Gun sandhi ki paribhasha

  1. दीर्घ संधि की परिभाषा और उदाहरण
  2. काव्य गुण परिभाषा एवं भेद
  3. वृद्धि संधि की परिभाषा और उदाहरण Vriddhi Sandhi Ki Paribhasha evam Udaharan
  4. Sandhi in Hindi
  5. गुण संधि


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दीर्घ संधि की परिभाषा और उदाहरण

Image : Dirgh Sandhi Kise Kahte Hai अतः संधि भी एक ऐसा ही भाषायी व्यवहार है, जो कि ना सिर्फ भाषा को कर्णप्रिय बनाता है बल्कि उसमें संक्षिप्तीकरण भी लाता है। संधि का प्रयोग गद्य में ही नहीं वरन पद्य में भी किया जाता है। यहाँ पर हम स्वर संधि के भेद दीर्घ संधि के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें दीर्घ संधि किसे कहते हैं (dirgha sandhi kise kahate hain), दीर्घ संधि के उदाहरण (Dirgh Sandhi Ke Udaharan) आदि मुख्य रूप से जानेंगे। हिंदी व्याकरण के बारे में जानने के लिए यहाँ विषय सूची • • • • • • • • • • • • संधि के बारे में संधि से तात्पर्य जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि संधि का अर्थ क्या है। संधि शब्द को हमने पहले कईं बार सुना है, कभी दो देशों की संधि के लिए, कभी दो नायकों या दो व्यक्तियों की संधि के लिए, कभी दो नदियों की संधि कि लिए, कभी दो देशों की सीमाओं की संधि के लिए और कभी दो मौसमों की संधि के लिए तो कभी दिन के दो पहरों की संधि के लिए आदि। संधि का अर्थ होता है जुड़ाव, मिलाप, बंध, एकात्मकता या संविलयन आदि। भाषा में संधि दो शब्दों के तकनीकी जुड़ाव को कहते हैं। जब दो शब्दों को जोड़कर एक बनाया जाता है तो इन दोनों शब्दों के संधि स्थलों पर जो कि वर्ण हैं अब नव निर्मित शब्द में एक परिवर्तन विद्यमान होता है। संधि की परिभाषा जब दो शब्दों का मेल होता है, तब उन दोनों शब्दों के संधि स्थल पर एक विकार उत्पन्न होता है, जो नवीन शब्द के उच्चारण में कुछ न कुछ परिवर्तन लाता है। अब ये समझते हैं कि ऐसे कैसे होता है। जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो प्रारंभिक शब्द का अंतिम वर्ण तथा अंतिम शब्द का प्रारंभिक वर्ण आपस में मिलकर एक भिन्न ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जिसके कारन नवीन शब्द के उच्च...

काव्य गुण परिभाषा एवं भेद

काव्य गुण परिभाषा एवं भेद काव्य गुण परिभाषा एवं भेद, काव्य के सौंदर्य की वृद्धि करने वाले और उसमें अनिवार्य रूप से विद्यमान रहने वाले धर्म को गुण कहते हैं। आचार्य वामन द्वारा प्रवर्तित रीति सम्प्रदाय को ही गुण सम्प्रदाय भी कहा नाता है आचार्य वामन ने गुण को स्पष्ट करते हुए स्वरचित ‘काव्यालंकार सूत्रवृत्ति’ ग्रंथ में लिखा है- “काव्यशोभायाः कर्तारो धर्मा: गुणाः। तदतिशयहेतवस्त्वलंकाराः ॥” अर्थात् शब्द और अर्थ के शोभाकारक धर्म को गुण कहा जाता है वामन के अनुसार गुण’ का इनको अनुपस्थिति में काव्य का अस्तित्व असंभव है। काव्य गुण परिभाषा एवं भेद डॉ नगेन्द्र के अनुसार– “गुण काव्य के उन उत्कर्ष साधक तत्वों को कहते हैं जो मुख्य रूप से रस के और गौण रूप से शब्दार्थ के नित्य धर्म हैं|” गुण के भेद भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में निम्नलिखित दस गुण स्वीकार किये है- “श्लेष: प्रसाद: समता समधि माधुर्यमोजः पदसौकुमार्यम्।। अर्थस्य च व्यक्तिरुदारता च, कान्तिश्च काव्यस्य गुणाः दशैते।” अर्थात् काव्य में निम्न दस गुण होते हैं- श्लेष प्रसाद समता समाधि माधुर्य ओज पदसौकुमार्य अर्थव्यक्ति उदारता कांति भरत के पश्चात भामह ने भी दस को स्वीकार किए हैं तथा प्रसाद और माधुर्य की सर्वाधिक प्रशंसा की है। भामह के पश्चात दंडी ने भी भारत के अनुसार ही दस गुण स्वीकार की है। दंडी के बाद वामन ने मुख्य दो प्रकार के गुण माने हैं- शब्द गुण एवं अर्थ गुण। वामन ने दोनों गुणों में प्रत्येक के दस-दस भेद किए हैं। वामन के पश्चात आचार्य भोजराज ने अपने सरस्वती कंठाभरण में सर्वाधिक 48 गुण, 24 शब्द गुण तथा 24 अर्थ गुण स्वीकार किए हैं। उन्होंने शब्द गुणों को बाह्यगुण तथा अर्थ गुणों को अभ्यंतर गुण कहा था। अग्नि पुराण में 19 काव्य गुण ...

