जैवविविधता क्या है

  1. जैव विविधता
  2. जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ
  3. जैव विविधता के प्रकार आनुवंशिक प्रजातीय सामुदायिक अथवा पारितत्र विविधता
  4. जैवविविधता के तप्त स्थल (Biodiversity Hot Spots )
  5. जैवविविधता हॉटस्पॉट


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जैव विविधता

जैववैविध्य या जैव विविधता जैववैविध्य पृथ्वी पर समान रूप से वितरित नहीं है; मानवोद्भव के बाद की अवधि में एक निरन्तर जैव वैविध्य में क्षति और अनुवांशिक वैविध्य के साथ-साथ होलोसीन विलुप्त होने का नाम दिया गया है, और इसे अक्सर षष्ठ सामूहिक विलुप्त होने के रूप में सन्दर्भित किया जाता है। क्षति मुख्य रूप से मानव प्रभावों, विशेष रूप से आवास विनाश के कारण होती है। इसके विपरीत, जैववैविध्य मानव अनुक्रम • 1 व्युत्पत्ति • 2 परिभाषाएँ • 3 माप • 4 वितरण • 5 उदविकास • 6 लाभ • 6.1 कृषि • 6.2 विज्ञान और चिकित्सा • 6.3 औद्योगिक माल • 6.4 अन्य पारिस्थितिक सेवाएं • 6.5 मनोरंजन, सांस्कृतिक और सौंदर्य मूल्य • 7 हिन्द्रन्सस • 7.1 धन • 7.2 संरक्षण invertebrate और पौधों की प्रजातियों • 8 संख्या प्रजातियों में • 9 धमकियों • 9.1 विनाश निवास की • 9.2 विदेशी प्रजाति • 9.3 आनुवंशिक प्रदूषण • 9.4 संकरण और आनुवंशिकी • 10 प्रबंधन • 11 न्यायिक स्थिति • 12 आलोचना • 12.1 भोजन • 12.2 संस्थापक प्रभाव • 12.3 आकार पूर्वाग्रह • 13 इन्हें भी देखें • 14 अधिक पढ़ें • 15 बाहरी कड़ियाँ • 15.1 संयुक्त राष्ट्र दस्तावेज • 16 सन्दर्भ व्युत्पत्ति [ ] जैविक विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वन्यजीवन वैज्ञानिक और संरक्षणवादी रेमंड एफ. डैसमैन द्वारा १९६८ ई. में ए डिफरेंट काइंड ऑफ कंट्री पुस्तक में किया गया था।.. परिभाषाएँ [ ] जैवविविधता प्रायः प्रजाति विविधता और प्रजाति समृद्धता जैसे पदों के स्थान पर प्रयुक्त होती है। जीवविज्ञानी अक्सर जैवविविधता को किसी क्षेत्र में गुणसूत्र, प्रजाति तथा पारिस्थिकि की समग्रता के रूप में परिभाषित करते हैं। माप [ ] जैव विविधता एक व्यापक अवधारणा है, तो उद्देश्य के उपायों का एक विभिन्न प्रकार ऑर्ड...

जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ

जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ क्या है जैविक विविधता अधिनियम 2002 के अनुसार , देश भर में स्थानीय निकायों द्वारा "जैविक विविधता के संरक्षण , सतत उपयोग और प्रलेखन को बढ़ावा देने के लिये" BMCs का निर्माण किया जाता है। संरचना: इसमें एक अध्यक्ष शामिल होगा तथा स्थानीय निकाय द्वारा नामित अधिकतम छह व्यक्ति होंगे , जिनमें कम-से-कम एक तिहाई महिलाएँ और 18% अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने चाहिये। BMC का मुख्य कार्य स्थानीय लोगों के परामर्श से पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर तैयार करना है। पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर ( PBR): इन रजिस्टरों में क्षेत्र के पौधों , खाद्य स्रोतों , वन्य जीवन , औषधीय स्रोतों आदि में जैवविविधता का पूर्ण प्रलेखन दर्ज होता है। PBR के लाभ: एक अच्छा PBR यह पता लगाने में मदद करेगा कि आवासीय परिवर्तन किस प्रकार हो रहे हैं इसके अलावा यह हमारे वनों को समझने और उनका आकलन करने में सहायक होगा। बायोपायरेसी को रोकना: • स्वदेशी और स्थानीय समुदाय पारंपरिक ज्ञान का भंडार हैं और उनका ज्ञान और प्रथाएँ जैवविविधता के संरक्षण और सतत् विकास में मदद करते हैं। • बॉटम-अप प्रक्रिया होने के कारण , यह सांस्कृतिक और प्राकृतिक जैवविविधता के अधिव्यापन को समझने का एक साधन भी है। • यह समावेशी दृष्टिकोण के माध्यम से एक विकेंद्रीकृत तरीके की परिकल्पना करता है। भारत में जैवविविधता शासन • जैवविविधता शासन के माध्यम से सभी हितधारकों की नीति निर्धारण और निर्णयन प्रक्रिया में भागीदारी पर बल दिया जाता है ताकि एक प्रभावी , कानून के शासन पर आधारित तथा पारदर्शी प्रणाली अपनाई जा सके , जो आनुवंशिक संसाधनों के निष्पक्ष और न्यायसंगत साझाकरण की गारंटी देता हो। • भारत का जैविक विविधता अधिनियम 2002 (...

जैव विविधता के प्रकार आनुवंशिक प्रजातीय सामुदायिक अथवा पारितत्र विविधता

जैव विविधता के प्रकार ( Types of Bio-diversity) जैव विविधता के प्रकार ( Types of Bio-diversity) किसी भी स्थान की जैव विविधता का निर्धारण उस स्थान की सामुदायिक , प्रजातीय तथा आनुवंशिक विविधता के आधार पर निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है. जैव विविधता के प्रकार • आनुवंशिक विविधता • प्रजातीय विविधता • सामुदायिक अथवा पारितत्र जैव विविधता आनुवंशिक विविधता ( Genetic Diversity) • आनुवंशिक जैव-विविधता से आशय किसी विशिष्ट प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में भिन्न-भिन्न आनुवंशिक लक्षणों के उपस्थित होने अध्वा एक ही प्रजाति के जीवों के जीन में होने वाले परिवर्तनों से है। यह किसी एक प्रजाति में उपस्थित जीन विविधता को दर्शाती है। • आनुवंशिक विविधता किसी समष्टि को इसके पर्यावरण के अनुकूल होने और प्राकृतिक चयन ( Natural Selection) के प्रति अनुक्रिया प्रदर्शित करने के योग्य बनाती है। • प्रत्येक प्रजाति चाहे वह जीवाणु हो या उच्च स्तरीय पादप व जंतु. उनमें अत्यधिक मात्रा में आनुवंशिक सूचना संग्रहित होती है , जो जीनोम विश्लेषण ( Genome Analysis) द्वारा ज्ञात की जा सकती है। • आनुवंशिक विविधता की अनुपस्थिति में प्रजाति के सभी सदस्यों को किसी एक खतरे से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है जबकि उनमें उपस्थित विविधता के कारण वे इन खतरों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर लेते हैं तथा इसे आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित कर देते हैं। • मानव समुदाय की आनुवंशिक विविधता अन्य किसी भी प्रजातियों से अधिक होती है इसलिए मानव सभी प्रकार के बायोम में अनुकूलन या समायोजन की अधिक क्षमता रखते हैं। प्रजातीय विविधता ( Species Diversity) • प्रजातीय विविधता से आशय , एक समुदाय या पारितंत्र में उपस्थित पादप तथा जन्तु प्...

