जनवरी 2023 में अमावस्या कब है

  1. Aaj ka Panchang 5 January 2023 in hindi know Mauni amawasya date plrh
  2. amavasya 2023 dates when is amavasya in new year know dates time rituals and importance bml
  3. Ashadha Amavasya 2023: कब है आषाढ़ अमावस्या? जानें तिथि, स्नान
  4. 21 जनवरी, शनिवार को है मौनी अमावस्या, क्या महत्व है स्नान, दान और पूजा का?
  5. Mauni Amavasya 2023: कब है मौनी अमावस्या? 21 जनवरी या 22 को? काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लें स्नान मुहूर्त
  6. साल 2023 की अमावस्या: अमावस्या कैलेंडर 2023
  7. Ashadha Amavasya 2023: कब है आषाढ़ अमावस्या? जानें तिथि, स्नान
  8. साल 2023 की अमावस्या: अमावस्या कैलेंडर 2023
  9. Mauni Amavasya 2023: कब है मौनी अमावस्या? 21 जनवरी या 22 को? काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लें स्नान मुहूर्त
  10. Aaj ka Panchang 5 January 2023 in hindi know Mauni amawasya date plrh


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Aaj ka Panchang 5 January 2023 in hindi know Mauni amawasya date plrh

Panchang: आज 5 जनवरी 2023 को दिन बृहस्पतिवार और पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इसके अगले दिन पूर्णिमा तिथि लग जाएगी. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से अगले पक्ष में मौनी अमावस्या आएगी. वैसे तो हर माह अमावस्या आती है, लेकिन इस बार को आने वाली अमावस्या का खास महत्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस अमावस्या को स्नान-दान के अलावा मौन व्रत भी किया जाता है. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्योदय: 7 बजकर 11 मिनट तक होगा. सूर्यास्त: 5 बजकर 45 मिनट तक होगा. ये भी पढ़ें- आज की तिथि: चतुर्दशी आज का वार: बृहस्पतिवार आज का पक्ष: शुक्ल आज का करण: गर आज का नक्षत्र: मृगशिरा दुष्ट मुहूर्त- 10:48 से 11:20 तक रहेगा. कुलिक- 10:49 से 11:23 तक रहेगा. कंटक- 2:51 से 3:06 तक रहेगा. यमघण्ट- 7:50 से 8:35 तक रहेगा. राहुकाल- 1:43 से 3:03 तक रहेगा. यमगंड- 7:15 से 8:32 तक रहेगा. गुलिक काल- 9:53 से 11:13 तक रहेगा. ये भी पढ़ें- क्या होता है पंचांग? हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है. पंचांग के माध्यम से ही काल व समय की गणना की जाती है. एक माह में तीस तिथियां होती हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से ये दो पक्षों में विभाजित होती हैं. ये पक्ष 15-15 दिन का होता है. एक पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है जबकि दूसरे पक्ष की अंतिम तिथी को पूर्णिमा कहा जाता है. इन तिथियों को प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और 15वें दिन यानी आखिरी दिन को पक्ष के हिसाब से अमावस्या/पूर्णिमा कहा जाता है. पंचांग इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. पंचांग में पांच अंग वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण महत्वपूर्ण होते हैं. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां...

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Amavasya 2023 Dates: नए साल में कब-कब है अमावस्या, जानें तिथियां, समय, अनुष्ठान और महत्व अमावस्या एक संस्कृत शब्द है जो अमावस्या के चंद्र चरण को बताता है. हिंदू चंद्र कैलेंडर 30 चंद्र चरणों का उपयोग करता है, जिसे भारत में तिथि कहा जाता है. हिंदू संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या को महान शक्ति का समय माना जाता है. Amavasya 2023: अमावस्या एक संस्कृत शब्द है जो अमावस्या के चंद्र चरण को बताता है. हिंदू चंद्र कैलेंडर 30 चंद्र चरणों का उपयोग करता है, जिसे भारत में तिथि कहा जाता है. हिंदू संस्कृति और मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या को महान शक्ति का समय माना जाता है. कार्तिक अमावस्या - हिंदू त्योहार दिवाली की अमावस्या को छोड़कर अधिकांश अमावस्या के दिनों को अशुभ माना जाता है. हर महीने अमावस्या का दिन पितरों की पूजा के लिए शुभ माना जाता है और इस दिन लोग पितृ पूजा करते हैं. आश्विन मास (सितंबर-अक्टूबर) का कृष्ण पक्ष, जिसे आश्विन अमावस्या या पितृ पक्ष (महालया) के रूप में भी जाना जाता है, विशेष रूप से मृत पूर्वजों को तर्पण देने के लिए पवित्र है. लोग अमावस्या के दिन पवित्र गंगा नदी में पवित्र डुबकी भी लगाते हैं. • सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और हिंदू धर्म में इसका अपना विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस अमावस्या के दिन उपवास करने से महिलाओं में विधवापन दूर होता है और संतान की प्राप्ति सुनिश्चित होती है. • हिंदू संस्कृति के अनुसार, कार्तिक अमावस्या बहुत पवित्र है क्योंकि यह दिवाली उत्सव के दिन कार्तिक महीने (अक्टूबर या नवंबर) के कृष्ण पक्ष में आती है. • मौनी अमावस्या, सोमवती अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या, वट सावित्री व्रत, भौमवती अमाव...

