Hadappa sabhyata kis yug ki sabhyata hai

  1. भारतीय स्थापत्य कला
  2. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी
  3. हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता)। Harappa
  4. सिंधु घाटी सभ्यता
  5. हड़प्पा सभ्यता की विशेषता
  6. भारतीय स्थापत्य कला
  7. हड़प्पा सभ्यता की विशेषता
  8. हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता)। Harappa
  9. सिंधु घाटी सभ्यता
  10. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी


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भारतीय स्थापत्य कला

[[chitr:Well-And-Bathing-Platforms-Harappa.jpg|thumb| bharatiy sthapaty kala ki utpatti siandhu ghati sabhyata • REDIRECT siandhu ghati sabhyata ya h dappa sabhyata ka kal 3500-1500 ee.poo. tak mana jata hai. isaki ginati vishv ki char sabase purani sabhyataoan mean ki jati hai. h dappa ki nagar yojana isaka ek jivant sakshy hai. nagar yojana is tarah ki thi ki s dakeean ek-doosare ko samakon mean katati thian. mauryakalin sthapaty kala • REDIRECT kala ki drishti se h dappa ki sabhyata aur maury kal ke bich lagabhag 1500 varsh ka aantaral hai. is bich ki kala ke bhautik shuang, kushan aur satavahan vansh 232 ee.poo. mean ashok ki mrityu ke tho de kal pashchath hi guptakalin sthapaty kala [[chitr:Dashavatara-Temple-Deogarh.jpg|thumb| • REDIRECT cholakalin sthapaty kala saltanatakalin sthapaty evan vastukala • REDIRECT [[chitr:Qutub-Minar-1.jpg|thumb|450px| • saltanat kal mean sthapaty kala ke antargat hue nirman karyoan mean bharatiy evan • saltan kal ke nirman kary jaise- qila, maqabara, masjid, mahal evan • is kal mean mandiroan ko to dakar unake malabe par bani masjid mean ek naye dhang se • saltanat kal mean sultanoan, amiroan evan soophi santoan ke smaran mean maqabaroan ke nirman ki parampara ki shuruat huee. • is kal mean hi imaratoan ki mazabooti hetu patthar, kankarit evan achchhe qism ke choone ka prayog kiya gaya. • saltanat kal mean imaratoan mean pahali bar vaijnanik dhang se meharab evan gumbad ka prayog kiya gaya. yah • saltanat kal mean imaratoan ki saj-sajj...

हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी

हड़प्पा पूर्वोत्तर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है। यह साहिवाल शहर से 20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। सिन्धु घाटी सभ्यता के अनेकों अवशेष यहाँ से प्राप्त हुए हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को इसी शहर के नाम के कारण हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। 1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब दयाराम साहनी ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर ने भी खुदाई का कार्य किया था। हड़प्पा शहर का अधिकांश भाग रेलवे लाइन निर्माण के कारण नष्ट हो गया था।

हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता)। Harappa

प्रागैतिहासिक काल में लोग पत्थर से बने औज़ारों और शस्त्रों का उपयोग करते थे। इसके बाद लोगों ने धातुओं का उपयोग प्रारंभ कर दिया था। तांबा ऐसी पहली धातु थी, जिसका उपयोग व्यक्ति ने औजार बनाने के लिए किया। धीरे-धीरे भारतीय उप–महाद्वीप में अनेक ऐसी सभ्यताओं का विकास हुआ, जो पत्थर और तांबे के औजारों के उपयोग पर आधारित थीं। वे इस प्रयोजन के लिए कांसे का उपयोग भी करती थीं, जो तांबे और रांगे (टिन) का मिश्रण था। इतिहास के इस चरण को ताम्र-पाषाण (चाल्कोलिथिक) युग के नाम से जाना जाता है। (चाल्को यानी तांबा और लिथिक यानी पत्थर) भारत में ताम्र-पाषाण काल का सर्वाधिक उदीयमान अध्याय है, हड़प्पा की सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं। हडप्पा की सभ्यता की खोज 1920-22 में की गई थी, जब इसके दो बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थलों पर खुदाई की गई थी। ये स्थान थे, रावी नदी के किनारे बसा हड़प्पा और सिंधु नदी के किनारे बसा मोहनजोदडो। पहले स्थान की खुदाई की गई थी डी.आर. साहनी (दयाराम साहनी) द्वारा और दूसरे की आर.डी. बनर्जी द्वारा। पुरातात्विक खोजों के आधार पर हड़प्पा की सभ्यता को 2600 ईसा पूर्व-1900 ईसा पूर्व के कालखंड के बीच माना गया है और ये विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। कई बार इसे 'सिंधु घाटी सभ्यता' भी कहा जाता है, क्योंकि प्रारंभ में इसकी जितनी भी बस्ति की खोज हुई, वे सभी सिंधु नदी या इसकी सहयोगी नदियों के पास या इसके आसपास के मैदानों में स्थित थीं। परन्तु आजकल इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है, क्योंकि हड़प्पा ही वह पहला स्थान था, जिससे इस सभ्यता का अस्तित्व प्रकाश में आया। इसके अतिरिक्त, हाल ही के पुरातात्विक अन्वेषणों से ये संकेत मिलता है कि इस सभ्यता का विस्तार सिंधु नदी के पूरे के...

सिंधु घाटी सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता (पूर्व हड़प्पा काल: ३३००-२५०० ईसा पूर्व, परिपक्व काल: २६००-१९०० ई॰पू॰; उत्तरार्ध हड़प्पा काल: १९००-१३०० ईसा पूर्व) [ [ यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। [ इसका विकास लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। १९२१ में यह सभ्यता अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 विभिन्न काल • 3 विस्तार • 3.1 प्रमुख नगर • 3.2 हिन्दुकुश पर्वतमाला के पार अफगानिस्तान में • 3.2.1 भारत में • 4 नगर निर्माण योजना • 5 आर्थिक जीवन • 5.1 कृषि एवं पशुपालन • 5.2 पशु-पालन • 5.3 उद्योग-धन्धे • 5.4 व्यापार • 6 राजनैतिक जीवन • 7 धार्मिक जीवन • 8 शिल्प और तकनीकी ज्ञान • 9 अवसान • 10 चित्र दीर्घा • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति सिन्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था॥ सिन्धु इण्डस नदी के किनारे बसने वाली सभ्यता थी और अपनी भौगौलिक उच्चारण की भिन्नताओं की वजहों से इस इण्डस को सिन्धु कहने लगे, आगे चल कर इसी से यहाँ के रहने वाले लोगो के लिये हिन्दू उच्चारण का जन्म हुआ। इण्डियन पुरातत्व विभाग के महार्निदेशक जॉन मार्शल ने 1924 में अन्दुस तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। विभिन्न काल समय (बी॰सी॰ई॰) काल युग 7570-3300 पूर्व हड़प्पा ( 7570–6200 BCE प्रारंभिक खाद्य उत्पादक युग 7000–5500 BCE 5500-3300 क्षेत्रीयकरण युग 3300-2600 प्रारम्भिक हड़प्पा ( 3300-2800 हड़प्पा 1 (रवि भाग) 2800-2600 हड़प्पा 2 (कोट डीजी भाग, नौशारों एक, मेहरगढ़ सात) 2600-1900 परिपक्व हड़प्पा ( एकीकरण युग 2600-2450 हड़प्पा 3A (नौशारों दो) 2450-2200 हड़प्पा 3B 2200-1900 हड़प्पा 3C 1900-1300 उत्तर हड़प्पा ( ...

