पंगनूर गाय की कीमत

  1. देसी गाय की पहचान कैसे करें
  2. गायों की नस्लें क्या हैं? गाय की कीमत कितनी है?
  3. आंध्र प्रदेश में पाई जाने वाली इस छोटी गाय की कीमत है लाà¤
  4. why punganur cow breed is demand ivf cattle in maharashtra
  5. भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय कौन सी है ? नाम व कीमत [Photo]
  6. गीर गाय का पालन एवं गिर गाय की कीमत से जुडी जानकारी
  7. देसी गाय की उन्नत नस्लें : सबसे ज्यादा दूध देने वाली देसी गायों की 10 नस्लें


Download: पंगनूर गाय की कीमत
Size: 62.78 MB

देसी गाय की पहचान कैसे करें

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • देसी गाय (Desi Cows) से सम्बंधित जानकारी भारत देश में कई तरह के दुधारू पशुओ का पालन किया जाता है | हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रो में निवास करती है, तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालो लोगो के लिए आय का साधन खेती और गाय तो आपने देखी ही होगी, लेकिन क्या आप जानते है, कि आप जो गाय देख रहे है, वह किस नस्ल की है | भारत में गाय की कई नस्ले पायी जाती है | इसमें से कुछ नस्ले देसी गाय की होती है, और कुछ जर्सी गाय की पर क्या आपको मालूम है, कि देसी गाय की पहचान किस तरह से की जाती है | इस लेख में आपको इसी बारे में बताया जा रहा है, कि देसी गाय की पहचान कैसे करें तथा देसी गाय की कीमत व कहाँ से ख़रीद सकते है | गिर गाय की पहचान कैसे करें देसी गायों के प्रकार ( Desi Cows Breeds) भारत में लगभग 30 से अधिक देसी गाय की नस्ले पायी जाती है, जिन्हे आवश्यकता और उपयोगिता के हिसाब से 3 भागो में बांटा गया है | • दुग्धप्रधान एकांगी नस्ल :– इस प्रकार की गाय दूध उत्पादन में बेहतर मानी जाती है, लेकिन इसके बछड़े खेती के कार्य को करने के लिए उपयोगी नहीं होते है | • वत्सप्रधान एकांगी नस्ल :– इस नस्ल की गाय कम दूध देती है, लेकिन इसकी संतान • सर्वांगी नस्ल :– इस नस्ल की गाय दूध का अच्छा उत्पादन देने के साथ ही गाय से उत्पन्न बछड़े खेती के कार्यो को करने में भी उपयोगी होते है | देशी गाय की पहचान ( Indigenous Cow Identification) साहीवाल गाय ( Sahiwal Cow) इस नस्ल की गाय हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और दिल्ली में पायी जाती है | इसमें गाय का सर उभरा हुआ चौड़ा, माथा मझोला और सींग छोटी होती है | यह गाय पंजाब के...

गायों की नस्लें क्या हैं? गाय की कीमत कितनी है?

पहले, कई नौसिखिया किसानोंडेयरी जानवरों के अपने झुंड को बनाओ, इस बारे में सोचें कि गाय की कितनी लागत है? इसके अलावा, खरीदने से पहले, आपको कुछ सूक्ष्मताओं पर विचार करने की आवश्यकता है: क्या आपके पास उनके रख-रखाव के लिए पर्याप्त जगह है, क्या कोई बाजार है, और गायों को कहाँ चराया जाएगा। स्थिर जहां झुंड रखा जाना चाहिएगर्म और साफ, अच्छी हवादार और हल्का। और जानवरों के चरागाह के लिए आपको पारिस्थितिक रूप से साफ जगह की आवश्यकता होती है, जहां कार निकास और फैक्ट्री धूम्रपान नहीं पहुंचेंगे। इसके अलावा, जानवरों को खुद के लिए जलाशय मिलना चाहिए, यह चरागाह के पास भी स्थित होना चाहिए। यदि आप जानना चाहते हैं कि कितना पैसा लायक हैगाय, फिर ध्यान रखें कि इसकी कीमत कई मानकों से बना है। सबसे पहले, नस्ल, वजन, प्रदर्शन। आप कैसे पता लगा सकते हैं कि लाइव गाय की कीमतों में कितनी लागत है? सबसे पहले, डेयरी डेयरी गायों में एक लम्बा संकीर्ण धड़ होता है, और उनके पैर कम होते हैं, अगर हम उन्हें मांस नस्लों से तुलना करते हैं। इसके अलावा, उनके उदर बहुत बड़ा है। एक यिशिर दूध गाय कितना है? गायों की यह नस्ल बहुत बड़ी नहीं है, वे आमतौर पर होती हैंलाल मोटो सूट हैं। इसकी ऊंचाई 1.3 मीटर से अधिक नहीं है। ऐशिर गाय बहुत कठिन है, यह उत्तरी यूरोपीय क्षेत्रों में बड़ी उपज पैदा करने में सक्षम है, लेकिन गर्म वातावरण को बर्दाश्त नहीं करता है। इसकी लागत 20 से 25 हजार रूबल के बीच बदलती है। लातवियाई ब्राउन नस्ल गाय की लागत कितनी हो सकती है? चूंकि गायों की इस नस्ल बहुत कॉम्पैक्ट है और इसकी एक संकीर्ण रीढ़ की हड्डी है, यह किसानों के साथ बहुत लोकप्रिय है। सवाल यह है कि गाय की कीमत कितनी दूध उपज और वजन पर निर्भर करती है। Udder गाय कट...