Ashadha Amavasya 2023: कब है आषाढ़ अमावस्या? जानें तिथि, स्नान

Ashadha Amavasya 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 12 अमावस्या पड़ती है। हर मास में एक अमावस्या होती है जिसका अपना-अपना महत्व है। वहीं, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दर्श अमावस्या और आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान करने के साथ अपनी योग्यता के अनुसार दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी शुभ माना जाता है जानिए इस साल कब है आषाढ़ अमावस्या, साथ ही जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त। आषाढ़ अमावस्या 2023 कब है?(Ashadha Amavasya Kab Hai 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि का आरंभ 17 जून शनिवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है और अगले दिन यानी 18 जून को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से आषाढ़ अमावस्या 18 जून को होगी। आषाढ़ अमावस्या 2023 का महत्व (Ashadha Amavasya 2023 Significance) आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान, दान, जप-तप का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल सकती है। इसके साथ ही सूर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही अपनी योग्यता के अनुसार, अनाज, वस्त्र, पैसों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन के हर कष्ट समाप्त हो जाते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध करने से पितृ दोष से निजात मिल सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

21 जनवरी, शनिवार को है मौनी अमावस्या, क्या महत्व है स्नान, दान और पूजा का?

Mauni Amavasya 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। माघ माह की अमावस्या को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस अमवस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति का उपाय भी किया जाता है। माघ मास में हरिद्वार या प्रयाग में वार्षिक कुंभ का आयोजन भी होता है। 1. माघ माह की मौनी अमावस्या में पितरों के निमित्त तर्पण करना ज्यादा अच्‍छा होता है। यह दिन पितरों की पूजन और पितृ दोष निवारण के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं। पितृ दोष दूर करने के लिए अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और मिठाई अर्पित करें।

Mauni Amavasya 2023: कब है मौनी अमावस्या? 21 जनवरी या 22 को? काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लें स्नान मुहूर्त

मौनी अमावस्या का स्नान पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. मौनी अमावस्या का स्नान-दान तो सूर्योदय के समय से ही प्रारंभ हो जाएगा. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखते हैं और प्रयागराज के संगम में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. Mauni Amavasya 2023: माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या है. इस दिन गंगा सहित सभी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखते हैं और प्रयागराज के संगम में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. मौनी अमावस्या का स्नान पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इस साल मौनी अमावस्या कब है 21 जनवरी को या फिर 22 जनवरी को? इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि इस साल मौनी अमावस्या कब है और स्नान दान का समय क्या है? मौनी अमावस्या 2023 की सही तारीख हिंदू धर्म में व्रत, स्नान, पूजा पाठ आदि के लिए सूर्योदय की तिथि की गणना मान्य है, लेकिन कुछ व्रतों में तिथि विशेष में पूजा मुहूर्त मान्य होता है. कई बार तिथि सूर्योदय के बाद प्रारंभ होती है और अगले दिन सूर्योदय से पूर्व ही खत्म हो जाती है. ऐसी स्थिति में व्रत-त्योहार की तारीख को लेकर असमंस की स्थिति पैदा होती है. यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या पर शनि संयोग, गंगा स्नान से पाएं ‘अमृत की बूंदों’ का स्पर्श, भगवान विष्णु-शनिदेव होंगे प्रसन्न पंचांग के आधार पर देखें तो माघ अमावस्या की तिथि 21 जनवरी शनिवार को सुबह 06:17 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 22 जनवरी को सूर्योदय पूर्व ही 02:22 एएम पर खत्म हो जा रही है. 22 जनवरी को सूर्योदय से पहले ही मौनी अमावस्या की तिथि खत्म हो जा रही है, इसलिए उस दिन...

