छत्तीसगढ़ी जनउला

  1. Best 150+ छत्तीसगढ़ी जनउला
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  3. 121+ CG Janula छत्त्तीसगढ़ कहावत/जनउला/अउ मुहावरा
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  5. 100+ छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी
  6. छत्तीसगढ़ी जनउला CG Janaula with answer


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Best 150+ छत्तीसगढ़ी जनउला

हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का हमारे इस ब्लॉग छत्तीसगढ़ी जनउला pdf पोस्ट में . दोस्तों यदि आप छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं या छत्तीसगढ़ के आसपास के जिले के रहने वाले हैं और आप कोई सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हैं या कोई आम व्यक्ति हैं और आप Chhattisgarhi Janaula ढूंढ रहे हैं तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सीजी जनउला उत्तर सहित के बारे में पूरी डिटेल के साथ में जानकारी देने वाले हैं . साथ ही साथ हम इस पोस्ट में आपको जन्मला के प्रश्न के साथ उनके उत्तर देने की भी पूरी कोशिश किए हुए हैं. दोस्तों इस पोस्ट को लिखने के लिए मुझे काफी लंबा समय लगा है क्योंकि ऐसे पूछो को लिखने के लिए बहुत ज्यादा समय लगता है और बहुत ही सावधानी करनी पड़ती है. इसके लिए मैंने अपने दोस्तों का सहारा लिया है जो पिछले दो-तीन सालों से कोचिंग संस्थानों में अपना अध्ययन कर रहे हैं. उम्मीद करता हूं कि यह पोस्ट आपको जरूर अच्छा लगेगा और मैं इतना दबा के साथ कह सकता हूं कि इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको किसी अन्य पोस्ट को पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि काफी मेरा लंबा रिसर्च करने के बाद ही मैंने इस पोस्ट को लिखा है. यदि यह पोस्ट आपको अच्छा लगता है तो आप हमें रिव्यू दे सकते हैं जितना ज्यादा अच्छा रिव्यु देंगे उतना हमें मोटिवेशन मिलता है. पहेलियाँ अनेक सब्द में एक सब्द या वस्तु के बारे में हमें बतलाता है । 16. Share this: छत्तीसगढ़ी पहेलियाँ क्या है ? मुहावरा छत्तीसगढ़ी पहेलियाँ Chhattisgarhi Janula / छत्तीसगढ़ी जनउला उस इसका मतलब यह है लाक्षणिक , विलक्षण सब्द का मतलब है की उसी से मिलता-जुलता शब्द है । छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां एक सिद्द और रुड इकाई होता है , इसके शब्दों में या फिर शब्दों के क्रम में ह...

छत्तीसगढ़ी जनऊला

43) हरियर लाटा, लाल पराठा - मेंहदी 44) ऐती ओती जावत हे, धरे नई पावत हे - छाया 45) न गोढ़ न हाथ मुंह न दांत, चाकर काया के करे बात - अखबार 46) अंजन रूप बिरंजन चिरई, हाले रुख त बोले चिरई - पायल 47) फूल फुले रींगी-चिंगी फर फरे लमडोर - मुनगा 48) टेड़गी-मेड़गी लकरी, पहाड़ चढ़ी जाय - धुंआ 49) पण्डरी खेत म करिया नांगर - कलम 50) आइठे-गोइठे, पहर ऊपर बइठे - बोइर

