चिड़िया की कहानी

  1. Kisan Aur Chidiya Ki Kahani
  2. टीनू और चिड़िया के घोंसले की कहानी
  3. Nanhi Chidiya Ki Kahani
  4. Moral stories in hindi for class 10
  5. अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत
  6. किसान और चिड़िया की कहानी
  7. चिड़िया की कहानी


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Kisan Aur Chidiya Ki Kahani

एक गाँव में एक किसान रहता था. उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था. एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया. कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए. उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये. वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे. कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया. गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए. अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था. एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा. यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए. उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी. जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है. रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा.” चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों. मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी.” पढ़ें : चिड़िया की कही बात सही साबित हुई. दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई न हो सकी. शाम को किसान खेत में आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया. ऐसा करता हूँ कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ.” चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए. जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली, “तुम लोग चिंता मत करो. आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है. मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा.” ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा. चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है. अगली शाम किसा...

टीनू और चिड़िया के घोंसले की कहानी

यूँ तो टीनू हर साल अपनी गर्मी की छुट्टियाँ बिताने के लिए कहीं-न-कही जाती थी। लेकिन इस साल की छुट्टियों में टीनू रोज़ पास के ही बगीचे में जाकर पक्षियों और उनके घोंसले देखने लगी। उस बगीचे में गोरैया, दर्जिन, लवा जैसे बहुत-से पक्षी आते थे। टीनू बगीचे में आने वाली हर चिड़िया को पहचानने की कोशिश करती और उन्हें ग़ौर देखती रहती। टीनू देखती थी कि हर चिड़िया एक-एक घास, पत्ती, पंख, आदि को जोड़कर कैसे अपना घोंसला बना रही है। उसके मन में होता था कि चिड़िया को घोंसला बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। टीनू चाहती थी कि वो किसी तरह से उन पक्षियों की मदद करे। एक दिन टीनू ने देखा कि पास के बगीचे में बदमाश लड़कों ने लवा चिड़ियों का घोंसला तोड़ दिया है। टीनू को यह देखकर बहुत दुख हुआ। उसने सोचा कि क्यों न मैं इनके लिए खुद एक-दो घोंसले बना दूँ। शायद ये इसका इस्तेमाल कर लेंगीं। टीनू को लगा कि वो कुछ ही देर में घोंसला बनाकर तैयार कर देगी। लेकिन टीनू पूरा दिन तिनकों और दूसरी चीज़ों से चिड़िया का घोंसला बुनती रही। बड़ी मुश्किल से जब घोंसला तैयार हुआ, तो घोंसले को पेड़ पर टिकाने के लिए कुछ मिला नहीं। टीनू की माँ यह सब देख रही थी। तभी टीनू ने माँ को बताया, “देखिए न, मैंने चिड़िया के लिए एक घोंसला बनाया है। मगर यह उतना सुंदर नहीं है, जितना चिड़िया बनाती हैं। मैंने सोचा था आसानी से एक सुंदर घोंसला बन जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यह घोंसला अंदर से काफी कठोर बन गया है। क्या आप इसे मुलायम बना देंगी?” किसी तरह से टीनू की माँ ने उस घोंसले को थोड़ा ठीक किया। उसके बाद टीनू ने उस घोंसले को धागे की मदद से पेड़ पर टिका दिया। अब बगीचे में बैठकर टीनू लवा पक्षी के आने का इंतज़ार करने लगी। वो पक्षी बगीचे में आए तो, ...

Nanhi Chidiya Ki Kahani

एक दिन उस जंगल में भीषण आग गई. समस्त प्राणियों में हा-हाकार मच गया. सब अपनी जान बचाकर भागने लगे. नन्हीं चिड़िया जिस पेड़ पर रहा करती थी, वह भी आग की चपेट में आ गया था. उसे भी अपना घोंसला छोड़ना पड़ा. लेकिन वह जंगल की आग देखकर घबराई नहीं. वह तुरंत नदी के पास गई और अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल की ओर लौटी. चोंच में भरा पानी आग में पानी छिड़ककर वह फिर नदी की ओर गई. इस तरह नदी से अपनी चोंच में पानी भरकर बार-बार वह जंगल की आग में डालने लगी. जब बाकी जानवरों ने उसे ऐसा करते देखा, तो हँसने लगे और बोले, “अरे चिड़िया रानी, ये क्या कर रही हो? चोंच भर पानी से जंगल की आग बुझा रही हो. मूर्खता छोड़ो और प्राण बचाकर भागो. जंगल की आग ऐसे नहीं बुझेगी.” उनकी बातें सुनकर नन्हीं चिड़िया बोली, “तुम लोगों को भागना है, तो भागो. मैं नहीं भागूंगी. ये जंगल मेरा घर है और मैं अपने घर की रक्षा के लिए अपना पूरा प्रयास करूंगी. फिर कोई मेरा साथ दे न दे.” चिड़िया की बात सुनकर सभी जानवरों के सिर शर्म से झुक गए. उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ. सबने नन्हीं चिड़िया से क्षमा मांगी और फिर उसके साथ जंगल में लगी आग बुझाने के प्रयास में जुट गए. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और जंगल में लगी आग बुझ गई. सीख (Moral of the story nanhi chidiya) विपत्ति चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो? बिना प्रयास के कभी हार नहीं मानना चाहिए. Friends, आपको ये ‘ Nanhi Chidiya Story In Hindi‘ कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. ये Nanhi Chidya Ki Kahani पसंद आने पर Like और Share करें. ऐसी ही और Kids Stories With Moral In Hindi पढ़ने के लिए हमें S ubscribe कर लें. Thanks. More Stories In Hindi चालाक मुर्गे और गीदड़ की शिक्षाप्रद कहानी ऊँट और सि...

