Jagdish ji ki aarti in hindi pdf

  1. श्री जगदीश जी की आरती video,Image
  2. ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स
  3. श्री गोपाल की आरती video,Image
  4. Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics
  5. [Free PDF] Vishnu Ji Ki Aarti
  6. श्री गणेशजी की आरती (हिंदी)
  7. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए Aarti
  8. ॐ जय जगदीश हरे आरती, Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics
  9. Jagdish Ji Ki Aarti :गुरुवार के दिन करें ये आरती, भगवान विष्णु का मिलेगा आशिर्वाद


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श्री जगदीश जी की आरती video,Image

ॐ जय जगदीश हरे आरती Jagdish Aarti Lyrics In Hindi ॥ आरती श्री जगदीश जी ॥ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी। स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे। श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय जगदीश हरे। यहाँ पढ़ें: Jagdish Aarti Lyrics Image ॐ जय जगदीश हरे Jagdish Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री जगदीश जी की आरती श्री जगदीश जी की आरती का पीडिएफ डाउनलॉड (PDF Download) करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें। भगवान श्री विष्णु की कृपा अनंत है। इनकी दया से सभी दुख दूर हो जाते हैं। श्री भगवान विष्णु का दिन गुरुवार होता है इस दिन श्री हरि की पूजा की जाती है तथा इसी दिन बृहस्पति देव की भी पूजा होती है। अगर श्री भगवान विष्णु की कृपा पा...

ॐ जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स

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श्री गोपाल की आरती video,Image

Gopal Aarti Lyrics In Hindi ॥ श्री गोपाल की आरती ॥ आरती जुगल किशोर की कीजै,राधे धन न्यौछावर कीजै। x2 रवि शशि कोटि बदन की शोभा,ताहि निरखि मेरा मन लोभा। आरती जुगल किशोर की कीजै…। गौर श्याम मुख निरखत रीझै,प्रभु को स्वरुप नयन भर पीजै। कंचन थार कपूर की बाती,हरि आये निर्मल भई छाती। आरती जुगल किशोर की कीजै…। फूलन की सेज फूलन की माला,रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला। मोर मुकुट कर मुरली सोहै,नटवर वेष देखि मन मोहै। आरती जुगल किशोर की कीजै…। आधा नील पीत पटसारी,कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी। श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,आरती करें सकल ब्रजनारी। आरती जुगल किशोर की कीजै…। नन्द लाला वृषभानु किशोरी,परमानन्द स्वामी अविचल जोरी। आरती जुगल किशोर की कीजै,राधे धन न्यौछावर कीजै। आरती जुगल किशोर की कीजै…। यहाँ पढ़ें: Gopal Aarti Lyrics Image Lord Gopal Aarti Gopal Aarti Lyrics In Hindi PDF Download – श्री गोपाल की आरती श्री गोपाल की आरती का पीडिएफ डाउनलॉड (PDF Download) करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें। श्री लड्डू गोपाल की लीला को कौन नही जानता, हर कोई उनकी साँवली सूरत का दीवाना है। लड्डू गोपाल यानी कृष्ण जी का जन्म द्वापर युद मे हुआ था। इनके कई नाम हैं जैसे- कन्हैया, केशव, गोपाल, श्याम, द्वारकाधीश, मोहन, वासुदेव आदि। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्री मदभगवत और महाभारत में कृष्ण भगवान के स्वरूप का विस्तृत वर्णन किया गया है। भगवान कृष्ण वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थी जिन्होंने कंस के मथुरा कारावास मे जन्म लिया था, लेकिन उनका लालन- पालन गोकुल में हुआ था। बचपन मे यशोदा और नन्द ने उनका पालन किया था। कृष्ण भगवान की लीला उनके बाल्य काल से ही देखने को मिलती है। बड़े होने पर उन्होने अपने मामा कंस का वध किया जो...

Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics

Om Jai Jagdish Hare Lyrics Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics : दोस्तों अगर आप ॐ जय जगदीश हरे आरती लीरिक्स लिखित में (Om Jai Jagdish Hare Lyrics) ढूंढ रहे हो तो आप बिलकुल सही जगह पर ह। आज मैंने यहाँ पर निचे आपको फुल Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in Hindi and English दोनों में दिए है। तो प्लीज आप इसको लास्ट तक पढ़े। 🕉️🙏🛕🌸🏵️🪔🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ ॐ जय जगदीश आरती यह दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती है 1870 में 32 वर्ष की उम्र में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने ‘ ओम जय जगदीश हरे’ आरती की रचना की थी। यह आरती भगवान विष्णु जी को समर्पित है, जो सार्वभौमिक आरती है और हर सनातनी के घर में गयी जाती है। Om Jai Jagdish Hare Lyrics In Hindi ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में हिंदी ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🪔🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ om jai jagdish hare lyrics Om Jai Jagdish Hare Lyrics English Here are the Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics in English ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️ 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare Bhagt Jano Ke Sankat, Khshan Mein Door Kare Om Jai Jagdish Hare… 🕉️🙏🛕🌸🏵️🌹🌺🌻🙏🛕🕉️ Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF | ॐ जय जगदीश हरे आरती in Hindi and English PDF download link निचे दिए गए है | Aarti Om Jai Jagdish Hare PDF direct download for free using the download button. Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In English PDF– [ Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics In Hindi PDF– [ 🪔आरती सामग्री (Song Content) : 🎵 गाना (Song Name):...

