छोटा मेरा खेत कविता का हिंदी में रूपांतरण किसने किया है

  1. छोटा मेरा खेत
  2. छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )
  3. Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 Summary छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख – MCQ Questions
  4. Chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
  5. छोटा मेरा खेत व्याख्या
  6. Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 Summary छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
  7. छोटा मेरा खेत ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह
  8. छोटा मेरा खेत
  9. छोटा मेरा खेत ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह
  10. छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )


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छोटा मेरा खेत

जैसे कागज का एक पन्ना। कोई अंधड़ कहीं से आया , पल का बीज वहा पर बोया। कल्पना के रसायनो को पीकर , बीज पिघल गया निःशेष । वर्णों के अंकुर फूटे , पुष्पों से नमित हु आ विशेष । झूमने लगे फल एवं रस अलौकिक , रोपाई पल की कटान अनंतता का। रस का अक्षय पात्र सदा का , छोटा मेरा खेत चौकोना। - कमलेश बड़ौला|| - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए

छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )

Advertisement पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष | (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से अवतरित है | इसके कवि उमाशंकर जोशी जी हैं | इन पंक्तियों में कवि ने कवि-कर्म की तुलना किसान-कर्म से की है | व्याख्या — कवि कहता है कि मैं भी एक किसान की भांति हूँ | कागज का एक चौकोर पन्ना मेरे लिए चौकोर खेत के समान है | जिस प्रकार एक किसान अपने खेत में बीज बोता है ठीक उसी प्रकार जब मेरे मन में भावनाओं की आंधी उठती है तो उस क्षण कोई भाव-विशेष मेरे कागज के पन्ने पर बीज-रूप में पहले मेरे मन में तथा तत्पश्चात कागज रूपी खेत में आरोपित हो जाता है | जिस प्रकार खेत में बोया गया बीज विभिन्न प्रकार के रसायनों, जल, खनिज-लवण आदि को ग्रहण करके पूर्णत: गल जाता है और अंकुरित हो उठता है; उसमें से पत्ते और फूल फूटने लगते हैं | ठीक उसी प्रकार कवि के मन में उत्पन्न हुआ भाव रूपी बीज कल्पना के रसायनों को पीकर कविता रूपी पौधे का रूप धारण कर लेता है | उस कविता में वर्णित सुंदर भाव और उस कविता के शोभा कारक तत्त्व उस कविता रूपी पौधे के सुंदर पुष्प और पत्तों का कार्य करते हैं | झूमने लगे फल, रस अलौकिक, अमृत धाराएँ फूटती रोपाई क्षण की , कटाई अनंतता की लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती | रस का अक्षय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चौकोना | (2) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से अवतरित है | इसके कवि उमाशंकर जोशी जी हैं | इन पंक्तियों में कवि ने कवि-कर्म की तुलना किसान-कर्म से की है | कवि के अनुसार साहित्य से मिलने वाला रस अक्षय तथा चिरस्थायी होता है | व्याख्या – कवि के अनुसार जब कवि के हृदय में आरोपि...

Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 Summary छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख – MCQ Questions

By going through these CBSE छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Summary Notes Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख कविता का सारांश ‘छोटा मेरा खेत’ कविता उमाशंकर जोशी द्वारा रचित उनके काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूप में प्रस्तुत किया है। कागज़ का चौकोर पन्ना कवि को एक चौकोर खेत के समान प्रतीत होता है। इस खेत में किसी अंधड़ अर्थात भावनात्मक आँधी के आने से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज रचना, विचार और अभिव्यंजना का हो सकता है जो मूलरूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और इस प्रक्रिया में स्वयं गल जाता है। उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंतत: कृति एक । पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है। साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा प्रस्फुटित होती है, वह उस क्षण में होने वाली रोपाई का परिणाम है लेकिन उससे प्रस्फुटित रस-धारा अनंतकाल तक चलने वाली कटाई से कम नहीं होती है। कवि स्पष्ट कहता है कि खेत में पैदा अन्न तो । कुछ समय पश्चात समाप्त हो सकता है, लेकिन साहित्य से जिस रस-धारा की प्राप्ति होती है, वह अनंतकाल तक समाप्त नहीं होती। बगुलों के पंख कविता का सारांश ‘बगुलों के पंख’ कविता ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित उनके सुप्रसिद्ध काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संग्रहित है। यह प्रकृति-सौंदर्य से परिपूर्ण कविता है। इस कविता में कवि ने सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए एक युक्ति का सहारा लिया है और सौंदर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ-साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का भी सुंदर चित्रण किया है। कवि आकाश में छाए काले-काले बादलों में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सुंदर-सुंदर बगुलों के पंखों को देखता है। वे कजरारे बादलों के ऊ...

Chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख

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छोटा मेरा खेत व्याख्या

Table of Contents • • • छोटा मेरा खेत व्याख्या छोटा मेरा खेत चौकोना कागज़ का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहाँ बोया गया। शब्दार्थ :- चौकोना = चार कोनों वाली, चौकोर। पन्ना = पृष्ठ, पेज। अंधड़ = आँधी, (भावनात्मक आँधी) । क्षण = पल। प्रसंग :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि उमाशंकर जोशी द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूपक द्वारा अभिव्यक्त किया है। व्याख्या :- कवि कागज को खेत का रूपक प्रदान करते हुए कहते हैं कि मेरा कागज का एक पृष्ठ चौकोर खेत की तरह है। मैं इसी कागज़ रूपी चौकोर खेत पर कविता को शब्दबद्ध करता हूँ। कवि का कथन है कि कोई भावनात्मक रूपी आँधी कहीं से आई जिसके प्रभाव से मैंने कागज़ पृष्ठ रूपी खेत में रचना विचार और अभिव्यक्ति रूपी बीज बो दिया। अर्थात् मैंने भावनात्मक होकर कागज़ के पृष्ठ पर किसी अभिव्यक्ति को शब्दबद्ध कर दिया। • विशेष :- इस पद्य में कवि-कर्म को खेती के रूपक द्वारा अभिव्यक्त किया है। • प्रतीकात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। • सरल, सहज, भावानुकूल खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है। इन्हें भी पढ़े :- कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया निःशेष; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव- पुष्पों से नमित हुआ विशेष। शब्दार्थ :- निःशेष = समाप्त, जिसमें कुछ भी शेष न हो। शब्द के अंकुर = शब्द रूपी अंकुर। फूटे = पैदा हुए। पल्लव = पत्ते। पुष्पों =फूलों से। नमित झुका हुआ। प्रसंग :- ये पंक्तियाँ ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से अवतरित हैं। इनमें कवि ने पृष्ठरूपी खेत में कवि-कर्म को विकसित होता हुआ दिखाया है। व्याख्या :- कवि का कथन है कि...

Class 12 Hindi Aroh Chapter 10 Summary छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख

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छोटा मेरा खेत ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह

परिचय इस कविता में कवि ने अपने कवि-कर्म को कृषक के सामान बताया है | किसान अपने खेत में बीज बोता है | बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है, फिर पुष्पित होकर जब परिपक्व होता है, तब उसकी कटाई होती है | इस कविता में जोशी जी ने एक कवि के रचना कर्म की व्याख्या की है | सन्दर्भ प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित उमाशंकर जोशी द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ शीर्षक से लिया गया है | प्रसंग छोटा मेरा खेत चौकोना कागज़ का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहाँ बोया गया। कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। व्याख्या कविता की इन पंक्तियों में खेती के रूपकों अर्थात् बीज बोने, अंकुरित होने, फलने फूलने और अंततः फसल काटने का वर्णन करते हुए कवि कहता है की कोई भी रचना ठीक खेती की फसल की तरह होती है | कवि कहता है – मैं भी एक प्रकार का किसान हूँ | कागज़ का एक पन्ना मेरे लिए छोटे –से चौकोर खेत के समान है | अंतर इतना ही है की किसान ज़मीन पर कुछ बोता है और मैं कागज़ पर कविता उगाता हूँ | जिस प्रकार किसान धरती पर फसल उगाने के लिए कोई बीज उगाता है, उसी प्रकार मेरे मन में अचानक आई आंधी के समान कोई भाव रुपी बीज न जाने कहाँ से चला आता है | यह भाव रुपी बीज मेरे मन रुपी खेत में अचानक बोया जाता है | वास्तव में कविता या साहित्य मनोभावों की ही उपज है | जिस प्रकार धरती में बोया बीज विभिन्न रसायनों – हवा, पानी, खाद आदि को पीकर स्वयं को गला देता है वैसे ही कवि के मनोभाव काव्य-शब्दों के अंकुर के रूप में कागज़ पर अंकित हो गए | कवि आगे इन शब्द रुपी अंकुरों के पल्लव और पुष्पों से युक्त हो जाने की बात कहता है | जिस प्रकार अंकुर पूरे खेत मे...