आंध्र प्रदेश में पाई जाने वाली इस छोटी गाय की कीमत है लाà¤

आंध्र प्रदेश की पुंगनुर गाय दुनिया की सबसे छोटी गायों की नस्ल में आती है। इस गाय की कीमत लाखों में होती है। ईस्ट गोदावरी में रहने वाले कृष्णम राजू इस गाय का प्रजनन करते हैं। पुंगनूर गाय मात्र दो फुट लम्बी होती है और इसे ज्यादा देखभाल की भी आवश्यकता नहीं होती। कहते है कि इस गाय की औसत दूध उपज 3-5 लीटर प्रति दिन होती है और यह एक दिन में लगभग 5 किलो चारा ही खाती है।

why punganur cow breed is demand ivf cattle in maharashtra

महाराष्ट्र से आई ये खुशखबरी पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) के अनुसार, भारत के पहले पुंगनूर नस्ल के आईवीएफ बछड़े का जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ है. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत डीएएचडी ने एक ऐसी परियोजना शुरू की है जो स्वदेशी मवेशियों के संरक्षण के उद्देश्य से राष्ट्रीय डेयरी उत्पादन को महत्वपूर्ण बढ़ावा देने की क्षमता रखती है. इन गायों में उच्च पोषण एक अधिकारी ने कहा कि स्वदेशी मवेशियों के दूध में बीमारियों से लड़ने के लिए उच्च पोषण होता है. कई कारणों से, भारत ने पिछले कई दशकों में स्वदेशी मवेशियों में गिरावट देखी है. अब पशुपालन विभाग स्वदेशी, दुर्लभ गोवंश के संरक्षण के लिए मवेशियों के लिए आईवीएफ के उपयोग को बढ़ावा दे रहा है. लगातार मिल रही सफलता डीएएचडी बन्नी, थारपाकर और ओंगोल नस्लों के लिए भी इसी तरह के प्रयास कर रहा है. इससे पहले अक्टूबर में, भारत की पहली बन्नी भैंस का आईवीएफ बछड़ा गुजरात के सोमनाथ जिले में पैदा हुआ था, जबकि राजस्थान के सूरतगढ़ में आईवीएफ तकनीक के माध्यम से थारपाकर नस्ल की पहली मादा बछड़े का जन्म दर्ज किया गया था. देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय कौन सी है ? नाम व कीमत [Photo]

दूध में कई तरह के पोषक तत्व होते है, जो हमारे शरीर को अनेक प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है| हमारे देश में दूध का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है, जिसके लिए कई विशाल दूध डेयरी फार्म भी खुले हुए है | जर्सी गाय की पहचान कैसे करें भारत में सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय की सूची ( Indian Highest Milk Yielding Cow List) • साहीवाल गाय :- यह भारत की एक देसी और सबसे दुधारू प्रजाति की गाय है | इस प्रजाति की गाय हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पायी जाती है | साहीवाल गाय में एक दिन में तक़रीबन 15-25 लीटर दूध का उत्पादन देने की क्षमता होती है| यह प्रजाति भारत के अलावा पाकिस्तान में भी देखने को मिल जाती है | • थारपारकर नस्ल की गाय :- इस नस्ल की गाय को ज्यादातर राजस्थान और गुजरात में देखा जाता है | गुजरात के कच्छ और राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर और जैसलमेर में यह गाय देखने को मिल जाती है | इसके अलावा थारपारकर नस्ल की गाय पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी होती है | इस गाय की खास बात यह होती है, कि कम खुराक में अधिक दूध देती है | इस गाय के एक दिन के दूध का उत्पादन 10 से 15 लीटर होता है | • खिल्लारी नस्ल की गाय :- इस नस्ल की गाय का मूल स्थान कर्नाटक और महाराष्ट्र है, इसे पश्चिम महाराष्ट्र में भी पाया जाता है | इस प्रजाति की गाय देखने में खाकी रंग, लंबी सींग, छोटी पूँछ और बड़े सर वाली होती है | इसका गाला काफी बड़ा होता है | खिल्लारी प्रजाति का बैल अधिक शक्तिशाली होता है, तथा उसका औसतन वजन 450 KG होता है, और गाय का वजन 360 KG के आसपास पाया जाता है | इसके दूध में 4.2 प्रतिशत वसा पायी जाती है | यह गाय एक ब्यांत में तक़रीबन 240-515 लीटर दूध देती है | पशुपालन लोन कैसे मिलता ह...

