काका कालेलकर का जीवन परिचय

  1. काका कालेलकर का जीवन परिचय, रचनाएं, जन्म कब और कहां हुआ था
  2. काका कालेलकर जीवन परिचय Kaka Kalelkar Jeevan parichay
  3. काका कालेलकर (Kaka Kalelkar)
  4. काका कालेलकर
  5. काका कालेलकर का जीवन परिचय(biography of kaka kalelkar in hindi)


Download: काका कालेलकर का जीवन परिचय
Size: 57.68 MB

काका कालेलकर का जीवन परिचय, रचनाएं, जन्म कब और कहां हुआ था

काका कालेलकर का जीवन परिचय काका कालेलकर जी ने राष्ट्रीय नेता और महापुरुषों ने राष्ट्रभाषा के प्रचार में जो कार्य किया, उसमें काका कालेलकर का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए 1938 के अधिवेशन में काका कालेलकर ने कहा था कि हमारा राष्ट्रीय भाषा प्रचार प्रसार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है हिंदी के अलावा इन्होंने गुजराती भाषा के लिए भी काम किया है इस कार्य के लिए 1969 मे पद्मभूषण उपाधि से सम्मानित किया गया था उन्हे महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, और टंडन जी के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जन्म 1 दिसंबर 1885 को जन्म स्थान महाराष्ट्र के सतारा जिले में पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर रचनाएं यात्रा वर्णन, सर्वोदय, जीवन लीला, बापू की झांकियां, लोकमाता आदि निबंध जीवन साहित्य, जीवन का काव्य मातृभाषा मराठी मृत्यु 21 अगस्त 1981 में काका कालेलकर की रचनाएं काका कालेलकर मराठी भाषी होने के बावजूद गुजराती भाषा में अधिकतर रचनाएं लिखी है उनके लिखित रचनाएं इस प्रकार है। संस्मरण, सर्वोदय, हिमालय, लोकमाता, जीवन लीला, उस पार के पड़ोसी, बापू की झांकियां, जीवन का काव्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है। काका कालेलकर के साहित्य परिचय काका कालेलकर उच्च कोटि के विचारक और महान विद्वान थे। भाषा के प्रचारक होने के साथ-साथ हिंदी और गुजराती में भी मौलिक रचनाएं लिखीं हैं। सरल सुबोध और विचारात्मक के अतिरिक्त यात्रा साहित्य भी लिखा है। इनकी भाषा बड़ी अजीव और प्रभावपूर्ण है। उनकी दृष्टि बड़ी पैनी है। इसलिए उनकी लेखनी में एक सजीव चित्र की झलक दिखाई देती है। इसलिए इनकी लेखनी में मौलिकता दिखाई देती है । वही नवीनतम दृष्टिकोण प्रदान करता हैं। शिक्षक होने के कारण इनकी लिखने में प्राय उनके लेख...

काका कालेलकर जीवन परिचय Kaka Kalelkar Jeevan parichay

1 दिसम्बर 1885 को महाराष्ट्र के सतारा नगर में जन्मे काका कालेलकर साबरमती आश्रम के सदस्य थे और अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधी जी के निकटतम सहयोगी होने का कारण ही वे काका के नाम से जाने गए। वे सर्वोदय पत्रिका के संपादक भी रहे। 1930 में पूना का यरवदा जेल में गांधी जी के साथ उन्होंने महत्वपूर्ण समय बिताया। जिन नेताओं ने राष्ट्रभाषा प्रचार के कार्य में विशेष दिलचस्पी ली और अपना समय अधिकतर इसी काम को दिया, उनमें प्रमुख काकासाहब कालेलकर का नाम आता है। उन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत माना है। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अधिवेशन में (1938) भाषण देते हुए उन्होंने कहा था, हमारा राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है। उन्होंने पहले स्वयं हिंदी सीखी और फिर कई वर्षतक दक्षिण में सम्मेलन की ओर से प्रचार-कार्य किया। अपनी सूझ-बूझ, विलक्षणता और व्यापक अध्ययन के कारण उनकी गणना प्रमुख अध्यापकों और व्यवस्थापकों में होने लगी। हिंदी-प्रचार के कार्य में जहाँ कहीं कोई दोष दिखाई देते अथवा किन्हीं कारणों से उसकी प्रगति रुक जाती, गांधी जी काका कालेलकर को जाँच के लिए वहीं भेजते। इस प्रकार के नाज़ुक काम काका कालेलकर ने सदा सफलता से किए। इसलिए 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति' की स्थापना के बाद गुजरात में हिंदी-प्रचार की व्यवस्था के लिए गांधी जी ने काका कालेलकर को चुना। काका साहब की मातृभाषा मराठी थी। नया काम सौंपे जाने पर उन्होंने गुजराती का अध्ययन प्रारंभ किया। कुछ वर्षतक गुजरात में रह चुकने के बाद वे गुजराती में धाराप्रवाह बोलने लगे। साहित्य अकादमी में काका साहब गुजराती भाषा के प्रतिनिधि रहे। गुजरात में हिंदी-प्रच...

