष्ट करने वाले जलते हुए दीप के समान मैं तीनों लोकों के प्रदीप तुल्य अज्ञान-अंधकार को नष्ट करने वाले भगवान बुद्ध की पूजा करता हूँ. 3 मैं सुगंधियुक्त शरीर एवं मुखवाले, अनंत गुण युक्त सुगंधि से तथागत की पूजा करता हूँ. 4 बुद्ध, धम्म तथा संघ एवं सिरिलंका (श्रीलंका), जम्बुदीप, नागलोक और तिरिदसपुर (त्रिदसपुर) में स्थित स्तूपों में भगवान बुद्ध के शरीर के जितने भी अवशेष स्थापित हैं, उन सबको मैं प्रणाम करता हूँ. 5 सर्व दस दिशाओं में व्याप्त बुद्ध के केश, लोम आदि अवशेषों के जितने भी रूप हैं उन सबको, सब बुद्धों को, दसबलतनुजों को और बोधिचैत्यों को मैं नम...

त्रिरतन वंदना 1

इतिपि सो भगवा अरहं, सम्मासम्बुद्धो, विज्जाचरणसम्पन्नों, सुगतो, लोकविदू, अनुत्तरो, पुरिसदम्मसरथि, सत्था देव-मनुस्सानं, बुद्धो भगवा’ति बुद्धं याव जीवितं सरणं गच्छामि। 1 ये च बुद्धा अतीता च, ये च बुद्धा अनागता। पच्चुपन्ना च ये बुद्धा, अहं वंदामि सब्बदा॥ 2 नत्थि मे सरणं अञ्ञम, बुद्धो मे सरणं वरं। एतेन सच्चवज्जेन होतु मे जयमङ्गलं॥ 3 उत्तमङ्गेन वन्दे हं पादपंसुवरूत्तमं। बुद्धे यो खलीतो दोसो, बुद्धो खमसु तं ममं॥ 4 बुद्ध वंदना हिंदी में अनुवाद वे भगवान अर्हत हैं, वे सम्यक सम्बुद्ध हैं, सभी सद-विद्याओं और सदाचरणों से युक्त हैं, सदगति को प्राप्त हैं, सभी लोकों के जानकार हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, भटके हुए लोगों को सही मार्ग पर ले आने वाले कुशल सारथी हैं, देव और मनुष्यों के शास्ता (अध्यापक) हैं. मैं जीवन भर के लिए उन बुद्ध की शरण जाता हूँ. 1 भूतकाल में जो बुद्ध हुए हैं, भविष्य में जो बुद्ध होंगे तथा वर्तमान में जो बुद्ध हैं, मैं उन सबकी सदा वंदना करता हूँ. 2 अन्य कोई मेरी शरण नहीं है केवल बुद्ध ही उत्तम शरण हैं, इस सत्य वचन से मेरा जय और मंगल हो. 3 मैं उन भगवान बुद्ध की सर्वोत्तम चरण धूलि की सिर से वंदना करता हूँ. यदि बुद्ध के प्रति मुझ से कोई दोष हुआ हो तो बुद्ध मुझे क्षमा करें. 4 — भवतु सब्ब मङ्गलं —