छत्तीसगढ़ी पुराना होली गीत

  1. होली गीत
  2. तोला देखे रेहेंव गा … Tola Dekhe Rehenv Ga


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होली गीत

मुख मुरली बजाय मुख मुरली बजाय छोटे से स्याम कन्हैया 2 अरे छोटे से स्याम कन्हैया हो छोटे से स्याम कन्हैया 2 मुख मुरली बजाय मुख मुरली बजाय छोटे से स्याम कन्हैया 2 अरे छोटे मोटे रखवा कदम के कदम के कदम के भुइया लहसे डार भुइया लहसे डार ता ऊपर बईठे कन्हैया कन्हैया कन्हैया मुख मुरली बजाय मुख मुरली बजाय छोटे से स्याम कन्हैया 2 अरे छोटे से स्याम कन्हैया हो छोटे से स्याम कन्हैया 2 मुख मुरली बजाय मुख मुरली बजाय छोटे से स्याम कन्हैया 2 साकुर खोर गोकुल के गोकुल के गोकुल के राधा पनिया जाय राधा पनिया जाय बीचे मा मिलगे कन्हैया कन्हैया कन्हैया अंग लिए लपटाय अंग लिए लपटाय छोटे से स्याम कन्हैया 2 अरे छोटे से स्याम कन्हैया हो छोटे से स्याम कन्हैया 2 मुख मुरली बजाय मुख मुरली बजाय छोटे से स्याम कन्हैया 2

तोला देखे रेहेंव गा … Tola Dekhe Rehenv Ga

पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ पं.द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ का जन्म ‘जूना’ बिलासपुर में सन् 1908 की 6 जुलाई को हुआ। विप्र जी के पिता का नाम पं. नान्‍हूराम तिवारी और माता का नाम देवकी था। विप्र जी, दो भाई और दो बहनों में मंझले थे। विप्र जी जब 14-15 वर्ष की आयु के हुए तभी से इनका झुकाव इस आंचल की लोक परंपराओं तथा लोकगीतों की ओर हुआ। हाई स्‍कूल तक की शिक्षा इन्‍होंनें बिलासपुर में ही प्राप्‍त की फिर इम्‍पीरियल बैंक रायपुर एवं सहकारिता क्षेत्र में कार्य करते हुए सहकारी बैंक बिलासपुर में प्रबंधक नियुक्‍त हुए। सन् 1934 में आपकी एक छोटी सी पुस्तिका छत्तीसगढ़ी भाषा में “कुछू कहीं” नाम की प्रकाशित हुई। उसमें मात्र 10 गीत ही थे। लेकिन लोकगीतों की धुन पर नव आयाम का संदेश लिए हुए थे। आगे चलकर विप्र जी की पुस्तिका ‘सुराज गीत’, ‘गाँधी गीत’, ‘योजना गीत’, ‘फागुन गीत’, ‘डबकत गीत’ नाम की प्रकाशित हुई। आपकी अन्य पुस्तके हैं – राम अउ केंवट संग्रह, कांग्रेस विजय आल्हा, शिव-स्तुति, क्रांति प्रवेश, गोस्वामी तुलसीदास (जीवनी), महाकवि कालिदास कीर्ति । विप्र जी के व्यक्तित्व में एक अल्हड़पन अवधूतपन मार्गदर्शन एवं परदुखकातर की भावनाएं निहित थी। उनकी गणना एक महान सुधारक एवं राष्ट्रप्रेमी की श्रेणी में की जा सकती है। आपकी कविता के मुख्य विषय है – प्रेम, श्रृंगार एवं राष्ट्रीयता। इनके अतिरिक्त आपने तीखे हास्य-व्यंग्य गीत भी लिखे हैं। आपकी भाषा अभिधात्मक है तथा शैली इतिवृत्तात्मक भारतेन्दु तथा द्विवेदी गीत प्रवृतियाँ आपकी कविताओं में परिलक्षित होती है। पं.सुन्दरलाल शर्मा आपके नाना ससुर थे। विप्र जी भारतेन्दु साहित्य-समिति के प्रधान सचिव थे। धमनी हाट तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे धमनी ...