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता

इस सभ्यता के लिये साधरत: तीन नामो का प्रयोग होता है- सिन्धु सभ्यता,सिंधु घाटी की सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता। इन तीनों शब्दों को एक ही अर्थ है।इनमें से प्रत्येक शब्द की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि है। प्रारंभ में 1921 में जब पश्चिमीपंजाब के हड़प्पा स्थल पर इस सभ्यता का पता चला है और अगले ही वर्ष एकअन्य प्रमुख स्थल मोजनजोदड़ो की खोज हुर्इ, तब यह सोचा गया कि यह सभ्यताअनिवार्यत: सिन्धुघाटी तक सीमित थी। अत: इस सभ्यता का संकेत देने के लिएसिंधु घाटी की सभ्यता शब्दावली का प्रयोग शुरू हुआ। परंतु बाद के वर्षों केअनुसंधान से जब यह प्रमाणित हो गया कि यह सभ्यता स्वयं सिंधु घाटी कीसीमाओ के पार दूर-दूर तक फैली थी (उदाहरण के लिये, यह पता चला कि यहसभ्यता राजस्थान, हरियाणा, पवूर् ी पजं ाब और गुजरात जैस इलाकों तक फैली थी)तब इस सभ्यता के सही-सही भौगोलिक विस्तार का संकेत देने के लिये शब्दावलीअपर्याप्त सिद्ध हुर्इ। अत: हड़प्पा स्थल के नाम पर जहाँ शुरू-शुरू में इस सभ्यताको पहचाना गया था। स्वयं इस सभ्यता का नामकरण कर दिया गया। सिन्धु घाटी में मोहन जोदड़ो और हड़प्पा ताम्र कांस्युगीन सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे ।हड़प्पा के अवशेष इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे । हड़प्पा के अवशेष इस सभ्यता के विकसित औरपरिष्कृत रूप को प्रकट करते है । परन्तु हड़प्पा संस्कृति का विकास अचानक तथा पृथक रूप सेनहीं हुआ था । पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रदेश, बलूचिस्तान, सिन्ध एवं राजस्थान से प्राप्त अवशेषों सेज्ञात होता है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के विकास के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में एक ऐसी संस्कृतिविद्यमान थी, जिसे हम सिन्धु घाटी सभ्यता की पूर्ववर्ती संस्कृति मान सकते है । इस संस्कृति को‘प्राग हड़प्पा’ या पूर्व हड़प्पा या प्रारम्भिक हड़प्प...

भारतीय स्थापत्य कला

[[chitr:Well-And-Bathing-Platforms-Harappa.jpg|thumb| bharatiy sthapaty kala ki utpatti siandhu ghati sabhyata • REDIRECT siandhu ghati sabhyata ya h dappa sabhyata ka kal 3500-1500 ee.poo. tak mana jata hai. isaki ginati vishv ki char sabase purani sabhyataoan mean ki jati hai. h dappa ki nagar yojana isaka ek jivant sakshy hai. nagar yojana is tarah ki thi ki s dakeean ek-doosare ko samakon mean katati thian. mauryakalin sthapaty kala • REDIRECT kala ki drishti se h dappa ki sabhyata aur maury kal ke bich lagabhag 1500 varsh ka aantaral hai. is bich ki kala ke bhautik shuang, kushan aur satavahan vansh 232 ee.poo. mean ashok ki mrityu ke tho de kal pashchath hi guptakalin sthapaty kala [[chitr:Dashavatara-Temple-Deogarh.jpg|thumb| • REDIRECT cholakalin sthapaty kala saltanatakalin sthapaty evan vastukala • REDIRECT [[chitr:Qutub-Minar-1.jpg|thumb|450px| • saltanat kal mean sthapaty kala ke antargat hue nirman karyoan mean bharatiy evan • saltan kal ke nirman kary jaise- qila, maqabara, masjid, mahal evan • is kal mean mandiroan ko to dakar unake malabe par bani masjid mean ek naye dhang se • saltanat kal mean sultanoan, amiroan evan soophi santoan ke smaran mean maqabaroan ke nirman ki parampara ki shuruat huee. • is kal mean hi imaratoan ki mazabooti hetu patthar, kankarit evan achchhe qism ke choone ka prayog kiya gaya. • saltanat kal mean imaratoan mean pahali bar vaijnanik dhang se meharab evan gumbad ka prayog kiya gaya. yah • saltanat kal mean imaratoan ki saj-sajj...

