ग्राम सभा किसे कहते हैं

  1. भारतीय संसद
  2. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच में अंतर । Difference between Gram Sabha and Gram Panchayat in Hindi
  3. क्या होती है पंचायत, कैसे काम करती है, प्रधान और सचिव का क्या होता है रोल
  4. ग्राम सभा के कर्तव्य, शक्तियां और जिम्मेदारियां Duties, Powers and Responsibilities of Gram Sabha
  5. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत क्या होता है? » Gram Sabha Aur Gram Panchayat Kya Hota Hai
  6. ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया पेसा कानून खुद कितना मजबूत!


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भारतीय संसद

बैठक स्थान जालस्थल .nic .in संविधान भारतीय संसद संसद के किसी भी सदन के लिए राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचित या मनोनीत लोगों और मंत्रियों को लोक सभा में राष्ट्र की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिनकी अधिकतम संख्या 550 है। राज्य सभा एक स्थायी सदन है जिसमें अधिकतम सदस्य संख्या 250 है। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन 6 वर्ष के लिए होता है। जिसके 1/3 सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में सेवानिवृत्त होते रहते हैं। वर्तमान मे लोकसभा के सदस्यों की संख्या 543 है तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 है। अनुक्रम • 1 इतिहास व व्युत्पत्ति • 2 संसद की भूमिका • 2.1 राष्ट्रपति • 2.2 राज्यसभा • 2.3 लोक सभा • 2.4 मंत्रिपरिषद • 3 संसद और सरकार • 4 संसद सदस्यों का चुनाव • 4.1 पात्रता • 4.2 चुनाव संबंधी विवाद • 5 संसद के सत्र और बैठकें • 5.1 राष्ट्रपति द्वारा आमंत्रण • 5.2 संसद के सत्र • 5.3 राष्ट्रपति का अभिभाषण • 5.4 अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का चुनाव • 6 कार्यक्रम और प्रक्रिया • 6.1 संसद में प्रश्न पूछना • 6.2 शून्यकाल • 6.3 संसद में जनहित के मामले • 6.4 भाषा • 7 संसद में बजट • 7.1 लेखानुदान • 8 विधायिक प्रक्रिया • 9 संसदीय विशेषाधिकार • 10 सदस्यों के वेतन एवं भत्ते • 11 संसद परिसर • 12 इन्हें भी देखें • 13 सन्दर्भ • 14 बाहरी कड़ियाँ • 14.1 अन्य शब्दावलियाँ इतिहास व व्युत्पत्ति मध्य युग में आकर संसद सभा और समिति जैसी संस्थाएं गायब हो गईं। ऊपर के स्तर पर लोकतंत्रात्मक संस्थाओं का विकास रूक गया। सैकड़ों वर्षों तक हम आपसी लड़ाइयों में उलझे रहे। विदेशियों के आक्रमण पर आक्रमण होते रहे। सेनाएं हारती-जीतती रहीं। शासक बदलते रहे। हम विदेशी शासन की गुलामी में भी जकड़े रहे। सिंध से असम तक और कश्मीर से कन्य...

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच में अंतर । Difference between Gram Sabha and Gram Panchayat in Hindi

जो लोग गाँव के निवासी होते हैं उनके मुंह से अक्सर ग्राम सभा और ग्राम पंचायत नाम सुना जा सकता है, परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनको यह भी नहीं पता होता है कि ग्राम सभा और ग्राम पंचायत अलग अलग होता है। अतः सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इस पोस्ट में हम Gram Sabha Aur Gram Panchayat Me Antar को स्पष्ट करेंगे इससे यह स्पष्ट हो जाएगी ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच में क्या अंतर होता है। ग्राम सभा (Gram Sabha) और ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) में अंतर - 1. गांव के वे सभी लोग ग्राम सभा के सदस्य हैं जिनकी आयु 18 वर्ष के ऊपर है और वे वोट देते हैं जबकि ग्राम पंचायत के सदस्य ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं। 2. ग्राम सभा के सदस्यों की आयु 18 वर्ष होती है जबकि ग्राम पंचायत की सदस्यों की आयु 21 वर्ष से अधिक होती है। 3. एक गांव के वोट देने वाले सभी लोग ग्राम सभा के सदस्य होते हैं जबकि ग्राम पंचायत के सदस्य भी गांव के ही सदस्य होते हैं परंतु इनको ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। • ग्राम पंचायत किसे कहते हैं? • क्षेत्र पंचायत किसे कहते हैं? कार्य, आय के साधन व चयन • जिला पंचायत किसे कहते है? • जिला प्रशासन किसे कहते हैं? 4. ग्राम सभा में वोट देने वाला व्यक्ति हमेशा अर्थात आजीवन ग्राम सभा का सदस्य होता है जबकि ग्राम पंचायत का सदस्य केवल 5 वर्ष के लिए होता है। 5. ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के कार्यों पर नजर रखती है जबकि ग्राम पंचायत, ग्राम सभा में कार्य को करवाती है। 6. ग्राम सभा के सभी सदस्यों को 1 वर्ष में 2 बार बैठक करना होता है जबकि ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों को प्रत्येक महीने में गांव की समस्याओं के लिए बैठक करना होता है। 7. ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के सदस्यों की का...

क्या होती है पंचायत, कैसे काम करती है, प्रधान और सचिव का क्या होता है रोल

मध्य प्रदेश में इस समय पंचायत चुनाव हो रहे हैं. पंचायतों को लेकर अक्सर अखबारों में खबरें छपती रहती हैं. ये खबरें उनके काम की भी होती हैं. महिला प्रधानों की होती हैं और वहां अक्सर होने वाले भ्रष्टाचार की भी. पंचायत वेबसीरीज ने कम से कम इतना तो किया है कि लोगों के मन में पंचायत को लेकर एक तरह का कौतुहल तो जगा ही दिया है. कई तरह के सवाल लोगों के जेहन में पैदा हो रहे होंगे – पंचायत का काम क्या होता है. प्रधान का चुनाव कैसे होता है. कौन सी वो परीक्षा है, जिससे पंचायत सचिव का सेलेक्शन होता है और ये वेतन के रूप में कितना पैसा पाता है. पंचायत दरअसल गांव को लोकतांत्रिक तरीके से चलाने और सरकारी नीतियों और योजनाओं को लागू करने वाली सबसे छोटी ईकाई होती है. ये गांव के प्रशासन को संभालने वाली मुख्य संस्था होती है. जिसके सदस्यों और प्रधान को चुनने के लिए ग्राम सभा स्तर पर चुनाव होता है. इसमें लोग वोट देकर पंचायत के तहत आने वाले वार्डों के सदस्य चुनते हैं और साथ ही प्रधान या सरपंच. ये चुनाव 05 साल के लिए होता है. अगर आपने प्राइम वीडियो की ओटीटी सीरीज पंचायत में देखा होगा कि पंचायत की कार्यविधियों को संचालित करने के लिए एक कार्यालय होता है, जिसे पंचायत भवन कहते हैं. हर ग्राम सभा में ऐसा एक भवन होता है. आमतौर पर पंचायत का कार्यालय से संबंधित कामों को देखने का पंचायत सचिव का होता है, जिसे एक पंचायत सहायक भी मिलता है. देशभर में करीब 2.5 लाख ग्राम पंचायतें हैं. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एक व्यवस्था के तहत इन्हें फंड दिया जाता है. कई बार कई गांवों को मिलाकर भी उनकी एक ग्राम पंचायत होती है. पहली ग्राम पंचायत कौन सी थी? देश में ग्राम पंचायतों ने अक्टूबर 1959 में पहली बार काम करना शुरू किया. ...

ग्राम सभा के कर्तव्य, शक्तियां और जिम्मेदारियां Duties, Powers and Responsibilities of Gram Sabha