गीर गाय का पालन एवं गिर गाय की कीमत से जुडी जानकारी

गिर गाय काठियावाड़ (गुजरात) जंगलो की गीर नसल की गाय गिर गाय गुजरात राज्य के काठियावाड़ (सौराष्ट्र) के दक्षिण में गीर नामक जंगलो में पायी जाती थी। लेकिन आज यह गुजरात के कुछ जिलो सहित देश के कुछ अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक वगेरा। गिर गाय की शारीरिक विशेषताएं इनका ललाट (माथा) विशेष उभरा हुआ और चौड़ा होता है, कान लम्बे और लटके हुए होते है तथा सिंग छोटे होते है। गीर नस्ल की गायों का रंग विशेष प्रकार का होता है। इनका मूल रंग सफ़ेद होता है और उसपे विविद रंगो के धब्बे होते है जो सारे शरीर पर फैले रहते है। ये धब्बहे कई गायों में बड़े बड़े और कई गायों में अत्यंत छोटे होते है। ये मध्यम से लेकर बड़े आकर तक पाई जाती हैं। इनका औसत वज़न 385 किलो ग्राम और इनकी ऊंचाई 130 सेंटी मीटर होती है। इस प्रजाति की गाय आकार में बड़ी होती है। • गीर गाय की पीठ मजबूत, सीधी और समचौरस होती है। • गीर गाय के कूल्हे की हड्डिया प्राय अधिक उभरी हुई होती है। पंच लम्बी होती है। • शुद्ध गीर नश्न की गाय प्राय एक रंग की नै होती। वे काफी दूध देती है। • गीर बैल मजबूत होते है, यद्यपी वे कुछ सुस्त और धीमे होते है। • उनसे बहुदा गाडी खींचने का काम लिया जाता है। गीर गौ वंश नियत समय पर बच्चे देती है। • इनकी दो बियाने में औसतन 12 से 14 महीने का अंतर होता है और ये गाय एक बियाने में औसतन 6500 से 8000 लीटर तक दूध देती है। • इस नस्ल की “ रामो ” नामक गौने, जो कांदिवली, मुंबई की “ गोरक्षा मंडली की थी, सादे 5 से सात साल की अवस्था में 444 दिनों के एक बियाने में 6000 लीटर दूध दिया। • इसी मंडल की “ प्राग कबीर ” नामक गौने 399 दिन के पहले बियाने में 4269 लीटर दूध दिया तथा बंगलोरे इंस्टिट्यूट की 26 नंबर की गाय ने...

देसी गाय की उन्नत नस्लें : सबसे ज्यादा दूध देने वाली देसी गायों की 10 नस्लें

देसी गाय : जानें, कौन-कौनसी है ये नस्ले और कितना दूध देती हैं? दूध और मांस के लिए पशुओं का पालन दुनिया भर में किया जाता रहा है। इसी के साथ भारत में प्राचीन काल से ही पशुपालन व्यवसाय के रूप में प्रचलित रहा है। वर्तमान में भी यह जारी है। भारत में करीब 70 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है। गांव में रहने वाले लोगों का प्रमुख व्यवसाय खेती और पशुपालन ही है। सरकार की ओर से भी पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चलाई जा रही है। वहीं पशुओं की चिकित्सा के लिए गांव में पशु चिकित्सालय भी खोले गए हैं। इस सब के बाद भी आज पशुपालन करने वाले किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इनके सामने सबसे बड़ी समस्या देसी गाय के पालन को लेकर है। सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे,ट्रैक्टरजंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 जानें, कैसे होती है देसी गाय की पहचान भारतीय देसी गाय की नस्लों की पहचान सरल है, इनमें कूबड़ पाया जाता है, जिसके कारण ही इन्हें कूबड़ धारी भारतीय नस्लें भी कहा जाता है, अथवा इन्हें देसी नस्ल के नाम से ही पुकारा जाता है। अधिक दूध उत्पादन वाली देसी गायें देसी गाय की कौनसी प्रजाति का चयन किया जाए ताकि अच्छा दूध उत्पादन मिल सके। तो आज हम इसी विषय को लेकर आए है कि आप देसी गाय की कौनसी किस्मों का चयन कर अच्छा दूध उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि उसी स्थान की नस्ल की गाय यदि उसी क्षेत्र में पाला जाए और संतुलित आहार दिया जाए तो बहुत अधिक फायदा पहुंचाती है। आइए जानते हैं क्षेत्रानुसार गाय की अच्छी 10 उन्नत प्रजातियों के बारें में- गिर नस्ल • गिर नस्ल की गाय का मूल स्थान गुजरात है। गिर गाय को भारत की सबसे ज्यादा दुधारू ...