Chandrashekhar azad ka jivan parichay

  1. Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi, Chandra Shekhar Azad Ka Jivan Parichay: Introduction to Chandrashekhar Azad – When Chandra Shekhar Azad fired a bullet at his own partner to save a girl from rape. – Sakshi News
  2. सी वी रमन का जीवन परिचय (चंद्रशेखर वेंकटरमन) 1888
  3. चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय


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Chandra Shekhar Azad Biography in Hindi, Chandra Shekhar Azad Ka Jivan Parichay: Introduction to Chandrashekhar Azad – When Chandra Shekhar Azad fired a bullet at his own partner to save a girl from rape. – Sakshi News

The world knows him by the name of ‘Azad’. Full name Chandrasekhar Tiwari. Born in Madhya Pradesh, Chandrasekhar wanted his mother to be a great scholar of Sanskrit. So she persuaded her husband to send the boy to Kashi Vidyapeeth. Chandrashekhar’s interest in Banaras was less in Sanskrit, more in non-cooperation movement. The British never enjoyed the agitation, so Chandrashekhar, who was just 15 years old, was arrested. When presented before the magistrate, he called his name ‘Azad’, father’s name ‘Independence’ and address ‘Jail’. Since that day the world has known the boy as Chandrashekhar Azad. Disillusioned with Gandhi and freed with Bismil In February 1922, in Chauri Chaura, the police fired on the protesting farmers. In response, 22 policemen were burnt alive by attacking the police station. Mahatma Gandhi announced to end the agitation on his own without talking to any member of the Congress. The same year, Ram Prasad Bismil openly opposed Gandhi’s move in Gaya Congress. Bismil was so upset that he broke away from the Congress and formed a revolutionary organization / party called Hindustan Republican Association (HRA). On the other hand, Chandrasekhar Azad’s attitude became more aggressive after the movement came to an end. Manmathnath Gupta of his age introduced Azad to Bismil. Both Bismil and Azad were united in the way of independence of India, both were found. Robberies started for party activities How to raise funds for HRA? So it was decided that robberies ...

सी वी रमन का जीवन परिचय (चंद्रशेखर वेंकटरमन) 1888

डॉ सी.वी. रमन भारत के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे , जिन्हें प्रकाश के प्रकीर्णन जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया है और ‘ रमन इफेक्ट ’की खोज के लिए उनके काम के लिए भौतिकी में 1930 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया है। चंद्रशेखर वेंकट रमन, जिन्हें आमतौर पर सी.वी. रमन भी कहा जाता है ,उनका जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलाडुं के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनकी मातृभाषा तमिल थी। वह चंद्रशेखर अय्यर और प्रावथी अम्मल के दूसरे बच्चे थे। उनके पिता गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे। रमन बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली छात्र थे। उन्होंने विशाखापत्तनम और मद्रास (चेन्नई) में अपनी शिक्षा पूरी की। वित्तीय सिविल सेवा प्रतियोगी परीक्षा में शीर्ष रैंकिंग प्राप्त करने के बाद, उन्हें कलकत्ता में उप महालेखाकार के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके स्नातक होने के समय, भारत में वैज्ञानिकों के लिए कुछ ही अवसर थे। इसने उन्हें कलकत्ता में एक सहायक महालेखाकार के रूप में भारतीय सिविल सेवा के साथ काम स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। वहां रहते हुए, वह अपने शेष समय में, विज्ञान के लिए भारतीय संघ की प्रयोगशालाओं में विज्ञान के क्षेत्र में काम करके, विज्ञान में अपनी रुचि बनाए रखने में सक्षम थे। उन्होंने उपकरणों( stringed instruments) और भारतीय ड्रम (Indian drums.) के भौतिकी का अध्ययन किया। 1917 में, उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर की पेशकश की गई, और उन्होंने इस अवसर को स्वीकार करने का फैसला किया। कलकत्ता विश्वविद्यालय में 15 साल की सेवा के बाद, उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी और बैंगलोर चले गए और भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक बन गए, जहां दो साल बाद वे भौतिकी के ...

चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय

About Chandrashekhar Azad About Chandrashekhar Azad : चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदर गाँव में सत्र 1906 को 23 जुलाई को हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी था। इनके पिता पंडित सीताराम तिवारी तत्कालीन आलीराजपुर की रियासत में अपनी सेवा देते थे (मौजूदा समय में ये मध्य प्रदेश राज्य में स्तिथ है)। चंद्रशेखर आज़ाद का बचपन भावरा गाँव में बिता था। उनकी माता जगरानी देवी की जिद के कारण चंद्रशेखर आज़ाद को 14 वर्ष की उम्र में काशी विद्यापीठ में संस्कृत की पढ़ाई करने के लिए बनारस जाना पड़ा था। चंद्रशेखर आज़ाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी बेहद ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के एक सज्जन व्यक्ति थे। चंदाशेखर आज़ाद को अपने पिता से ये सभी गुण विरासत में मील थे ये भी अपने पिता की तरह ही स्वभाव से स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के रहने वाले व्यक्ति थे। इनका जन्म स्थान भाबरा अब “आजादनगर” के नाम से जाना जाता है। चंद्रशेखर आजाद ( Chandrashekhar Azad ) की क्रांतिकारी गतिविधियां बनारस में अपने कॉलेज काशी विद्यापीठ में पढ़ाई के दौरान इन्होंने कानून भंग आंदोलन में अपना योगदान दिया था जिसके कारण 1920-21 वर्षों में ये गाँधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। तब उन्हें गिरफ्तार कर जज के सामने पेश किया गया जहां उन्होंने अपना नाम “अज़ाद”, अपने पिता का नाम “स्वतंत्रता” और “जेल” को अपना घर बताया था। इस बात के लिए इन्हें सजा के तौर पर 15 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी और जब कोड़े उ के शरीर पर बरसाए जाते तो वो हर कोड़े के वार पर “वंदे मातरम” और “महात्मा गांधी की जय” का नारा लगाते। अपने इसी क्रांतिकारी रवैया के बाद से वो “आज़ाद” कहलाने लगे थे। क्रांतिक...