गणेश जी की छोटी सी कहानी

  1. गणेश जी की कथा
  2. गणेश जी की खीर वाली कहानी।ganesh Ji Ki Kheer Wali Kahani – HIND IP
  3. Top 5 Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi
  4. 5 अनसुनी गणेश जी की कथा
  5. गणेश जी की खीर वाली कहानी
  6. गणेश जी की कहानी
  7. गणेश जी की कहानी सात भाइयों वाली


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गणेश जी की कथा

गणेश जी की खीर वाली कहानी गणेशजी पृथ्वी लोक आते है ॐ श्री गणेशाय नमः एक बार गणेश जी, भक्तों की परीक्षा लेने के लिए, एक बालक का रूप धर कर, पृथ्वी लोक आते हैं। भक्तों की परीक्षा भगवान गणेश, लोगो से, खीर बनाने के लिए कहते है एक चम्मच दूध, और एक चुटकी चावल लेकर, लोगों के पास जाते है, और उनसे दूध एवं चावल की, खीर बनाने के लिए कहते हैं। एक चुटकी चावल और थोडे से दूध की, खीर बनाने की बात सुनकर, लोग उन पर हंसने लगते हैं। बहुत भटकने के बाद भी, कोई खीर बनाने के लिए राज़ी नहीं होता है। बुढ़िया खीर बनाने के लिए राजी होती है आखिर एक गांव में, एक बुढ़िया को उन पर दया आती है और वह बोलती है – ला बेटा, मैं बना देती हूं खीर। ऐसा कह कर, वह एक छोटी कटोरी ले कर आती हैं। यह देख बालक बोला – अरे मां, इस कटोरी से क्या होगा, कोई बड़ा बर्तन लेकर आओ। बच्चे का मन रखने के लिए, बुढ़िया बड़ा बर्तन ले आती हैं। अब बालक उसमें, चावल और दूध उंडेलता हैं। गांव वालों को खीर खाने का निमंत्रण देखते ही देखते वह बर्तन भर जाता है और उसके बाद भी चुटकी भर चावल और चम्मच भर दूध खत्म नहीं होता। बुढ़िया एक एक कर घर के सारे बर्तन ले आती हैं। सब बर्तन भर जाते है, लेकिन चुटकी भर चावल और चम्मच भर दूध खत्म नहीं होता। तब बालक बुढ़िया से कहता है कि, वह खीर बनाने के लिए सामग्री को, चूल्हे पर चढ़ा दें, तथा गांव में जाए और सबको खाना खाने का निमंत्रण देकर आए। जब खीर बन जाए, तो उसे भी बुला लेना। बुढ़िया वैसा ही करती हैं। फिर भी खीर बच जाती है सारा गांव आता है और खीर खाकर चला जाता है लेकिन, उसके बाद भी खीर बच जाती हैं। बुढ़िया पूछती है कि, वह इसका क्या करें? तब बालक ने कहा कि, इस खीर को घर के चारों कौनों में, बर्तन सहित उलट कर ढक दें ,और ...

