कारगिल पर थल सेना के ऑपरेशन का नाम

  1. कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय, युद्ध के नायक
  2. कारगिल युद्ध
  3. Complete Story Of Kargil War, जानिये क्या है कारगिल युद्ध की पूरी कहानी यहाँ
  4. कारगिल विजय दिवस
  5. कारगिल का शेरशाह: कहानी भारतीय सेना के बहादुर जवान कप्तान विक्रम बत्रा की!
  6. कारगिल युद्ध
  7. कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय, युद्ध के नायक
  8. कारगिल विजय दिवस
  9. कारगिल का शेरशाह: कहानी भारतीय सेना के बहादुर जवान कप्तान विक्रम बत्रा की!
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कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय, युद्ध के नायक

कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिये एक महत्वपूर्ण दिवस है। इसे हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। इसमें भारत की विजय हुई। इस दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होता रहा। दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। कारगिल युद्ध कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता ...

कारगिल युद्ध

कारगिल युद्ध तिथि मई - 26जुलाई 1999 स्थान परिणाम • निर्णायक भारतीय विजय • पाकिस्तानी सेना की वापसी; • भारत का अपनी भूमि पर पुनः नियंत्रण क्षेत्रीय बदलाव युद्धपूर्व यथास्थिति बहाल योद्धा सेनानायक शक्ति/क्षमता 30,000 5,000 मृत्यु एवं हानि भारतीय आधिकारिक आँकड़े: • 527 हत • 1,363 आहत • 1 • 1 लड़ाकू विमान मार गिराया गया • 1 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त • 1 हेलीकॉप्टर मार गिराया गया पाकिस्तानी सेना का दावा • 1600 पाकिस्तानी सेना का दावा • 357-453 हत • 665+ आहत • 8 भारतीय व तटस्थ दावे • 700 हत Pakistan Opposition of Kargil War claims • ~1000 पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और कारण [ ] पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख [ भारतीय सेना को नुकसान [ ] 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध में २७०० पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और २५० पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए। युद्ध की शुरुआत [ ] वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊँची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। लड़ाकू अस्त्रों का प्रयोग [ ] भारतीय वायुसेना ने पाकिस्...

Complete Story Of Kargil War, जानिये क्या है कारगिल युद्ध की पूरी कहानी यहाँ

Story of Kargil War in Hindi- एक बुद्धिमान और शालीन मानव कभी भी युद्ध नहीं चाहता क्योंकि 'युद्ध से विध्वंस और बर्बादी के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होता.' पर पकिस्तान जैसे कट्टरपंथी, ईर्ष्यालु और सरफिरे देशों की समझ में यह बात नहीं आती. उनके सर पर हमेशा रक्तपात का पिशाच जो सवार रहता है. ऐसी हीं एक सरफिरी हरकत पकिस्तान ने तब की थी जब उसने अपने 5000 सैनिकों के साथ चोरों Fकी तरह घुसपैठ करके कश्मीर के कारगिल क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया था. भारत की सेना ने दिलेरी के साथ इस युद्ध को लड़ा था और पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ दिया था. इस युद्ध को कारगिल युद्ध या कारगिल विजय दिवस के नाम से जाना जाता है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - July Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW Indian States & Union Territories E book- पूरे हुए 23 साल (कारगिल युद्ध के) 26 जुलाई को कारगिल युद्ध के 23 साल पूरे हो जाएँगे. कारगिल विजय के बाद इस दिन को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के द्वारा विजय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी. बात तब की है जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर के उग्रवादियों के साथ मिलकर भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को पार कर हिंदुस्तान की जमीन पर कब्जा करना चाहा था. उनके इस दुस्साहस के बाद भारत की सेना ने उन्हें इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था और घुसपैठियों को बुरी तरह से पराजित कर देश की सीमा से बाहर मार भगाया था. युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान की तरफ से जैसा कि हम सभी को मालूम है कि कारगिल ...

कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस वह दिन है जब देश उन सभी भारतीय सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए लड़ाई की और इसकी सेवा की। भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक पूरा किया था। 1998-99 में, पाकिस्तान सेना के सैनिक कश्मीर में व्यवधान पैदा करने के लिए भारतीय सीमाओं में घुसपैठ कर रहे थे और यह सब कैसे उजागर हुआ ? 1971 में, भारत-पाक युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच सैन्य भागीदारी के साथ सीधे सशस्त्र लड़ाई में सापेक्ष पतन देखा गया। भारत और पाकिस्तान दोनों पास के पहाड़ों के किनारे पर सैन्य चौकी लगाकर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र को नियंत्रित करने की फिराक में थे और नतीजतन 1980 के दशक के दौरान छोटे पैमाने पर सैन्य हमले हुए। दोनों देशों के लिए सियाचिन ग्लेशियर एक महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थल माना जाता था। 1990 के दशक में, अलगाववादी आंदोलन के उदय के कारण घाटी में अशांति के चलते तनाव और संघर्ष बढ़ रहा था। पाकिस्तान पर देशों के छिद्रयुक्त सीमाओं में घुसपैठ करने में ‘मुजाहिदीन’ पर समर्थन और प्रशिक्षण देने का आरोप था। 1998 में, दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किये, जिससे दुनिया को खतरा महसूस होने लगा, क्योंकि दोनों कट्टर प्रतिद्वंदी ऐसे हथियार अधिग्रहण कर रहे थे, जिसे अगर एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध में प्रयोग किये जाएं तो उपमहाद्वीप की पूरी आबादी को खतरे में डाल सकते हैं। दोनों देशों के बीच स्थिति शत्रुतापूर्ण हो गई, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए दोनो देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए। स्थिति ने तब बुरा मोड़ ले लिया जब 1998-99 के दौरान पाकिस्तानी सेना के गुप्त एजेंट प्रशिक्षण और अर्धसैनिक बल घुसपैठ कर रहे थे...

कारगिल का शेरशाह: कहानी भारतीय सेना के बहादुर जवान कप्तान विक्रम बत्रा की!

26 जुलाई, 1999 को, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल में एक निर्णायक युद्ध जीता। इस लड़ाई में, कई बहादुर युवा सैनिकों ने कारगिल के युद्धक्षेत्र पर अपने देश की रक्षा करने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया था। युद्ध को हुए अठारह साल से भी अधिक समय बीत गया, लेकिन आज भी कारगिल की लड़ाई में सैनिकों का बलिदान देश और देशवासियों की स्मृतियों में है। इन सभी बलिदानियों में एक ऐसा सैनिक भी था जो कारगिल में पुरे जज्बे से लड़ने वाले और अपने देश के लिए शहीद होने वाले हर एक युवा सैनिक का चेहरा बन गया। ये कहानी है परमवीर चक्र विक्रम बत्रा की। वह अविश्वसनीय साहसी सैनिक, जिसने कारगिल के युद्धक्षेत्र पर वह कर दिखाया कि आने वाली हर पीढ़ी उसे याद रखेगी। 9 सितम्बर, 1974 को जन्में विक्रम का बचपन हिमाचल प्रदेश में पालमपुर की खूबसूरत वादियों में बीता। अपने जुड़वां भाई विशाल से 14 मिनट बड़े विक्रम अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। उनके पिता, गिरधारी लाल बत्रा एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल थे। उनकी माता कमल कांता बत्रा एक स्कूल टीचर थीं। अपने सहपाठियों और शिक्षकों के बीच विक्रम खूब मशहूर थे। पढ़ाई में अच्छे होने के साथ-साथ वे खेलों में भी अच्छे थे। इसके अलावा स्कूल में होने वाली अनेकों गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। उत्तर भारत से सबसे अच्छा एनसीसी कैडेट होने के साथ-साथ विक्रम कराटे में ग्रीन बेल्ट होल्डर थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस भी खेला। फोटो स्त्रोत बचपन से देशभक्ति से भरे विक्रम हमेशा से भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते थे। उनके परिवार के लिए यह कुछ नया नहीं था, जब उन्होंने साल 1995 में अपनी ग्रेजुएशन की पढाई के बाद संयुक्त रक्षा सेवाओं (सीडीएस) की परीक्षा के लिए तैयारी करने क...

