हरिद्वार से यमुनोत्री की दूरी

  1. 1550 किमी के सफर का 85% रास्ता हो चुका सुगम, अब 6 दिनों में भी पूरी यात्रा संभव
  2. यमुनोत्री धाम की अद्भुत महिमा
  3. Yamunotri Temple
  4. जाने कैसे पहुंचे यमुनोत्री धाम ?
  5. हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी और सही रास्ता
  6. हरिद्वार
  7. हरिद्वार से यमुनोत्री कैसे पहुंचे?


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1550 किमी के सफर का 85% रास्ता हो चुका सुगम, अब 6 दिनों में भी पूरी यात्रा संभव

पहले जहां ऋषिकेश से सड़क मार्ग से चारधाम यात्रा पूरी करने में कम से कम 7 दिन (रोज 7-8 घंटे का सफर) लगते थे, इस बार 6 दिन (रोज 7 घंटे यात्रा) में यात्रा पूरी हो सकती है, क्योंकि 85% रास्ता सुगम हो चुका है। हालांकि, रुकते-रुकाते यात्रा का इरादा है तो 9 से 10 दिन लगेंगे। ज्यादातर श्रद्धालु ऋषिकेश के भद्रकाली तिराहे से चारधाम यात्रा शुरू करते हैं। यहां चेकपोस्ट पर रजिस्ट्रेशन ID और गाड़ी का ग्रीन कार्ड आदि चेक कराना होगा। दूसरा चेकपोस्ट ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाइवे पर ब्रह्मपुरी में है। प्रशासन की हरी झंडी के बाद सफर शुरू कर सकते हैं। गंगोत्री। गंगोत्री दोपहर के 12 बज रहे हैं। हम भद्रकाली तिराहे से गंगोत्री की 264 किमी लंबी यात्रा शुरू करते हैं। 2 बजे चंबा में एक छोटी सी टनल हिमालय रेंज से मुलाकात कराती है। तलहटी में टिहरी झील मनमोहक है। साइड में रुककर नजारा देख सकते हैं। उत्तरकाशी तक ऑल वेदर रोड की डबल लेन है। गंगोत्री की 100 किमी की दूरी साढ़े तीन से चार घंटे में कर सकते हैं। गंगोत्री से 25 किमी पहले गांव हर्षिल में रुक सकते हैं। बद्रीनाथ। बद्रीनाथ यमुनोत्री से बद्रीनाथ के लिए वापस धरासूबैंड आएंगे। 150 किमी दूर रुद्रप्रयाग जाएंगे। फिर जोशीमठ और वहां से बद्रीनाथ जाएंगे। असली परीक्षा जोशीमठ से 20 किमी दूर पांडुकेश्वर के बाद होगी। यहां पुल का काम बाकी है। जगह-जगह चौड़ीकरण जारी है। कई जगह रास्ता संकरा है। जाम लग सकते हैं। पांडुकेश्वर या बद्रीनाथ परिसर के अंदर रुक सकते हैं। बद्रीनाथ में 25 हजार लोग रुक सकते हैं। एक दिन में 15 हजार लोग ही दर्शन के लिए आ सकेंगे। गाड़ियां नहीं आएंगी। केदारनाथ। केदारनाथ बद्रीनाथ से रुद्रप्रयाग आएं। यहां से केदारनाथ 90 किमी है। कई जगह चौड़ीकरण जारी है। गुप्तकाशी स...