गणेश जी की खीर वाली कहानी।ganesh Ji Ki Kheer Wali Kahani – HIND IP

गणेश जी की खीर वाली कहानी : एक बार गणेश जी एक छोटे बालक के रूप में चिमटी में चावल और चमचे में दूध लेकर निकले। वो हर किसी से कह रहे थे कि कोई मेरी खीर बना दो, कोई मेरी खीर बना दो। एक बुढ़िया बैठी हुई थी उसने कहा ला मैं बना दूं वह छोटा सा बर्तन चढ़ाने लगी तब गणेश जी ने कहा कि दादी मां छोटी सी भगोनी मत चढ़ाओ तुम्हारे घर में जो सबसे बड़ा बर्तन हो वही चढ़ा दो। बुढ़िया ने वही चढ़ा दिया। वह देखती रह गई कि वह जो थोड़े से चावल उस बड़े बर्तन में डाली थी वह तो पूरा भर गया है। गणेश जी ने कहा “दादी मां मैं नहा कर आता हूं।” खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया के पोते पोती खीर खाने के लिए रोने लगे बुढ़िया ने कहा गणेश जी तेरे भोग लगना कहकर चूल्हे में थोड़ी सी खीर डाली और कटोरी भर भरकर बच्चों को दे दी। बुढ़िया की पड़ोसन ऊपर से देख रही थी तो बुढ़िया ने सोचा यह चुगली कर देगी तो एक कटोरा भर कर उसे भी पकड़ा दिया। बेटे की बहू ने चुपके से एक कटोरा खीर खाई और कटोरा चक्की के नीचे छुपा दिया। अभी भी गणेश जी नहीं आए थे। बुड़िया को भी भूख लग रही थी वह भी एक कटोरा खीर का भरकर के कीवाड़ के पीछे बैठकर एक बार फिर कहा कि गणेश जी आपके भोग लगे कहकर खाना शुरु कर दिया तभी गणेश जी आ गए। बुढ़िया ने कहा “आजा रे गणेस्या खीर खा ले मैं तो तेरी ही राह देख रही थी” गणेश जी ने कहा “दादी मां मैंने तो खीर पहले ही खा ली” बुढ़िया ने कहा “कब खाई” गणेश जी ने कहा “जब तेरे पोते पोती ने खाई तब खाई थी, जब तेरी पड़ोसन ने खाई तब खाई थी ,और जब तेरी बहू ने खाई तब भी खाई थी और अब तूने खाई तो मेरा पेट पूरा ही भर गया “। “बुढ़िया ने कहा बेटा और सारी बात तो सच है पर बहू बिचारी का तो नाम मत लो वह तो सुबह से काम में लग रही है उसने फिर कब खाई?” गणेश ...

Top 5 Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi

Advertisement इस पोस्ट का विषय है – Ganesh ji ki Kahani। हमारे देश में गणेश जी महाराज की अनेक लोक कथा-कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से कई कहानियां हमने अपनी दादी-नानी से सुनी हैं। व्रत करते समय हमें गणेश जी की कहानी अवश्य सुननी चाहिए। जिसे सुनने और पढ़ने से हमारा व्रत पूर्ण होता है और हमें व्रत का फल प्राप्त होता है। इस पोस्ट में गणेश जी की पांच प्रसिद्ध कहानिओं का उल्लेख है, जिन्हें श्रद्धा से सुनने से मनुष्य का मंगल होता है। Advertisement विषय- Ganesh Ji Ki Kahani भाषा- हिन्दी कहानियों की संख्या- पांच एक बार गणेश जी महाराज ने पृथ्वी के लोगों की परीक्षा लेने के लिए एक छोटे बालक के रूप में पृथ्वी की यात्रा की। वह एक हाथ में एक चम्मच दूध और दूसरे हाथ में मुट्ठी भर चावल लिए घूम रहा था,यह बोलते हुए कि “ यह चावल और दूध लेकर कोई मेरे लिए खीर बना दो”। यह कहते हुए वे गांव-गांव में घूमने लगे लेकिन कोई गणेश जी की इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। सभी हंसते हुए बोलने लगे – “मूर्ख लड़का! क्या एक चम्मच दूध और एक मुट्ठी चावल से खीर बनाया जा सकता है?”इस तरह गणेश जी महाराज गांव-गांव घूमे लेकिन कोई भी उनके खीर बनाने के लिए राजी नहीं हुआ। सुबह से शाम होने लगा, तभी एक बूढ़ी मां अपने घर के बाहर बैठी थी। उसने गणेश जी को देखा और कहा “ बेटा अपना खीर बनाने की सामग्री मुझे दो मैं तुम्हारे लिए खीर बना देती हूं”। बूढ़ी मां की बात सुनकर गणेश जी ने कहा “ खीर बनाने के लिए अपने घर का सबसे बड़ा बरतन ले आओ”। बुढ़ि मां छोटे बच्चे का मन रखने के लिए घर का सबसे बड़ा बरतन लेकर आया। गणेश जी बरतन में दूध और चुटकी भर चावल डालने लगे। यह देखकर बूढ़ी मां के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। बूढ़ी माँ के घर के सारे बरतन दूध और चावल...