कारगिल युद्ध

कारगिल युद्ध तिथि मई - 26जुलाई 1999 स्थान परिणाम • निर्णायक भारतीय विजय • पाकिस्तानी सेना की वापसी; • भारत का अपनी भूमि पर पुनः नियंत्रण क्षेत्रीय बदलाव युद्धपूर्व यथास्थिति बहाल योद्धा सेनानायक शक्ति/क्षमता 30,000 5,000 मृत्यु एवं हानि भारतीय आधिकारिक आँकड़े: • 527 हत • 1,363 आहत • 1 • 1 लड़ाकू विमान मार गिराया गया • 1 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त • 1 हेलीकॉप्टर मार गिराया गया पाकिस्तानी सेना का दावा • 1600 पाकिस्तानी सेना का दावा • 357-453 हत • 665+ आहत • 8 भारतीय व तटस्थ दावे • 700 हत Pakistan Opposition of Kargil War claims • ~1000 पाकिस्तान में इस युद्ध के कारण राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई और कारण [ ] पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख [ भारतीय सेना को नुकसान [ ] 26 जुलाई 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय हासिल की थी। इस दिन को हर वर्ष विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। करीब दो महीने तक चला कारगिल युद्ध भारतीय सेना के साहस और जांबाजी का ऐसा उदाहरण है जिस पर हर भारतीय देशवासी को गर्व होना चाहिए। करीब 18 हजार फीट की ऊँचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध में २७०० पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और २५० पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए। युद्ध की शुरुआत [ ] वैसे तो पाकिस्तान ने इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को ही कर दी थी जब उसने कारगिल की ऊँची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था। इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। लड़ाकू अस्त्रों का प्रयोग [ ] भारतीय वायुसेना ने पाकिस्...

कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय, युद्ध के नायक

कारगिल विजय दिवस: ऑपरेशन विजय कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिये एक महत्वपूर्ण दिवस है। इसे हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। इसमें भारत की विजय हुई। इस दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होता रहा। दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। कारगिल युद्ध कारगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता ...

कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस वह दिन है जब देश उन सभी भारतीय सैनिकों और नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए लड़ाई की और इसकी सेवा की। भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक पूरा किया था। 1998-99 में, पाकिस्तान सेना के सैनिक कश्मीर में व्यवधान पैदा करने के लिए भारतीय सीमाओं में घुसपैठ कर रहे थे और यह सब कैसे उजागर हुआ ? 1971 में, भारत-पाक युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच सैन्य भागीदारी के साथ सीधे सशस्त्र लड़ाई में सापेक्ष पतन देखा गया। भारत और पाकिस्तान दोनों पास के पहाड़ों के किनारे पर सैन्य चौकी लगाकर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र को नियंत्रित करने की फिराक में थे और नतीजतन 1980 के दशक के दौरान छोटे पैमाने पर सैन्य हमले हुए। दोनों देशों के लिए सियाचिन ग्लेशियर एक महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थल माना जाता था। 1990 के दशक में, अलगाववादी आंदोलन के उदय के कारण घाटी में अशांति के चलते तनाव और संघर्ष बढ़ रहा था। पाकिस्तान पर देशों के छिद्रयुक्त सीमाओं में घुसपैठ करने में ‘मुजाहिदीन’ पर समर्थन और प्रशिक्षण देने का आरोप था। 1998 में, दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किये, जिससे दुनिया को खतरा महसूस होने लगा, क्योंकि दोनों कट्टर प्रतिद्वंदी ऐसे हथियार अधिग्रहण कर रहे थे, जिसे अगर एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध में प्रयोग किये जाएं तो उपमहाद्वीप की पूरी आबादी को खतरे में डाल सकते हैं। दोनों देशों के बीच स्थिति शत्रुतापूर्ण हो गई, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए दोनो देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए। स्थिति ने तब बुरा मोड़ ले लिया जब 1998-99 के दौरान पाकिस्तानी सेना के गुप्त एजेंट प्रशिक्षण और अर्धसैनिक बल घुसपैठ कर रहे थे...

