ईशा फाउंडेशन कोयंबटूर

  1. सद्गुरु आश्रम फीस और कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र
  2. Isha Foundation : क्या है ईशा फाउंडेशन ? जानिए ईशा फाउंडेशन के कामों के बारे में
  3. ईशा फाउंडेशन
  4. ईशा फाउंडेशन:देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति
  5. ईशा योग केंद्र में मृतकों से जुड़े अनुष्ठानों की सुविधा
  6. Isha Foundation : क्या है ईशा फाउंडेशन ? जानिए ईशा फाउंडेशन के कामों के बारे में
  7. ईशा फाउंडेशन
  8. ईशा फाउंडेशन:देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति
  9. ईशा योग केंद्र में मृतकों से जुड़े अनुष्ठानों की सुविधा
  10. सद्गुरु आश्रम फीस और कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र


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सद्गुरु आश्रम फीस और कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र

February 16, 2023 सद्गुरु आश्रम फीस सद्गुरु आश्रम फीस –दक्षिण भारत के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र है। ईशा योग केंद्र का दौरा करने के लिए आपको कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता है। क्योंकि यहाँ प्रवेश निःशुल्क है। यदि आप ध्यानलिंग और लिंग भैरवी पर जाने हेतु कुछ घंटे या फिर एक दिन का समय बिताना चाहते हैं। तो आपको कुछ भी खर्चा नहीं करना पड़ेगा। कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र सद्गुरु आश्रम फीस –आप यह पर सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से भी कोयंबटूर पहुंच सकते हैं। बैंगलोर से कोयंबटूर ईशा योग केंद्र की दूरी लगभग 364.7 किमी है। चेन्नई से ईशा योग कोयंबटूर की दूरी लगभग 505.9 किमी है। यह वेल्लियांगिरी पहाड़, तमिलनाडु की सीमा में स्तिथ है। सद्गुरु आश्रम फीस –यदि आप आश्रम के ही निजी कमरे में रहना चाहते हैं तो यह अनिवार्य है कि आप अपने लिए कमरों की अत्यधिक मांग के कारण अपने कमरे की बुकिंग पहले ही कर लें। ताकि आपको बाद में कोई भी परेशानी ना हो। उन कमरों की कीमत आपको लगभग ₹800 रुपये प्रति दिन होती है। जिसमें सुबह का नाश्ता दोपहर का पेय पदार्थ और रात का खाना शामिल है। आप दोपहर के भोजन के लिए नजदीकी किसी रेस्तरां में जा सकते हैं। क्योंकि आश्रम में दोपहर का भोजन नहीं दिया जाता है। शिवरात्रि की रात ईशा योग केंद्र में यदि आप शिवरात्रि के दौरान ईशा योग केंद्र, सद्गुरु आश्रम फीस –कोयंबटूर पहुंचने के बाद,आप ईशा योग केंद्र तक पहुंचने के लिए बस से जा सकते हैं। मुश्किल से आपके ₹40 रुपये ही खर्च होंगे। यदि आप टैक्सी या ऑटो को बुक करते हैं। तो इसकी कीमत लगभग ₹1000 के आस पास होगी। रिटर्न कैब आप ईशा फाउंडेशन से भी बुक कर सकते हैं। जो की आप को लगभग 4 घंटे पूर्व ही बुक करनी होती है। जो एक ए/सी के लिए ₹900/- रुपये तक च...