Moral stories in hindi for class 10

Moral stories in hindi for class 10 Moral stories in hindi,वह किसान बहुत सोचता है. क्योकि उसके पास धन नहीं था. उसका परिवार बहुत गरीबी में आ गया था. यह बहुत समय पहले की बात है. उस किसान के पास बहुत अच्छा खेत था. उसमे अच्छी फसल होती थी. लेकिन अचानक ही फसल खराब हो जाती है. उस किसान की फसल अगले साल भी खराब होती है. अब वह दुखी रहने लगता है. वह सोचता है. मेरे साथ यह क्यों हो रहा है. इसलिए वह अपने खेत के पास बैठा था. उस खेत में अब फसल अच्छी नहीं होती है. उस “किसान” के पास एक बहुत बड़ा पेड़ है. उस पेड़ पर एक चिड़िया बैठी थी. वह किसान को हमेशा देखा करती थी. क्योकि वह किसान उस चिड़िया को दाना देता था. मगर अब किसान के पास कुछ नहीं था. उस चिड़िया को लगता है. किसान बहुत दुखी है. मुझे उसकी मदद करनी चाहिए क्योकि “किसान” ने मुझे दाना खिलाया है. आज किसान का परिवार समस्या है. वह चिड़िया किसान के पास बैठ जाती है. किसान उस चिड़िया से कहता है. आज मेरे पास कुछ नहीं है. मुझे पता है. तुम्हे भूख लगी होगी. लेकिन में क्या कर सकता हु. मगर चिड़िया उस किसान से दाना नहीं मांग रही थी. बल्कि वह उसे खजाने के पास ले जाना चाहती थी. वह चिड़िया जानती है. उस किसान को वह धन मिल जाये उससे किसान की समस्या दूर हो सकती है. इसलिए वह चिड़िया बार बार किसने के पास उड़ती है. मगर किसान उसकी बात नहीं समझ रहा था. वह किसान कहता है. तुम क्या कहना चाहती हो. कुछ देर बाद किसान को समझ आता है. वह उसे कही ले जाना चाहती है. वह “किसान” उस चिड़िया के साथ चलता है. वह चिड़िया उस किसान को बहुत दूर लेकर आ गयी थी. वह किसान कहता है. तुम मुझे किस जगह पर लायी हो. वह किसान एक गुफा को देखता है. उस गुफा के बाहर वह चिड़िया उड़ती है. वह किसान उस गुफा के अंदर जाता...

अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत

अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहानी-एक किसान था उसके पास थोड़ी सी जमीन थी | किसान खूब लगन और मेहनत से खेती करता था और अपने परिवार का भरण पोषण करता था | किसान धीरे-धीरे बूढ़ा होने लगा था अब उससे मेहनत भी नहीं हो पाती थी | किसान का एक बेटा था जो अब जवान हो गया था परन्तु वह अपने पिता के समान मेहनत नहीं कर पाता था | एक दिन किसान ने अपने बेटे को बुलाया और कहा–" बेटा ! अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और अब मेरे हाँथ पैरों में पहले जितनी ताकत नहीं रही | अब खेती का काम मुझसे नहीं हो पाता है | अब तुम जवान हो गए हो और खेती के सांथ-सांथ घर गृहस्थी का कार्य भी तुम्हें ही देखना पड़ेगा |” तभी कहीं से रात्रि में एक विशाल पक्षियों का झुण्ड आ गया और उसकी सारी फसल को खा गया | तीसरे दिन जब लड़का खेत आया तो पक्षियों के झुण्ड द्वारा अपनी फसल की हालत देखकर बहुत पछताने लगा | तभी वह बुजुर्ग लड़के के पास आया और कहने लगा–“ अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत |” अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गई खेत कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि समय रहते कार्य कर लेना चाहिए नहीं तो फिर सिर्फ पछताना पड़ता है |