छोटा मेरा खेत

जैसे कागज का एक पन्ना। कोई अंधड़ कहीं से आया , पल का बीज वहा पर बोया। कल्पना के रसायनो को पीकर , बीज पिघल गया निःशेष । वर्णों के अंकुर फूटे , पुष्पों से नमित हु आ विशेष । झूमने लगे फल एवं रस अलौकिक , रोपाई पल की कटान अनंतता का। रस का अक्षय पात्र सदा का , छोटा मेरा खेत चौकोना। - कमलेश बड़ौला|| - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए

छोटा मेरा खेत ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह

परिचय इस कविता में कवि ने अपने कवि-कर्म को कृषक के सामान बताया है | किसान अपने खेत में बीज बोता है | बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है, फिर पुष्पित होकर जब परिपक्व होता है, तब उसकी कटाई होती है | इस कविता में जोशी जी ने एक कवि के रचना कर्म की व्याख्या की है | सन्दर्भ प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित उमाशंकर जोशी द्वारा रचित ‘छोटा मेरा खेत’ शीर्षक से लिया गया है | प्रसंग छोटा मेरा खेत चौकोना कागज़ का एक पन्ना, कोई अंधड़ कहीं से आया क्षण का बीज वहाँ बोया गया। कल्पना के रसायनों को पी बीज गल गया नि:शेष; शब्द के अंकुर फूटे, पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष। व्याख्या कविता की इन पंक्तियों में खेती के रूपकों अर्थात् बीज बोने, अंकुरित होने, फलने फूलने और अंततः फसल काटने का वर्णन करते हुए कवि कहता है की कोई भी रचना ठीक खेती की फसल की तरह होती है | कवि कहता है – मैं भी एक प्रकार का किसान हूँ | कागज़ का एक पन्ना मेरे लिए छोटे –से चौकोर खेत के समान है | अंतर इतना ही है की किसान ज़मीन पर कुछ बोता है और मैं कागज़ पर कविता उगाता हूँ | जिस प्रकार किसान धरती पर फसल उगाने के लिए कोई बीज उगाता है, उसी प्रकार मेरे मन में अचानक आई आंधी के समान कोई भाव रुपी बीज न जाने कहाँ से चला आता है | यह भाव रुपी बीज मेरे मन रुपी खेत में अचानक बोया जाता है | वास्तव में कविता या साहित्य मनोभावों की ही उपज है | जिस प्रकार धरती में बोया बीज विभिन्न रसायनों – हवा, पानी, खाद आदि को पीकर स्वयं को गला देता है वैसे ही कवि के मनोभाव काव्य-शब्दों के अंकुर के रूप में कागज़ पर अंकित हो गए | कवि आगे इन शब्द रुपी अंकुरों के पल्लव और पुष्पों से युक्त हो जाने की बात कहता है | जिस प्रकार अंकुर पूरे खेत मे...

छोटा मेरा खेत ( उमाशंकर जोशी )

Advertisement पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष | (1) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से अवतरित है | इसके कवि उमाशंकर जोशी जी हैं | इन पंक्तियों में कवि ने कवि-कर्म की तुलना किसान-कर्म से की है | व्याख्या — कवि कहता है कि मैं भी एक किसान की भांति हूँ | कागज का एक चौकोर पन्ना मेरे लिए चौकोर खेत के समान है | जिस प्रकार एक किसान अपने खेत में बीज बोता है ठीक उसी प्रकार जब मेरे मन में भावनाओं की आंधी उठती है तो उस क्षण कोई भाव-विशेष मेरे कागज के पन्ने पर बीज-रूप में पहले मेरे मन में तथा तत्पश्चात कागज रूपी खेत में आरोपित हो जाता है | जिस प्रकार खेत में बोया गया बीज विभिन्न प्रकार के रसायनों, जल, खनिज-लवण आदि को ग्रहण करके पूर्णत: गल जाता है और अंकुरित हो उठता है; उसमें से पत्ते और फूल फूटने लगते हैं | ठीक उसी प्रकार कवि के मन में उत्पन्न हुआ भाव रूपी बीज कल्पना के रसायनों को पीकर कविता रूपी पौधे का रूप धारण कर लेता है | उस कविता में वर्णित सुंदर भाव और उस कविता के शोभा कारक तत्त्व उस कविता रूपी पौधे के सुंदर पुष्प और पत्तों का कार्य करते हैं | झूमने लगे फल, रस अलौकिक, अमृत धाराएँ फूटती रोपाई क्षण की , कटाई अनंतता की लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती | रस का अक्षय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चौकोना | (2) प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘छोटा मेरा खेत’ से अवतरित है | इसके कवि उमाशंकर जोशी जी हैं | इन पंक्तियों में कवि ने कवि-कर्म की तुलना किसान-कर्म से की है | कवि के अनुसार साहित्य से मिलने वाला रस अक्षय तथा चिरस्थायी होता है | व्याख्या – कवि के अनुसार जब कवि के हृदय में आरोपि...