Isha Foundation : क्या है ईशा फाउंडेशन ? जानिए ईशा फाउंडेशन के कामों के बारे में

What is Isha Foundation ? in Hindi – ईशा फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जो लाखों लोगों के साथ सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है. यह तमिलनाडु बेस्ड एक आध्यात्मिक संगठन है. ईशा फाउंडेशन की स्थापना आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के द्वारा साल 1992 में की गई थी. यह फाउंडेशन समाज के लिए काम करता है और इसके साथ ही योग और पर्यावरण की दिशा में भी एक्टिव है. ईशा फाउंडेशन में लगभग 20 लाख स्वयंसेवक काम कर रहे हैं. आज हम आपको ईशा फाउंडेशन क्या है ? ईशा फाउंडेशन कैसे काम करता है ? ईशा फाउंडेशन के संस्थापक कौन हैं ? ईशा फाउंडेशन की उपलब्द्धियां क्या हैं ? ईशा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट्स आदि के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं ईशा फाउंडेशन के बारे में विस्तार से. क्या है ईशा फाउंडेशन ? Kya hai Isha Foundation ? भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थापित ‘ईशा फाउंडेशन’ एक समाजसेवी संस्था के रूप में काम कर रही है. यह पूरी तरह से एक नॉन-प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन (Isha Foundation is a non-profit, spiritual organisation) है. साल 1992 में इस फाउंडेशन की स्थापना जग्गी वासुदेव या “सद्गुरु” ने की थी. लाखों लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं. योग, पर्यावरण और सामाजिक क्षेत्र में ये लोग काम कर रहे हैं और अपना योगदान दे रहे हैं. मुख्य रूप से कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की मैं ब्रांच है, जबकि इसके साथ ही ईशा फाउंडेशन अमेरिका तक फैला हुआ है. कौन हैं ईशा फाउंडेशन के संस्थापक ? Founder of Isha Foundation ? ईशा फाउंडेशन के संस्थापक का नाम जग्गी वासुदेव “सद्गुरु” (Isha Foundation founder Jaggi Vasudev Sadhguru) है. सद्गुरु का जन्म साल 1957 में मैसूर में हुआ था. सेवक इन्हें सद्गुरु के नाम से जानते हैं लेकि...

ईशा फाउंडेशन

सद्गुरु द्वारा स्थापित, ईशा फाउंडेशन वेल्लिनगिरी हिल्स में स्थित है और व्यक्तियों को उनकी वास्तविक आध्यात्मिक क्षमता तक पहुंचने में मदद करता है। यह योग के चार प्रमुख मार्गों: ज्ञान, कर्म, क्रिया और भक्ति के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस केंद्र में वास्तुशिल्प की दृष्टि से विशिष्ट स्पंद हॉल और उद्यान, जोकि आकार में 64,000 वर्ग फुट का एक ध्यान कक्ष है, मौजूद है। यहाँ स्थापित ध्यानलिंग भी एक अनूठा और शक्तिशाली ऊर्जा-स्तंभ है, जो बिना स्तंभ की एक 250,000 ईंटों से बनी गुंबद जैसी संरचना के नीचे स्थित है, इसके साथ ही एक तीर्थकुंड भी है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ईशा योग केंद्र में योग के परमस्रोत - आदियोगी के मुख का अनावरण किया था। 112 फीट ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। और पढ़े

ईशा फाउंडेशन:देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति

ईशा फाउंडेशन: देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति विस्तार तमिलनाडु के कोयंबटूर में महाशिवरात्रि के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को ईशा योग केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस दौरान महाशिवरात्रि समारोह के तहत 112 फीट ऊंची आदियोगी प्रतिमा के पास बड़ी संख्या में एकत्र हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि महाशिवरात्रि अंधकार, अज्ञानता के अंत का प्रतीक है और ज्ञान का मार्ग खोलती है। जीवन के उच्च आदर्शों की खोज करने वालों के लिए, आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण अवसर है, उन्होंने कहा और कामना की कि यह महाशिवरात्रि हमारे भीतर के अंधकार को दूर करे और हम सभी को अधिक परिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन की ओर ले जाए। राष्ट्रपति ने कहा कि शिवरात्रि का आध्यात्मिक प्रकाश हमारे जीवन में हर दिन हमारे पथ को उज्ज्वल करे। भगवान शिव सभी के लिए देवता हैं। वह गृहस्थ हैं और संन्यासी भी हैं। वे पहले योगी हैं और पहले ज्ञानी भी। भगवान शिव एक परोपकारी देवता हैं। वे परम भयानक देवता भी हैं। वे दोनों के प्रतीक हैं। ऊर्जा के प्रकार, रचनात्मक और विनाशकारी भी वही हैं। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के योगदान की सराहना करते हुए मुर्मू ने कहा कि वह आधुनिक समय के ऋषि होने के नाते, अनगिनत लोगों विशेष रूप से भारत और विदेशों के युवाओं ने उनमें आध्यात्मिक प्रगति करने की प्रेरणा पाई है। उन्होंने कहा कि वह अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से हमें हमारी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में भी सिखा रहे हैं। इस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, राज्य के आईटी मंत्री मनो थंगराज भी उपस्थित थे। इससे पहले राष्ट्रपति ने...