[Free PDF] Vishnu Ji Ki Aarti

Free download विष्णु जी की आरती – ॐ जय जगदीश हरे आरती PDF | Vishnu Ji Ki Aarti – Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Lyrics in Hindi & English, scroll down & click on the download link given below. भगवान् विष्णुजी की पूजा-अर्चना करने से पूर्व उनकी स्तुति करके उनका आव्हान करना चाहिए। ऐसा कर हम भगवान् को पूजा स्थल पर प्रत्यक्ष उपस्थित मानकर पूजा करते है, तो पूजा-अर्चना से विशेष लाभ होता है। भगवान् विष्णुजी का स्तुति मंत्र इस प्रकार है। Page Contents • • • आरती को ऑफलाइन पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल कर Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF डाउनलोड करे। ओम जय जगदीश हरे आरती लिरिक्स – हिंदी अर्थ सहित ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे । ॐ जय जगदीश हरे ।। अर्थात: हे जगत के स्वामी, आप ही है जो अपने दास और भक्त जनो के संकट मात्र क्षण में दूर करते है। जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का । प्रभु दुःख बिनसे मन का ।। सुख-सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का । ॐ जय जगदीश हरे ।। जो आपका ध्यान करेंगे उन पर आपकी कृपा होगी। आपकी कृपा के फलस्वरूप उनके पास सुख तथा सम्पत्ति आएगी, उनके शरीर के रोग व् कष्ट मिट जाएंगे और इस प्रकार उनके मन से सभी दुःख मिट जाएंगे। (Vishnu Ji Ki Aarti) मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मै किसकी । प्रभु शरण गहूं मै किसकी ।। तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी । ॐ जय जगदीश हरे ।। आप ही मेरे माता और पिता हैं, आपके सिवा मेरे पास कोई दूसरा नहीं है, जिससे मै कोई आस रख सकूँ मै आपके अलावा और किसकी शरण में जाऊं! प्रभु । तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । प्रभु तुम अन्तर्यामी ।। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी । ॐ जय जगदीश हरे ।। आप हम आत्माओ के ह्रदय की बात...

श्री गणेशजी की आरती (हिंदी)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी । माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥ जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा । लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया । बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ 'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी । कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा । माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ शेंदुर लाल चढ़ायो शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुख को । दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहर को । हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवर को । महिमा कहे न जाय लागत हूं पद को । जय देव जय देव ॥०१॥ जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता । धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता । जय देव जय देव ॥०२॥ भावभगत से कोई शरणागत आवे । संतति संपत्ति सबहि भरपूर पावे । ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे । गोसावीनन्दन निशिदिन गुण गावे । जय देव जय देव ॥०३॥ जय जय श्री गणराज विद्या सुखदाता । धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मन रमता । जय देव जय देव ॥०४॥ १, २, ३, ४ गणपती की जय जय कार १, २, ३, ४ गणपती की जय जय कार ॥ ५, ६, ७, ८ गणपतिजी हमारे साथ ॥ ९, १०, ११, १२ गणपती है सबसे प्यारा ॥ १३, १४, १५, १६ गणपती है सबसे भोला ॥ १७, १८, १९, २० गणपतीजी हमारे बीच ॥ गणपति बाप्पा मोरया । मंगल मूर्ति मोरय...

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए Aarti

Looking for Vishnu Bhagwan Ki Aarti ( Om Jai Jagdish Hare Lyrics) Hindi Bhajan in Hindi & English! Here is the right choice! Vishnu Bhagwan Ki Aarti is a Hindu devotional song devoted to Lord Vishnu, one of Hinduism’s most adored deities. The Aarti is normally conducted in the evening, after the day puja has been completed, and it is a method to offer devotion and appreciation to the Lord for his blessings and protection. Vishnu Bhagwan Ki Aarti Vishnu Bhagwan Ki Aarti Video Song on Youtube Vishnu Bhagwan Ki Aarti Lyrics In Hindi | Jagdish Ji Ki Aarti in Hindi ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे । अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ ...

ॐ जय जगदीश हरे आरती, Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics

Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics : यहाँ पर दुनिया के सबसे ज्यादा लोकप्रिय प्रसिद्ध विष्णुजी की आरती ॐ जय जगदीश हरे आरती के लिरिक्स हिंदी और इंग्लिश में दिए गए हैं. इस आरती को आप विष्णुजी की पूजा आरती करते समय गा या पढ़ सकते हैं. यह आरती इतना लोकप्रिय हैं की इसे किसी भी पूजा पर गाया जाता हैं. इस Jagdish Ji Ki Aarti की रचना 150 वर्ष पहले 1870 में पंडित श्रद्धाराम शर्मा ने की थी. तब से यह आरती किसी भी पूजा अनुष्ठान का एक अभिन्न अंग बन चूका हैं. पंडित श्रद्धाराम शर्मा एक विख्यात साहित्यकार, स्वतंत्रतासेनानी, ज्योतिष और सनातन धर्म के प्रचारक थे. इनका जन्म 30 सितम्बर 1837 को पंजाब में लुधियाना के निकट फुल्लौरी गांव में हुआ था. ॐ जय जगदीश हरे आरती, Aarti Om Jay Jagdish Hare Lyrics ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे । भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का । सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी । तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी । पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता । मैं मूरख फलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति । किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥ ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥ दीन-बन्धु दुःख-...

Jagdish Ji Ki Aarti :गुरुवार के दिन करें ये आरती, भगवान विष्णु का मिलेगा आशिर्वाद

Jagdish Ji Ki Aarti : गुरुवार के दिन करें ये आरती, भगवान विष्णु का मिलेगा आशिर्वाद ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥ तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥ दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥ विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥ तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥ जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥ ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा। छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता। सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े। प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी। पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो। विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे। जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।। ॐ जय बृहस्पति देवा।। Discl...