चन्द्रशेखर आजाद के नारे

  1. चन्द्रशेखर आज़ाद
  2. चंद्रशेखर आजाद
  3. चन्द्रशेखर आजाद के पौत्र बोले
  4. चन्द्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (कविता & नारें)


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चन्द्रशेखर आज़ाद

चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान पहली घटना [ ] १९१९ में हुए ऐसे ही कायदे (कानून) तोड़ने के लिये एक छोटे से लड़के को, जिसकी उम्र १४ या १५ साल की थी और जो अपने को आज़ाद कहता था, बेंत की सजा दी गयी। उसे नंगा किया गया और बेंत की टिकटी से बाँध दिया गया। बेत एक एक कर उस पर पड़ते और उसकी चमड़ी उधेड़ डालते पर वह हर बेत के साथ चिल्लाता'भारत माता की जय!'। वह लड़का तब तक यही नारा लगाता रहा, जब तक की वह बेहोश न हो गया। बाद में वही लड़का उत्तर भारत के क्रान्तिकारी कार्यों के दल का एक बड़ा नेता बना। झांसी में क्रांतिकारी गतिविधियाँ [ ] चंद्रशेखर आजाद ने एक निर्धारित समय के लिए झांसी को अपना गढ़ बना लिया। झांसी से पंद्रह किलोमीटर दूर ओरछा के जंगलों में वह अपने साथियों के साथ निशानेबाजी किया करते थे। अचूक निशानेबाज होने के कारण चंद्रशेखर आजाद दूसरे क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के छ्द्म नाम से बच्चों के अध्यापन का कार्य भी करते थे। वह धिमारपुर गाँव में अपने इसी छद्म नाम से स्थानीय लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गए थे। झांसी में रहते हुए चंद्रशेखर आजाद ने गाड़ी चलानी भी सीख ली थी। क्रान्तिकारी संगठन [ ] असहयोग आन्दोलन के दौरान जब फरवरी १९२२ में (चौरी चौरा) की घटना के पश्चात् बिना किसी से पूछे (गाँधीजी) ने आन्दोलन वापस ले लिया तो देश के तमाम नवयुवकों की तरह आज़ाद का भी हिन्दुस्तानी प्रजातान्त्रिक संघ (एच० आर० ए०) का गठन किया। चन्द्रशेखर आज़ाद भी इस दल में शामिल हो गये। इस संगठन ने जब गाँव के अमीर घरों में डकैतियाँ डालीं, ताकि दल के लिए धन जुटाने की व्यवस्था हो सके तो यह तय किया गया कि किसी भी औरत के ऊपर हाथ नहीं उठाया ...

चंद्रशेखर आजाद

पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' 23जुलाई 1906 - 27 फ़रवरी 1931) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये.आइये उनके जीवन के संघर्षो को जीने की कोशिश करें। (1919में हुए अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार ने देश के नवयुवकों को उद्वेलित कर दिया। चन्द्रशेखर उस समय विद्यालय में पढाई कर रहे थे। जब गांधीजी ने सन् 1921 में असहयोग आन्दोलनका फरमान जारी किया तो वह आग ज्वालामुखी बनकर फट पड़ी और तमाम अन्य छात्रों की भाँति चन्द्रशेखर भी सडकों पर उतर आये।चंद्रशेखर आपने विद्यालय के छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।) (चंद्रशेखर सभी छात्रों को आगे करके" भारत माता की जय ""गांधीजी अमर रहें लगाते हुए शहर में घूमने लगे तभी पुलिस वहां पहुंची और इस जुलुस को घेर लिया चंद्रशेखर ने पुलिस इंस्पेक्टर से कहा इन सब को जाने दें ये मेरे कहने पर इस जुलुस में सम्मिलित हुए है। पुलिस चंद्रशेखर को पकड़ कर मजिस्ट्रेट मिस्टर खरेघाट कि अदालत में पेश करती है।) (सभी क्रांतिकारियों ने मिल कर हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना का निर्माण किया इस संघटन में भगत सिंह राम प्रसाद बिस्मिल राजगुरु सुखदेव आदि अनेक शहीद करांतिकारी थे इन्होने ब्रिटिश सम्राज्य कि नाक में दम कर लिया था। उन दिनों भारत को कुछ राजनेतिक स्वयत्तता देने के लिए जान साइमन के नेतृत्व में एक आयोग बना जिसका भारत में पुरजोर विरोध हुआ पुलिस ने प्रदर्श...

