Chauth mata ki kahani

  1. Sakat Chauth Vrat Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, जानिए चंद्रोदय का समय
  2. करवा चौथ की कहानी वीरवती व सात भाई एक बहन की
  3. Chauth Mata ki katha : चौथमाता व्रत की पौराणिक कथा
  4. तिल चौथ की कहानी सकट चौथ व्रत के लिए
  5. PDF* करवा चौथ कथा 📚
  6. Sakat Chauth Ki Katha: सकट चौथ व्रत की 3 पौराणिक कथाएं यहां, इन तीनों में से एक कथा को पढ़ अपना व्रत करें पूरा
  7. करवा चौथ की कहानी ( Karwa chauth ki kahani )
  8. Vaishakhi Chauth Mata Ki Kahani


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Sakat Chauth Vrat Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, जानिए चंद्रोदय का समय

डीएनए हिंदी: सकट चौथ को तिल चतुर्थी भी कहा जाता है इस महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं. तो चलिए जानें सकट चौथ का शुभ संयोग, चंद्र उदय समय और व्रत कथा, सकट चौथ पर कई शुभ संयोग आज सकट चौथ पर कई शुभ योग बन रहे हैं. आज सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक सर्वाद्ध सिद्दि योग रहेगा. वहीं सूर्योदय से लेकर 11 बजकर 20 मिनट तक प्रीति योग रहेगा. आयुष्मान योग सुबह 11 बजकर 20 मिनट से शरू होकर पूरे दिन रहेगा. चंद्रोदय का समय आज चंद्रोदय शाम 08 बजकर 41 मिनट पर होगा. ऐसे में सकट चौथ व्रत का पारण इसके बाद ही होगा. चंद्रोदय के समय चांदी के पात्र में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें. ऐसा करने से चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और सभी नकारात्मकताएं खत्म हो जाती हैं. सकट चौथ व्रत कथा एक नगर में साहूकार और उसकी पत्नी रहते थे. दोनों का धर्म, दान व पुण्य में कोई विश्वास नहीं था. उनकी कोई औलाद भी नहीं थी. एक दिन साहूकारनी अपने पड़ोसन के घर गई. उस दिन सकट चौथ का दिन था और पड़ोसन सकट चौथ की पूजा कर रही थी. साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा यह तुम क्या कर रही हो. तब पड़ोसन ने कहा आज सकट चौथ का व्रत है, इसलिए मैं पूजा कर रही हूं. साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा इस व्रत को करने से क्या फल प्राप्त होता है. पड़ोसन ने कहा इसे करने से धन-धान्य, सुहाग और पुत्र सब कुछ मिलता है. इसके बाद साहूकारनी बोली अगर मेरा बच्चा हो गया तो मैं सवा सेर तिलकुट करूंगी और चौथ का व्रत रखूंगी. इसके बाद भगवान गणेश ने साहूकारनी की प्रार्थना कबूल कर ली और वो गर्भवती हो गई. गर्भवती होने के बाद साहूकारनी ने कहा कि अगर मेरा लड़का हो जाए तो मैं ढाई सेर तिलकुट करूंगी. कुछ दिन बाद उसके लड़का हो गया. इसके बाद साहूकार...

