च्यूत का अर्थ

  1. संस्कृत शब्दकोश
  2. शब्द
  3. च्यूत meaning in hindi, Meaning and Translation of च्यूत in hindi : Tezpatrika Dictionary
  4. हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित
  5. चूत शब्द के अर्थ
  6. Amrit Ka Paryayvachi Shabd
  7. Shuddhi Meaning In Hindi
  8. शब्द
  9. हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित


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संस्कृत शब्दकोश

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 संस्कृत कोशों की टीकाएँ और उनका महत्त्व • 3 प्राचीन भारतीय कोशों एवं आधुनिक पाश्चात्य कोशों में अन्तर • 4 इन्हें भी देखें • 5 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] • (१) जहाँ तक संस्कृत कोशों का संबंध है, शब्दप्रकृति के अनुसार उसके तीन प्रकारह कहे जा सकते हैं - • शब्दकोश, • लौकिक शब्दकोश, और • उभयात्मक शब्दकोश • (२) वैदिक निघंटुओं की शब्द-संग्रह-पद्धति क्या थी, इसका ठीक ठीक निर्धारण नहीं होता। पर उपलब्ध नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात चारों प्रकार के शब्दों का संग्रह रहा होगा। परंतु उनका संबंध मुख्य और विरल शब्दों से रहता था और कदाचित् • (३) • (४) नामतंत्रात्मक कोशों की भी दो विधाएँ होती थीं— एक समानार्थक शब्दसूचीकोश (जिसे आज • (५) 'अमरसिंह' के कोशग्रंथ में 'नामतंत्र' और 'लिंगतंत्र' दोनों का समन्वय होने के बाद जहाँ एक ओर कोश उभयनिर्देशक होने लगे वहाँ कुछ कोश 'अमरकोश' के अनुकरण पर ऐसे भी बने जिनमें समानार्थक पर्यायों और अनेकार्थक शब्दों —दोनों विधाओं की अवतारण एकत्र की गई। फिर भी कुछ कोश (अभिधान चिंतामणि और कल्पद्रु आदि) केवल पर्यायवाची भी बने, और कुछ कोश— विश्वप्रकाश, • (६) अमरकोश' की पद्धति पर कुछ कोशों में शब्दों का वर्गीकारण, स्वर्ग, द्योः, दिक्, काल आदि विषयसंबद्ध पदार्थों के आधार पर कांडों, वर्गों, अध्यायों आदि में हुआ और आगे चलकर कुछ में वर्णानुक्रम शब्दयोजना का भी आधार लिया गया। इनमें कभी सप्रमाण शब्दसंकलन भी हुआ। • (७) अनेकार्थकोशों में विशेष रूप से वर्णाक्रमानुसारी शब्दसंकलन-पद्धति स्वीकृत हुई। उसमें भी अंत्यक्षर (अर्थात् अतिम स्वरांत व्यंजन) के आधार पर शब्दसंकलन का क्रम अपनाया गया और थोड़े बहुत कोशों में आदिवर्णानुसारी शब्द-क्रम-योजना भी अपनाई गई। अत्यवर्णान...

शब्द

अनुक्रम • 1 शब्दों का वर्गीकरण • 2 व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर शब्द-भेद • 2.1 रूढ़/मूल शब्द • 2.2 यौगिक शब्द • 2.3 योगरूढ़ शब्द • 3 स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद • 3.1 तत्सम • 3.2 तद्भव • 3.3 देशज • 3.4 विदेशज • 4 प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद • 5 अर्थ के आधार पर शब्द-भेद • 6 शब्दार्थ ग्रहण • 7 शब्द-शक्ति • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ • 10 सन्दर्भ शब्दों का वर्गीकरण [ ] भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है। शब्दों का वर्गीकरण पाँच आधारों पर किया जाता है: • व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर • स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर • अर्थ के आधार पर • व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर • प्रयोग के आधार पर व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर शब्द-भेद [ ] शब्द कई प्रकार से बनते हैं। कुछ शब्द एक से अधिक शब्दों को जोड़कर बनाए जाते हैं। सभी शब्दों का अपना अर्थ होता है। एक शब्द जब दूसरे शब्द के साथ जुड़ता है, तब वह भिन्न अर्थ देता है। रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं: रूढ़/मूल शब्द [ ] वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि। यौगिक शब्द [ ] दो अथवा दो से अधिक शब्दों के योग (मेल) से बनने वाले सार्थक शब्द, यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देश + भक्ति = देशभक्ति विद्या + आलय = विद्यालय योगरूढ़ शब्द [ ] वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे: हिमालय, पीतांबर, नीलकंठ, पंकज, जलद चतुर्भुज आदि। स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद [ ] स्रोत के आधार पर शब्दों के चार भेद हैं: [ ]...

