पद्मावती मंदिर तिरुपति

  1. तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए 24 वर्षों से दर्जी का अनोखा समर्पण, साल में 4 बार बढ़ती है मंदिर की शोभा
  2. तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर
  3. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रोचक तथ्य
  4. जानिए देश के सबसे धनी तिरुपति मंदिर की 10 खास बातें, जो आज से खुल गया


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तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए 24 वर्षों से दर्जी का अनोखा समर्पण, साल में 4 बार बढ़ती है मंदिर की शोभा

नई दिल्ली, 22 सितंबर। तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए पिछले 24 वर्षों से समर्पित एक दर्जी खुद को धन्य मानता है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के निर्देश पर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के लिए विशेष सेवा का अवसर मिलने के बाद उसने अपने पेशे को ईश्वर को समर्पित कर दिया है। तिरुपति मंदिर में भगवान के खास अनुष्ठान के लिए साल भर में चार बार सेवा का मौका पाने वाले ये दर्जी भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के अतिरिक्त किसी के लिए अब एक खास वस्त्र की सिलाई नहीं करता। पहले देवी श्री पद्मावती मंदिर के लिए बनाई हुंडी आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तीर्थकट्टा स्ट्रीट पर रहने वाले परदाला मणि पिछले 24 वर्षों से तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को हाथ से बने पर्दे की सिलाई और भेंट कर रहा है। परदाला हाथ से बने पर्दे की सिलाई के लिए लोकप्रिय हैं। उन्होंने सबसे पहले कपड़े से बनी हुंडी को देवी श्री पद्मावती मंदिर में अर्पित की थी। जिसके बाद इसे पसंद किया गया। तिरुपति बाला जी में शुरू हुई सेवा तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) से निर्देश मिलने के बाद परदाला मणि ने भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के लिए पर्दे की सिलाई शुरू कर दी। एक बार शुरू हुई भगवान की सेवा परदाला मणि ने लगातार जारी रखी। साल में चार बार ऐसा मौका आता है, जब परदाला के सिले वस्त्र मंदिर के खास उत्सव की शोभा बनते हैं। खास उत्सव के लिए परदाला बनाते हैं वस्त्र कोयल अलवर थिरुमंजनम तिरुपति तिरमाला का खास पर्व है। जिसे साल में चार बरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान के मंदिर को खास वस्त्रों से सजाया जाता है। परदाला मणि के हाथों सिले पर्दे इस विशेष उत्सव की शोभा बनते हैं। इस दिन भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के गर्भगृह में विशेष तरीके से सजाया जाता है। ये सजावट तिरु...

तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर

आन्ध्र प्रदेश में अवस्थिति 13°40′59.7″N 79°20′49.9″E / 13.683250°N 79.347194°E / 13.683250; 79.347194 13°40′59.7″N 79°20′49.9″E / 13.683250°N 79.347194°E / 13.683250; 79.347194 वास्तु विवरण प्रकार द्रविड़ शैली आयाम विवरण मंदिर संख्या 1 अभिलेख द्रविड़ भाषाओं और संस्कृत में अवस्थिति ऊँचाई 853मी॰ (2,799फीट) वेबसाइट .tirumala .org तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है। तमिल के शुरुआती साहित्य में से एक संगम साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगदम कहा गया है। तिरुपति के इतिहास को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि 5वीं शताब्दी तक यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका था। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं का आर्थिक रूप से इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान था। अनुश्रुतियां [ ] अनुक्रम • 1 अनुश्रुतियां • 2 इतिहास • 3 वर्णन • 3.1 मुख्य मंदिर • 3.2 मंदिर की चढ़ाई • 4 अन्य आकर्षण • 4.1 श्री पद्मावती समोवर मंदिर • 4.2 श्री गोविंदराजस्वामी मंदिर • 4.3 श्री कोदंडरामस्वमी मंदिर • 4.4 श्री कपिलेश्वरस्वामी मंदिर • 4.5 श्री कल्याण वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.6 श्री कल्याण वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.7 श्री वेद नारायणस्वामी मंदिर • 4.8 श्री वेणुगोपालस्वामी मंदिर • 4.9 श्री प्रसन्ना वैंकटेश्वरस्वामी मंदिर • 4.10 श्री चेन्नाकेशवस्वामी मंदिर • 4.11 श्री करिया मणिक्यस्वामी मंदिर • 4.12 श्री अन्नपूर्णा-काशी विश्वेश्वरस्वामी • 4.13 स्वामी पुष्करिणी • 4.14 आकाशगंगा जलप्रपात • 4.15 श्री वराहस्वामी मंदिर • 4.16 श्री बेदी अंजनेयस्वामी मंदिर • 4.17 टीटीडी गार्डन • 4.18 ध्यान मंदिरम • 5 खानपान • 5.1 तिरुमला में • 5.2 तिरुपत...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रोचक तथ्य