साल 2023 की अमावस्या: अमावस्या कैलेंडर 2023

साल 2023 की अमावस्या, एस्ट्रोकैंप के इस विशेष लेख में आपको साल 2023 में आने वाली सभी अमावस्या तिथियों की सटीक जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस कैलेंडर के माध्यम से हम आपको साल 2023 की अमावस्या का महत्व, पौराणिक कथा और रीति-रिवाज़ों से भी रूबरू कराएंगे। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, जो अमावस के नाम से भी जानी जाती है। अमावस्या तिथि के दिन चंद्रमा आसमान से पूरी तरह लुप्त हो जाता है, जिसकी वजह से चारों तरफ अंधेरा छाया रहता है। चंद्रमा को अपनी धुरी पर रहकर पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने में 28 दिन लगते हैं। धार्मिक मान्यता है कि साल 2023 की अमावस्या तिथि पर श्राद्ध, ध्यान और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने से सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर लोगों को किसी भी तरह के बुरे कार्यों को करने और मन में बुरे ख़्याल लाने से बचना चाहिए। साथ ही यदि आप इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान देते हैं तो आपको शुभ फल प्राप्त होंगे। साल 2023 की अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव हैं इसलिए ये दिन उन लोगों के लिए बहुत ख़ास होता है जो पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं। अमावस्या को अधिकांश धर्मों में "न्यू मून डे" भी कहा जाता है और इस रात से शुरू होने वाले पक्ष को कृष्ण पक्ष कहते हैं। हिंदू धर्म में दो अमावस्याओं को सबसे शुभ माना जाता है। पहली, माघ महीने में आने वाली मौनी अमावस्या और दूसरी महालय अमावस्या, जो आश्वयुज माह में आती है। ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार, माघ अमावस्या जनवरी-फरवरी में आती है जबकि महालय अमावस्या सितंबर या अक्टूबर में पड़ती है। तमिलनाडु में आदि माह की अमावस्या को महत्वपूर्ण माना जाता है। जबकि केरल में कार्किडकम महीने म...

Ashadha Amavasya 2023: कब है आषाढ़ अमावस्या? जानें तिथि, स्नान

Ashadha Amavasya 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में 12 अमावस्या पड़ती है। हर मास में एक अमावस्या होती है जिसका अपना-अपना महत्व है। वहीं, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दर्श अमावस्या और आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान करने के साथ अपनी योग्यता के अनुसार दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करना भी शुभ माना जाता है जानिए इस साल कब है आषाढ़ अमावस्या, साथ ही जानिए स्नान-दान का शुभ मुहूर्त। आषाढ़ अमावस्या 2023 कब है?(Ashadha Amavasya Kab Hai 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि का आरंभ 17 जून शनिवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है और अगले दिन यानी 18 जून को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से आषाढ़ अमावस्या 18 जून को होगी। आषाढ़ अमावस्या 2023 का महत्व (Ashadha Amavasya 2023 Significance) आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान, दान, जप-तप का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल सकती है। इसके साथ ही सूर्य को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही अपनी योग्यता के अनुसार, अनाज, वस्त्र, पैसों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन के हर कष्ट समाप्त हो जाते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध करने से पितृ दोष से निजात मिल सकता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

साल 2023 की अमावस्या: अमावस्या कैलेंडर 2023

साल 2023 की अमावस्या, एस्ट्रोकैंप के इस विशेष लेख में आपको साल 2023 में आने वाली सभी अमावस्या तिथियों की सटीक जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस कैलेंडर के माध्यम से हम आपको साल 2023 की अमावस्या का महत्व, पौराणिक कथा और रीति-रिवाज़ों से भी रूबरू कराएंगे। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, जो अमावस के नाम से भी जानी जाती है। अमावस्या तिथि के दिन चंद्रमा आसमान से पूरी तरह लुप्त हो जाता है, जिसकी वजह से चारों तरफ अंधेरा छाया रहता है। चंद्रमा को अपनी धुरी पर रहकर पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करने में 28 दिन लगते हैं। धार्मिक मान्यता है कि साल 2023 की अमावस्या तिथि पर श्राद्ध, ध्यान और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने से सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है। अमावस्या पर लोगों को किसी भी तरह के बुरे कार्यों को करने और मन में बुरे ख़्याल लाने से बचना चाहिए। साथ ही यदि आप इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान देते हैं तो आपको शुभ फल प्राप्त होंगे। साल 2023 की अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देव हैं इसलिए ये दिन उन लोगों के लिए बहुत ख़ास होता है जो पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं। अमावस्या को अधिकांश धर्मों में "न्यू मून डे" भी कहा जाता है और इस रात से शुरू होने वाले पक्ष को कृष्ण पक्ष कहते हैं। हिंदू धर्म में दो अमावस्याओं को सबसे शुभ माना जाता है। पहली, माघ महीने में आने वाली मौनी अमावस्या और दूसरी महालय अमावस्या, जो आश्वयुज माह में आती है। ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार, माघ अमावस्या जनवरी-फरवरी में आती है जबकि महालय अमावस्या सितंबर या अक्टूबर में पड़ती है। तमिलनाडु में आदि माह की अमावस्या को महत्वपूर्ण माना जाता है। जबकि केरल में कार्किडकम महीने म...

