दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र in hindi

  1. श्री सूक्त हिंदी अर्थ सहित
  2. Shiv Stotra\Daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi
  3. दारिद्रय दहन स्तोत्र पढ़ें, होगी स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति...


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श्री सूक्त हिंदी अर्थ सहित

श्री सूक्त या श्री सूक्तम महालक्ष्मी की उपासना के लिए श्री सूक्त का पाठ महालक्ष्मी की प्रसन्नता एवं उनकी कृपा प्राप्त कराने वाला है साथ ही व्यापार में वृद्धि, ऋण से मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए भी इसका पाठ तथा अनुष्ठान किया जाता है। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करने वाले व्यक्ति पर माता लक्ष्मी कृपा करती हैं। लक्ष्मी जी की कृपा होने पर व्यक्ति सिर्फ धन और ऐश्वर्य ही नहीं बल्कि यश एवं कीर्ति भी प्राप्त करता है। ॥ श्री सूक्त ॥ ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥1॥ अर्थ – हे सर्वज्ञ अग्निदेव ! सुवर्ण के रंग वाली, सोने और चाँदी के हार पहनने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्नकांति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को मेरे लिये आवाहन करो। तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥ अर्थ – अग्ने ! उन लक्ष्मीदेवी को, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं सोना, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि को प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आवाहन करो। अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥3॥ अर्थ – जिन देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं तथा जो हस्तिनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आवाहन करता हूँ; लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों। कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥4॥ अर्थ – जो साक्षात ब्रह्मरूपा, मंद-मंद मुसकराने वाली, सोने के आवरण से आवृत, दयार्द्र, तेजोमयी, पूर्णकामा, अपने भक्तों पर अनुग्रह करनेवाली, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी ...

Shiv Stotra\Daridra Dahan Shiv Stotra in Hindi

!! सनातन धर्म-ग्रंथो में कई ऐसे उपाय बताये गए हैं जिनसे आप अपने जीवन से दुःख और दरिद्रता को दूर कर सकतें हैं, दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत उनमें से एक है। चाहे अत्यंत प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिल रही हो, घोर रूप से आर्थिक संकट में हो या फिर किसी प्रकार की बीमारी से जूझ रहें हों तो भगवान् शिव के इस दारिद्रय दहन स्त्रोत का पाठ अवश्य करें। दरिद्रय दहन शिव स्तोत्र की रचना भगवान् श्री राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने की है। बहुत से लोग गरीबी को गरीबी समझते हैं, लेकिन गरीबी विनाश है। इस दारिद्रय दहन शिव स्त्रोत का नित्य पाठ जीवन के सभी 8 प्रकार के वैभव को प्रदान करने वाला है। अगर अपने जीवन से दुःख, दरिद्रता, अशिक्षा और बेरोजगारी को दूर रखना चाहतें हैं तो इस शिव स्त्रोत का पाठ विशेष रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक) में नित्य रूप से करें। ॥ दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्॥ विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय । कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ १ ॥ गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय । गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ २ ॥ भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय । ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ३ ॥ चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय । मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ४ ॥ पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय । आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥ ५ ॥ गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय । शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शि...

दारिद्रय दहन स्तोत्र पढ़ें, होगी स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति...

Jagannath Rath Yatra 2023: भारत के ओड़िसा राज्य के पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का प्रतिवर्ष आयोजन होता है। प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा कब, क्यों, कहां और कैसे निकाली जाती है यह देखने के लिए देश विदेश से हजारों भक्त आते हैं। हर कोई इस रथ यात्रा में भाग लेता है। आओ जानते हैं इस यात्रा की 10 खास बातें। Mithun sankranti 2023 : सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर संक्रांति कहलाता है। वृषभ संक्रांति के बाद अब मिथुन संक्रांति होगी। मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के 2 चरण, आद्रा, पुनर्वसु के 3 चरण रहते हैं। मिथुन संक्रांति के दौरान पुष्य और अष्लेषा नक्षत्र रहेंगे। कब होगी मिथुन संक्रांति और सूर्य की इस मिथुन संक्रांति का क्या है महत्व? Kamdhenu gay ki murti rakhne ke fayde : प्राचीनकाल में कामधेनु नामक एक गाय होती थी जो व्यक्ति की सभी तरह की कामना या मनोकामना पूर्ण कर देती थी। इस गाय को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक माना जाता है। बहुत से घरों में बछड़े नंदिनी को दूध पिला रही कामधेनु गाय की पीतल की मूर्ति होती है। आखिर इस मूर्ति को कब, कहां और कैसे रखना चाहिए यह भी जानना जरूरी है तभी इसका लाभ मिल सकता है। शुभ विक्रम संवत्-2080, शक संवत्-1945, हिजरी सन्-1444, ईस्वी सन्-2023 संवत्सर नाम-पिंगल अयन-उत्तरायण मास-आषाढ़ पक्ष-कृष्ण ऋतु-ग्रीष्म वार-शुक्रवार तिथि (सूर्योदयकालीन)-षष्ठी नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-धनिष्ठा योग (सूर्योदयकालीन)-वैधृति करण (सूर्योदयकालीन)-वणिज लग्न (सूर्योदयकालीन)-वृषभ शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक दिशा शूल-वायव्य योगिनी वास-पश्चिम गुरु तारा-उदित शुक्र तारा-उद...