छोटी माता कितने दिन रहती है

  1. चिकन पॉक्स (छोटी माता) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज
  2. छोटी माता कितने दिन रहती है
  3. छोटी माता (चिकनपॉक्स) का आयुर्वेदिक उपचार
  4. चिकन पॉक्स (छोटी माता) पर आम सवालों के जवाब
  5. विषाणु (Virus) से होने वाले रोगों के नाम
  6. गर्भावस्था में चिकन पॉक्स (छोटी माता)
  7. आ: धरती कितना देती है (सुमित्रानंदन पंत)
  8. स्त्री जननांग
  9. माता निकलने पर क्या उपाय करें? – ElegantAnswer.com
  10. छोटी माता के लक्षण


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चिकन पॉक्स (छोटी माता) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

चिकन पॉक्स यानी छोटी माता एक वायरल संक्रमण है, जो अक्सर बच्चों को प्रभावित करता है। वहीं, कई मामलों में यह बड़ों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। ऐसे में इससे जुड़ी जरूरी बातें आपको पता होनी चाहिए। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम चिकन पॉक्स का कारण और छोटी माता के लक्षण के साथ-साथ चिकन पॉक्स का आयुर्वेदिक उपचार बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, इस लेख में हमने इससे जुड़ी डाइट टिप्स और सावधानियों को भी बताया है, ताकि आप इससे हमेशा बचे रहें। चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। विषय सूची • • • • • • • • • • • चिकन पॉक्स क्या है? चिकन पॉक्स जिसे छोटी माता भी कहते हैं, एक वायरल संक्रमण है, जो छोटे द्रव से भरे खुजलीदार फफोलों और दानों के साथ शरीर पर प्रहार करता है। यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने की वजह से होता है। यह उन्हें सबसे ज्यादा निशाना बनाता है, जिन्हें बचपन में इसका टीका न लगाया गया हो या जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो ( आगे जानें यहां हम जानकारी दे रहे हैं चिकन पॉक्स यानी छोटी माता के कारण के बारे में। चिकन पॉक्स (छोटी माता) के कारण – Cause of Chicken Pox in Hindi जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह एक वायरल संक्रमण है और इसके होने का मुख्य कारण है वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आना। यह एक प्रकार का हर्पीस वायरस है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, जिसके पीछे के कारण हम नीचे बता रहे हैं ( पढ़ते रहें आगे हम चिकन पॉक्स के फैलने से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। चिकन पॉक्स फैलता कैसे है? चिकन पॉक्स निम्नलिखित कारणों से फैल सकता है ( • यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सर्दी, फ्लू और खांसी के जरिए फैल सकता है। • ...

छोटी माता कितने दिन रहती है

छोटी माता कितने दिन रहती है / छोटी माता का खुद इलाज करने के तरीके –छोटी माता जिसे डॉक्टर की भाषा में चेचक या फिर चिकन पॉक्स के नाम से जाना जाता हैं. दरअसल यह एक प्रकार की बीमारी है. जो वेरीसेल्ला जोस्टर नामक वायरस से एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में हवा, थूक, युक्स आदि की मदद से फैलती है. छोटी माता की बीमारी में व्यक्ति के शरीर पर फोड़े-फुंसियां हो जाती हैं. यह मुंह से शुरू होकर धीरे-धीरे पुरे शरीर में फैलती हैं. इस वजह से शरीर में लाल रंग के दाग बन जाते हैं. तथा मरीज को शरीर में खुजली भी होती हैं. हालांकि यह एक सामान्य बीमारी होने की वजह से जल्दी मिट जाती हैं. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की छोटी माता कितने दिन रहती है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. Table of Contents • • • • छोटी माता कितने दिन रहती है जैसे की हमने आपको पहले ही बताया की यह वेरीसेल्ला जोस्टर नामक वायरस से एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में फैलती हैं. ऐसा माना जाता है की जब यह वायरस किसी इंसान के शरीर में प्रवेश करता हैं. तो इसके लक्षण व्यक्ति को दस से बीस दिन के बाद दिखाई देते हैं. अब इतने दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं. इसके बाद मरीज का इलाज शुरू किया जाता हैं. इलाज शुरू करने के बाद या फिर किसी भी प्रकार का इलाज करवाने के बाद छोटी माता धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकलती हैं. जिसमें लगभग 15 से 20 दिन का समय लग जाता हैं. तो इससे हम मान सकते है की छोटी माता होने पर वह आपके शरीर में 30 से 40 दिन तक रहती हैं. सबसे ताकत वाली चीज कौनसी है – 3 सबसे अद्भुत चीज छोटी माता के लक्षण छ...

