एकादशी व्रत किसको करना चाहिए

  1. Ekadashi Vrat Vidhi: कैसे करें एकादशी व्रत का उद्यापन, पूजन सामग्री और विधि क्या है
  2. Yogini Ekadashi 2023: Mistakes To Avoid On Yogini Ekadashi, Yogini Ekadashi Puja, Vishnu Puja Vidhi
  3. "एकादशी व्रत,महत्व,उपवास,एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए"
  4. एकादशी व्रत करने के नियम जानिए
  5. एकादशी व्रत किसको करना चाहिए, एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए
  6. निर्जला एकादशी व्रत 2022 : व्रत कब रखा जाएगा जानिए यहाँ से
  7. एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए?
  8. एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...


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Ekadashi Vrat Vidhi: कैसे करें एकादशी व्रत का उद्यापन, पूजन सामग्री और विधि क्या है

डीएनए हिंदी: Ekadashi Vrat Uddyapan Vidhi, Samagri-सनातन धर्म में एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) का काफी महत्व है, इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने से पुण्य मिलता है. एकादशी माह में दो बार आती है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष. इस तरह वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं. इसका उद्यापन देवताओं के प्रबोध समय में ही एकादशी के व्रत का उद्यापन करें, विशेष कर मार्गशीर्ष के महीने में, माघ माह में या भीम तिथि (माघ शुक्ल एकादशी) के दिन ही इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए. चतुर्मास में उद्यापन नहीं करना चाहिए, जब आपकी 24 एकादशियां पूर्ण हो जाती है तब आप इसका उद्यापन कर सकते हैं. पूजन सामग्री (Pujan Samagri) एकादशी व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए. पूजन कितना भी बड़ा या छोटा हो सभी व्रतियों को श्रद्धा के साथ इसे करना चाहिए. एकादशी व्रत का उद्यापन किसी योग्य आचार्य के मार्गदर्शन में करना चाहिए. उद्यापन में 12 माह की एकादशियों के निमित्त 12 ब्राह्मणों को पत्नी सहित निमंत्रित किया जाता है. उद्यापन पूजा में तांबे के कलश में चावल भरकर रखें. अष्टदल कमल बनाकर भगवान विष्णु और लक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन किया जाता है. पूजन के बाद हवन होता है और सभी ब्राह्मणों को फलाहारी भोजन करवाकर वस्त्र,दान आदि दिया जाता है यह भी पढ़ें- क्यों करना जरूरी है उद्यापन (Significance) किसी भी व्रत की पूर्णता तभी मानी जाती है जब विधि-विधान से उसका उद्यापन किया जाए, उद्यापन करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि हम जो व्रत करते हैं उसके साक्षी तमाम देवी-देवता, यक्ष, नाग आदि होते हैं, ऐसे में उद्यापन के दौरान की जाने वाली पूजा और हवन से उन सभी देवी-देवताओं को उनका भाग प्राप्त होता है, इस दौरान किए जाने वाले दान-दक्षिणा से व्रत की ...

Yogini Ekadashi 2023: Mistakes To Avoid On Yogini Ekadashi, Yogini Ekadashi Puja, Vishnu Puja Vidhi

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की एकादशी तिथि 14 जून की सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और इसका अंत अगले दिन यानी 15 जून सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर होगा. उदया तिथि के चलते एकादशी का व्रत 14 जून, बुधवार के दिन ही रखा जाएगा. व्रत की पूजा भी 14 जून के दिन ही होगी और व्रत का पारण 15 जून सुबह 5 बजकर 23 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट के बीच कर सकते हैं. योगिनी एकादशी पर ना करने वाली गलतियां • माना जाता है कि एकादशी के व्रत (Ekadashi Vrat) में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पूजा स्थल के अलावा आस-पास भी स्वच्छता बरतने की सलाह दी जाती है. यदि आसपास गंदगी हो तो भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं. • इस दिन सुबह देर तक सोने से परहेज करना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है. • झूठ और छल से दूर रहने की सलाह दी जाती है और कहा जाता है कि किसी भी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वाणी पर संयम बरतना आवश्यक होता है. • योगिनी एकादशी के दिन पीले वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है. वहीं, इस दिन काले रंग पहनने से परहेज करने के लिए कहते हैं. • इस दिन तुलसी के पत्ते (Tulsi Leaves) तोड़ना शुभ नहीं माना जाता है. मान्यतानुसार योगिनी एकादशी से एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते पूजा के लिए तोड़े जाते हैं. • शराब जैसे मादक पदार्थों और तामसिक भोजन से दूर रहने के लिए कहा जाता है. मान्यतानुसार ऐसा करने पर भगवान विष्णु क्रोधित हो सकते हैं.