Mauni Amavasya 2023: कब है मौनी अमावस्या? 21 जनवरी या 22 को? काशी के ज्योतिषाचार्य से जान लें स्नान मुहूर्त

मौनी अमावस्या का स्नान पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. मौनी अमावस्या का स्नान-दान तो सूर्योदय के समय से ही प्रारंभ हो जाएगा. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखते हैं और प्रयागराज के संगम में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. Mauni Amavasya 2023: माघ माह की अमावस्या को मौनी अमावस्या है. इस दिन गंगा सहित सभी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखते हैं और प्रयागराज के संगम में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. मौनी अमावस्या का स्नान पापों से मुक्ति और मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इस साल मौनी अमावस्या कब है 21 जनवरी को या फिर 22 जनवरी को? इसको लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. ऐसे में काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि इस साल मौनी अमावस्या कब है और स्नान दान का समय क्या है? मौनी अमावस्या 2023 की सही तारीख हिंदू धर्म में व्रत, स्नान, पूजा पाठ आदि के लिए सूर्योदय की तिथि की गणना मान्य है, लेकिन कुछ व्रतों में तिथि विशेष में पूजा मुहूर्त मान्य होता है. कई बार तिथि सूर्योदय के बाद प्रारंभ होती है और अगले दिन सूर्योदय से पूर्व ही खत्म हो जाती है. ऐसी स्थिति में व्रत-त्योहार की तारीख को लेकर असमंस की स्थिति पैदा होती है. यह भी पढ़ें: मौनी अमावस्या पर शनि संयोग, गंगा स्नान से पाएं ‘अमृत की बूंदों’ का स्पर्श, भगवान विष्णु-शनिदेव होंगे प्रसन्न पंचांग के आधार पर देखें तो माघ अमावस्या की तिथि 21 जनवरी शनिवार को सुबह 06:17 बजे से शुरू हो रही है और यह तिथि 22 जनवरी को सूर्योदय पूर्व ही 02:22 एएम पर खत्म हो जा रही है. 22 जनवरी को सूर्योदय से पहले ही मौनी अमावस्या की तिथि खत्म हो जा रही है, इसलिए उस दिन...

Aaj ka Panchang 5 January 2023 in hindi know Mauni amawasya date plrh

Panchang: आज 5 जनवरी 2023 को दिन बृहस्पतिवार और पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. इसके अगले दिन पूर्णिमा तिथि लग जाएगी. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से अगले पक्ष में मौनी अमावस्या आएगी. वैसे तो हर माह अमावस्या आती है, लेकिन इस बार को आने वाली अमावस्या का खास महत्व है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस अमावस्या को स्नान-दान के अलावा मौन व्रत भी किया जाता है. सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्योदय: 7 बजकर 11 मिनट तक होगा. सूर्यास्त: 5 बजकर 45 मिनट तक होगा. ये भी पढ़ें- आज की तिथि: चतुर्दशी आज का वार: बृहस्पतिवार आज का पक्ष: शुक्ल आज का करण: गर आज का नक्षत्र: मृगशिरा दुष्ट मुहूर्त- 10:48 से 11:20 तक रहेगा. कुलिक- 10:49 से 11:23 तक रहेगा. कंटक- 2:51 से 3:06 तक रहेगा. यमघण्ट- 7:50 से 8:35 तक रहेगा. राहुकाल- 1:43 से 3:03 तक रहेगा. यमगंड- 7:15 से 8:32 तक रहेगा. गुलिक काल- 9:53 से 11:13 तक रहेगा. ये भी पढ़ें- क्या होता है पंचांग? हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग भी कहा जाता है. पंचांग के माध्यम से ही काल व समय की गणना की जाती है. एक माह में तीस तिथियां होती हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से ये दो पक्षों में विभाजित होती हैं. ये पक्ष 15-15 दिन का होता है. एक पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है जबकि दूसरे पक्ष की अंतिम तिथी को पूर्णिमा कहा जाता है. इन तिथियों को प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और 15वें दिन यानी आखिरी दिन को पक्ष के हिसाब से अमावस्या/पूर्णिमा कहा जाता है. पंचांग इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है. पंचांग में पांच अंग वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण महत्वपूर्ण होते हैं. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां...