कार्ल मार्क्स का राजनीतिक सिद्धांत

  1. कार्ल मार्क्स के अनुसार पूंजीपति के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः किसकी होती है
  2. राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
  3. कार्ल मार्क्स कौन था? » Carl Marks Kaun Tha
  4. राजनीतिक सिद्धांत
  5. मार्क्सवाद
  6. # कार्ल मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद सिद्धांत
  7. कार्ल मार्क्स को वैज्ञानिक समाजवाद का जनक क्यों कहा जाता हैं?
  8. कार्ल मार्क्स समाजवादी वैज्ञानिक – Gyaan Uday


Download: कार्ल मार्क्स का राजनीतिक सिद्धांत
Size: 10.64 MB

कार्ल मार्क्स के अनुसार पूंजीपति के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः किसकी होती है

Contents • 1 कार्ल मार्क्स के अनुसार पूंजीपति के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः किसकी होती है • 1.1 कार्ल मार्क्स का सिद्धांत क्या है? • 1.2 कार्ल मार्क्स ने कौन सी विचारधारा स्पष्ट की? • 1.3 कार्ल मार्क्स कौन थे और उन्होंने क्या किया? • 1.4 कार्ल मार्क्स की प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी थी? • 1.5 कार्ल मार्क्स का दूसरा नाम क्या है? • 1.6 मार्क्सवाद का जनक कौन है? • 1.7 मार्क्सवाद के 7 तत्व क्या हैं? • 1.8 मार्क्सवाद का मुख्य उद्देश्य क्या है? • 1.9 मार्क्स के अनुसार समाज के 5 चरण कौन से हैं? • 1.10 मार्क्सवाद का अर्थ क्या है? • 1.11 मार्क्सवाद के सिद्धांतकार कौन है? • 1.12 मार्क्सवाद की तीन अवधारणाएँ क्या हैं? कार्ल मार्क्स के अनुसार पूंजीपति के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः किसकी होती है (A) शासकों की (B) मजदूरों की (C) सामंतवादियों की (D) पूंजीपतियों की Ans – (B) मजदूरों की कार्ल मार्क्स को यह विश्वास था कि पूंजीपति के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः मजदूरों की होती है। इसके बाद एक ऐसे समाज की स्थापना होती है जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व होता है। उन्होंने भविष्य में होने वाले इस समाज को साम्यवादी अर्थात कम्युनिस्ट समाज का नाम दिया था। 1917 की अक्टूबर क्रांति के द्वारा रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया था। फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्टूबर की घटनाओं को ही अक्टूबर क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।

राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

राजनीतिक सिद्धांत की परंपरा बहुत प्राचीन है। राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति इसके अर्थ के साथ जुड़ी है जबकि राजनीतिक सिद्धांत के अर्थ में विभिन्न विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हैं। इसीलिए इसकी प्रकृति के बारे में भी भिन्न-भिन्न विचार पाए जाते हैं। इसलिए अध्ययन की दृष्टि से राजनीतिक चिंतन को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति: परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति को शास्त्रीय चिंतन के नाम से भी जाना जाता है परंपरावादी विचारकों में मुख्यत: प्लेटो, अरस्तु, हॉब्स, लॉक, कांट, हीगेल, मांटेस्क्यू, मिल, कार्ल मार्क्स के नाम उल्लेखनीय है परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की मुख्य विशेषताओं का अध्ययन इस प्रकार किया जा सकता है- 1. वर्णनात्मक अध्ययन: परंपरागत चिंतन की मुख्य विशेषता यह है कि यह मुख्यत: वर्णनात्मक है। जिसका अभिप्राय यह है कि इसमें केवल राजनीतिक संस्थाओं और उससे संबंधित समस्याओं का वर्णन मात्र किया जाता था। उस संस्था में सुधार व समस्याओं को दूर करने के लिए कोई सुझाव या समाधान प्रस्तुत नहीं किया जाता था। अत: इस प्रकार का अध्ययन न तो व्याख्यात्मक था और न ही विश्लेषणात्मक, मात्र वर्णनात्मक था। 2. समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना: परंपरागत लेखकों के द्वारा जिन रचनाओं की रचनाएँ की गई हैं उसमें मुख्य उन समस्याओं का वर्णन किया गया है जोकि तत्कालीन समाज में मौजूद थी, अत: इन विद्वानों द्वारा उन समस्याओं के लिए स्थायी समाधान ढूँढ़ने की कोशिश की गई है। प्लेटो ने यूनानी नगर राज्यों में व्याप्त राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए ‘दार्शनिक राजा’ की बात कही है वहीं दूसरी तरफ मैक्यावली ने इटली की तत्कालीन दुर्दशा को देखकर, राजा को अपने राज्य को विस्तृ...