करवा चौथ की कहानी वीरवती व सात भाई एक बहन की

करवा चौथ की कहानी Karwa choth ki kahani करवा चौथ के व्रत के समय सुनी जाती है। करवा चौथ की कहानियाँ में वीरवती की कहानी मुख्य रूप से सुनी जाती है। यहाँ पढ़ें यह तथा अन्य कहानी और आनंद लें। माना जाता है कि कहानी कहने और सुनने से व्रत का पूरा फल मिलता है। करवा चौथ के व्रत , पूजन की विधि और चाँद को अर्क देने की विधि , व्रत कैसे खोलें आदि जानकारी के लिए क्लिक करके इसे पढ़ें : करवा चौथ के उद्यापन की विधि जानने के लिए क्लिक करें – करवा चौथ की कहानी Karva Chauth Ki Kahani ( 1 ) वीरवती की कहानी – Veervati ki kahani बहुत समय पहले की बात हैं वीरवती (Veervati ) नाम की एक राजकुमारी थी। जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी एक राजा से हुई। शादी के बाद वह करवा चौथ का व्रत करने के लिए माँ के घर आई। वीरवती ने भोर होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत शुरू कर दिया। यू ट्यूब पर कहानी सुनने के लिए यह वीडियो देखें – वीरवती बहुत ही कोमल व नाजुक थी। वह व्रत की कठोरता सहन नहीं कर सकी। शाम होते होते उसे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और वह बेहोश सी हो गई। उसके सात भाई थे और उसका बहुत ध्यान रखते थे। उन्होंने उसका व्रत तुड़वा देना ठीक समझा। उन्होंने पहाड़ी पर आग लगाई और उसे चाँद निकलना बता कर वीरवती का व्रत तुड़वाकर भोजन करवा दिया । जैसे ही वीरवती ( Veervati ) ने खाना खाया उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला। उसे बड़ा दुःख हुआ और वह पति के घर जाने के लिए रवाना हुई ( करवा चौथ की कहानी …. ) रास्ते में उसे शिवजी और माता पार्वती मिले। माता ने उसे बताया कि उसने झूठा चाँद देखकर चौथ का व्रत तोड़ा है। इसी वजह से उसके पति की मृत्यु हुई है। वीरवती अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने लगी। तब माता ने वरदान दिया कि उसका पति जीवित तो हो जायेगा ...

Chauth Mata ki katha : चौथमाता व्रत की पौराणिक कथा

अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि क्या गणेशजी को नहीं न्योता है? या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए। विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता। होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां आ पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया। बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा। अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी। जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए। तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपम...

तिल चौथ की कहानी सकट चौथ व्रत के लिए

तिल चौथ की कहानी Til Chauth Ki Kahani तिल चौथ के व्रत के समय कही और सुनी जाती है। तिल चौथ का व्रत माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। कुछ लोग 12 महीने चौथ का व्रत करते है। ( इसे भी पढ़ें : गणेश जी ने इस दिन देवताओं का संकट दूर किया था तब शिव ने आशीर्वाद देकर कहा था कि जो भी इस व्रत को करेगा उसके संकट दूर होंगे। तिल चौथ Til choth को माही चौथ Mahi choth , सकट चौथ Sakat choth और तिल कुट्टा Til kutta choth के नाम से भी जाना जाता है। सकट शब्द संकट का अपभ्रंश है। सकट चौथ माता का मंदिर बूंदी में स्थित है। चार चौथ करने वाले आप यह कहानी यू ट्यूब पर भी सुन सकते हैं । सुनने के लिए क्लिक करें या आगे पढ़ें – तिल चौथ की कहानी – Til chauth ki kahani एक शहर में देवरानी जेठानी रहती थी । देवरानी गरीब थी और जेठानी अमीर थी । देवरानी गणेश जी की भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर बेचता था और अक्सर बीमार रहता था। देवरानी जेठानी के घर का सारा काम करती और बदले में जेठानी बचा हुआ खाना, पुराने कपड़े आदि उसको दे देती थी। इसी से देवरानी का परिवार चल रहा था। माघ महीने में देवरानी ने तिल चौथ का व्रत किया। पाँच रूपये का तिल व गुड़ लाकर तिलकुट्टा बनाया। पूजा करके तिल चौथ की कथा ( तिल चौथ की कहानी ) सुनी और तिलकुट्टा छींके में रख दिया और सोचा की चाँद उगने पर पहले तिलकुट्टा और उसके बाद ही कुछ खायेगी ( til chauath ki katha … ) कथा सुनकर वह जेठानी के यहाँ काम करने चली गई। खाना बनाकर जेठानी के बच्चों से खाना खाने को कहा तो बच्चे बोले – माँ ने व्रत किया हैं और माँ भूखी हैं। जब माँ खाना खायेगी तभी हम भी खाएंगे। जेठजी को खाना खाने को कहा तो जेठजी बोले ” मैं अकेला नही खाऊँगा , जब चाँद निकलेगा तब स...