कारगिल का शेरशाह: कहानी भारतीय सेना के बहादुर जवान कप्तान विक्रम बत्रा की!

26 जुलाई, 1999 को, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल में एक निर्णायक युद्ध जीता। इस लड़ाई में, कई बहादुर युवा सैनिकों ने कारगिल के युद्धक्षेत्र पर अपने देश की रक्षा करने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया था। युद्ध को हुए अठारह साल से भी अधिक समय बीत गया, लेकिन आज भी कारगिल की लड़ाई में सैनिकों का बलिदान देश और देशवासियों की स्मृतियों में है। इन सभी बलिदानियों में एक ऐसा सैनिक भी था जो कारगिल में पुरे जज्बे से लड़ने वाले और अपने देश के लिए शहीद होने वाले हर एक युवा सैनिक का चेहरा बन गया। ये कहानी है परमवीर चक्र विक्रम बत्रा की। वह अविश्वसनीय साहसी सैनिक, जिसने कारगिल के युद्धक्षेत्र पर वह कर दिखाया कि आने वाली हर पीढ़ी उसे याद रखेगी। 9 सितम्बर, 1974 को जन्में विक्रम का बचपन हिमाचल प्रदेश में पालमपुर की खूबसूरत वादियों में बीता। अपने जुड़वां भाई विशाल से 14 मिनट बड़े विक्रम अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। उनके पिता, गिरधारी लाल बत्रा एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल थे। उनकी माता कमल कांता बत्रा एक स्कूल टीचर थीं। अपने सहपाठियों और शिक्षकों के बीच विक्रम खूब मशहूर थे। पढ़ाई में अच्छे होने के साथ-साथ वे खेलों में भी अच्छे थे। इसके अलावा स्कूल में होने वाली अनेकों गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। उत्तर भारत से सबसे अच्छा एनसीसी कैडेट होने के साथ-साथ विक्रम कराटे में ग्रीन बेल्ट होल्डर थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस भी खेला। फोटो स्त्रोत बचपन से देशभक्ति से भरे विक्रम हमेशा से भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते थे। उनके परिवार के लिए यह कुछ नया नहीं था, जब उन्होंने साल 1995 में अपनी ग्रेजुएशन की पढाई के बाद संयुक्त रक्षा सेवाओं (सीडीएस) की परीक्षा के लिए तैयारी करने क...

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Story of Kargil War in Hindi- एक बुद्धिमान और शालीन मानव कभी भी युद्ध नहीं चाहता क्योंकि 'युद्ध से विध्वंस और बर्बादी के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होता.' पर पकिस्तान जैसे कट्टरपंथी, ईर्ष्यालु और सरफिरे देशों की समझ में यह बात नहीं आती. उनके सर पर हमेशा रक्तपात का पिशाच जो सवार रहता है. ऐसी हीं एक सरफिरी हरकत पकिस्तान ने तब की थी जब उसने अपने 5000 सैनिकों के साथ चोरों Fकी तरह घुसपैठ करके कश्मीर के कारगिल क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया था. भारत की सेना ने दिलेरी के साथ इस युद्ध को लड़ा था और पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ दिया था. इस युद्ध को कारगिल युद्ध या कारगिल विजय दिवस के नाम से जाना जाता है. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - July Month Current Affairs Magazine- DOWNLOAD NOW Indian States & Union Territories E book- पूरे हुए 23 साल (कारगिल युद्ध के) 26 जुलाई को कारगिल युद्ध के 23 साल पूरे हो जाएँगे. कारगिल विजय के बाद इस दिन को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के द्वारा विजय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई थी. बात तब की है जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर के उग्रवादियों के साथ मिलकर भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को पार कर हिंदुस्तान की जमीन पर कब्जा करना चाहा था. उनके इस दुस्साहस के बाद भारत की सेना ने उन्हें इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था और घुसपैठियों को बुरी तरह से पराजित कर देश की सीमा से बाहर मार भगाया था. युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान की तरफ से जैसा कि हम सभी को मालूम है कि कारगिल ...