ईशा योग केंद्र में मृतकों से जुड़े अनुष्ठानों की सुविधा

ईशा योग केंद्र में कालभैरव अष्टमी हर साल आश्रम में निर्वाण षट्कम के जाप के साथ अष्टमी मनाई जाती है - इस अद्भुत स्तुति को एक हज़ार साल पहले आदि शंकराचार्य ने रचा था। ईशा योग केंद्र में, सुबह के समय ‘निर्काया स्थान’ सरोवर के निकट, कालभैरव के विशेष भजन गाए जाते हैं। निर्काया स्थान’ एक सरोवर है, जिसे सद्‌गुरु ने विशेष रूप से मृतकों के अंतिम संस्कार व अनुष्ठान पूरे करवाने के लिए तैयार करवाया है। इसके बाद दिन में एक विशेष आरती का आयोजन होता है और फिर ‘एलुप्रसादम्’ (तिल का प्रसाद) बाँटा जाता है। कोयंबतूर के ‘कायांत स्थान’ में, शाम साढ़े चार से छह बजे तक ऐसे ही कार्यक्रम का आयोजन होता है। ‘कायांतस्थान’ एक श्मशान भूमि है, जिसका संचालन ईशा फाउंडेशन के पास है। इस जगह मृतकों के अंतिम संस्कार व अनुष्ठान सही तरीक़े से पूर्ण किए जाते हैं। मृतकों के अंतिम संस्कारों का महत्व पिछली सदी के दौरान, मरने के बाद की जाने वाली यात्रा से जुड़े अनुष्ठानों ने अपना मूल अर्थ व सार कहीं खो दिया है। ईशा ये अनुष्ठान भेंट करती है और इन्हें शक्तिशाली ऊर्जा के आधार के साथ सेवा भाव से किया जाता है। यह कोई आर्थिक गतिविधि नहीं है। ये प्रक्रियाएँ पूरी संवेदनशीलता और सजगता के साथ पूरी की जाती हैं जिससे मृतक के शोक से भरे परिवार को मानसिक शांति मिल सकती है। ‘निर्काया स्थान’ और ‘कायांतस्थान’ इन्हीं प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं। कायांतस्थान कोयंबटूर नगर निगम की संपत्ति है, जिसका संचालन ईशा फाउंडेशन की ओर से किया जाता है। श्मशान भूमि में दो गाड़ियाँ हैं जो चालीस किलोमीटर के दायरे में अपनी सेवाएँ देती हैं। यह मुंडन, सोलहवें दिन के कर्म अनुष्ठान, तत्काल अस्थि वापस देने की सुविधा तथा स्वच्छ सुविधाएं भी प्रदान करता है। इसके अ...

Isha Foundation : क्या है ईशा फाउंडेशन ? जानिए ईशा फाउंडेशन के कामों के बारे में

What is Isha Foundation ? in Hindi – ईशा फाउंडेशन एक ऐसा संगठन है जो लाखों लोगों के साथ सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है. यह तमिलनाडु बेस्ड एक आध्यात्मिक संगठन है. ईशा फाउंडेशन की स्थापना आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव के द्वारा साल 1992 में की गई थी. यह फाउंडेशन समाज के लिए काम करता है और इसके साथ ही योग और पर्यावरण की दिशा में भी एक्टिव है. ईशा फाउंडेशन में लगभग 20 लाख स्वयंसेवक काम कर रहे हैं. आज हम आपको ईशा फाउंडेशन क्या है ? ईशा फाउंडेशन कैसे काम करता है ? ईशा फाउंडेशन के संस्थापक कौन हैं ? ईशा फाउंडेशन की उपलब्द्धियां क्या हैं ? ईशा फाउंडेशन के प्रोजेक्ट्स आदि के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं ईशा फाउंडेशन के बारे में विस्तार से. क्या है ईशा फाउंडेशन ? Kya hai Isha Foundation ? भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थापित ‘ईशा फाउंडेशन’ एक समाजसेवी संस्था के रूप में काम कर रही है. यह पूरी तरह से एक नॉन-प्रॉफिटेबल ऑर्गेनाइजेशन (Isha Foundation is a non-profit, spiritual organisation) है. साल 1992 में इस फाउंडेशन की स्थापना जग्गी वासुदेव या “सद्गुरु” ने की थी. लाखों लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं. योग, पर्यावरण और सामाजिक क्षेत्र में ये लोग काम कर रहे हैं और अपना योगदान दे रहे हैं. मुख्य रूप से कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की मैं ब्रांच है, जबकि इसके साथ ही ईशा फाउंडेशन अमेरिका तक फैला हुआ है. कौन हैं ईशा फाउंडेशन के संस्थापक ? Founder of Isha Foundation ? ईशा फाउंडेशन के संस्थापक का नाम जग्गी वासुदेव “सद्गुरु” (Isha Foundation founder Jaggi Vasudev Sadhguru) है. सद्गुरु का जन्म साल 1957 में मैसूर में हुआ था. सेवक इन्हें सद्गुरु के नाम से जानते हैं लेकि...