PDF* करवा चौथ कथा 📚

PDF* चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth Katha PDF Download | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Download प्रिय पाठकों, हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत बडा महत्व बताया जाता है। विशेष रूप से महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत ही ज्यादा आवश्यक है। शादी शुदा महिला को करवा चौथ का व्रत अवश्य लेना चाहिए। यंहा तक कि बिना शादी शुदा महिलाएँ भी अपने होने वाले पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। करवा चौथ व्रत के दिन करवा चौथ कथा अवश्य पढनी चाहिए। आपकी इसी चिन्ता को देखते हुए हम आपके लिए- Karwa Chauth Katha PDF लेकर आये हैं। आज आप यंहा से आसानी से Karwa Chauth Katha PDF Download कर सकते हैं। यदि आपको करवा चौथ व्रत की कहानी, पूजा विधि, करवा चौथ व्रत का उद्यापन आदि पढना हो तो हमारे पिछले लेख को पढ सकते हैं। यंहा क्लिक करें- यदि आप भी करवा चौथ की व्रत कथा घर बैठे बडे आनन्द से पढना बिना पुस्तक खरीदकर फ्री में पढना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आये हैं। यंहा आप Karwa Chauth Vrat Katha PDF Download कर पाएंगे। Karwa Chauth Katha PDF के बारे में पुस्तक/ PDF का नाम- Karwa Chauth Katha PDF पुस्तक PDF प्रकार- Vrat Katha Language- Hindi File Type- PDF File Size- 803 Kb इसे भी दबाएँ- करवा चौथ व्रत के बारें में (Karwa Chauth Katha PDF) प्यारे पाठकों, करवा चौथ क्या है? करवा चौथ व्रत कब मनाया जाता है? करवा चौथ क्यों मनाया जाता है? करवा चौथ व्रत किसी स्त्री को नहीं लेना चाहिए- करवा चौथ से जुडे इत्यादि बहुत सारे सवाल आपके मन में भी जरूर होंगे लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि करवा चौथ से जुडे इन सभी सवालों का जवाब या तो आपको हमारी इसी वेबसाइट पर सर्च बाक्स में सर्च करने पर मिल जाएगा अथवा करवा चौथ व्रत कथा PDF डाउनलोड ...

Sakat Chauth Ki Katha: सकट चौथ व्रत की 3 पौराणिक कथाएं यहां, इन तीनों में से एक कथा को पढ़ अपना व्रत करें पूरा

Sakat (Puja) Chauth Vrat Katha: हर साल माघ मास की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र और सुखी जीवन की भगवान गणेश से प्रार्थना करती हैं। ये व्रत निर्जला रखा जाता है यानी कि इसमें जल और अन्न कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। साल में वैसे को 12 संकष्टी चतुर्थी व्रत आते हैं लेकिन सभी में माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी का खास महत्व माना गया है। ये उपवास बिना व्रत कथा को पढ़े अधूरा माना जाता है। देखिए इस व्रत की पौराणिक कथाएं… Ganesh Ji Ki Aarti: सकट चौथ पूजा के समय भगवान गणेश की इस आरती को उतारना न भूलें पहली कथा: एक समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह की तैयारियां चल रही थीं, इसमें सभी देवताओं को निमंत्रित किया गया लेकिन विघ्नहर्ता गणेश जी को निमंत्रण नहीं भेजा गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह में आए लेकिन गणेश जी उपस्थित नहीं थे, ऐसा देखकर देवताओं ने भगवान विष्णु से इसका कारण पूछा। उन्होंने कहा कि भगवान शिव और पार्वती को निमंत्रण भेजा है, गणेश अपने माता-पिता के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं। हालांकि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि वे नहीं आएं तो अच्छा है। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता। Makar Sankranti 2020 Date: जानिए 14 की जगह 15 जनवरी को इस बार क्यो मनाई जायेगी मकर संक्रांति, क्या है इस पर्व का महत्व इस दौरान किसी देवता ने कहा कि गणेश जी अगर आएं तो उनको घर के देखरेख की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनसे कहा जा सकता है कि आप चूहे पर धीरे-धीरे जाएंगे तो बाराज आगे चली जाएगी और आप पीछे रह जाएंगे, ऐसे में आप घर की देखरेख करें। योजना के अनुस...