छोटी माता (चिकनपॉक्स) का आयुर्वेदिक उपचार

1. 2. • • • • • • • • • छोटी माता रोग क्या है – What Is Chickenpox in Hindi चिकनपॉक्‍स या छोटी माता जिसे वेरिसेला (varicella) भी कहा जाता है। यह समस्‍या सामान्‍य रूप से 1 से 12 वर्ष की उम्र के बच्‍चों को होती है। छोटी माता बीमारी का प्रमुख कारण वैरिकाला जोस्‍टर वायरस (varicella zoster virus) माना जाता है जो कि बेहद संक्रामक होता है। हालांकि इस रोग के लक्षण सामान्‍य रूप से 1 से 2 सप्‍ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। इस बीमारी के सामान्‍य लक्षणों में सबसे पहले चेहरे पर छोटे-छोटे फोड़े हो जाते हैं और फिर पूरे शरीर में दाने आ जाते हैं। हालांकि यह बीमारी जानलेवा नहीं होती है। लेकिन फिर भी यह मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत सी परेशानियों को जन्‍म दे सकती है। आइए जाने छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार क्‍या है। (और पढ़े – चिकन पॉक्स आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट – Chicken Pox Ayurvedic Treatment In Hindi यहां कुछ बच्चों के अनुकूल उपचार दिए गए हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरस से दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार एलोवेरा – Chickenpox treatment for aloe Vera in Hindi प्राचीन समय में छोटी माता और माता बहुत ही गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में से एक थी। क्‍योंकि उस समय छोटी माता के इलाज की अधिक जानकारी नहीं थी। लेकिन आज हम छोटी माता का आयुर्वेदिक उपचार एलोवेरा के माध्‍यम से कर सकते हैं। छोटी माता का इलाज करने के लिए आप ताजा कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों के उपचार के लिए नींबू के रस का उपयोग किया जाता है। छोटी माता भी एक संक्रामक बीमारी है। नींबू के रस में लेकिन नींबू के रस का उपयोग करते समय सावधानी रखें। क्‍योंकि कुछ लोगों की त्‍वचा नींबू रस के प्रति अतिसंवेदनशील होत...

