ग्राम पंचायत की समितियां

  1. Meeting of village heads in Arya Panchayat Bhavan
  2. पंचायत
  3. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत : एक समग्र अवलोकन
  4. ग्राम पंचायत में सांविधिक समितियां


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Meeting of village heads in Arya Panchayat Bhavan

बसिया। प्रदान संस्था के मार्गदर्शन में ग्राम सभा को मजबूत बनाने के लिये आर्या पंचायत भवन में ग्राम प्रधान दुखिया पहान की अध्यक्षता में ग्राम प्रधानों की बैठक हुई।बैठक में आर्या,कलिगा,मोरेंग,ईटाम,तुरबुंगा पंचायत के ग्राम प्रधान शामिल हुए। बैठक में ग्राम सभा के माध्यम से गांव का विकास के लिए योजना चयन को लेकर चर्चा किया गया। साथ ही ग्राम सभा को मजबूत करने के लिये ग्राम सभा व ग्राम प्रधान के अधिकार व कर्तव्य की भी चर्चा की गई। और ग्राम सभा कीनियमित बैठक करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावे बैठक में सरकार द्वारा ग्राम प्रधानों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में अनियमितता को लेकर सीओ से शिकायत करने पर भी चर्चा हुई। मौके पर प्रदान संस्था के अंकित कुमार,मधुप्रिया कुमारी,मनीषा सारंगी,सुषमा देवी व विभिन्न गाँव के ग्राम प्रधान शामिल थे।

पंचायत

अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 प्राचीन काल • 1.2 मध्य काल • 1.3 ब्रिटिश काल • 1.4 स्वतंत्रताप्राप्ति के बाद • 2 सन्दर्भ • 3 इन्हें भी देखें • 4 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] प्राचीन काल [ ] ग्रामणी कहते थे। मध्य काल [ ] नवीं और दसवीं शताब्दी के ब्रिटिश काल [ ] अंग्रेजी शासनकाल में पंचायत-व्यवस्था को सबसे अधिक धक्का पहुँचा और वह यह परंतु आगे चलकर अंग्रेजों ने भी यह अनुभव किया कि उनकी केंद्रीकरण की नीति से शासनभार दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी ओर राष्ट्रीय जाग्रति के कारण स्वायत्तशासन की माँग भी बढ़ रही थी। अतएव उन्हें विकेंद्रीकरण की दिशा में कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा। प्रारंभ में जिला बोर्डों और म्युनिसिपल बोर्डों की स्थापना की गई। सन् 1907 के विकेंद्रीकरण संबंधी शाही कमीशन ने पंचायतों के महत्त्व को स्वीकर किया और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि किसी भी स्थायी संगठन की नींव, जिससे जनता का सक्रिय सहयोग प्रशासन के साथ हो, ग्रामों में ही होनी चाहिए। कमीशन ने सिफारिश की कि कुछ चुने हुए ग्रामों में, जो पारस्परिक दलबंदी और झगड़ों से मुक्त हों, पंचायतें स्थापित की जाएँ और प्रारंभ में उन्हें सीमित अधिकार दिए जाएँ। तत्कालीन भारत सरकार ने 1915 ई. में कमीशन की सिफारिशों को सिद्धांतत: तो स्वीकर कर लिया परंतु व्यवहार में उनकी पूर्णतया उपेक्षा की गई। बहुत ही कम ग्रामों में पंचायतें बनी; जो बनीं, वे भी सरकार द्वारा पूरी तरह नियंत्रित थी। भारत सरकार के 1919 में अधिनियम के अनुसार प्रांतीय सरकारों को स्वशासन के कुछ अधिकार दिए गए और 1920 के आसपास सभी प्रांतों में ग्राम पंचायत अधिनियम बनाए गए। संयुक्त प्रदेश (उत्तर प्रदेश) में 1920 के पंचायत ऐक्ट के अधीन लगभग 4700 ग्राम पंचायतें स्थापित की गईं। सभ...

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत : एक समग्र अवलोकन

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत : एक समग्र अवलोकन पृष्ठभूमि • भारत में पंचायती राज व्यवस्था का शुभारंभ सबसे पहले विधिवत तरीके से राजस्थान में किया गया था। देश में सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था का उद्घाटन 2 अक्टूबर, 1959 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले में किया गया था। पंचायती राज व्यवस्था महात्मा गांधी के राजनीतिक विकेंद्रीकरण के दर्शन का एक महत्वपूर्ण घटक था। महात्मा गांधी पंचायती राज व्यवस्था को स्थापित करने के प्रबल समर्थक रहे थे। • आजादी के बाद विभिन्न सरकारें पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक स्वरूप देने के संदर्भ में विà¤...

ग्राम पंचायत में सांविधिक समितियां

ग्राम पंचायत मंे सांविविक सवमवतयां - ग्राभ ऩंचामत भें सांविधधक सधभधतमां संयचना 1. प्रस्तािना 2. धिऺण उद्देश्म 3. ग्राभ ऩचं ामत फैठक आमोजजत कयना 3.1 ग्राभ ऩचं ामत फठै क भें चचाा के धरए विषम 4. ग्राभ ऩचं ामतों भें स्थामी सधभधतमों का गठन 4.1 स्थामी सधभधत की फैठकें 4.2 याजस्थान की स्थामी सधभधतमों के कामा 4.3 आंध्र प्रदेि भें ग्राभ ऩंचामत की कामका ायी सधभधतमां 4.4 जीऩीडीऩी तमै ाय कयने के धरए तेरंगाना याज्म भें कामका ायी सधभधतमां 4.5 साभाजजक रेखा ऩयीऺा सधभधत (एसएसी) 4.6 खयीद सधभधत 5. सायांि 6. संदबा / आगे का अध्ममन 1. प्रस्तािना प्रत्मेक याज्म भंे, ऩीआयआई के धरए कई विषमों को सभवऩता ककमा गमा है । साभान्म फठै कों भें ऩंचामतों को इन सबी विषमों ऩय चचाा कयना सबं ि नहीं होता है । विषमों ऩय ध्मान कंे कित कयने के धरए, सबी याज्मों ने ग्राभ ऩंचामतों की विषम-िाय िधै ाधनक सधभधतमां फनाई हंै । धनणमा फनाने के धरए ग्राभ ऩंचामत औय इसकी िधै ाधनक सधभधतमों की फठै कंे भहत्िऩणू ा हंै । ग्राभ ऩचं ामत के सबी धनिाधा चत प्रधतधनधधमों कामका ताओा ं की भदद से साभकू हक रूऩ से इस तयह की िधै ाधनक सधभधतमों के भाध्मभ से स्थानीम विकास के विधबन्न ऩहरओु ं से धनऩटते हैं । इन सधभधतमों की फैठकों को सहबाधगता औय रोकतांविक तयीके से आमोजजत कयने की आिश्मकता है, ताकक सबी सदस्मों के विचाय सनु े औय गांि के कहत भंे साभकू हक धनणमा ककए जाए।ं इस इकाई भंे, हभ ग्राभ ऩंचामत की फठै कों के आमोजन के साथ-साथ ग्राभ ऩंचामतों भंे विधबन्न सांविधधक सधभधतमों की कामाता ्भक जजम्भेदारयमों के फाये भंे चचाा कयंेगे। 2. धिऺण उद्देश्म इस इकाई को ऩयू ा कयने के फाद, आऩ धनम्न को सभझ ऩाएगं े: 1. ग्राभ ऩंचामत फठै कों के आमोजन के धरए प्रकिमा 2. ग्राभ ऩचं ाम...