यमुनोत्री धाम की अद्भुत महिमा

13 यमुनोत्री धाम में आवास व्यवस्था | Accommodation in Yamunotri Dham यमुनोत्री | Yamunotri देवभूमि राज्य - उत्तराखण्ड जिला - उत्तरकाशी समुद्रतल से ऊँचाई - 3235 मी कपाट खुलने का समय - अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर स्थिती | Location बंदरपूंछ पर्वत शिखर उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध चार धामों में प्रथम धाम यमुनोत्री धाम (Yamunotri Dham) उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से लगभग 3,235 मीटर की ऊँचाई पर यमुना नदी के बाएँ तट पर स्थित है। ऋषिकेश से यमुनोत्री लगभग 242 किलोमीटर तथा उत्तरकाशी से लगभग 131 कि किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर से एक किलोमीटर आगे 4412 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यमुनोत्री बाँक से यमुना नदी निकलती है। यमुनोत्री मंदिर की महिमा | Glory of Yamunotri Temple इसकी महिमापुराणोंने यों गाई है सर्वलोकस्य जननी देवी त्वं पापनाशिनी। आवाहयामि यमुने त्वं श्रीकृष्ण भामिनी।। तत्र स्नात्वा च पीत्वा च यमुना तत्र निस्रता सर्व पाप विनिर्मुक्तः पुनात्यासप्तमं कुलम अर्थात जहाँ से यमुना (नदी) निकली है वहां स्नान करने और वहां का जल पीने से मनुष्य पापमुक्त होता है और उसके सात कुल तक पवित्र हो जाते हैं! यमुनोत्री धाम के दर्शनीय स्थल | Yamunotri Dham Attractions यमुना देवी मंदिर | Yamuna Devi Temple देवी यमुना की तीर्थस्थली, यमुना नदी के स्रोत पर स्थित है। यह तीर्थ गढवाल हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। इसके शीर्ष पर बंदरपूंछ चोटी गंगोत्री के सामने स्थित है। यमुनोत्री का वास्तविक स्रोत बर्फ की जमी हुई एक झील और हिमनद है जो समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद पर्वत पर स्थित है। इस स्थान से लगभग 1 किमी आगे जाना संभव नहीं है क्योंकि यहां मार्ग अत्यधिक दुर्गम है। यही कारण है कि दे...

Yamunotri Temple

यमुनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊँचाई पर स्थित एक मंदिर है। भारत के छोटा चार धाम में से यह Yamunotri Temple देवी यमुना का मंदिर है। देवभूमि उत्तराखंड यानि इस प्रदेश की धरती पर मौजूद हिंदू धर्म के सबसे ज्यादा मान्यता वाले ज्यादातर धार्मिक स्थल मौजूद हैं। उत्तराखंड में ही विख्यात चारधाम मौजूद हैं. केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है। 1.14 FAQs यमुनोत्री धाम भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह चार धामों में से एक है जो हिंदू धर्म के तीर्थ स्थलों में से एक है। यहाँ की प्रमुख धार्मिक स्थल Yamunotri Temple है, जो माँ यमुना को समर्पित है। यह मंदिर धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और हजारों श्रद्धालु इस धाम को प्रतिवर्ष दर्शन करने आते हैं। धार्मिक संस्कृति के साथ-साथ यहाँ की सुंदरता भी इस धाम को अनूठा बनाती है। यमुनोत्री धाम जाने के लिए यात्रियों को उच्च अल्पसंख्यक वर्गों, दूरस्थ इलाकों और चट्टानों से भरी मार्गों से गुजरना पड़ता है। Yamunotri Temple कैसे पहुंचे? यमुनोत्री धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तराकाशी जिले में स्थित है और यहां पहुंचने के लिए आपको निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करना होगा। यमुनोत्री धाम तक कार्यक्रमों के लिए, आप उत्तराकाशी या जोली गोठ तक बस सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। उत्तराकाशी और जोली गोठ से, टैक्सी या कार का इस्तेमाल करके आप यमुनोत्री धाम तक पहुंच सकते हैं। हरिद्वार, देहरादून या ऋषिकेश से चार धाम पैकेज भी आप बुक करवा सकते है। ध्यान दें कि यमुनोत्री धाम मौसम के आधार पर साल के कुछ हिस्सों में बंद हो सकता है। यमुनोत्री धाम जाने का सबसे अच्छा समय Yamunotri Temple के लिए सबसे अ...

जाने कैसे पहुंचे यमुनोत्री धाम ?

Yamunotri Dham Location यमुनोत्री धाम की स्थिति गढ़वाल पर्वत श्रृंखला पर बसा एक रोमांचक स्थान, यमुनोत्री, हरे-भरे घास के मैदानों और शानदार पर्वत चोटियों के साथ सुरम्य वातावरण को पेश करता है। एक पौराणिक स्थान, जो बहुत साहस और सहनशक्ति की मांग करता है, यमुनोत्री उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थान होगा जिन्हें ऊँचे पहाड़ो पर घूमना पसंद हैं। टेढ़ी-मेढ़ी चोटियों और सघन वनों के दृश्य के साथ मन को मोह लेने वाली, यमुनोत्री की यात्रा एक शानदार अनुभव है। बर्फ से ढके शिखरों से लेकर अद्भुत झीलों तक, यमुनोत्री में उन लोगों के लिए अविश्वसनीय रूप से बहुत से आकर्षक स्थान हैं जो दिल से युवा हैं। इसके आसपास चलने वाले रास्ते जिनके बगल में बड़े नाले बहते है, उनमें से कुछ ऐसे शानदार पल प्रस्तुत करते हैं जिन्हें कोई कभी भूल नहीं सकता। इन सबके अलावा, यमुना का यह बर्फीला इलाका एक वन्यजीव प्रेमी के लिए एक अद्भुत गंतव्य है। गूगल मैप पर यमुनोत्री मंदिर के निर्देशांक: 31.01 ° N 78.45 ° E यमुनोत्री धाम कैसे पहुंचे? हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून है। ट्रेन द्वारा: केवल ऋषिकेश तक रेलवे की सुविधा है । इसके बाद आपको निजी टैक्सियों या बसों का लाभ उठाना होगा। आपको हरिद्वार या ऋषिकेश से साझा जीप या इसी तरह के वाहन मिल जायेगे । इनोवा, टवेरा, क्वालिस, स्कॉर्पियो आदि जैसे एसयूवी या एमयूवी की सुविधा हर समय उपलब्ध है | निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार, देहरादून, कोटद्वार और काठगोदाम हैं। सड़क मार्ग से: हनुमान चट्टी से फूल चट्टी तक जीप द्वारा 5 किमी, फूल चट्टी से जानकी चट्टी तक 3 किमी पैदल मार्ग और जानकी चट्टी से यमुनोत्री तक 5 किमी का पैदल मार्ग (यमनोत्री तक 8 किमी ट्रेक) है | गूगल मैप पर यमुनोत्र...

हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी और सही रास्ता

हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर यात्रा दूरी | Haridwar to Kedarnath Distance and Best Way to reach in Hindi | केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। केदारनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु केदारनाथ मंदिर पहुँचते हैं जिसमें हरिद्वार और ऋषिकेश से अधिकतर यात्री केदारनाथ मंदिर यात्रा की शुरुआत करते हैं। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी कैसे तय करते हैं, इस से जुडी हर तरह की जानकारी आपको आज यहाँ मिल जाएगी। केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मन्दाकिनी नदी के किनारे स्थित है। केदारनाथ मंदिर तक सड़क मार्ग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए गौरीकुंड स्थान के बाद 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक करना होता है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध पंच केदार मंदिरों में से एक है। ALSO READ केदारनाथ से बद्रीनाथ कैसे पहुंचे | Best Way to Reach Badrinath from Kedarnath हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी | Haridwar to Kedarnath Distance हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी लगभग 247 किलोमीटर है। जिसमे गौरीकुंड के बाद 18 किलोमीटर का पैदल ट्रेक भी शामिल है। हरिद्वार से गौरीकुंड की दूरी सड़क मार्ग द्वारा तय करने में लगभग 8 घंटे तक का समय लग जाता है। हरिद्वार शहर पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। हरिद्वार शहर, देश के अन्य प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग, रेलवे मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा है, इसलिए अधिकतर श्रद्धालु चार धाम यात्रा की शुरुआत हरिद्वार या ऋषिकेश से ही करते हैं। हरिद्वार से केदारनाथ मंदिर जाने वाले यात्रियों के लिए, सड़क मार्ग, बस सेवा, टैक्स...