चिकन पॉक्स (छोटी माता) पर आम सवालों के जवाब

• • • यौन स्वास्थ्य • • • • • • • महिला स्वास्थ्य • • • • • • • त्वचा की समस्या • • • • बालों की समस्या • • • • • पुरानी बीमारी • • • • • • • • • • • • • • बीमारी • यौन स्वास्थ्य • पॉडकास्ट • अस्पताल खोजें • डॉक्टर खोजें • हेल्थ टी.वी. • वेब स्टोरीज • • इलाज • • • • • • • • • • योग और फिटनेस • • • • • • महिला • • • • • • अन्य विषय • • • • • • • • • Dr. Ayush Pandey MBBS, PG Diploma चिकन पॅाक्स एक निरोध्य बीमारी है, जो एक से दो हफ्तों के अंदर ठीक हो जाती है। जब तक चिकन पॅाक्स के दाने नहीं निकल आते, तब यह बीमारी किसी अन्य को नहीं फैलती। लेकिन एक बार दाने निकलने के बाद यह संक्रामक हो जाती है, जो आसानी से किसी को भी संक्रमित कर सकती है। चिकन पॅाक्स आमतौर पर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा होता है। लेकिन अगर आपने चिकन पॅाक्स की वैक्सीनेशन लगा रखी है, तो इसके होने की आशंका कम हो जाती है। Dr. B. K. Agrawal MBBS, MD चिकन पॅाक्स के दाग हटाने के लिए मार्केट में असंख्य उत्पाद मौजूद हैं। आप चिकन पॅाक्स के दाग को प्राकृतिक तरीके से भी हटा सकते हैं। इसके लिए यहां मौजूद कुछ प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करें। लेकिन बेहतर होगा इस संबंध में एक बार एक्सपर्ट से संपर्क जरूर करें। • एलोए वेरा • ओट्स • बटर • कोको बटर • ओलिव आयल • नारियल तेल • जोजोबा आयल • शिया बटर • नींबू का रस • शहद • बेकिंग सोडा Dr. Braj Bhushan Ojha BAMS चिकन पॅाक्स से बचने के लिए इसका वैक्सीन लगाना जरूरी है। हर कोई, फिर चाहे वह बच्चा हो, किशोरवय हो या युवा, अगर आपने चिकन पॅाक्स की वैक्सीनेशन नहीं लगाया है या कभी चिकन पॅाक्स नहीं हुआ है, तो चिकन पॅाक्स की वैक्सीन के दो डोज अवश्य लें। चिकन पॅाक्स वैक्सीन इस बीमारी के...

विषाणु (Virus) से होने वाले रोगों के नाम

अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • विषाणु क्या है? आज के इस आर्टिकल में हम विषाणु क्या है? से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। इसके साथ ही हम विषाणु से फैलने वाले रोगों ( Virusसे होने वाले रोग hindi me) के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे तो आइए सर्वप्रथम यह जानने का प्रयास करते हैं कि विषाणु क्या है? विषाणु कोशिका विहीन अत्यंत सूक्ष्म जीव होते हैं। ये इतने सूक्ष्म होतेे हैं कि इन्हें देेखने के लिए माइक्रोस्कोप की सहायता लेनी पड़ती है। विषाणुुु को सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी कहा जाता है। क्या विषाणु प्रजनन करता है? विषाणु वैसे तो प्रजनन नहीं करते परंतु ये किसी भी जीवित कोशिका में प्रवेश करने के बाद प्रजनन करने लगते हैं। विषाणु को क्रिस्टलों की भांति बोतलों में बंद करके लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वायरस का यह गुण , इसके निर्जीव लक्षण को व्यक्त करता है। विषाणु जनित रोगों के नाम विषाणु जनित रोगों के नाम निम्नलिखित है- 1. चेचक (बड़ी माता) 2. खसरा 3. छोटी माता 4. इनफ्लुएंजा 5. पोलियो 6. हेपेटाइटिस 7. एड्स 8. डेंगू ज्वर 9. चिकनगुनिया चेचक एक समय में यह रोग हमारे देश का अत्यंत तीव्र, घातक संक्रामक रोग था। उस समय देश में असंख्य बालक इस रोग से मर जाया करते थे लेकिन आज टीके के उपयोग से इस रोग की पर्याप्त रोकथाम हो गई है परंतु अब भी देश में मुख्य रूप से गांवों में चेचक का प्रभाव एवं प्रकोप दिखाई देता है। यह रोग वैरिओला वायरस द्वारा फैलता है। चेचक रोग के लक्षण- 1. तेज बुखार, शरीर पर लाल-लाल दाने निकल आते हैं। 2. सिर और पीठ में तीव्र दर्द, कपकपी, वमन और मुख लाल हो जाता है। 3. दाने निकलने के पांचवें या छठवें दिन उनमें एक प्रकार का द्रव ज...