किसान और चिड़िया की कहानी

एक गांव में एक किसान रहता था। उसने अपने खेत में फसल की बुवाई कर दी। उसी खेत में एक चिड़िया आकर अपना घोंसला बना दी। कुछ दिन बाद उस चिड़िया ने घोंसले में अंडे दिए। अंडे देने की कुछ दिन बाद उन अंडों से बच्चे निकल गए। धीरे-धीरे उस किसान का फसल भी तैयार हो गया अब फसल की की कटाई का समय आ गया था। एक दिन किसान खेत में आया और बोला-” मैं कुछ आदमियों को अपने खेत की कटाई के लिए कल भेज दूंगा, जो सारे फसल को काटकर मेरे घर ला देंगे!” इस बात को सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए मगर चिड़िया ने अपने बच्चों से कहा-” मत बच्चों! कल यह फसल नहीं कटेगी।” अगले दिन चिड़िया की बात सही हुई। फसल नहीं कटी। किसान फिर खेत में आया और उसने कहा-” मैं अपने कुछ दोस्तों को कल भेज कर फसल को पक्का कटवा दूंगा!” अब किसान की बातें सुनकर चिड़िया के बच्चे फिर डर गए और चिड़िया से बोले -” अब हमे खेत छोड़कर जाना पड़ेगा!” चिड़िया ने बोला -” कोई बात नहीं कल भी हमें खेत छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा।” अगले दिन उस किसान के दोस्त खेत की कटाई के लिए नहीं है। किसान शाम को खेत में फिर आया और कहा-” अब कल मैं खुद आऊंगा अपने खेत की कटाई करने के लिए!” यह सुनते ही चिड़िया अपने बच्चों से बोली-” बच्चों अब हमें खेत छोड़कर जाना पड़ेगा।” तब बच्चों ने चिड़िया से पूछा –“आप इतने विश्वास के साथ कैसे कर सकती हैं कि हमें खेत छोड़कर जाना पड़ेगा?” तब चिड़िया ने कहा-” पहले किसान दूसरों पर निर्भर था इसलिए उसका कार्य सही समय पर नहीं हुआ! लेकिन अब वह खुद ही अपना काम करेगा और सही समय पर कर लेगा।” इस तरह से उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत को छोड़ कर चले गए। दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें अपना कार्य खुद ही करना चाहिए, दूसरों पर निर्...

चिड़िया की कहानी

Chidiya Ki Khahani – चिड़िया की कहानी Chidiya Ki Kahani ( बहादुर चिड़िया ) :- एक घने जंगल में बहुत से जानवर रहा करते थे| एक बार गर्मी के मौसम में जंगल में आग लग गई| जंगल के सारे जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे| चिड़िया यह भयानक नजारा दूर से देख रही होती है। उसे सारे जानवरों पर बहुत दया आती है और वह अपने जंगल को इस तरह से जलते हुए भी नहीं देख पा रही थी| चिड़िया सोचती है , कि वह कैसे भी करके ऐस आग को बूझाएगी| चिड़िया पास के तालाब में जाती है और अपनी चोच में पानी भरकर जंगल में लगी आग में डाल देती है| ऐसा वह कई बार करती है पर चिड़िया की इस प्रयास का उसे कोई फल नहीं मिलता , क्योंकि चाहे वह कितनी भी कोशिश कर ले , उसके लिए अकेले आग बुझाना तो मुमकिन ही नहीं था| दूर बैठा उल्लू चिड़िया को यह सब करते देखता है और सोचता है , कि चिड़िया कितनी मूर्ख है , कि आग बुझाने की कोशिश कर रही है| उल्लू चिड़िया के पास जाता है और उसे कहता है , कि क्या उसे पता नहीं है , कि वह ऐसा करके भी आग नहीं बुझा सकती ? चिड़िया उल्लू से कहती है कि वह भली-भांति जानती है , कि उसके लिए आग बुझाना मुमकिन नहीं है पर इसका मतलब यह नहीं है , कि वह प्रयास भी ना करें| चिड़िया कहती है , कि चाहे कुछ भी हो जाए | वह अपने जंगल को बचाने के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी| उल्लू चिड़िया की इस बात से बहुत प्रभावित होता है और वह भी आग बुझाने में उसकी मदद करने लग जाता है| उल्लू भी अपनी चोच में पानी ले जाता और आग में डाल देता| जब जंगल के बाकी जानवर उल्लू और चिड़िया की आग बुझाने के इस प्रयास को देखते हैं , तो वह भी उनके साथ-साथ आग बुझाने में लग जाते हैं| वे सब तालाब से थोड़ा-थोड़ा पानी लेकर जाते और आग बुझाने की कोशिश करते| ज...