जैवविविधता के तप्त स्थल (Biodiversity Hot Spots )

ऐसे क्षेत्र जहाँ बहुत अधिक जैव विविधता होती है , “जैवविविधता तप्त स्थल ” ( Biodiversity Hot Spot ) कहलाते है। इसकी अवधारणा सबसे पहले सन् 1988 में ब्रिटिश पारिस्थितिकीविद् नार्मन मेयर्स ( Norman Myers ) ने प्रस्तुत की थी जिसके आधार पर सन् 1999 में विश्व के 25 क्षेत्रोंको जैवविविधता तप्त स्थल घोषित किया गया। वर्तमान में विश्व में कुल 34 बायोडाइवर्सिटी हॉट स्पॉट है जिनका कुल क्षेत्रफल पृथ्वी के भू - क्षेत्रफल का 2.3 प्रतिशत है किन्तु इन क्षेत्रों में विश्व की वनस्पतियों की 50 प्रतिशत स्थानबद्ध ( Endemic ) प्रजातियाँ पाई जाती है। किसी क्षेत्र को जैवविविधता तप्त स्थल घोषित करने के लिए दो शर्तों का होना आवश्यक है -• ( 1 ) उस क्षेत्र में विश्व की कुल स्थानबद्ध ( Endemic ) प्रजातियों की 0 . 5 प्रतिशत से अधिक प्रजातियाँ उपस्थित हो। संख्या के हिसाब से उस स्थान पर कम से कम 1500 स्थानबद्ध प्रजातियाँ होनी चाहिए ।...

जैवविविधता हॉटस्पॉट

जैववैविध्य तप्तस्थल या जैववैविध्य उष्णस्थल एक ऐसा जैव भौगोलिक क्षेत्र होता है जहाँ पर्याप्त मात्रा में अधिकांश तप्तस्थल उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों और जंगली क्षेत्रों में स्थित हैं। हमारी पृथ्वी पर 12 प्रमुख जैव-विविधता वाले क्षेत्रों की पहचान की गयी है। जिसमें विश्व की जैववैविध्य 60-70% जातियाँ शामिल हैं। इन सेक्टर्स को 'मैगजीन सेन्टर्स' कहते हैं। भारत इन देशों में से एक है- (1) मैक्सिको, (2) कोलम्बिया, (3) ब्राजील, (4) पेरू, (5) इक्वेडोर, (6) जायेर , (7) मेडागास्कर, (8) इण्डोनेशिया, (9) मलेशिया, (10) भारत, (11) चीन, (2) आस्ट्रेलिया शामिल हैं। किसी क्षेत्र को जैववैविध्य तप्तस्थल स्थल घोषित करने के लिए दो शर्तों का होना आवश्यक है- • (१) उस क्षेत्र में कम से कम 1500 स्थानबद्ध प्रजातियाँ होनी चाहिए। • (२) उस क्षेत्र के मूल आवास का 70 प्रतिशत उजड़ चुका हो अर्थात मानव गतिविधियों से उस क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा हो। अनुक्रम • 1 भारत के जैव विविधता तप्तस्थल • 1.1 पूर्वी हिमालय जैव विविधता तप्तस्थल • 1.2 पश्चिमी घाट जैव विविधता तप्तस्थल • 1.3 भारत-बर्मा जैव विविधता तप्त स्थल • 2 सन्दर्भ • 3 इन्हेंभीदेखें भारत के जैव विविधता तप्तस्थल [ ] 1988 में किये गये अध्ययन में पहचाने गए 18 तप्तस्थल में से दो भारत में खोजे गए। ये दो क्षेत्र पूर्वी हिमालय जैव विविधता तप्तस्थल [ ] इसके अन्तर्गत पूर्वी हिमालय का असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्यों का क्षेत्र आता है। हिमालय पर्वत शृंखला असीम जैव विविधता से संपन्न है। 750,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले हिमालय के जैवविविधता तप्त स्थल क्षेत्र में वनस्पतियों को लगभग 10,000 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से 3,160 प्रजातियाँ स्...