वृद्धि संधि की परिभाषा और उदाहरण Vriddhi Sandhi Ki Paribhasha evam Udaharan

Advertisement वृद्धि संधि के उदाहरण • सदा + एव : सदैव(आ + ए = ऐ) यहाँआएवंएस्वरों के मेल की वजह से कुछ परिवर्तन आया है। ये दोनों स्वर मिलने के बादएबन गए है। जब यह परिवर्तन होता है तो शब्द कि संधि होते समय इन स्वरों कि वजह से ही परिवर्तन होता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। • तत + एव : ततैव(अ + ए = ऐ) यहाँअएवंएमिलकरऐबनाते हैं एवं शब्द परिवर्तित हो जाता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। Advertisement • मत + एक्य : मतैक्य(अ + ए = ऐ) अएवंएकी वजह से परिवर्तन हो रहा है। जब शब्दों की संधि की जाती है तोअएवंएमिलकरऐबना देते हैं। जब ऐसा होता है तो संधि करते समय शब्द में भी परिवर्तन आ जाता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। • एक + एक : एकैक(अ + ए = ऐ) यहाँअएवंएस्वरों के मेल की वजह से कुछ परिवर्तन आया है। ये दोनों स्वर मिलने के बादऐबन गए है। जब यह परिवर्तन होता है तो शब्द की संधि होते समय इन स्वरों कि वजह से ही परिवर्तन होता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। Advertisement • जल + ओघ : जलौघ(अ + ओ = औ) अएवंओस्वरों के मेल की वजह से कुछ परिवर्तन आया है। ये दोनों स्वर मिलने के बादऔबन गए है। जब यह परिवर्तन होता है तो शब्द कि संधि होते समय इन स्वरों कि वजह से ही परिवर्तन होता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। • महा + औषध : महौषद(आ + औ = औ) यहाँआएवंएस्वरों के मेल की वजह से कुछ परिवर्तन आया है। ये दोनों स्वर मिलने के बादएबन गए है। जब यह परिवर्तन होता है तो शब्द कि संधि होते समय इन स्वरों कि वजह से ही परिवर्तन होता है। अतः यह उदाहरण वृद्धि संधि के अंतर्गत आएगा। वृद्धि संधि के कुछ अन्य उदाहरण : • महा + ऐश्वर्य : महैश्वर्य(आ + ऐ = ऐ) ...