ईशा फाउंडेशन

सद्गुरु द्वारा स्थापित, ईशा फाउंडेशन वेल्लिनगिरी हिल्स में स्थित है और व्यक्तियों को उनकी वास्तविक आध्यात्मिक क्षमता तक पहुंचने में मदद करता है। यह योग के चार प्रमुख मार्गों: ज्ञान, कर्म, क्रिया और भक्ति के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस केंद्र में वास्तुशिल्प की दृष्टि से विशिष्ट स्पंद हॉल और उद्यान, जोकि आकार में 64,000 वर्ग फुट का एक ध्यान कक्ष है, मौजूद है। यहाँ स्थापित ध्यानलिंग भी एक अनूठा और शक्तिशाली ऊर्जा-स्तंभ है, जो बिना स्तंभ की एक 250,000 ईंटों से बनी गुंबद जैसी संरचना के नीचे स्थित है, इसके साथ ही एक तीर्थकुंड भी है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ईशा योग केंद्र में योग के परमस्रोत - आदियोगी के मुख का अनावरण किया था। 112 फीट ऊंची यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। और पढ़े

ईशा फाउंडेशन:देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति

ईशा फाउंडेशन: देवता, गृहस्थ से लेकर संन्यासी तक शिव के कई रूप...,महाशिवरात्रि समारोह में बोलीं राष्ट्रपति विस्तार तमिलनाडु के कोयंबटूर में महाशिवरात्रि के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को ईशा योग केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस दौरान महाशिवरात्रि समारोह के तहत 112 फीट ऊंची आदियोगी प्रतिमा के पास बड़ी संख्या में एकत्र हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि महाशिवरात्रि अंधकार, अज्ञानता के अंत का प्रतीक है और ज्ञान का मार्ग खोलती है। जीवन के उच्च आदर्शों की खोज करने वालों के लिए, आज का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण अवसर है, उन्होंने कहा और कामना की कि यह महाशिवरात्रि हमारे भीतर के अंधकार को दूर करे और हम सभी को अधिक परिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन की ओर ले जाए। राष्ट्रपति ने कहा कि शिवरात्रि का आध्यात्मिक प्रकाश हमारे जीवन में हर दिन हमारे पथ को उज्ज्वल करे। भगवान शिव सभी के लिए देवता हैं। वह गृहस्थ हैं और संन्यासी भी हैं। वे पहले योगी हैं और पहले ज्ञानी भी। भगवान शिव एक परोपकारी देवता हैं। वे परम भयानक देवता भी हैं। वे दोनों के प्रतीक हैं। ऊर्जा के प्रकार, रचनात्मक और विनाशकारी भी वही हैं। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के योगदान की सराहना करते हुए मुर्मू ने कहा कि वह आधुनिक समय के ऋषि होने के नाते, अनगिनत लोगों विशेष रूप से भारत और विदेशों के युवाओं ने उनमें आध्यात्मिक प्रगति करने की प्रेरणा पाई है। उन्होंने कहा कि वह अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से हमें हमारी सामाजिक जिम्मेदारी के बारे में भी सिखा रहे हैं। इस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि, राज्य के आईटी मंत्री मनो थंगराज भी उपस्थित थे। इससे पहले राष्ट्रपति ने...

