Climate change in hindi

  1. Economic impact of climate change: जलवायु परिवर्तन की उच्च लागत जानना जरूरी
  2. ग्लोबल वार्मिंग क्या है? हम पर इसका क्या असर होता है?
  3. जलवायु परिवर्तन: आर्थिक विकास की राह में रुकावट
  4. जानिए डेटॉल के क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट के पीछे का एजेंडा, जिसका उद्देश्य भारत में जलवायु परिवर्तन संकट से निपटना है
  5. जलवायु जोखिमों से शान्ति व सुरक्षा के लिए ख़तरा, यूएन मिशन के लिए बढ़ी चुनौतियाँ
  6. जलवायु परिवर्तन


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Economic impact of climate change: जलवायु परिवर्तन की उच्च लागत जानना जरूरी

June 15, 2023मई में Indigo के पाले आया देसी उड़ानों का सबसे ज्यादा बाजार June 15, 2023भ्रामक डिजिटल विज्ञापनों पर निर्देश June 15, 2023सरकार को सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से डिविडेंड के रूप में मोटी कमाई June 15, 2023जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को 5 साल बाद मिलेगा कर्ज June 15, 2023ईंधन के दामों में कटौती के आह्वान का असर, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में कमी के आसार! June 15, 2023बातचीत विफल, मैकलॉयड रसेल से निकली कार्बन रिसोर्सेज June 15, 2023क्रिसकैपिटल से 10 करोड़ डॉलर जुटाएगी lenskart June 15, 2023जून में ई-स्कूटर की बिक्री पड़ी धीमी, केवल 29 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन June 15, 2023अप्रैल में क्रेडिट कॉर्डों की संख्या 865 लाख के रिकॉर्ड स्तर पर, छोटे शहरों में पहुंचने से संख्या में इजाफा June 15, 202311 जुलाई को GST काउंसिल की बैठक, ऑनलाइन गेमिंग की समस्या का हो सकता है समाधान • होम • बजट 2023 • अर्थव्यवस्था • बाजार • शेयर बाजार • म्युचुअल फंड • आईपीओ • समाचार • कंपनियां • स्टार्ट-अप • रियल एस्टेट • टेलीकॉम • तेल-गैस • एफएमसीजी • उद्योग • समाचार • पॉलिटिक्स • लेख • संपादकीय • आपका पैसा • भारत • उत्तर प्रदेश • महाराष्ट्र • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ • बिहार व झारखण्ड • राजस्थान • अन्य • मल्टीमीडिया • वीडियो • टेक-ऑटो • विविध • मनोरंजन • ट्रैवल-टूरिज्म • शिक्षा • स्वास्थ्य • अन्य • विशेष • आज का अखबार • ताजा खबरें • अंतरराष्ट्रीय • वित्त-बीमा • फिनटेक • बीमा • बैंक • बॉन्ड • समाचार • कमोडिटी • खेल • BS E-Paper मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि देशों को जलवायु परिवर्तन की संभावित उच्च राजकोषीय लागत और बदलाव वाली नीतियों के प्र...

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? हम पर इसका क्या असर होता है?

वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और भयंकर बारिश हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान में वृद्धि क्या है? ग्लोबल वार्मिंग औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दर्शाता है। 1880 के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। ग्लोबल वार्मिंग का क्या कारण है? कुछ गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पृथ्वी के वातावरण में सूरज की गर्मी को अपने अंदर रोकती हैं। ये मानव गतिविधियों, विशेष रूप से बिजली वाहनों, कारखानों और घरों में वायुमंडल में इन ग्रीनहाउस गैसों की उच्च सांद्रता पृथ्वी पर अधिक गर्मी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के पीछे मानवगतिविधियां मुख्य है। क्या जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग से अलग है? एनवायर्नमेंटल एंड एनर्जी स्टडीज इंस्टीट्यूट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का उपयोग अक्सर एक-दूसरे के लिए किया जाता है, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक मौसम, तूफान, लू, सूखे और बाढ़ से क्या लेना- देना है? वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और बारिश कर सकता है, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो सकता है। बढ़ी हुई वर्षा से कृषि को लाभ हो सकता है, लेकिन एक ही दिन में अधिक तीव्र तूफानों के रूप में वर्षा होने से, फसल, संपत्ति, बुनियादी ढांचे को नुकसान होता है और प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन का...