Sandhi in Hindi

1. जब किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या य्, र्, ल्, व्, ह से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है अगर स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे। 13. यदि किसी शब्द में कही भी ऋ, र या ष हो एवं उसके साथ मिलने वाले शब्द में कहीं भी‘न’ हो तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर,क, ख ग, घ, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व में से कोई भी वर्ण हो तो सन्धि होने पर ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ हो जाता है। जब द् के साथ क, ख, त, थ, प, फ, श, ष, स, ह का मिलन होता है तब द की जगह पर त् बन जाता है। दीर्घ संधि dirgh sandhi ke udaharan (क) अ/आ + अ/आ = आ अ + अ = आ --> धर्म + अर्थ = धर्मार्थ अ + आ = आ --> हिम + आलय = हिमालय आ + अ = आ --> विद्या + अर्थी = विद्यार्थी आ + आ = आ --> विद्या + आलय = विद्यालय (ख) इ और ई की संधि इ + इ = ई --> रवि + इंद्र = रवींद्र इ + ई = ई --> गिरि + ईश = गिरीश ई + इ = ई- मही + इंद्र = महींद्र ई + ई = ई- नदी + ईश = नदीश (ग) उ और ऊ की संधि उ + उ = ऊ-> भानु + उदय = भानूदय उ + ऊ = ऊ-> लघु + ऊर्मि = लघूर्मि ऊ + उ = ऊ-> वधू + उत्सव = वधूत्सव ऊ + ऊ = ऊ-> भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व गुण संधि gun sandhi ke udaharan (क) अ + इ = ए ;नर + इंद्र = नरेंद्र अ + ई = ए ;नर + ईश= नरेश आ + इ = ए ;महा + इंद्र = महेंद्र आ + ई = ए;महा + ईश = महेश (ख) अ + उ = ओ ;ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश आ + उ = ओमहा + उत्सव = महोत्सव अ + ऊ = ओजल + ऊर्मि = जलोर्मि आ + ऊ = ओमहा + ऊर्मि = महोर्मि (ग) अ + ऋ = अर्देव + ऋषि = देवर्षि आ + ऋ = अ...

गुण संधि

गुण संधि – Gun Sandhi Sanskrit Gun Sandhi Sanskrit:‘आद्गुणः’ सूत्र द्वारा ( गुण संधि के 11 नियम होते हैं! गुण संधि के उदाहरण – (Gun Sandhi Sanskrit Examples) (अ) अ+इ – ए उप + इन्द्रः = उपेन्द्रः गज + इन्द्रः = गजेन्द्रः न + इति = नेति देव + इन्द्रः = देवेन्द्रः विकल:+ इन्द्रियः = विकलेन्द्रियः राम + इतिहासः = रामेतिहास: (आ) आ + इ = ए महा + इन्द्रः = महेन्द्रः तथा + इति = तथेति यथा + इच्छम् = यथेच्छम् यथा + इष्ट = यथेष्ट (इ) अ+ई = ए गण + ईशः = गणेशः सर्व + ईशः = सर्वेशः सुर + ईशः = सुरेशः दिन + ईशः = दिनेशः (ई) आ + ई = ए रमा + ईशः = रमेशः गङ्गा + ईश्वरः = गङ्गेश्वरः उमा + ईशः = उमेशः महा + ईशः = महेशः (उ) अ+उ = ओ सूर्य + उदयः = सूर्योदयः पर + उपकार:= परोपकारः वृक्ष + उपरि = वृक्षोपरि हित + उपदेशः= हितोपदेशः पुरुष + उत्तमः = पुरुषोत्तमः (ऊ) आ + उ = ओ परीक्षा + उत्सवः = परीक्षोत्सवः महा + उदयः = महोदयः आ + उदकान्तम् = ओदकान्तम् गङ्गा + उदकम् = गङ्गोदकम् (ऋ) अ+ऊ = ओ अत्यन्त + ऊर्ध्वम् = अत्यन्तोर्ध्वम् एक + ऊन = एकोनः गगन + ऊर्ध्वम् = गगनोर्ध्वम् (ऋ) आ + ऊ = ओ मायया + ऊर्जस्वि = माययोर्जस्वि महा + ऊर्णम् = महोर्णम् (ल) अ ऋ = अर् कृष्ण + ऋद्धिः = कृष्णर्द्धिः ग्रीष्म. + ऋतुः = ग्रीष्मतः वसन्त + ऋतुः = वसन्ततः राज + ऋषिः = राजर्षिः (ए) आ+ऋ =अर् महा + ऋषिः = महर्षिः ब्रह्मा + ऋषिः = ब्रह्मर्षिः महा + ऋद्धिः = महर्द्धिः (ऐ) अ/आ ल = अल् तव + लृकारः = तवल्कारः मम + लृकारः = ममल्कारः तव + लृदन्तः = तवल्दन्तः सम्बंधित संधि: • • • • • • Filed Under: