डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन विकिपीडिया

  1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय (जन्म, शिक्षा, अवार्ड्स, किताबें, राजनितिक जीवन)
  2. The Hindi Page
  3. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी
  4. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय
  5. महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
  6. Teachers Day 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़े 10 रोचक तथ्य
  7. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी


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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय (जन्म, शिक्षा, अवार्ड्स, किताबें, राजनितिक जीवन)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी एक नज़र में नाम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्म और स्थान 5 सितंबर 1888, तिरुतनी (तमिलनाडु) पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी माता का नाम सिताम्मा पत्नी का नाम सिवाकामू पद भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति निधन 17 अप्रैल 1975, चेन्नई डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म डॉ. राधाकृष्णन का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के गाँव तिरुतनी में हुआ था। राधाकृष्णन की माताजी का नाम सिताम्मा और पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था। इनके पिता गरीब होते हुए भी विद्वान और स्वाभिमानी स्वभाव के थे। इनके पूर्वज सर्वपल्ली गाँव में रहते थे, इसलिए इनके परिवार के सभी सदस्य अपना उपनाम सर्वपल्ली लगाते थे। इनके परिवार में इनके माता-पिता के अलावा चार भाई और एक बहनें थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा और करियर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचपन ही पढाई में होशियार थे, उन्होंने स्नातक की शिक्षा लुथर्न मिशन स्कूल, तिरूपति में 1904 में कला वर्ग में प्रथम श्रेणी से उतीर्ण की। राधाकृष्णन की विशेष रूचि इतिहास, इनकी भारतीय दर्शन और अध्यात्म में अधिक रूचि होने के कारण 1916 में दर्शनशास्त्र में एम.ए किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में फिलोसोफी के सहायक प्राध्यापक के रूप में काम करने लगे। इसके बाद सन 1918 में आपने मैसूर यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात आपने इंग्लैंड की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में भी बतौर प्रोफेसर काम किया। डॉ. राधाकृष्णन ने कुछ समय तक बनारस विश्वविद्यालय में उपकुलपति के रूप में भी काम किया इसी दौरान में उन्होंने दर्शनशास्त्र पर बहुत सी किताबों की रचन...