हड़प्पा सभ्यता की विशेषता

इस सभ्यता के लिये साधरत: तीन नामो का प्रयोग होता है- सिन्धु सभ्यता,सिंधु घाटी की सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता। इन तीनों शब्दों को एक ही अर्थ है।इनमें से प्रत्येक शब्द की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि है। प्रारंभ में 1921 में जब पश्चिमीपंजाब के हड़प्पा स्थल पर इस सभ्यता का पता चला है और अगले ही वर्ष एकअन्य प्रमुख स्थल मोजनजोदड़ो की खोज हुर्इ, तब यह सोचा गया कि यह सभ्यताअनिवार्यत: सिन्धुघाटी तक सीमित थी। अत: इस सभ्यता का संकेत देने के लिएसिंधु घाटी की सभ्यता शब्दावली का प्रयोग शुरू हुआ। परंतु बाद के वर्षों केअनुसंधान से जब यह प्रमाणित हो गया कि यह सभ्यता स्वयं सिंधु घाटी कीसीमाओ के पार दूर-दूर तक फैली थी (उदाहरण के लिये, यह पता चला कि यहसभ्यता राजस्थान, हरियाणा, पवूर् ी पजं ाब और गुजरात जैस इलाकों तक फैली थी)तब इस सभ्यता के सही-सही भौगोलिक विस्तार का संकेत देने के लिये शब्दावलीअपर्याप्त सिद्ध हुर्इ। अत: हड़प्पा स्थल के नाम पर जहाँ शुरू-शुरू में इस सभ्यताको पहचाना गया था। स्वयं इस सभ्यता का नामकरण कर दिया गया। सिन्धु घाटी में मोहन जोदड़ो और हड़प्पा ताम्र कांस्युगीन सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे ।हड़प्पा के अवशेष इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे । हड़प्पा के अवशेष इस सभ्यता के विकसित औरपरिष्कृत रूप को प्रकट करते है । परन्तु हड़प्पा संस्कृति का विकास अचानक तथा पृथक रूप सेनहीं हुआ था । पश्चिमोत्तर सीमान्त प्रदेश, बलूचिस्तान, सिन्ध एवं राजस्थान से प्राप्त अवशेषों सेज्ञात होता है कि सिन्धु घाटी सभ्यता के विकास के पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में एक ऐसी संस्कृतिविद्यमान थी, जिसे हम सिन्धु घाटी सभ्यता की पूर्ववर्ती संस्कृति मान सकते है । इस संस्कृति को‘प्राग हड़प्पा’ या पूर्व हड़प्पा या प्रारम्भिक हड़प्प...

हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता)। Harappa

प्रागैतिहासिक काल में लोग पत्थर से बने औज़ारों और शस्त्रों का उपयोग करते थे। इसके बाद लोगों ने धातुओं का उपयोग प्रारंभ कर दिया था। तांबा ऐसी पहली धातु थी, जिसका उपयोग व्यक्ति ने औजार बनाने के लिए किया। धीरे-धीरे भारतीय उप–महाद्वीप में अनेक ऐसी सभ्यताओं का विकास हुआ, जो पत्थर और तांबे के औजारों के उपयोग पर आधारित थीं। वे इस प्रयोजन के लिए कांसे का उपयोग भी करती थीं, जो तांबे और रांगे (टिन) का मिश्रण था। इतिहास के इस चरण को ताम्र-पाषाण (चाल्कोलिथिक) युग के नाम से जाना जाता है। (चाल्को यानी तांबा और लिथिक यानी पत्थर) भारत में ताम्र-पाषाण काल का सर्वाधिक उदीयमान अध्याय है, हड़प्पा की सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं। हडप्पा की सभ्यता की खोज 1920-22 में की गई थी, जब इसके दो बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थलों पर खुदाई की गई थी। ये स्थान थे, रावी नदी के किनारे बसा हड़प्पा और सिंधु नदी के किनारे बसा मोहनजोदडो। पहले स्थान की खुदाई की गई थी डी.आर. साहनी (दयाराम साहनी) द्वारा और दूसरे की आर.डी. बनर्जी द्वारा। पुरातात्विक खोजों के आधार पर हड़प्पा की सभ्यता को 2600 ईसा पूर्व-1900 ईसा पूर्व के कालखंड के बीच माना गया है और ये विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। कई बार इसे 'सिंधु घाटी सभ्यता' भी कहा जाता है, क्योंकि प्रारंभ में इसकी जितनी भी बस्ति की खोज हुई, वे सभी सिंधु नदी या इसकी सहयोगी नदियों के पास या इसके आसपास के मैदानों में स्थित थीं। परन्तु आजकल इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है, क्योंकि हड़प्पा ही वह पहला स्थान था, जिससे इस सभ्यता का अस्तित्व प्रकाश में आया। इसके अतिरिक्त, हाल ही के पुरातात्विक अन्वेषणों से ये संकेत मिलता है कि इस सभ्यता का विस्तार सिंधु नदी के पूरे के...