हरिद्वार

• • 249401 • दूरभाष • +91-01334 • गाड़ियां • UK08 / UK17 आधिकारिक जालस्थल: 29°58′N 78°10′E / 29.96°N 78.16°E / 29.96; 78.16 हरिद्वार, पश्चात्कालीन हिंदू धार्मिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ एक मान्यता के अनुसार वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें गिरी थीं उसे हरिद्वार जिला, सहारनपुर डिवीजनल कमिशनरी के भाग के रूप में २८ दिसम्बर १९८८ को अस्तित्व में आया। २४ सितंबर १९९८ के दिन उत्तर प्रदेश विधानसभा ने 'उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक, १९९८' पारित किया, अंततः भारतीय संसद ने भी 'भारतीय संघीय विधान - उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००' पारित किया और इस प्रकार ९ नवम्बर २०००, के दिन हरिद्वार भारतीय गणराज्य के २७वें नवगठित राज्य उत्तराखंड (तब उत्तरांचल), का भाग बन गया। आज, यह अपने धार्मिक महत्त्व के अतिरिक्त भी, राज्य के एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र के रूप में, तेज़ी से विकसित हो रहा है। तेज़ी से विकसित होता औद्योगिक एस्टेट, राज्य ढांचागत और औद्योगिक विकास निगम, SIDCUL (सिडकुल), भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) और इसके सम्बंधित सहायक इस नगर के विकास के साक्ष्य हैं। वर्तमान संसाद डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक है। अनुक्रम • 1 हरिद्वार: पौराणिक माहात्म्य, इतिहास और वर्तमान • 2 दर्शनीय धार्मिक स्थल • 2.1 हर की पौड़ी • 2.2 चण्डी देवी मन्दिर • 2.3 मनसा देवी मन्दिर • 2.4 माया देवी मन्दिर • 2.5 वैष्णो देवी मन्दिर • 2.6 भारतमाता मन्दिर • 2.7 सप्तर्षि आश्रम/सप्त सरोवर • 2.8 शान्तिकुंज/गायत्री शक्तिपीठ • 2.9 कनखल • 2.10 पारद शिवलिंग • 2.11 दिव्य कल्पवृक्ष वन • 3 पर्व • 4 हरिद्वार में हिन्दू वंशावलियों की पंजिका • 5 ऋषिकेश से हरिद्वार?। rishikesh to haridwar • 6 प्रशासनिक पृष्ठभूमि • 7 भूग...

हरिद्वार से यमुनोत्री कैसे पहुंचे?

उत्तराखण्ड चार धाम यात्रा का प्रारम्भ तीर्थ यात्री सबसे पहले श्री यमुनोत्री जी की यात्रा से शुरू करते है । यमुनोत्री हरिद्वार से 246 कि.मी. की दूरी पर, 3323 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है । हरिद्वार से ऋषिकेश होते हुये यमुनोत्री की यात्रा इस प्रकार प्रारम्भ की जाती है । यहाँ पर एक बहुत बड़ा बिजलीघर बनाया जा रहा है जिसके लिये लगभग ३०० करोड़ की लागत का एक बांध बनाया गया है। यह एशिया की सबसे बड़ी बिजली उत्पादन परियोजना है। इस कारण पुराना टिहरी नगर लगभग जल में डूब चुका है। नई टिहरी पुरानी टिहरी से और अधिक ऊँचाई पर बसी हुई है। नई टिहरी को एक सुन्दर पहाड़ी भ्रमण स्थल के रूप में जाना जाता है । हिमालय पर्वत के उत्तराखण्ड क्षेत्र में यमुनोत्री अपने स्त्रोत कालिंद पर्वत से अवतरित होती है। यह उद्गम स्थल 4421 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है किन्तु यमुना जी का मन्दिर इस स्थान से पहले ही 3165 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस प्राचीन यमुना मन्दिर को वर्तमान में नया रूप प्रदान किया गया है। यमुना जी का उद्गम स्थल अत्याधिक दुर्गम कठिन चढाई पर स्थित है। यमुनोत्री मन्दिर से 10 कि.मी. की विकट चढ़ाई के बाद सप्तऋषि कुण्ड सरोवर मिलता है। यही यमुनोत्री का उद्गम स्थल है। इसका मार्ग घना जंगली एवं ढलानी हैं, कहीं-कहीं ग्लेशियर भी दिखाई देते है। यहाँ दुर्लभ ब्रह्म कमल फूल दिखाई देते हैं। जानकी चट्टी – श्याना चट्टी से १२ कि.मी. दूरी पर जानकी चटटी है जो कि यमुनोत्री की यात्रा करने वालों के लिये बस, मोटर गाड़ियों का अन्तिम पड़ाव है। यहाँ से सभी यात्रियों को यमुनोत्री मन्दिर तक पैदल यात्रा करना होती है। यहाँ से ६ कि.मी. दूरी पर यमुनोत्री मन्दिर है। यहाँ जो यात्री पैदल यात्रा नहीं कर सकते उनके लिये खच्चर, कुली, डांडी, क...