5 अनसुनी गणेश जी की कथा

लेख सारिणी • • • • • • Stories of Ganesha in Hindi – गणेश की 5 सर्वोत्तम पौराणिक कथाये Ganesh ji ki katha – भगवान गणेश जी की कथा कहानी (lord ganesh stories) का वर्णन अनेक ग्रंथों में मिलता है। श्रीगणेश ने कई लीलाएं ऐसी की हैं, जो कृष्ण की लीलाओं से मिलती-जुलती हैं। इन लीलाओं का वर्णन मुद्गलपुराण, गणेशपुराण, भगवान गणेश तथा तुलसी कथा – Ganesh ji ki katha प्राय: पूजा-अर्चना में भगवान को तुलसी चढ़ाना बहुत पवित्र माना जाता है। व्यावहारिक दृष्टि से भी तुलसी को औषधीय गुणों वाला पौधा माना जाता है। किंतु भगवान गणेश की पूजा में पवित्र तुलसी का प्रयोग निषेध माना गया है। इस संबंध में एक पौराणिक गणेश जी की कथा है – एक बार श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे। तभी विवाह की इच्छा से इस बात से दु:खी तुलसी ने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दिया। इस श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारी संतान असुर होगी। एक राक्षस की मां होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से माफी मांगी। तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारी संतान शंखचूर्ण राक्षस होगा। नाग लोक पहुंचने पर नाग कन्याओं ने उनका हर तरह से सत्कार किया। तभी नागराज वासुकि ने गणेश को देखा और उपहास के भाव से वे गणेश से बात करने लगे, उनके रूप का वर्णन करने लगे। गणेश को क्रोध आ गया। उन्होंने वासुकि के फन पर पैर रख दिया और उनके मुकुट को भी स्वयं पहन लिया। वासुकि की दुर्दशा का समाचार सुन उनके बड़े भाई शेषनाग आ गए। उन्होंने गर्जना की कि किसने मेरे भाई के साथ इस तरह का व्यवहार किया है। जब गणेश सामने आए तो शेषनाग ने उन्हें पहचान कर उनका अभिवादन किया और उन्हें नागलोक यानी पाताल का राजा घोषित कर दिया। जब गणपति ने चुराया ऋषि गौतम की रसोई से भोजन...

गणेश जी की खीर वाली कहानी

गणेश जी की खीर की कथा एक बार गणेश जी छोटे बालक के रूप में चिमटी में चावल और चम्मच में दूध लेकर निकले। वह सबको कह रहा था कि कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे। एक बूढ़ी औरत बैठी थी, उसने कहा, बना देती हूं, वह एक छोटा बर्तन चढ़ाने लगी, तो गणेश जी ने कहा कि दादी मां, छोटी भगोनी मत चढ़ाओ, अपने घर में सबसे बड़ा बर्तन चढ़ाओ। बुढ़िया ने वही चढ़ाया। वह देखती रही कि उस बड़े बर्तन में जो छोटे-छोटे चावल उसने डाले थे, वे पूरी तरह भरे हुए थे। गणेश जी ने कहा, “दादी, मैं स्नान करके आऊंगा।” जब खीर तैयार हो गई तो बुढ़िया के पोते खीर खाने के लिए रोने लगे, बुढ़िया ने कहा गणेश जी, मैं आपके भोजन का आनंद लेना चाहती हूं और थोड़ी सी खीर चूल्हे में रखकर एक कटोरी भरकर बच्चों को दे दी। . बुढ़िया की पड़ोसन ऊपर से देख रही थी तो बुढ़िया ने सोचा कि वह गपशप करेगी इसलिए उसने एक कटोरा भर कर उसे भी पकड़ लिया। बेटे की बहू ने चुपके से एक कटोरी खीर खा ली और कटोरी चक्की के नीचे छिपा दी। फिर भी गणेश जी नहीं आए थे। बुढ़िया को भी भूख लग रही थी, वह भी खीर का कटोरा भरकर दरवाजे के पीछे बैठ गई और एक बार फिर से कहा कि गणेश जी आपके भोग हैं और खाने लगी तभी गणेश जी आ गए। बुढ़िया ने कहा, “आओ गणेश, खीर खाओ, मैं तो तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी।” गणेश जी ने कहा, “दादी, मैं तो खीर खा चुका हूं।” जब तेरी पड़ोसिन खा चुकी थी, और जब तेरी बहू खा चुकी थी, तब मैं ने खाया था, और अब तू भी खा चुकी है, मेरा पेट भर गया है। बुढ़िया ने कहा बेटा सब सच है, लेकिन बेचारी बहू का नाम मत लेना, सुबह से काम कर रही है, फिर कब खाना खाया? गणेश जी ने कहा मौसी की ओर देखते हुए उसके नीचे झूठा कटोरा पड़ा है और आपने मेरा भोग लगाया, वह वैसे भी खा गई। नगर...