ग्राम सभा के कर्तव्य , शक्तियां और जिम्मेदारियां Duties, Powers and Responsibilities of Gram Sabha 1) ग्राम सभा के निम्नलिखित महत्वपूर्ण और विशिष्ट कार्य हैं: 2) ग्राम सभा में सरपंच की भूमिका 3) ग्राम सभा के लिए व्यवस्थाएं 4) ग्राम सभा बैठक से पहले के कर्तव्य 5) ग्राम सभा बैठकों के दौरान के कर्तव्य 6) ग्राम सभा बैठकों के बाद के कर्तव्य संविधान के अनुसार ग्राम सभा के पास वे शक्तियां होंगी और ऐसे कार्यों के संपादन का दायित्व होगा जो राज्य की विधायिका द्वारा , विधिसम्मत तरीके से उसे प्रदान किए जाएंगे। उदाहरण के लिए , ग्राम स्तर पर (ग्राम स्तर के पंचायत को ग्राम पंचायत कहते हैं) पंचायत द्वारा क्रियान्वित किए जाने से पहले सामाजिक-आर्थिक विकास की योजनाओं , कार्यक्रमों और परियोजनाओं को उनके द्वारा स्वीकृति दी जाती है। गरीबी उन्मूलन तथा अन्य कार्यक्रमों के तहत लाभार्थी के रूप में व्यक्तियों के चयन या चिह्नित करने का दायित्व भी इसके पास होता है। ग्राम स्तर पर हर पंचायत के लिए ग्राम सभा से कोष का उपयोग करने हेतु एक प्रमाणपत्र पाना जरूरी होता है जिसके द्वारा ऐसी योजनाओं , कार्यक्रमों और परियोजनाओं का पंचायत द्वारा क्रियान्वयन किया जाता है। ग्राम सभा के निम्नलिखित महत्वपूर्ण और विशिष्ट कार्य हैं: Following are the important and specific functions of Gram Sabha: पंचायत के विकास कार्यक्रमों तथा योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद करना। विभिन्न कार्यक्रमों तथा योजनाओं के लिए लाभार्थी व्यक्तियों की पहचान करना। हालांकि , यदि ग्राम सभा एक बड़े समय तक ऐसे लाभार्थियों की पहचान करने में विफल रहती है तो लाभार्थियों की पहचान ग्राम पंचायत द्वारा कर ली जाती है। सामुदायिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए लोगों ...

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत क्या होता है? » Gram Sabha Aur Gram Panchayat Kya Hota Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका पूछा गया प्रश्न ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में क्या फर्क होती है तो इसका उत्तर मैं आपको बता दो दोस्तों भारत की पंचायती राज प्रणाली में हो या छोटे कस्बे के दर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है तो भारत के स्थानीय उनका प्रमुख अवश्य है और पंच ग्राम सभा का चुनाव हुआ वह चुप प्रतिनिधि है aapka poocha gaya prashna gram panchayat aur gram sabha mein kya fark hoti hai toh iska uttar main aapko bata do doston bharat ki panchayati raj pranali mein ho ya chote kasbe ke dar par gram panchayat ya gram sabha hoti hai toh bharat ke sthaniye unka pramukh avashya hai aur punch gram sabha ka chunav hua vaah chup pratinidhi hai आपका पूछा गया प्रश्न ग्राम पंचायत और ग्राम सभा में क्या फर्क होती है तो इसका उत्तर मैं आपक

ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया पेसा कानून खुद कितना मजबूत!

• पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में आया था। इस कानून को आदिवासी-बहुल क्षेत्र में स्व-शासन (ग्राम सभा) को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से लाया गया था। • इस कानून के वर्तमान स्थिति का अनुमान इस एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि पच्चीस साल होने को है पर कुल दस में से चार राज्यों ने इसके लिए जरूरी नियम ही नहीं बनाये। एक राज्य ने तो अपने पंचायत कानून को कॉपी-पेस्ट करके काम चला लिया। इससे पेसा के प्रति राज्यों की बेरुखी का पता चलता है। • राज्य सरकारों और आला-अफसरों के इस बेरुखी के साथ कुछ और भी वजहें हैं जिससे पैसा की प्रासंगिकता कम हुई है। इस कानून के आने के बाद कई और भी कानून बन गए जिसमें पेसा के प्रावधानों को मजबूती से शामिल कर लिया गया। पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून को आए पच्चीस साल पूरे होने वाले हैं। आदिवासी बहुल इलाकों में स्थानीय समाज को मजबूती देने के लिए लाया गया यह कानून आज खुद की प्रासंगिकता के सवालों से जूझ रहा है। जब यह कानून आया था तो इसे देश के तकरीबन इस कानून के महत्व को बताते हुए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आयुक्त रहे बीडी शर्मा ने वर्ष 2010 में राष्ट्रपति को एक पत्र हालांकि उसी पत्र में उन्होंने इस कानून के पंद्रह साल की यात्रा को समझाते हुए बड़े सख्त लहजे में लिखा था कि आदिवासी समाज का यह उत्साह खत्म हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग पेसा के मूल भावना को मानने को तैयार ही नहीं है। इस पत्र को लिखे भी दस साल उसे अधिक हो गया। पर ऐसा प्रतीत होता है कि स्थिति जस की तस बनी रही। झारखंड के आदिवासी समाज पर दशकों से काम कर रही दयामनी बारला कहती हैं कि जब यह कानून अस्तित्व में आया था तब...