च्यूत meaning in hindi, Meaning and Translation of च्यूत in hindi : Tezpatrika Dictionary

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संस्कृत

अवनित अंक बादशाही में देख के नारी अंक फुलाए के अष्ट मेल करले भाग दो गुनसट से बनता अंक निहाल भैंगा होई सोई अवसे वही अंक निधी शक्तिचालिनी --- आसन तंत्रिका शक्ति शक्तित्रयः --- `ichcha ',` क्रिया और `gyana के तीन शक्तियों' शक्यं --- करने में सक्षम है। शक्यः --- व्यावहारिक शक्यत्त्वात् --- क्षमता से शक्रस्य --- भगवान इंद्र की शङ्खः --- (पु) एक शंख शठः --- धोखेबाज शतं --- एक सौ शतकोटि: --- 100 कोटि या 1000 लाख शततन्त्री --- (स्त्री) संतूर (shatatanrii viiNaa) शततारका --- चौबीसवें नक्षत्र सौ मामूली सितारों शतपदी --- (स्त्री) सौ पद शतशः --- सैकड़ों शतेन --- सौ शत्रुः --- दुश्मन शत्रुत्वे --- दुश्मनी की वजह से शत्रुवत् --- एक दुश्मन के रूप में शनिः --- शनि ग्रह शनिवासरः --- शनिवार शनैः --- धीरे - धीरे शब्दः --- संयुक्त ध्वनि शब्दकोषः --- शब्दकोश, शब्दकोश, शब्दावली, शब्दकोष शब्दब्रह्म --- शास्त्रों का कर्मकांडों सिद्धांतों शब्दसङ्ग्रहः --- शब्दावली शब्दसमूहः --- शब्दों का एक समूह है, शब्दों का एक संग्रह, शब्दावली शब्दार्थः --- शब्द का अर्थ शब्दावलिः --- (स्त्री) शब्दावली शमः --- सभी सामग्री गतिविधियों की समाप्ति शयनं --- नीन्द शयनप्रकोष्ठः --- बेडरूम (मीटर) शयनागारः --- शयनागार शयनासनम् --- सोना मुद्रा शय्या --- (स्त्री) बिस्तर शरः --- तीर शरणं --- / सहारा आत्मसमर्पण शरणार्थी --- शरणार्थी शरद् --- शरद ऋतु शरीरं --- शरीर शरीरस्थं --- शरीर के भीतर स्थित है शरीरे --- शरीर में शर्करा --- (स्त्री) चीनी शलभः --- तृण - भोजी टिड्डा (पु) शलभासनम् --- टिड्डी आसन शल्यः --- साही (पु) शल्यकारः --- सर्जक शल्यचिकित्सकः --- (मीटर) सर्जन शशः --- खरगोश शशाङ्कः --- चांद शशि --- चांद शस्त्रं --- हथिया...

हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित

संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ साथ उतना ही प्रभावशाली भी है। हनुमान जी भगवान माता अंजनी के प्रार्थना करने पर ऋषि ने कहा कि मेरा शाप तो विफल नहीं हो सकता पर जब भी बजरंगबली को कोई उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति के साथ कठिन से कठिन कार्य को भी सिद्ध कर देंगे। संकटमोचन हनुमान अष्टक ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak ) में हनुमान जी के ही किये हुए कार्यों का वर्णन है जिसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं। Hanuman Ashtak In Hindi || संकटमोचन हनुमान अष्टक || बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो | ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो || देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || 1 || अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो || कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो | को० – 2 || अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ...

चूत शब्द के अर्थ

रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

Amrit Ka Paryayvachi Shabd

क्या आप अमृत का पर्यायवाची शब्द खोज रहे हैं? तो इस पोस्ट में Amrit ka Paryayvachi Shabd और उनके समानार्थी शब्दों के बारे में बताया गया हैं. पर्यायवाची शब्द किसे कहते हैं? : समान अर्थ रखने वाले शब्द को पर्यायवाची शब्द (Synonyms Words) या समानार्थी (Samanarthi) शब्द कहते हैं. पर्यायवाची शब्द अक्सर विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में Objective Question (वस्तुनिष्ठ प्रश्न) के रूप में पूछा जाता हैं, जोकि भाषा विषय में पूछे जाने वाले प्रश्नों में सबसे आसान प्रश्न में से एक हैं. चलिए देखते है Amrit ka Paryayvachi Shabd जो प्रतियोगिता परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. अनुक्रम: • • • Amrit ka Paryayvachi Shabd – अमृत का पर्यायवाची शब्द क्या हैं? अमृत का पर्यायवाची शब्द निम्नलिखित हैं :- • सुरभोग (Surbhog) • सुधा (Sudha) • सोम (Som) • पीयूष (Piyush) • अमिय (Amiy) • जीवनोदक (Jivanodak) Also Read : पानी का पर्यायवाची || नदी का पर्यायवाची || वृक्ष का पर्यायवाची || दिन का पर्यायवाची शब्द शब्द पर्यायवाची शब्द अमृत सुरभोग, सुधा, सोम, पीयूष, अमिय, जीवनोदक। Amrit Surbhog, Sudha, Som, Piyush, Amiy, Jivanodak Also Read : सूर्य का पर्यायवाची शब्द || रात का पर्यायवाची शब्द अमृत के समानार्थी शब्द के पर्यायवाची शब्द | Amrit ke Samanarthi Shabd • सुरभोग के पर्यायवाची शब्द : अमृत (Amrit), सुधा (Sudha), सोम (Som), पीयूष (Piyush), अमिय (Amiy), जीवनोदक (Jivanodak) • सुधा के पर्यायवाची शब्द : सुरभोग (Surbhog), अमृत (Amrit), सोम (Som), पीयूष (Piyush), अमिय (Amiy), जीवनोदक (Jivanodak) • पीयूष के पर्यायवाची शब्द : सुरभोग (Surbhog), सुधा (Sudha), सोम (Som), अमृत (Amrit), अमिय (Amiy), जीवनोदक (Jivanodak) • ...

Shuddhi Meaning In Hindi

Name(s) Shuddhi, Suddhi नाम शुद्धि अर्थ • विशुद्ध होने की अवस्था या भाव • एक देवी जिन्होंने अनेक असुरों का वध किया और जो आदि शक्ति मानी जाती हैं • स्वच्छ होने की अवस्था या भाव • धर्मानुसार पवित्र होने की अवस्था या भाव • किसी अपवित्र वस्तु को पवित्र करने या किसी धर्म-च्यूत व्यक्ति को फिर से धर्म में मिलाने या उसे धार्मिक बनाने के लिए किया जाने वाला धार्मिक कृत्य लिंग लड़की धर्म हिन्दू राशि कुंभ शुद्धि का मतलब आइये शुद्धि नाम रखने के प्रभाव को गहरायी से समझते हैं। जीवन में नाम और उस नाम का मतलब बहुत महत्वपूर्ण हैं। नाम वो चीज है जिस से हम दिन-प्रतिदिन पहचाने जाते हैं। नाम का मतलब बच्चों को एक अच्छे लक्ष्य के लिए सकारात्मक प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। कुंभ राशि के हिसाब से शुद्धि की प्रकृति कुंभ राशि के व्यक्ति बड़े संगठनों में रुचि रखते हैं। इन्हें वास्तविक कार्यों में रूचि होती है। ये प्रेमी, मित्र, संरक्षक तथा रोमांटिक व्यक्ति होते हैं। ये लोग किसी को लाभ कर उसका पुरस्कार भी पाना चाहते हैं। कुंभ राशि वाले नई से नई चुनौतियों की इच्छा करते हैं। आदर्श-प्रिय होने के कारण किसी बात को गुप्त नहीं रख पाते। इनकी सहानुभूति तीव्र होती है, परन्तु बहुधा ये उसके अनुसार कार्य करने में असमर्थ रहते हैं। कुंभ राशि के पुरूषों में अन्तर्ज्ञान अधिक होता है। ये अपने वचन के पक्के होते हैं तथा वचन भंग करने वालों से उनकी पटरी नही बैठ सकती है। कुंभ राशि के हिसाब से शुद्धि की सेहत कुंभ राशि के जातक बलिष्ठ शरीर के स्वामी होते हैं लेकिन पांव तथा घुटने दुर्बल होते है। पेट, गुर्दे तथा मज्जा तन्तु भी कमजोर रहते हैं। अधिकतर पांव में मोच, पेट के रोगी, रक्त की अल्पता, वायु विकार, खुजली, रक्त-विकार, त्...