गर्भावस्था में चिकन पॉक्स (छोटी माता)

In this article • • • • • • • • • छोटी माता (चिकन पॉक्स) क्या है?छोटी माता (चिकन पॉक्स) एक वायरल इनफेक्शन है, जिसकी वजह से खुजली वाले चकत्ते होते हैं। शुरुआत में ये चकत्ते पूरे शरीर पर उभरे हुए दानों जैसे होते हैं और इनमें बहुत ज्यादा खुजली होती है। फिर ये तरल से भरे हुए फफोलों का रूप ले लेते हैं। ये फफोले धीरे-धीरे सूख कर पपड़ी बन जाते हैं और संक्रमण के ठीक होने के साथ ये पपड़ियां भी झड़ने लगती हैं। यह रोग दाने निकलने से पहले और पपड़ी बनने तक कुछ दिनों तक काफी संक्रामक होता है। चिकन पॉक्स के क्या लक्षण हैं?चिकन पॉक्स का सबसे मुख्य लक्षण खुजली वाले चकत्ते होना है। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं: • • संक्रमण के शुरुआती दिनों में बदन दर्द • क्या गर्भावस्था में माता निकलने से गर्भस्थ शिशु को जन्मजात दोष या अन्य खतरा रहता है?गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं को चिकनपॉक्स होता है उनमें से अधिकांश महिलाएं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु ठीक हो जाते हैं। हालांकि, चिकनपॉक्स की वजह से गर्भवती माँ को गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा भी रहता है और इस वजह से शिशु को फीटल वेरिसेला सिंड्रोम (एफवीएस) होने का जोखिम हो सकता है। एफवीएस को जन्मजात वेरिसेला सिंड्रोम (कंजेनाइटल वेरिसेला सिंड्रोम) भी कहा जाता है। एफवीएस की वजह से निम्न स्थितियां हो सकती हैं: • • • जन्मजात दोष, जिनमें सबसे आम हैं त्वचा पर निशान, विकृत अंग और शरीर की तुलना में छोटा सिर • मस्तिष्क संबंधी विकार जैसे कि बौद्धिक अक्षमता आदि • शरीरिक विकार • पाचन संबंधी परेशानियां • दृष्टि संबंधी दोष • दौरे पड़ना अगर आपको आठ से डिलीवरी से पांच दिन पहले और डिलीवरी के बाद चिकन पॉक्स होना भी खतरनाक है। अगर ऐसा हो तो शिशु का इस संक्रमण की चपेट...

आ: धरती कितना देती है (सुमित्रानंदन पंत)

जीवन परिचय– प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अल्मोड़ा के निकट कौसानी ग्राम में हुआ था |इनके पिता का नाम श्री गंगादत्त पन्त तथा माता सरस्वती देवी थी | इनका बचपन का नाम गोसाईं दत्त था बाद में इन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया | पन्त जी स्वयं स्वीकार करते हैं कि कविता करने की प्रेरणा उन्हें प्रकृति से मिली | इन्होंने संस्कृत हिंदी बांग्ला और अंग्रेजी का भी अध्ययन किया | 28 दिसंबर 1977 को उनका देहावसान हो गया | रचनाएँ – वीणा ,पल्लव, ग्रंथि ,गुंजन, युगांत, युगवाणी, उत्तरा, चिदंबरा, लोकायतन, युगपथ , इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं | 1- मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोए थे, सोचा था पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, रुपयों की कलदार मधुर फसलें खनकेंगी, और फूल – फलकर , मैं मोटा सेठ बनूँगा | पर बजरं धरती में एक न अंकुर फूटा, बंध्या मिट्टी ने न एक ही पैसा उगला, सपने जाने कहाँ मिटे , सब धूल हो गए , मै हताश हो बाट जोहता रहा विनों तक , बाल कल्पना के अपलक पाँवड़े बिछाकर , मै अबोध था ,मैंन गलत बीज बोए थे | प्रसंग –प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने धरती की ऊपजाऊ शक्ति के बारे में बताया है कि जिस प्रकार धरती में जो बोया जाए वही प्राप्त होता है उसी प्रकार हम जो कर्म करते हैं हमें वैसा ही फल मिलता है। व्याख्या – कवि कहते हैं कि मैंने बचपन में छिपकर धरती में कुछ पैसे बो दिए थे, यह सोचकर कि इससे पैसों के पेड़ उग आऐंगे और रुपयों, पैसों से भरी फसलें खनकेंगी और मैं धनवान् सेठ बन जाऊँगा परन्तु बंजर धरती में एक भी बीज़ नहीं फूटा जो सपने मैंने देखे थे वह सब मिट्टी हो गए और मैं परेशान होकर कई दिनों तक प्रतीक्षा करता रहा कि अब पैसों के पेड़ उगेगें कि अब! बचपन की कल्पना में मैं अपने...

स्त्री जननांग

मानवों में प्रजनन हेतु जननांग होते हैं, जो स्त्रियों और पुरुषों में भिन्न होते हैं। स्त्री के जननांगो में सबसे पहले बाल होते है जिसे प्यूबिक बाल कहा जाता है। ये बाल स्त्री जननागं को चारों ओर से घेरे रहते है। ऊपर की तरफ एक अंग जो उल्टे वी के आकार की होती है उसे भगनासा और भगशेफ कहते है। यह भाग काफी संवेदनशील होता है। क्लाइटोरिस के नीचे एक छोटा सा छेद होता है जोकि मूत्रद्वार होता है। मूत्रद्वार के नीचे एक बड़ा छिद्र होता है जिसको जनन छिद्र कहते है। इसी के रास्ते प्रत्येक महीने महिलाओं को मासिक स्राव (माहवारी) होती है। इसी रास्ते के द्वारा ही बच्चे का जन्म भी होता है। इसकी दीवारे लचीली होती है जो बच्चे के जन्म समय फैल जाती है। इसके नीचे थोड़ी सी दूरी पर एक छिद्र होता है जिसे मलद्वार या मल निकास द्वार कहते है। अनुक्रम • 1 गर्भाशय • 1.1 गर्भाशय की मांसपेशिया • 2 डिम्बग्रंथि • 2.1 डिम्बवाहिनियां • 3 शुक्राणुओं की यात्रा • 4 शुक्राणु और अण्डाणु का मिलन • 5 मासिक स्राव • 6 हड्डियों की बनावट • 7 बच्चे के जन्म का रास्ता • 8 कूल्हे के नीचे का भाग • 9 मूलाधार • 10 क्लाईटोरस • 11 इन्हें भी देखें गर्भाशय 7.5 सेमी लम्बी, 5 सेमी चौड़ी तथा इसकी दीवार 2.5 सेमी मोटी होती है। इसका वजन लगभग 35 ग्राम तथा इसकी आकृति नाशपाती के आकार के जैसी होती है। जिसका चौड़ा भाग ऊपर फंडस तथा पतला भाग नीचे इस्थमस कहलाता है। महिलाओं में यह मूत्र की थैली और मलाशय के बीच में होती है तथा गर्भाशय का झुकाव आगे की ओर होने पर उसे एन्टीवर्टेड कहते है अथवा पीछे की तरफ होने पर रीट्रोवर्टेड कहते है। गर्भाशय के झुकाव से बच्चे के जन्म पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। गर्भाशय का ऊपरी चौड़ा भाग बाडी तथा निचला भाग तंग भाग गर्दन या इ...

माता निकलने पर क्या उपाय करें? – ElegantAnswer.com

माता निकलने पर क्या उपाय करें? इसे सुनेंरोकेंग्रामीणों के मुताबिक मरीज की चारपाई के किनारे नुकीला हथियार या फिर माचिस रखना जरूरी होता है। इसके चलते घरों में चारपाई के साथ दरांती व चाकू रखे हुए थे। बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि अब तो इस माता निकलने पर थोड़ा बहुत इलाज कराने लगे हैं, लेकिन एक समय था जब इस माता के निकलने पर डॉक्टर से दवाई दिलाना अच्छा नहीं मानते थे। छोटी माता कितने दिन रहती है? इसे सुनेंरोकेंयह बीमारी चिकन पॉक्स के दानों से निकलने वाले वायरस कणों को छूने से फैल सकता है, आमतौर पर इस बीमारी के संपर्क में आने के बाद संक्रमित व्यक्ति में लक्षण प्रकट होने में दस से इक्कीस दिन का समय लगता है। चिकन पॉक्स को रोकने का सबसे सुरक्षित उपाय टीकाकरण है। चिकन पॉक्स में क्या परहेज करना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंचिकन पॉक्स के मरीजो को फैट फूड मीट और डेयरी प्रोडक्ट्स और अंडे खाने से बचना चाहिए। चिकनपॉक्स के दौरान सिट्रस फूड यानी खट्टे फलों को और उनका जूस पीने से भी बचना चाहिए, साथ ही बहुत अधिक नमक और नमकयुक्त फूड, मसालेदार फूड चॉकलेट, पीनट बटर, मुंगफली जैसी चीजें भी ना खाएं। बच्चों को माता क्यों निकलती है? इसे सुनेंरोकेंछोटी माता (अंग्रेज़ी: चिकनपॉक्स) वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस से फैलनेवाली एक संक्रामक बीमारी है। यह बहुत ही संक्रामक होती है और संक्रमित निसृत पदार्थों को सांस के साथ अंदर ले जाने से फैलती है। माता क्यों निकलती है? इसे सुनेंरोकेंशरीर में होने वाला इंफेक्शन या माताजी का प्रकोप… वैसे तो हम सारी चीजों को भगवान की मर्जी से जोड़ते हैं, लेकिन चिकन पॉक्स को खासकर शीतला माता से जोड़ा जाता है। शीतला माता को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि उनकी पूजा करने से चेचक, फ...

छोटी माता के लक्षण

माता क्या है : इसे चिकित्सकों की भाषा में "चिकनपॉक्स" कहा जाता है। इससे लोग पुराने समय (history of chickenpox) में और आज के इस दौर में छोटी माता भी कहते हैं। यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने की वजह से होता है। वैसे यह मुख्यतः बच्चों को प्रभावित करती है। ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान के शरीर पर कई लाल चक्ते के निशान बन जाते हैं। इस बीमारी में इंसान के शरीर पर पानी से भरे फफोलें निकलने लगते हैं और ये बेहद खुजलीदार होते हैं जिससे इंसान के शरीर पर लाल दानें या चक्ते बन जाते हैं। इस बीमारी के दौरान लोग घबरा जाते हैं और कई लोग तो इसमें झाड़-फूंक तक करवाने लगते हैं। जो की एकदम गलत है इससे इलाज (chickenpox treatment) में देरी हो सकती है और फिर मामला आगे तक बढ़ जाता है। चिकन पॉक्स के लक्षण (Chickenpox symptoms) : यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको चिकन पॉक्स के लक्षणों के बारें में बता रहे है, जिन्हें समझकर आप पहले से ही अपने आप को स्वस्थ रख सकते है.... • इसमें रोगी को काफी तेज बुखार आता है • धीरे-धीरे शरीर पर लाल दाने होने लगते हैं • सिर दर्द होता है • गला बैठ जाता है • नाक बहने लगती है • शरीर में दर्द होता है • मन मचलाता है • शरीर पर जो दाने निकले होते हैं उन पर खुजली होती है • दानों के चारों और लाल घेरे बन जाते हैं और उन पर सूजन आने लगती है माता से खुजली के उपाय : यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको माता से खुजली के उपायों (chickenpox prevention) के बारें में बता रहे है, जिन्हें अपनाकर आप अपने आप को स्वस्थ रख सकते है.... • शहद का इस्तेमाल • बेकिंग सोडा • नीम के पते • गाजर और धनिया का सूप • सेब का सिरका • हर्बल चाय • लैवेंडर का तेल • चन्दन का तेल • सेंधा नमक ...