ईशा योग केंद्र में मृतकों से जुड़े अनुष्ठानों की सुविधा

ईशा योग केंद्र में कालभैरव अष्टमी हर साल आश्रम में निर्वाण षट्कम के जाप के साथ अष्टमी मनाई जाती है - इस अद्भुत स्तुति को एक हज़ार साल पहले आदि शंकराचार्य ने रचा था। ईशा योग केंद्र में, सुबह के समय ‘निर्काया स्थान’ सरोवर के निकट, कालभैरव के विशेष भजन गाए जाते हैं। निर्काया स्थान’ एक सरोवर है, जिसे सद्‌गुरु ने विशेष रूप से मृतकों के अंतिम संस्कार व अनुष्ठान पूरे करवाने के लिए तैयार करवाया है। इसके बाद दिन में एक विशेष आरती का आयोजन होता है और फिर ‘एलुप्रसादम्’ (तिल का प्रसाद) बाँटा जाता है। कोयंबतूर के ‘कायांत स्थान’ में, शाम साढ़े चार से छह बजे तक ऐसे ही कार्यक्रम का आयोजन होता है। ‘कायांतस्थान’ एक श्मशान भूमि है, जिसका संचालन ईशा फाउंडेशन के पास है। इस जगह मृतकों के अंतिम संस्कार व अनुष्ठान सही तरीक़े से पूर्ण किए जाते हैं। मृतकों के अंतिम संस्कारों का महत्व पिछली सदी के दौरान, मरने के बाद की जाने वाली यात्रा से जुड़े अनुष्ठानों ने अपना मूल अर्थ व सार कहीं खो दिया है। ईशा ये अनुष्ठान भेंट करती है और इन्हें शक्तिशाली ऊर्जा के आधार के साथ सेवा भाव से किया जाता है। यह कोई आर्थिक गतिविधि नहीं है। ये प्रक्रियाएँ पूरी संवेदनशीलता और सजगता के साथ पूरी की जाती हैं जिससे मृतक के शोक से भरे परिवार को मानसिक शांति मिल सकती है। ‘निर्काया स्थान’ और ‘कायांतस्थान’ इन्हीं प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं। कायांतस्थान कोयंबटूर नगर निगम की संपत्ति है, जिसका संचालन ईशा फाउंडेशन की ओर से किया जाता है। श्मशान भूमि में दो गाड़ियाँ हैं जो चालीस किलोमीटर के दायरे में अपनी सेवाएँ देती हैं। यह मुंडन, सोलहवें दिन के कर्म अनुष्ठान, तत्काल अस्थि वापस देने की सुविधा तथा स्वच्छ सुविधाएं भी प्रदान करता है। इसके अ...

सद्गुरु आश्रम फीस और कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र

February 16, 2023 सद्गुरु आश्रम फीस सद्गुरु आश्रम फीस –दक्षिण भारत के कोयंबटूर में ईशा योग केंद्र है। ईशा योग केंद्र का दौरा करने के लिए आपको कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता है। क्योंकि यहाँ प्रवेश निःशुल्क है। यदि आप ध्यानलिंग और लिंग भैरवी पर जाने हेतु कुछ घंटे या फिर एक दिन का समय बिताना चाहते हैं। तो आपको कुछ भी खर्चा नहीं करना पड़ेगा। कैसे पहुंचें ईशा योग केंद्र सद्गुरु आश्रम फीस –आप यह पर सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से भी कोयंबटूर पहुंच सकते हैं। बैंगलोर से कोयंबटूर ईशा योग केंद्र की दूरी लगभग 364.7 किमी है। चेन्नई से ईशा योग कोयंबटूर की दूरी लगभग 505.9 किमी है। यह वेल्लियांगिरी पहाड़, तमिलनाडु की सीमा में स्तिथ है। सद्गुरु आश्रम फीस –यदि आप आश्रम के ही निजी कमरे में रहना चाहते हैं तो यह अनिवार्य है कि आप अपने लिए कमरों की अत्यधिक मांग के कारण अपने कमरे की बुकिंग पहले ही कर लें। ताकि आपको बाद में कोई भी परेशानी ना हो। उन कमरों की कीमत आपको लगभग ₹800 रुपये प्रति दिन होती है। जिसमें सुबह का नाश्ता दोपहर का पेय पदार्थ और रात का खाना शामिल है। आप दोपहर के भोजन के लिए नजदीकी किसी रेस्तरां में जा सकते हैं। क्योंकि आश्रम में दोपहर का भोजन नहीं दिया जाता है। शिवरात्रि की रात ईशा योग केंद्र में यदि आप शिवरात्रि के दौरान ईशा योग केंद्र, सद्गुरु आश्रम फीस –कोयंबटूर पहुंचने के बाद,आप ईशा योग केंद्र तक पहुंचने के लिए बस से जा सकते हैं। मुश्किल से आपके ₹40 रुपये ही खर्च होंगे। यदि आप टैक्सी या ऑटो को बुक करते हैं। तो इसकी कीमत लगभग ₹1000 के आस पास होगी। रिटर्न कैब आप ईशा फाउंडेशन से भी बुक कर सकते हैं। जो की आप को लगभग 4 घंटे पूर्व ही बुक करनी होती है। जो एक ए/सी के लिए ₹900/- रुपये तक च...