सिंधु घाटी सभ्यता

सिन्धु घाटी सभ्यता (पूर्व हड़प्पा काल: ३३००-२५०० ईसा पूर्व, परिपक्व काल: २६००-१९०० ई॰पू॰; उत्तरार्ध हड़प्पा काल: १९००-१३०० ईसा पूर्व) [ [ यह हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। [ इसका विकास लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। १९२१ में यह सभ्यता अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 विभिन्न काल • 3 विस्तार • 3.1 प्रमुख नगर • 3.2 हिन्दुकुश पर्वतमाला के पार अफगानिस्तान में • 3.2.1 भारत में • 4 नगर निर्माण योजना • 5 आर्थिक जीवन • 5.1 कृषि एवं पशुपालन • 5.2 पशु-पालन • 5.3 उद्योग-धन्धे • 5.4 व्यापार • 6 राजनैतिक जीवन • 7 धार्मिक जीवन • 8 शिल्प और तकनीकी ज्ञान • 9 अवसान • 10 चित्र दीर्घा • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियाँ नामोत्पत्ति सिन्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था॥ सिन्धु इण्डस नदी के किनारे बसने वाली सभ्यता थी और अपनी भौगौलिक उच्चारण की भिन्नताओं की वजहों से इस इण्डस को सिन्धु कहने लगे, आगे चल कर इसी से यहाँ के रहने वाले लोगो के लिये हिन्दू उच्चारण का जन्म हुआ। इण्डियन पुरातत्व विभाग के महार्निदेशक जॉन मार्शल ने 1924 में अन्दुस तीन महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे। विभिन्न काल समय (बी॰सी॰ई॰) काल युग 7570-3300 पूर्व हड़प्पा ( 7570–6200 BCE प्रारंभिक खाद्य उत्पादक युग 7000–5500 BCE 5500-3300 क्षेत्रीयकरण युग 3300-2600 प्रारम्भिक हड़प्पा ( 3300-2800 हड़प्पा 1 (रवि भाग) 2800-2600 हड़प्पा 2 (कोट डीजी भाग, नौशारों एक, मेहरगढ़ सात) 2600-1900 परिपक्व हड़प्पा ( एकीकरण युग 2600-2450 हड़प्पा 3A (नौशारों दो) 2450-2200 हड़प्पा 3B 2200-1900 हड़प्पा 3C 1900-1300 उत्तर हड़प्पा ( ...

हड़प्पा सभ्यता की खोज कब हुई थी

हड़प्पा पूर्वोत्तर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है। यह साहिवाल शहर से 20 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। सिन्धु घाटी सभ्यता के अनेकों अवशेष यहाँ से प्राप्त हुए हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को इसी शहर के नाम के कारण हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। 1921 में जब जॉन मार्शल भारत के पुरातात्विक विभाग के निर्देशक थे तब दयाराम साहनी ने इस जगह पर सर्वप्रथम खुदाई का कार्य करवाया था। दयाराम साहनी के अलावा माधव स्वरुप व मार्तीमर वीहलर ने भी खुदाई का कार्य किया था। हड़प्पा शहर का अधिकांश भाग रेलवे लाइन निर्माण के कारण नष्ट हो गया था।