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सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी सर्वपल्ली राधाकृष्णन Sarvepalli Radhakrishnan | 5 सितंबर | 5 September | राष्ट्रीय शिक्षक दिवस | National Teacher’s Day बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥ अमिअ मूरिमय चूरन चारू। समन सकल भव रुज परिवारू॥ भावार्थ- मैं गुरु महाराज के चरण कमलों की रज की वन्दना करता हूँ, जो सुरुचि, सुगंध तथा अनुराग रूपी रस से पूर्ण है। वह अमर मूल (संजीवनी जड़ी) का सुंदर चूर्ण है, जो सम्पूर्ण भव रोगों के परिवार को नाश करने वाला है॥ तमिलनाडु के सर्वपल्ली गांव का एक ब्राह्मण परिवार वर्षों पहले आजीविका की तलाश में मद्रास वर्तमान चेन्नई से लगभग 60 किलोमीटर दूर धार्मिक स्थल तिरुत्तनी में आ बसा। इस ब्राह्मण परिवार में 5 सितंबर 1888 में पिता सर्वपल्ली वीरा स्वामी तथा माता सीतम्मा के यहां एक तेजस्वी पुत्र जन्म लिया। वीरस्वामी के पूर्वज सर्वपल्ली ग्राम से तिरुत्तनी में आए थे लेकिन वह अपने पूर्व ग्राम का नाम अपने से अलग नहीं कर पाए इसलिए वे सभी अपने नाम से पूर्व अपने पूर्व ग्राम का नाम भी जोड़ते थे इसलिए इस तेजस्वी बालक का नाम रखा गया सर्वपल्ली राधाकृष्णन। राधा कृष्ण के भाई बहनों में दूसरे स्थान पर थे। राधाकृष्णन के पिता अधिक धनवान नहीं थे। उनके जीवनचर्या सुखपूर्वक चल रही थी। वह विद्यानुरागी, ईश्वर भक्त और धर्म आचरण करने वाले उदार ब्राह्मण थे। जिसका अत्यधिक प्रभाव राधाकृष्णन पर भी पड़ा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी 5सितंबर राष्ट्रीय शिक्षक दिवस प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा दीक्षा : सर्वपल्ली राधाकृष्णन Sarvepalli Radhakrishnan राधाकृष्णन का प्रारंभिक जीवन तिरूत्तनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता। गांव तथा परिवार के धार्मिक विचारों ने बालक राधाकृष्णन को पर्य...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी बताने जा रहे है. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक, आस्थावान हिंदू विचारक तथा दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति थे। उन्होने 1962 से 1976 तक दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्होने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू किया इसके बाद उन्होने मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर कार्यरत हुए और फिर देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1954 में नागरिकत्व का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ओ आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography Hindi के बारे में बताएगे। 1.9 मृत्यु डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी – Dr. Sarvepalli Radhakrishnan Biography Hindi डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी जन्म डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुतनी ग्राम, तमिलनाडु में हुआ था। साधारण परिवार में जन्में राधाकृष्णन का बचपन तिरूतनी एवं सर्वेपल्ली वीरास्वामी तथा उनकी माता का नाम सिताम्मा था। 1903 में 16 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह सिवाकामू के साथ हुआ। शिक्षा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्राम्भिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और आगे की पढाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पूरी हुई। स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे , जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया गया था। छोटी उम्र में ही आपने स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को पढा तथा उनके विचारों को आत्मसात भी किया। आपने 1902 म...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कौन थे? डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय (Sarvepalli Radhakrishnan Biography in hindi, teachers day in hindi) डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति थे। इसके अलावा डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारतीय दार्शनिक, एक शिक्षक अत्यंत प्रतिभाशाली लेखक तथा सनातन संस्कृति के संवाहक भी थे। आजादी के बाद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बने। इसी क्रम में उन्होंने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई। भारतीय दर्शन, शिक्षा और राजनीतिक सेवा के क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए उन्हे भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न द्वारा सम्मानित किया गया। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी अपने शुरुआती जीवन में मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में एक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। उनका मानना था कि राष्ट्र के भविष्य निर्माण और युवाओं के विकास में एक शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। अपने जीवन चक्र में शिक्षा जगत में एक शिक्षक की भूमिका निभाते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने देशभर के छात्र छात्राओं को बहुत प्रभावित किया। लोग शिक्षा जगत में उनके योगदान को हमेशा जीवन पर रखना चाहते थे। इसी कारण उनके सम्मान में 5 सितंबर को उनका जन्म दिन प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो आइए दोस्तों आज इस आर्टिकल के जरिए हम भारत के इस महान विभूति के जीवन के बारे में जानते हैं। विषय–सूची • • • • • • • • • • • • डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म एवं शुरुआती जीवन – डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन 5 सितंबर 1888 को भारत के तमिलनाडु के तिरुमनी नामक गांव में पैदा हुए थे। राधाकृष्ण जी...

महान शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

Dr. Sarvepalli Radhakrishan Essay & Biography in Hindi डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी व निबंध महान शिक्षाविद, महान दार्शनिक, महान वक्ता, विचारक एवं भारतीय संस्कृति के ज्ञानी डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। भारत को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाले महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षकों के सम्मान के रूप में सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन बचपन से किताबें पढने के शौकीन राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। साधारण परिवार में जन्में राधाकृष्णन का बचपन तिरूतनी एवं तिरूपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता । वह शुरू से ही पढाई-लिखाई में काफी रूचि रखते थे, उनकी प्राम्भिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और आगे की पढाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पूरी हुई। स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे , जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया गया था। कम उम्र में ही आपने वीर सावरकर को पढा तथा उनके विचारों को आत्मसात भी किया। आपने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और छात्रवृत्ति भी प्राप्त की । क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास ने भी उनकी विशेष योग्यता के कारण छात्रवृत्ति प्रदान की। डॉ राधाकृष्णन ने 1916 में दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया और मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में इसी विषय के सहायक प्राध्यापक का पद संभाला। डॉ. राधाकृष्णन के नाम में पहले सर्वपल्ली का सम्बोधन उन्हे विरासत में मिला था। राधाकृष्णन के पूर्वज ‘सर्वपल्ली’ नामक गॉव में रहते थे और 18वीं शताब्दी के ...