शब्द

अनुक्रम • 1 शब्दों का वर्गीकरण • 2 व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर शब्द-भेद • 2.1 रूढ़/मूल शब्द • 2.2 यौगिक शब्द • 2.3 योगरूढ़ शब्द • 3 स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद • 3.1 तत्सम • 3.2 तद्भव • 3.3 देशज • 3.4 विदेशज • 4 प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद • 5 अर्थ के आधार पर शब्द-भेद • 6 शब्दार्थ ग्रहण • 7 शब्द-शक्ति • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ • 10 सन्दर्भ शब्दों का वर्गीकरण [ ] भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है। शब्दों का वर्गीकरण पाँच आधारों पर किया जाता है: • व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर • स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर • अर्थ के आधार पर • व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर • प्रयोग के आधार पर व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर शब्द-भेद [ ] शब्द कई प्रकार से बनते हैं। कुछ शब्द एक से अधिक शब्दों को जोड़कर बनाए जाते हैं। सभी शब्दों का अपना अर्थ होता है। एक शब्द जब दूसरे शब्द के साथ जुड़ता है, तब वह भिन्न अर्थ देता है। रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं: रूढ़/मूल शब्द [ ] वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि। यौगिक शब्द [ ] दो अथवा दो से अधिक शब्दों के योग (मेल) से बनने वाले सार्थक शब्द, यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देश + भक्ति = देशभक्ति विद्या + आलय = विद्यालय योगरूढ़ शब्द [ ] वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे: हिमालय, पीतांबर, नीलकंठ, पंकज, जलद चतुर्भुज आदि। स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद [ ] स्रोत के आधार पर शब्दों के चार भेद हैं: [ ]...

हनुमान अष्टक हिंदी अर्थ सहित

संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बजरंगबली के भक्तों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ साथ उतना ही प्रभावशाली भी है। हनुमान जी भगवान माता अंजनी के प्रार्थना करने पर ऋषि ने कहा कि मेरा शाप तो विफल नहीं हो सकता पर जब भी बजरंगबली को कोई उनकी शक्तियों की याद दिलाएगा, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति के साथ कठिन से कठिन कार्य को भी सिद्ध कर देंगे। संकटमोचन हनुमान अष्टक ( Sankat Mochan Hanuman Ashtak ) में हनुमान जी के ही किये हुए कार्यों का वर्णन है जिसे सुनकर वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर प्रकार के संकटों से रक्षा करते हैं। Hanuman Ashtak In Hindi || संकटमोचन हनुमान अष्टक || बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहूँ लोक भयो अँधियारो | ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो || देवन आनि करी बिनती तब छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो || 1 || अर्थ – हे हनुमान जी आपने अपने बाल्यावस्था में सूर्य को निगल लिया था जिससे तीनों लोक में अंधकार फ़ैल गया और सारे संसार में भय व्याप्त हो गया। इस संकट का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। तब देवताओं ने आपसे प्रार्थना की और आपने सूर्य को छोड़ दिया और इस प्रकार सबके प्राणों की रक्षा हुई। संसार में ऐसा कौन है जो आपके संकटमोचन नाम को नहीं जानता। बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो | चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो || कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो | को० – 2 || अर्थ – बालि के डर से सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे। एक दिन सुग्रीव ने जब राम लक्ष्मण को वहां से जाते देखा तो उन्हें बालि का भेजा हुआ योद्धा समझ कर भयभीत हो गए। तब हे हनुमान जी आपने ही ...