चन्द्रशेखर आजाद के पौत्र बोले

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के प्रपौत्र अमित आजाद तिवारी ने सभी से क्रांतिकारी शहीदों के सम्मान का आह्वान किया। लखनऊ में बन रही चंद्रशेखर आजाद की 151 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा के निर्माण हेतु राष्ट्र चेतना मिशन द्वारा 21 हजार रुपए का चैक भेंट कर सहयोग भी प्रदान किया गया। नगर के विराट फार्म हाउस में सम्पन्न कार्यक्रम का शुभारंभ बुलंदशहर में पहली बार पधारे पंडित चंद्रशेखर आजाद के वंशज एवं एचआरए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्य अतिथि अमित आजाद तिवारी, कार्यक्रम अध्यक्ष कैप्टन बदन सिंह राठी, विशिष्ट अतिथि स्वामी कैलाशानन्द क्रांति महाराज, राष्ट्र चेतना मिशन के संरक्षक सीए मनीष मांगलिक, अध्यक्ष हेमन्त सिंह, सचिव सवदेश चौधरी, कोषाध्यक्ष उमेश कुमार आदि ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया। संरक्षक सीए मनीष मांगलिक ने राष्ट्र चेतना मिशन के विगत 7 वर्षों की सेवा साधना पर प्रकाश डालते हुए जनसेवा हेतु सदैव तत्पर रहने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया। जय भगवान खटीक एवं शुभ पंडित ने भी संस्था द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सेवा कार्यों के अनुभव साझा किए।

चन्द्रशेखर आजाद का जीवन परिचय (कविता & नारें)

About Chandrashekhar Azad: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय उनके पिता इमानदार स्वाभिमानी साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चन्द्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिली थी आजाद के सम्मान में अब उनके गांव का नाम बदलकर चन्द्रशेखर आजाद नगर कर दिया गया है । मूल रूप से उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से था लेकिन अकाल पड़ने के कारण उनके पिता को अपने पैतृक गांव छोड़कर मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में रहने लगे।यह भील जनजाति का इलाका था और इसी वजह से बालक चन्द्रशेखर को भील बालकों के साथ धनुर्विद्या निशाने बाज़ी करने का ख़ूब मौका मिला। चन्द्रशेखर आजाद की पढ़ाई – Education of Chandrashekhar Azad चन्द्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गये और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आन्दोलन में योगदान दिया था। वे 20 वर्ष की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। गिरफ्तार होने पर जज के सामने लाएं गये जहां उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतन्त्रता और जेल को अपना घर बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़ों की मार के साथ उन्होंने वन्दे मातरम और chandrashekhar azad statue in मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है। चन्द्रशेखर आजाद चन्द्रशेखर आजाद के क्रान्ति की शुरुआत – Revolution of Chandrashekhar Azad जलियांवाला बाग कांड के बाद चन्द्रशेखर को समझ में आया कि आजादी बात से नहीं बन्दूक से मिलेगी।उन दिनों महत्मा गांधी और कांग्रेस का अहिंसात्मक आंदोलन चरम सीमा पर था और पूरे देश में उन्हें भारी समर्थन मिल रहा था। ऐसे में हिंसात्मक गतिविधियों के पैरों कार कम ही थे चन्द्रशेखर आजाद ने भी महात्मा गांधी द...