काका कालेलकर (Kaka Kalelkar)

काका कालेलकर (Kaka Kalelkar) का Kaka Kalelkar Biography / Kaka Kalelkar Jeevan Parichay / Kaka Kalelkar Jivan Parichay / काका कालेलकर : नाम काका कालेलकर अन्य नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर, काका साहब, आचार्य कालेलकर जन्म 1 दिसम्बर, 1885 जन्मस्थान सतारा, मुंबई मृत्यु 21 अगस्त 1981 मृत्युस्थान नई दिल्ली पेशा प्रमुख रचनाएँ निष्ठामूर्ति कस्तूरबा, संस्मरण, यात्रा, सर्वोदय, हिमालय, प्रवास, लोकमाता, उस पार के पड़ोसी, जीवन-लीला, बापू की झाँकियाँ, जीवन का काव्य भाषा शैली वर्णनात्मक, विवेचनात्मक और आत्मकथात्मक शैलीयों की प्रमुखता साहित्य काल सम्पादन नवजीवन (गुजराती पत्र) पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार (1964), पद्मविभूषण (1969) काका कालेलकर का जीवन-परिचय काका कालेलकर का जन्म सन् 1885 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। मातृभाषा मराठी के अलावा हिन्दी, गुजराती, बँगला, अंग्रेजी आदि भाषाओं पर इनका अच्छा अधिकार था। जिन राष्ट्रीय नेताओं तथा महापुरुषों ने दक्षिण भारत हमारा राष्ट्रभाषा प्रचार एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है।‘ हिन्दी के अलावा गुजराती में भी कालेलकर ने स्तुत्य कार्य किया है। कालेलकर को काका कालेलकर दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे। सन् 1969 में उन्हें पद्मविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। 21 अगस्त, 1981 को उनका स्वर्गवास हो गया। साहित्यिक परिचय काका साहब उच्चकोटि के विचारक तथा विद्वान् थे। भाषा के प्रचारक होने के साथ-साथ उन्होंने हिन्दी और गुजराती में मौलिक रचनाएँ भी की। सरल और ओजस्वी भाषा में विचारात्मक निबन्ध के अतिरिक्त पर्याप्त यात्रा-साहित्य भी लिखा। इनकी भाषा-शैली अत्यधिक सजीव और प्रभावपूर्ण है। उनकी दृष्टि बड़ी पैनी है, इसलिए उनकी लेखनी से प्रायः ऐसे सजीव चित्र बन पड़...