Sri Venkateswara Swamy Temple / श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है जो भगवान विष्णु के अवतार थे, जो की आन्ध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के तिरुपति में स्थित है। लोगो का ऐसा मानना है की कलियुग से आ रही मुश्किलों और क्लेश के चलते वे मानवी जीवन को बचाने के लिये भगवान विष्णु, वेंकटेश्वर भगवान के रूप में अवतरित हुए थे। तिरुमला के सात पर्वतों में से एक वेंकटाद्रि पर बना श्री वेंकटेश्वर मन्दिर यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र है। इसलिए इसे सात पर्वतों का मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर दुसरे भी नामो से जाना जाता है जैसे की तिरुमाला मंदिर, तिरुपति मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) – वेंकटेश्वर भगवान भी कई नामो से जाने जाते है जैसे की बालाजी, गोविंदा और श्रीनिवासा। Contents • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर की जानकारी – Tirupati Balaji Temple Information in Hindi भगवान व्यंकटेश स्वामी को संपूर्ण ब्रह्मांड का स्वामी माना जाता है। हर साल करोड़ों लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। साल के बारह महीनों में एक भी दिन ऐसा नहीं जाता जब यहाँ वेंकटेश्वरस्वामी के दर्शन करने के लिए भक्तों का ताँता न लगा हो। कई शताब्दी पूर्व बने इस मन्दिर की सबसे ख़ास बात इसकी दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अदभुत संगम है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान भारत के सबसे अधिक तीर्थयात्रियों के आकर्षण का केंद्र है। इसके साथ ही इसे विश्व के सर्वाधिक धनी धार्मिक स्थानों में से भी एक माना जाता है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार, इस मन्दिर में स्थापित भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति में ही भगवान बसते हैं और वे यहाँ समूचे कलियुग में विराजमान रहेंगे। वैष्णव परम्पर...

जानिए देश के सबसे धनी तिरुपति मंदिर की 10 खास बातें, जो आज से खुल गया

कोरोना वायरस के लॉकडाउन के कारण करीब 80 दिनों तक बंद होने के बाद देश का सबसे धनी तिरुपति तिरुमला बालाजी मंदिर 11 जून से जनता के लिए खोल दिया गया. हालाकि इस बार मंदिर में उतनी भारी भीड़ नहीं आ पाएगी. कहां मंदिर में पहले रोज 50,000 से एक लाख लोग रोज दर्शन के लिए आया करते थे. कहां अब 6000 लोग ही रोज दर्शन कर पाएंगे. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी वो 10 दस खास बातें, जिससे ये मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है. ये मंदिर तिरुपति शहर की ही अर्थव्यवस्था नहीं चलाता बल्कि कई चैरिटी से जुड़े काम करता है. वैसे यहां दर्शन करना हमेशा से ही काफी सिस्टमेटिक रहा है. 1. तिरुपति रेलवे स्टेशन से 22 किमी दूर ये मंदिर तिरुपति रेलवे स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ियों पर है. इसे भगवान वेंकटेश्वर बालाजी का मंंदिर कहा जाता है. ये विशाल परिसर वाला मंदिर है. यहां मंदिर की गतिविधियां सुबह पांच बजे से शुरू होकर तकरीबन रात 09 बजे तक चलती रहती हैं. हालांकि अब दर्शन का काम सुबह 06.30 से शाम 07.30 बजे तक होगा. 2. राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था तिरुमाला का ये विश्व प्रसिद्ध मंदिर राजा श्रीकृष्णदेवराय के साम्राज्य का अंग था. अंग्रेज जब भारत आए. उन्होंने यहां प्रशासनिक तौर पर राज्यों का गठन किया तो ये जगह मद्रास प्रेसीडेंसी में चली गई. फिर देश की स्वतंत्रता के बाद जब फिर से राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो बालाजी का ये प्रसिद्ध तीर्थस्थान आंध्र प्रदेश में आ गया. 3. आवागमन से बेहतरीन संपर्क मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में चित्तूर जिले में है. तिरुपति सड़क़, रेल और हवाई मार्ग से बहुत बेहतर ढंग से जुड़ा है. चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद से यहां के लिए तमाम पैकेज...