Teachers Day 2022: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन से जुड़े 10 रोचक तथ्य

भारतहरसाल 5 सितंबरकोराष्ट्रीयस्तरपरशिक्षकदिवसमनाताहै। 5 सितंबरकोही 1888 मेंभारतकेपहलेउपराष्ट्रपतिऔरदूसरेराष्ट्रपतिडॉसर्वप्ललीराधाकृष्णनकाजन्महुआथा। 1966 मेंउनकेजन्मदिनपरजबउनकेकुछदोस्तोंनेउनसेजन्मदिनमनानेकीबातकी, तोउन्होंनेइसेदिनशिक्षकदिवसकेरूपमेंमनानेकोकहा।तभीसेउनकाजन्मदिवसभारतमेंशिक्षकदिवसकेतौरपरमनायाजाताहै।वहशिक्षाकेसमर्थकथे।उन्होंनेमहिलाओंकीशिक्षाकोलेकरभीबातकीथी।उनकेमुख्यकार्योमेंतुलनात्मकधर्मऔरदर्शनपरकईप्रोजेक्टशामिलहैं। सर्वपल्लीराधाकृष्णनभारतकेमहानदार्शनिकथे।उनकेकार्योंकेलिएउन्हेंभारतऔरपश्चिमकेबीचेसेतु-निर्माताकेतौरपरभीजानाजाताहै।इसीप्रकारभारतऔरशिक्षामेंउनकेयोगदानकेलिएउन्होंने 1954 मेंभारतकेसर्वोच्चनागरिकपुरस्कारभारतरत्नसेसम्मानितकियागयाथा।उनकेपूरेजीवनमेंउन्हेंकईप्रतिष्ठितउपाधियोंसेनवाजागयाहै।इसीकेसाथउन्होंनेबुजुर्गव्यक्तियोंकीजीवनकोबेहतरबनानेकेलिएभीकामकियाऔरहेल्पेजइंडियाकीसह-स्थापनामेंमददकी। राधाकृष्णनकामाननाथाकिशिक्षकोंकादिमागदेशमेंसबसेअच्छादिमागहोनाचाहिए।क्योंकिशिक्षकसमाजमेंबदलावलानेकीताकतरखतेहैं।सर्वपल्लीराधाकृष्णननेअपनीसारीपढ़ाईपूरीकरीऔर 1918 मेंएकदर्शनशास्त्रकेप्रोफेसरकेतौरपरछात्रोंकोशिक्षाप्रदानकीथी।डॉसर्वपल्लीराधाकृष्णनकेजीवनमेंशिक्षाऔरशिक्षकोंकाबहुतमहत्वथा।इसीकेपरिणामस्वरूपउनकाजन्मदिवसआजशिक्षकदिवसकेरूपमेंमनायाजाताहै।आइएउनकेजीवनसेजुड़ेकुछरोचकतथ्योंकेबारेमेंजाने। 1. नाइटहुड डॉ राधाकृष्णन द्वारा शिक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें उनके अध्यापने के लिए नाइटहुड की उपाधि 1931 में ब्रिटिश सम्राट किंग जार्ज द्वारा दी गई थी। इसी के तीन दशक के बाद उन्हें ब्रिटेन के शाही लोगों द्वारा 'ऑर्डर ऑफ मेरिट से भी सम्मानित किया गया था। साल...

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवनी

नाम :डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्म : 5 सितंबर 1988तिरुतनी ग्राम, तमिलनाडु पिता : सर्वेपल्ली वीरास्वामी माता : सिताम्मा पत्नी : सिवाकमु डॉ राधाकृष्णन भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे (1962- 1967) राष्ट्रपति थे। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से अध्यापन का कार्य शुरू करने वाले राधाकृष्णन आगे चलकर मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हुए और फिर देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। 1939 से लेकर 1948 तक वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बी. एच. यू.) के कुलपति भी रहे। वे एक दर्शनशास्त्री, भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिंदू विचारक थे। इस मशहूर शिक्षक के सम्मान में उनका जन्मदिन भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आरम्भिक जीवन : बचपन से किताबें पढने के शौकीन राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुतनी गॉव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। साधारण परिवार में जन्में राधाकृष्णन का बचपन तिरूतनी एवं तिरूपति जैसे धार्मिक स्थलों पर बीता । वह शुरू से ही पढाई-लिखाई में काफी रूचि रखते थे, उनकी प्राम्भिक शिक्षा क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल में हुई और आगे की पढाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पूरी हुई। स्कूल के दिनों में ही डॉक्टर राधाकृष्णन ने बाइबिल के महत्त्वपूर्ण अंश कंठस्थ कर लिए थे , जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान दिया गया था। कम उम्र में ही आपने स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को पढा तथा उनके विचारों को आत्मसात भी किया। आपने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और छात्रवृत्ति भी प्राप्त की । क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास ने भी उनकी विशेष योग्यता के कारण छात्रवृत्ति प्रदान की। डॉ राधाकृष्णन ने 1916 में दर्शन शास्त्र में एम.ए. किया औ...