करवा चौथ की कहानी ( Karwa chauth ki kahani )

Table of Contents • • • • • • • • • • 1. करवा चौथ की कहानी एवं व्रत कथा ( Karva chauth famous story ) प्राचीन समय की बात है एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री करवा थी। साहूकार अपने सभी संतानों की परवरिश राजशाही तरीके से किया करते थे। धीरे-धीरे सभी भाई-बहन बड़े हुए। सात भाइयों की की इकलौती बहन थी इसलिए सभी भाई अपनी बहन से खूब स्नेह करते थे। अपनी बहन की शादी उन्होंने बड़ी धूमधाम के साथ एक नामी साहूकार के यहां किया। एक दिन बहन घर आई हुई थी, सभी भाई उससे बड़ा प्रेम करते। एक साथ बिठाकर खाना खाते और अधिक से अधिक समय अपनी बहन के साथ बिताते। बचपन की कहानियां साझा करके खूब आनंदित होते। सभी भाई पहले बहन को खाना खिलाते और उसके बाद स्वयं खाना खाते आपस में इतना प्रेम था। एक दिन जब सभी भाई अपना कारोबार समेटकर संध्या समय जब घर लौटे तो उन्होंने पाया उनकी बहन भूखी प्यासी और मुरझाइ सी घर में बैठी है। सभी को चिंता हुई आखिर ऐसी क्या बात है ? कारण जाना तो पता चला आज करवा चौथ का व्रत बहन ने किया है और चांद की प्रतीक्षा में वह सुबह से भूखी प्यासी बैठी है। जब चांद को देख लेगी तो अपना व्रत खोलेगी। भाइयों को उसका यह कष्ट देखा ना गया। सबसे छोटा भाई अपनी बहन से विशेष लगाव रखता था। भूखा प्यासा देख उसने युक्ति निकाली और गांव के बाहर पीपल के पेड़ पर चढ़ गया वहां एक दीया जलाकर एक छन्नी में रख आया। पूरे गांव को ऐसा लगा जैसे चांद निकल आया हो। बहन ने देखा चांद आसमान में निकल चुका है उसने झटपट अपना व्रत खोलने का सारा सामान जुटाया और जल अर्पण कर अपना व्रत खोलने के लिए बैठी। पहला निवाला खाते ही उसे मुंह में बाल मिला उसे निकालकर एक किनारे रख दिया। दूसरा निवाला जैसे ही जब आया दांत के नीचे कंकड़ जैसा आभास हुआ व...

Vaishakhi Chauth Mata Ki Kahani

Vaishakhi Chauth Mata Ki Kahani “Vaishakhi Chauth Mata Ki Kahani” is a story related to the Hindu festival of Vaishakhi Chauth, which is celebrated on the fourth day of the Hindu month of Vaishakh. It is a day of fasting and devotion for Hindu women who pray for the longevity and well-being of their husbands. According to the legend, there was a king named Sudarshan who ruled over a prosperous kingdom. He was married to a beautiful and virtuous queen named Sundari. However, the queen was unable to conceive a child, which made the king very unhappy. One day, a sage named Parvati arrived at the king’s palace and advised the queen to fast on the day of Vaishakhi Chauth for the well-being of her husband and to conceive a child. The queen followed the sage’s advice and observed the fast with great devotion, offering prayers to Mata Parvati and Lord Shiva for the well-being of her husband. Pleased with the queen’s devotion and commitment, Mata Parvati appeared before her and blessed her with a child. The queen gave birth to a beautiful son, who was named Virendra. The king was overjoyed and thanked Mata Parvati for her blessings. Since then, the day of Vaishakhi Chauth is celebrated as a day of fasting and devotion by Hindu women, who pray for the well-being and longevity of their husbands. The festival is observed with great enthusiasm and devotion in various parts of India, especially in North India. Women observe a strict fast from sunrise to moonrise and offer prayers to Mat...