गणेश जी की कहानी

गणपति बप्पा मोरिया यहां आपको गणेश जी की कहानी (Ganesh Ji Ki Kahani) और Ganesh Ji Ki Katha पढ़ने को मिलेगी जिससे आपको बाल गणेश की लीला के बारे में पता चल सके और आप थोड़ा ज्ञान प्राप्त कर सको। आज हम हिन्दू धर्म के भगवान गणेश जी की कहानी के बारे में बात करेंगे। मैंने पढ़ा था कि हिन्दू धर्म के 3 लाख देवी एवं देवता हैं। उन 3 लाख देवी देवता में से आज हम गणेश जी की जिन्दगी के कुछ खास लम्हों पर गौर फरमाएंगे और फिर आप चाहे तो उसको कहानी के तौर पर अपने बच्चों को सुना कर उनको याद भी करा सकते हैं। आज कल के बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप चलाना बहुत ही छोटी उम्र में आ जाता है लेकिन उनमें से कुछ को ही प्रभु के नाम मालूम होते हैं। क्या आपको नहीं लगता की वो भी जरूरी है? वैसे तो देवी एवं देवता जन्म से ही भगवान होते हैं और उनको तभी से बहुत सारी शक्तियां भी होती है, लेकिन ज्यादातर भगवान अपने जवानी के शरीर या उम्र को प्राप्त करने के बाद देवी एवं देवता बन कर सब के सामने आए। वही गणेश ही बचपन में ही प्रभु के रूप में सबके सामने आ गए। बच्चों को यदि आप पहली कहानी सुनाना शुरू करेंगे तो, आप इस बात पर ध्यान दीजिए कि उनको खास कर किस बात पर ज्यादा अच्छा लग रहा है और फिर अगली बार से आप उसी से संबंधित कहानी सुनाएं इससे उनको और जल्दी चीजे याद होगी। चलिये, तो अब मैं आपको बता दूँ की यहाँ आपको प्रभु गणेश जी की जिंदगी से जुड़ी 7 कहानियां जानने को मिलेंगी, जिसको की आप आसानी से याद रख सकते हैं। तो चलिये शुरू करते हैं. • • बाल गणेश जी की कहानी हिंदी में गणेश जी के शुरू के दिनों से अर्थात जब से उनका जन्म हुआ था तब से| तो पहली कहानी उनकी कुछ इस तरह से है:- गणेश जी के जन्म की कहानी एक दिन पार्वती माता स्नान करने के लिए जा रह...

गणेश जी की कहानी सात भाइयों वाली

गणेश जी की कहानी सात भाइयों वाली कथा–सात भाइयों के एक बहन थी। वो सब कुछ सुनती पर जैसे ही विनायक जी ( सब भाइयों ने उसका दुःख पता करने की कोशिश की परन्तु असफल रहें। सातवां भाई बहुत चतुर और होशियार था। उसने आधी रात को भेष बदलकर वे बोले, “मैं बहन ने उस दिन से नियम रखा कि वह रोज़ गणेश जी कहानी सुनेगी और कहानी सुनने के बाद ही कुछ खायेगी। अब बहन रोज़ कहानी सुनने के बाद ही कुछ खाती। इस तरह से गणेश जी बहन पर प्रसन्न रहने लगे। उसी सभी कामनाएं पूरी करने लगे तथा उसे अच्छा वर दिया। हे विनायक जी महाराज ! जैसे आपने बहन पर कृपा करी वैसे ही सब पर करना। → →