काका कालेलकर

जीवन-परिचय- काका कालेलकर का जन्‍म सन् 1885 ई. मेंमहाराष्‍ ट्र के सतारा जिले में हुआ था। ये बड़े प्रतिभासम्‍पन्न थे। मराइी इनकी मातृभाषा थी, पर इन्‍होंने संसकृत, अंग्रेजी, हिन्‍दी, गुजराती, ओर बँँगला भाषाओं का भी गम्‍भीर अध्‍ययन कर लिया था। जिन राष्‍ट्रीय नेताओं एवं महापुरुषों ने राष्‍ट्र भाषा के प्रचार-प्रसार में विशेष उतसुकता दिखायी, उनकी पंक्ति में काका कालेलकर का भी नाम आता हैं। इन्‍होंने राष्‍अ्रभाषा के प्रचार को राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के अन्‍तर्गत माना है। महात्‍मा गॉंधी के सम्‍पर्क से इनका हिन्‍दी-प्रेम ओर भी जागृत हुआ। दक्षिण भारत, विशेषकर गुजरात में इन्‍होंने हिन्‍दी का प्रचार विशेष रूप से किया। प्राचीन भारतीय संसकृति, नीति, इतिहास, भूगोल आदि के सााि ही इन्‍होंने युगीन समस्‍याओं पर भी अपनी सशक्‍त लेखनी चलायी। इन्‍होंने शा‍न्ति निकेतन में अध्‍यापक, साबरमती आश्रम में प्रधानाध्‍यापक और बड़ौदा में राष्‍ट्रीय शाला के आचार्य के पद पर भी कार्य किये। गॉंधी जी की मृत्‍यु के बाद उनकी स्‍मृति में निर्मित 'गाँधी संग्रहालय' के प्रथम संचालक यही थे। सवतंत्रता सेनानी होोने के कारण अनेक बार जेल भी गयें। संविधान सभा के सदस्‍य भी ये रहे। सन् 1952 से 1957 ई. तक राज्‍य-सभा के सदस्‍य तथा अनेक आयोगों के अध्‍यक्ष रहे। भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' राष्‍ट्र भाषा प्रचार समिति ने 'गाँधी पुरस्‍कार' से कालेलकर जी को सम्‍मानित किया है। ये रवीन्‍द्रनाथ टैगोर एवं पुरुषोत्तमदास टण्‍डन के भी सम्‍पर्क में रहे। इनका निधन 21 अगस्‍त 1981 ई. को हो गया। साहित्यिक परिचय- काका कालेलकर मराठीभाषाी होते हुए भीहिन्‍दी भाषा के प्रचार-प्रसार के प्रति जो रुचि प्रदर्शित की, वह हिन्‍दी-भाषियों के लिए अनुकरणीय है। इनका हिन...

काका कालेलकर का जीवन परिचय(biography of kaka kalelkar in hindi)

काका कालेलकर का जन्म सन् 1885 ई ० में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। ये बड़े प्रतिभासम्पन्न थे। मराठी इनकी मातृभाषा थी , पर इन्होंने संस्कृत , अंग्रेजी , हिन्दी , गुजराती और बँगला भाषाओं का भी गम्भीर अध्ययन कर लिया था। जिन राष्ट्रीय नेताओं एवं महापुरुषों ने राष्ट्रभाषा के प्रचार - प्रसार में विशेष उत्सुकता दिखायी , उनकी पंक्ति में काका कालेलकर का भी नाम आता है। इन्होंने राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीय कार्यक्रम के अन्तर्गत माना है। गाँधीजी के नेतृत्व में जितने भी आंदोलन हुए , काका कालेलकर ने सभी में भाग लिया और कुल मिलाकर 5 वर्ष कैद में बिताए । 1930 में पूना के यरवदा जेल में उन्होंने गाँधीजी के साथ महत्त्वपूर्ण समय बिताया। महात्मा गाँधी के सम्पर्क से इनका हिन्दी प्रेम और भी जागृत हुआ । दक्षिण भारत , विशेषकर गुजरात में इन्होंने हिन्दी का प्रचार विशेष रूप से किया। प्राचीन भारतीय संस्कृति , नीति , इतिहास , भूगोल आदि के साथ ही इन्होंने युगीन समस्याओं पर भी अपनी सशक्त लेखनी चलायी। इन्होंने शान्ति निकेतन में अध्यापक , साबरम शाला के आचार्य के पद पर भी कार्य किये। गाँधीजी की मृत्यु के बाद उनकी स यही थे। स्वतन्त्रता सेनानी होने के कारण अनेक बार जेल भी गये। संविधान ई ० तक राज्य - सभा के सदस्य तथा अनेक आयोगों के अध्यक्ष रहे। भारत ने ' गाँधी पुरस्कार ' से कालेलकर जी को सम्मानित किया है। ये रवीन्द्रनाथ रहे। इनका निधन 21 अगस्त , 1981 ई ० को हो गया। साहित्यिक परिचय - काका कालेलकर मराठीभाषी होते हुए भी हिन्दी भाषा के प्रचार - प्रसार के प्रति जो रुचि प्रदर्शित की , वह हिन्दी - भाषियों के लिए अनुकरणीय है। इनका हिन्दी साहित्य निबन्ध , जीवनी , संस्मरण , यात्रावृत्त आदि गद्य - विधाओं ...