121+ CG Janula छत्त्तीसगढ़ कहावत/जनउला/अउ मुहावरा

Chhattisagarhi Lok साहित्य में , Chhattisgarhi Kahawat , छत्तीसगढ़ी जनउला pdf, तथा लोकोक्तियों का सबसे अधिक महत्व है , क्योंकि पहेली और लोकोक्ति इतनी छोटी और असरकारक होती है की उसे किसी भी समय प्रस्तुत किया जा सकता है । जैसे -“छोटे मिर्चा ज्यादा झार” वाली Chhattisgarhi उक्ति इन तीनो विधाओं पर सटीक बैठती है । यदि उक्त भाषागत विशेषताय किसी भी भाषा में न हो तो , वह निश्चय भाव को दिखने में असमर्थ हो जाता है । cg janula ऐसी स्थिति में भाव को व्यक्त करने के लिए एक भाषा को नहीं कहा जा सकता है और इसके लिए छत्तीसगढ़ी भाषा (Chhattisgarh Language) इन आभुषणो से अलंकृत है । आप देखेंगे की छत्तीसगढ़ की बोली में संस्कृत के मूल सब्द भी पाए जाते है । किन्तु अन्य भासाओ की तरह ही छत्तीसगढ़ भाषा भी पूर्ण जिसका अभिमान इसमें मिला हुआ । उच्च कोटि के हाना ( कहावत (Chhattisgarhi Kahawat)- लोक (Chhattisgarh) में हजारो की संख्या में कहावत जिनमे से छत्तीसगढ़ी जनउला pdf , केवट , कनाट , कहनात , कवडा , आदि नमो से जाना जाता है । cg janula का शाब्दिक अर्थ कही हुई बात होता है । ये हजारो वर्षो की ज्ञान और अनुभव की घनीभूत रचना है । कहावत ( CG Kahawat) में मनुष्य के सदियों के लोकव्यवहार के निस्कर्स और परम्परातगत दृश्टिकोण होते है । जिन्हे सारभूत लोक विचार भी कह सकते है । छत्तीसगढ़ भाषा (Chhattisgarh Language) में प्रचलित कुछ कहावतों (Chhattisgarhi Kahawat) को निचे दिया जा रहा है । 1 . तेली घर तेल होथे , त पहाड़ ला नै पोते । 2 . खाटू परे त खेती , नै ता नदिया के रेती ।। 3 . अपने मरे बिना सरन गई दिखे । 4 . करनी दिखे मरनि के बेर ।। 5 . जिन्हे डौकी शियान उन्हे मरे बिहान . 6 . जतका के मूड नहीं तत्का मुड़वाउनि . 7 . ज्यादा...

छत्तीसगढ़ी जनउला

छत्तीसगढ़ी जनउला पहेलियां छत्तीसगढ़ी जनउला pdf छत्तीसगढ़ी जनउला उत्तर सहित छत्तीसगढ़ी जनउला बताइए छत्तीसगढ़ी जनउला | Cg Janaula With Answer | छत्तीसगढ़ी पहेलियों का अनूठा संग्रह जनउला डाउनलोड छत्तीसगढ़ी कहावत छत्तीसगढ़ी हाना कहावतें जानऊला (पहेलियाँ) जानऊला, लोकोक्ति एवं मुहावरे हिन्दी की पहेलियों को छत्तीसगढ़ी में जनउला कहा जाता है। यह प्रश्नोत्तर शैली में होता है। इनका एक उत्तर होता है। यह हमारी लोक संस्कृति की पहचान है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं एवं पुरूष कार्य करते समय तथा बच्चों से इससे सवाल जवाब शैली में पूछते हैं। तर्क आधारित इनका उत्तर बनता है, तथा ये अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द की तरह प्रतीत होता है। 1. एक थारी म दु अण्डा एक गरम एक ठण्डा - सूर्य, चन्द्रमा 2. हरियर घोड़ा पिंउरा लगाम नई जानबे त तोर ददा निलाम - सुआ 3. चार चोर चार कुसियार दुदी ठन खाइन - चारपाई 4. लाल बैला कुदावत हे, करिया बैल भागत है - आग कुहरा 5. थोरहे खाय हदर मरय, जादा खाय फूल मरे - गुब्बारा / फुग्गा 6.पण्डरा खेत म करिया नांगर - कलम 7.छै गोड़िया बईद बिन बलाये आथे बिन बिमारी सुजी देथे, बिन पैसा घर जाथे - मच्छर 8.हरियर लाटा, लाल पराठा - मेंहदी 9. करिया गाय करोंदा खाये, ढिले बईला लंका जाये - बंदूक 10. एक सींग के बोकरा, बेरेर-बेरेर नरियाय मुड़ी म चारा चरे, पांजर म पगुराय - जांता 11. पहर हे पर पखरा नइ ए, नदी पर जल नइए शहर हे पर मनखे नही, बन हें पर बिरिछ नहीं - नक्शा 12. छोट कन धागा, गोठ ले भागा - टेलीफोन 13. एक जानवर असली, हड्डी न पसली - जोंक 14. संगमरमर के दुर्ग बने हे, खिड़की न दुवार भीतर सागर बीच पुराइन, फूल बिना नार - अण्डा 15.सावन भादों खूब चले, माघ पूस में थोरी अमीर खुसरो कहन लागे, बुझ पहेली मेरी - ...