जलवायु परिवर्तन: आर्थिक विकास की राह में रुकावट

यह एडिटोरियल 27/08/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Inclusion of climate change in policy is crucial for a strong economy” लेख पर आधारित है। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में चर्चा की गई है। संदर्भ इस बात पर वैश्विक सहमति बढ़ती जा रही है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर के देशों के विकास प्रक्षेपवक्र पर दबाव उत्पन्न कर रहा है, जिसके प्रकट आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव नज़र आ रहे हैं। • विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वैश्विक जोखिम रिपोर्ट (Global Risks Report, 2020) के अनुसार अगले दशक में शीर्ष 5 जोखिमों में से सभी जलवायु से संबंधित हो सकते हैं। इन जोखिमों में मानवजनित पर्यावरणीय आपदाएँ, जलवायु कार्रवाई विफलता, प्राकृतिक आपदाएँ, जैव विविधता हानि और चरम मौसमी घटनाएँ शामिल हैं। • वर्ष 2018 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार विलियम डी. नॉर्डहॉस और पॉल रोमर को जलवायु परिवर्तन को दीर्घकालिक व्यापक आर्थिक विश्लेषण में एकीकृत करने के लिये प्रदान किया गया था। • जबकि पूरा विश्व ही जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ इसके प्रति विशेष रूप से भेद्य/संवेदनशील हैं। इस प्रकार, एक भौतिक पहलू के रूप में जलवायु जोखिम भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय स्तर की नीतियों, व्यावसायिक रणनीतियों और वित्त के पुनर्विन्यास को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है। जलवायु परिवर्तन क्या है? • जलवायु परिवर्तन तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक परिवर्तन को संदर्भित करता है। ये परिवर्तन प्राकृतिक हो सकते हैं, जैसे सौर चक्र में बदलाव के माध्यम से। • लेकिन 1800 के दशक से मानव गतिविधियाँ जलवायु परि...

जानिए डेटॉल के क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट के पीछे का एजेंडा, जिसका उद्देश्य भारत में जलवायु परिवर्तन संकट से निपटना है

बेहतर भविष्य के लिए रेकिट की प्रतिबद्धता जानिए डेटॉल के क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट के पीछे का एजेंडा, जिसका उद्देश्य भारत में जलवायु परिवर्तन संकट से निपटना है पर्यावरण के प्रति जागरूक बच्चों का एक कैडर तैयार करने के लिए डेटॉल इंडिया ने भारत में जलवायु अनुकूल स्कूलों (Climate resilient schools) के निर्माण की एक पहल शुरू की है. आइये जानते हैं इन स्कूलों के बारे में ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 के अनुसार, भारत जलवायु परिवर्तन प्रभाव के मामले में सातवां सबसे कमजोर देश है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने एशिया रिपोर्ट 2020 में अपने स्टेट ऑफ द क्लाइमेट में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न 9 खराब मौसम की घटनाओं के कारण भारत में औसतन 87 बिलियन डॉलर के सालाना नुकसान का अनुमान लगाया है. आजीविका को प्रभावित करने के अलावा, ये खराब मौसम की घटनाएं जीवन को उजाड़ रही हैं और विस्थापन की ओर ले जा रही हैं. जिनेवा स्थित इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेन्टर (IDMC) द्वारा आंतरिक विस्थापन पर हाल की वैश्विक रिपोर्ट में पाया गया है कि प्राकृतिक आपदाओं, भारी बाढ़ और चक्रवातों ने 2022 में भारत में 2.5 मिलियन लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित किया है. यूनिसेफ के प्रकाशन ‘द चैलेंजेस ऑफ क्लाइमेट चेंज’ में कहा गया है कि गर्म होती दुनिया बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रही है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एवं दिल्ली के साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल डिपार्टमेंट द्वारा 2017-2020 में वाराणसी के 16 वर्ष से कम उम्र के 461 बच्चों को लेकर एक जांच की गई. इससे पता चला कि तापमान, आर्द्रता, वर्षा, सोलर रेडिएशन, जलवायु पैरामीटर और हवा की गति सभी संक्रामक रोगों के मामलों में 9-18% के लिए जिम्मेदार है. जबकि, श्वास संबंधित ऊपर...