"एकादशी व्रत,महत्व,उपवास,एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए"

एकादशी व्रत में क्या खाना चाहिए आइये, सदगुरु के साथ यौगिक संस्कृति की बुद्धिमानी को समझें। यहाँ वे बता रहे हैं कि क्यों एकादशी को उपवास के दिन के रूप में चुना गया? और, अगर आपको उपवास रखना मुश्किल लगता है, तो हम आपको ऊर्जा से भरपूर और हल्का रखने वाले 7 खाद्य पदार्थ बनाने की विधियाँ भी यहाँ बता रहे हैं। सदगुरु  : हर महीने, पूर्णिमा के 11 दिन बाद और अमावस्या के 11 दिन बाद आने वाले दिन को एकादशी कहते हैं। मनुष्य का शरीर लगभग हर 40 - 48 दिनों के एक चक में से होकर गुज़रता है, जिसे मंडल कहते हैं। इस चक्र में 3 खास दिन ऐसे होते हैं जब शरीर को भोजन की ज़रूरत नहीं होती और ये हर व्यक्ति के लिये अलग अलग हो सकते हैं, और ये भी ज़रूरी नहीं है कि वे एक समान अंतर पर ही आयें। इन 3 दिनों में अपने शरीर को जबर्दस्ती खिलाना अच्छी बात नहीं है। अगर आप जान लें कि ये 3 दिन कौन से हैं, जब आपका शरीर खाना माँग ही नहीं रहा है, और उन दिनों में खाने से परहेज़ करें, तो इस आसान से तरीके से आपकी सेहत की कई तकलीफें ऐसे ही दूर हो जायेंगी। #2. एकादशी के उपवास का महत्व अपने तंत्र के इस चक्र की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं, अगर आप 'इतनी कैलोरीज़, इतना प्रोटीन, और इतने खनिज तो लेने ही चाहिये' वाली बकवास से छुटकारा पा लें। ज्यादातर लोग उन तीन दिनों की पहचान कर सकते हैं अगर वे अपने शरीर की बात सुनें। पुराने समय में किसी ने तो अपने तंत्र पर पर्याप्त ध्यान देकर उन तीन दिनों को पहचान लिया जब उनके शरीर को खाना नहीं चाहिये था, और तभी उन्होंने ये बात कही। पर, फिर, लोगों में वैसी जागरूकता नहीं रही तो उन्होंने इसके लिये एकादशी को तय कर लिया। हर 48 दिन के चक्र में 3 एकादशी आती हैं और इस दिन पृथ्वी की एक खास स्थिति होती है। ...

एकादशी व्रत करने के नियम जानिए

व्रत-उपवास करने का महत्व सभी धर्मों में बहुत होता है। साथ ही सभी धर्मों के नियम भी अलग-अलग होते हैं। खास कर हिंदू धर्म के अनुसार एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए। * दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। * रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए। * एकादशी के दिन प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी ‍वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। FILE * यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें। फिर स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करें। * फिर प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि 'आज मैं चोर, पाखंडी़ और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा।' * तत्पश्चात 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम को कंठ का भूषण बनाएं। FILE * एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न नही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं। * इस दिन यथा‍शक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें। दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है। वैष्णवों को योग्य द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत क...

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए, एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए

एकादशी व्रत किसको करना चाहिए – हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही लोग एकादशी का व्रत रखते आ रहे हैं। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसलिए सभी व्रतों में एकादशी व्रत का अधिक महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अन्य शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है। एकादशी महीने में दो बार आती है। विधि-विधान का पालन करते हुए कोई भी एकादशी का व्रत कर सकता हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि एकादशी व्रत किसको करना चाहिए, एकादशी व्रत क्यों किया जाता है, एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए आदि। अगर आप यह सभी उपरोक्त जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। तो आइये जानते है – एकादशी व्रत किसको करना चाहिए (Ekadashi Vrat Kisko Karna Chahiye) एकादशी का व्रत कोई भी कर सकता है। एकादशी का व्रत स्त्री, पुरुष, बुजुर्ग आदि कोई भी कर सकता है। घर का कोई भी सदस्य एकादशी व्रत रख सकता है। एकादशी व्रत क्यों किया जाता है (Ekadashi Vrat Kyo Kiya Jata Hai Chahiye) एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। एकादशी का व्रत करने से मनोकामना पूर्ण होती है, मनोवांछित फल प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है, इसलिए एकादशी का व्रत किया जाता है। एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए (Ekadashi Ke Din Kya Dan Karna Chahiye) एकादशी के दिन अन्नदान और गौ दान किया जा सकता है। अन्नदान और गौ दान से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। चना और गुड़ का द...

निर्जला एकादशी व्रत 2022 : व्रत कब रखा जाएगा जानिए यहाँ से

निर्जला एकादशी व्रत 2022 : भारत में इस बार निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi fasting in 2022) या निर्जला ग्यारस दिनांक 10 जून 2022 को किया जायेगा इसे भीमसेनी एकादशी भी कहता है क्योंकि इस दिन भीमसेन ने इसे धारण किया था । यह व्रत ज्येष्ठ माह के चन्द्रके दोरान शुक्ल पक्ष में आता है, इसीलिए इसे शुक्ल पक्ष एकादशी व्रत भी कहा जाता है । Nirjala Ekadashi हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है , क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित व्रत माना गया है । Table of Contents • • • • • • • • निर्जला एकादशी व्रत क्यों किया जाता है ? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का व्रत करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है तथा मनुष्य द्वारा किये गये पापों से छुटकारा देते है । इस दिन किये गये दान पुण्य को बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा यह फलदायी भी होता है । इस दिन व्रत रखने से मनुष्य भगवान का सानिध्य प्राप्त करता है तथा मोक्ष प्राप्ति की और अग्रसर होता है । माना जाता है की भीमसेन को अत्यधिक भूख लगती थी इसलिए व्यास जी ने भीमसेन को इस व्रत को करने के लिए प्रेरित किया तथा भीमसेन ने भी बखूबी इस व्रत को पूरा किया था । यह व्रत स्वास्थ्य की दृष्टी से भी काफी फायदेमंद माना गया है क्योंकि इन दिनों शरीर एक विशेष परिवर्तन से गुजर रहा होता है तथा इस समय आदमी को भूख भी कम महसूस होती है जिससे ये व्रत रखने में कोई समस्या नही होती है । एकादशी व्रत किसको करना चाहिए वे धार्मिक लोग जो साल में आने वाली 24 एकादशी व्रत में कोई भी व्रत नही रख सकते वे निर्जला एकादशी का व्रत रख कर सभी 24 एकादशियों का पूण्य कमा सकतें है । ये ही एकमात्र ऐसा व्रत माना जाता जो की सबसे ज्...

एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए?

व्रत करना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, यह पाचन, श्वसन और परिसंचरण के कार्य में सुधार करता है। हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का व्रत माना गया है, इस व्रत को करने के कई नियम होते हैं जैसे एकादशी का व्रत करने वाले को दशमी से ही कई नियमो का पालन करना होता है, दशमी के दिन मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, तथा एकादशी का व्रत करने वाले को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के यह प्रश्न जरुर आता है कि एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए तथा किन पदार्थो का सेवन एकादशी के व्रत में वर्जित होता है। Table of Contents • • • • एकादशी के व्रत में क्या खाना चाहिए? एकादशी के व्रत में आप बहुत सी चीजो का सेवन कर सकते हैं तथा इनसे बनी चीजो को खा सकते हैं। तो आइये जानते हैं एकादशी का व्रत करने वाले इस दिन किन-किन चीजों का सेवन कर सकते हैं। यहाँ नीचे एकादशी के व्रत में क्या- क्या खा सकते हैं उन चीजों को सूचि दी गयी है। • चीनी • साबूदाना • कुट्टू • नारियल • शकरकंद • सेंधा नमक • काली मिर्च • दूध • आलू • जैतून • मेवे • अदरक • ताजे फल अन्य स्वादिष्ट चीजें बहुत सी ऐसी चीजें है जिनका सेवन आप एकादशी के दिन कर सकते हैं जो आसानी से बनाई जा सकती है या बाज़ार से खरीदी भी जा कस्ती है, यह स्वादिष्ट भी होती है तथा एकादशी के व्रत में इन्हे खाया जा सकता है। • साबूदाना पापड़ • लौकी का रायता • केले का मिल्क शेक • शक्करकन्द का हल्वा • कूटू आटे की आलू वाली पकोड़े • गोले की पंजीरी • आलू का हलवा • कुटू के आटे के पराठे • फ्रूट कस्टर्ड • लौकी की तरी वाली सब्जी • आलू का चीला • चिप्स • कन्द आलू पकोड़ा • मावा मलाई कुल्फी ...

एकादशी व्रत करने जा रहे हैं, तो जानिए ये 15 नियम...

एकादशी (Ekadashi)व्रत कैसे प्रारंभ हुआ? भगवती एकादशी कौन है, इस संबंध में पद्म पुराण में कथा है कि एक बार पुण्यश्लोक धर्मराज युधिष्ठिर को लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण ने समस्त दुःखों, त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने, हजारों यज्ञों के अनुष्ठान की तुलना करने वाले, चारों पुरुषार्थों को सहज ही देने वाले एकादशी व्रत करने का निर्देश दिया। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद श्रावण माह आता है जिसमें भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो पूरे माह की व्रत रखते हैं परंतु इस माह में सोमवार के दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है। आओ जानते हैं कि श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ, कितने सोमवार रहेंगे इस माह में? Halharini amavasya 2023 : आषाढ़ माह की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। किसानों के लिए यह शुभ दिन है। यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि आषाढ़ में पड़ने वाली इस अमावस्या के समय तक वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाता है और धरती भी नम पड़ जाती है। फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम होता है। इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहा जाता है। How to Care for Indoor Plants in Hindi : घर में हरेभरे पौधा के होने से मन प्रसन्न रहता है और सकारात्मकता फैलती है। क्या आपके गमले में पौधे पनप नहीं पा रहे हैं? जल्दी से मुरझा जाते हैं या पौधों की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पा रही है? ऐसे में जानिए हमारे द्वारा बताए गए मात्र 3 टिप्स। इन टिप्स को आजमाएंगे तो आपके पौधे भी हरेभरे होकर महकने लगेंगे। Lal kitab karj mukti ke upay : यदि आप कर्ज के तले दबे हुए हैं और इससे छुटकारा पाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। हम...