100+ छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी

Chhattisgarhi Nacha Chhattisgarhi Nacha का इतिहास मौर्य कल में निर्मित रामगढ़ पहाड़ी के जोगिमाडा गुफा से प्रारम्भ होता है , जो इसा पूर्वी तीसरी सताब्दी के खोदी गई थी । गुफा तक पहुंचने के लिए भूमि की सतह से गुफा तक सीढिया निर्मित है जो पहले से छत को काट कर के बनाई गई है । ये सीढिया गुफा के दायी और बनती है , जो रंगमंच या नाट्यशाला तक जाकर के खुलती है । यह नाट्यशाला एशिया की सस्बे पुराणी नाट्यशाला है , जंहा सुतनुका तथा देवदंत रंगकर्म में लोगो को सिखाते थे । पर्व , उत्सव , लोकनृत्य , लोकगीत , लोककथाएं , व्रत कथाए यंहा आंकलन से माना जाता है की यंहा वर्षभर होते थे । इसी नाट्यशाला को ध्यान में रखते हुए भरत ने पहली सदी ईस्वी में नाट्यशाला की रचना की होगी । इसी कारण से हो सकता है की भरतमुनि के नाट्यशास्त्र पुरे विश्व के रंगमंच और रंगकर्म का पहला प्रामाणिक ग्रन्थ बना । इतनी मज़बूत और स्थैतिक और प्रतिष्ठित होने के बाद में कुछ समय बाद में विघटन की और चला गया ।18 वी सतबादी में मराठो के आने के बाद में फिर फला फुला और इस युग हो युगांतकारी युग के रूप में जाना जाता है । 20 वी सताब्दी के अंतिम 3-4 दशक में फिर से रंगमच फला फुला और इसका श्रेय “हबीब तनवीर” के नए थियेटर के रूप में Chhattisgarh में रंगकर्म को नया रूप दिया । इन्ही के कारण से Chhattisgarhi Nacha partyको अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति मिली । हसबब तनवीर 1943-1944 तक भारतीय नाट्यसंघ से जुड़े थे । उन्होंने Chhattisgarhi कलाकारों को लेकर के मृच्छकटिकम नेटल की Chhattisgarhi अभिनव बिना किसी साज धज के प्रस्तुत किया ।तब से लेकर के आज तक पुरे छत्तीशगर में नाट्य रंगमच चलता आ रहा है । 1. नाचा (Chhattisgarhi Nacha) नाचा एक Chhattisgarhi बोली है जिसमे Chha...

छत्तीसगढ़ी जनउला CG Janaula with answer

Paheli को छत्तीसगढ़ी में जनउला कहते हैं। हमारे छत्तीसगढ़ में जनउला अर्थात cg paheliyon का चलन सालों से चला आ रहा है। पुराने समय में janaula की शुरुआत समय व्यतीत करने केलिए हुई थी तब इसका चलन केवल मौखिक रूप में था। अभी के समय में, चूंकि प्रतियोगी परीक्षाओ में भी छत्तीसगढ़ी पहेलियां पुछी जाति हैं, janaula की बढ़ती महत्व को देख कर इसे लिखित रूप में सहेज कर रखा जा रहा है। एक दशक पहले की ही बात है जनउला हमारे छत्तीसगढ़ में एक खेल की तरह प्रचलित था, जब लोग स्मार्टफोन से अनजान थे तब अकसर हमारे दादी या नानी हमे जनउला यानि की पहेलियाँ पूछते थे और इसे बच्चों का मनोरंजन के साथ साथ मानसिक विकास भी होता था। आप का भी अपने बचपन में कभी न कभी किसी तरह से सज जनउला से सामना हुआ होगा आज भी हम कोई cg paheli सुनते हैं तो हमे हमारा बचपन याद आ जाता है