जलवायु जोखिमों से शान्ति व सुरक्षा के लिए ख़तरा, यूएन मिशन के लिए बढ़ी चुनौतियाँ

Lacroix_UN इस पृष्ठभूमि में, यूएन मिशन अपने कार्बन पदचिन्हों को घटाने के लिए क़दम उठा रहे हैं ताकि उनसे उपज रहे दुष्परिणामों से निपटा जा सके. अवर महासचिव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, शान्ति एवं सुरक्षा के बीच बढ़ते सम्बन्ध, और यूएन मिशन वाले क्षेत्रों में आ रहे वृहद बदलावों के मद्देनज़र, हमें आवश्यकता के अनुरूप ढलना होगा. ज्याँ-पियेर लाक्रोआ ने ध्यान दिलाया कि जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी आयोग ( वर्ष 2023 में यह दूसरी बार है जब इन रुझानों पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद में दूसरी औपचारिक बैठक आयोजित की गई है. बैठक के दौरान कोलम्बिया के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल पुरस्कार विजेता ह्वान मैनुएल सांटोस समेत 70 से अधिक वक्ताओं ने जलवायु परिवर्तन और बदतर हो रही सुरक्षा व्यवस्था पर विचारों का आदान-प्रदान किया. जलवायु एवं सुरक्षा अवर महासचिव लाक्रोआ ने मौजूदा प्रयासों की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि अतीत के कुछ वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश शान्ति अभियानों को पहले से कहीं अधिक ख़तरों और राजनैतिक चुनौतियों से जूझना पड़ा है. “सीमा-पार चुनौतियाँ, पर्यावरणीय क्षरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण गहन होती जा रही चरम मौसम घटनाएँ, शासनादेश (mandate) को लागू कर पाने की हमारी सामर्थ्य के समक्ष चुनौती पेश कर रही है.” “हम नाज़ुक हालात का सामना कर रहे सदस्य देशों और जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे [देशों] के बीच एक मज़बूत पारस्परिक सम्बन्ध को देखते हैं.” बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से 16 देश सबसे संवेदनशील हैं, उनमें से 9 देशों में संयुक्त राष्ट्र फ़ील्ड मिशन सेवारत हैं: अफ़ग़ानिस्तान, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, हेती, माली, सोमालिया, सूडान, दक्षिण सूडान...

जलवायु परिवर्तन

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में जलवायु परिवर्तन की चुनौती पर चर्चा की गई है। साथ ही इससे निपटने के प्रयासों का भी उल्लेख किया गया है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। संदर्भ विश्व भर में जलवायु परिवर्तन का विषय सर्वविदित है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है एवं इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता बन गई है। आँकड़े दर्शाते हैं कि 19वीं सदी के अंत से अब तक पृथ्वी की सतह का औसत तापमान लगभग 1.62 डिग्री फॉरनहाइट (अर्थात् लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस) बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इंच की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से विचार करने का है। क्या है जलवायु परिवर्तन? • जलवायु परिवर्तन को समझने से पूर्व यह समझ लेना आवश्यक है कि जलवायु क्या होता है? सामान्यतः जलवायु का आशय किसी दिये गए क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है। • अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं। • जलवायु परिवर्तन को किसी एक स्थान विशेष में भी महसूस किया जा सकता है एवं संपूर्ण विश्व में भी। यदि वर्तमान संदर्भ में बात करें तो यह इसका प्रभाव लगभग संपूर्ण विश्व में देखने को मिल रहा है। • पृथ्वी के समग्र इतिहास में यहाँ की जलवायु कई बार परिवर्तित हुई है एवं जलवायु परिवर्तन की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं। • पृथ्वी का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते है...