कार्ल मार्क्स कौन था? » Carl Marks Kaun Tha

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। कार्ल मार्क्स 1818 - 18 सो 83 जर्मन दार्शनिक अर्थशास्त्री इतिहास का राजनीतिज्ञ सिद्धांत कार्ड समाजशास्त्री पत्रकार और वैज्ञानिक समाजवाद के प्रिय प्रिय नेता था उनके उनका पूरा नाम काल्पनिक मार्क्स का नाम इनका जन्म 5 मई 1818 को प्रवेश के एक यदि परिवार में हुआ इसी काल में हुआ ही गेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए carl marks 1818 18 so 83 german darshnik arthshastri itihas ka rajanitigya siddhant card samajshastri patrakar aur vaigyanik samajavad ke priya priya neta tha unke unka pura naam kalpnik marks ka naam inka janam 5 may 1818 ko pravesh ke ek yadi parivar me hua isi kaal me hua hi gale ke darshan se bahut prabhavit hue कार्ल मार्क्स 1818 - 18 सो 83 जर्मन दार्शनिक अर्थशास्त्री इतिहास का राजनीतिज्ञ सिद्धांत का

राजनीतिक सिद्धांत

राजनीतिक सिद्धांत – कार्ल मार्क्स Explained in Hindi ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं कि हमें अपनी आर्थिक व्यवस्था को किसी तरह सुधारने की जरूरत है। फिर भी हम अक्सर पूंजीवाद के सबसे प्रसिद्ध और महत्वाकांक्षी आलोचक, कार्ल मार्क्स के विचारों को खारिज करने के इच्छुक हैं। यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। व्यवहार में, उनके राजनीतिक और आर्थिक विचारों का उपयोग विनाशकारी रूप से नियोजित अर्थव्यवस्थाओं और गंदा तानाशाही को डिजाइन करने के लिए किया गया है। फिर भी, हमें मार्क्स को बहुत जल्दी अस्वीकार नहीं करना चाहिए। हमें उसे एक ऐसे मार्गदर्शक के रूप में देखना चाहिए, जिसके पूँजीवाद के कदमों का निदान हमें एक अधिक आशाजनक भविष्य की ओर नेविगेट करने में मदद करता है। पूंजीवाद में सुधार होने जा रहा है – और मार्क्स का विश्लेषण एक उत्तर का हिस्सा होने जा रहा है। 🙂 Writer – Article is written by Youtuber Nishant Chandravanshi. मार्क्स का जन्म 1818 में जर्मनी के ट्रायर में हुआ था। जल्द ही वह कम्युनिस्ट पार्टी के साथ शामिल हो गया, जो बुद्धिजीवियों का एक छोटा समूह था, जो वर्ग व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की वकालत कर रहा था निजी संपत्ति का उन्मूलन। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में काम किया और जर्मनी भागना पड़ा, अंततः लंदन में बस गए। मार्क्स ने कई किताबें और लेख लिखे, कभी-कभी अपने दोस्त फ्रेडरिक एंगेल्स के साथ। ज्यादातर, मार्क्स ने पूंजीवाद के बारे में लिखा, जिस प्रकार की अर्थव्यवस्था पश्चिमी दुनिया पर हावी है। यह उनके दिन में था, अभी भी चल रहा है, और मार्क्स इसके सबसे बुद्धिमान और अवधारणात्मक आलोचकों में से एक थे। ये कुछ समस्याएं थीं जिनसे उन्होंने इसकी पहचान की: आधुनिक काम “अलग-थलग” है मार्क्स की सबसे बड़ी अंतर्...

मार्क्सवाद

मुख्य लेख: मार्क्सवाद के अनुसार सामाजिक संरचना की आर्थिक व्याख्या करने वाला यह प्रमुख सिद्धांत है। यह सिद्धांत उन्नीसवीं शताब्दी के बाद लागू होता है। उससे पहले इस विचारधारा के होने या पाए जाने के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं। आर्थिक रुप से शोषण करने वालों (शोषक)के खिलाफ़ आवाज उठाने में मार्क्सवाद का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मार्क्स के प्रेरणा स्रोत हीगल,फ्रांसीसी समाजवाद,सेंट साइमन,ब्रिटिश समाजवादी-एडम स्मिथ। वर्ग संघर्ष [ ] • " . . अभिगमन तिथि 12 जून 2012. • राजनीतिक सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर प्रकाशन, २०१०, पृष्ठ- २७, ISBN:८१-७१९८-०९२-९ • पूंजी-१, • राजनीति सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर पेपरबैक्स, २०१०, पृष्ठ-३४३, ISBN:८१-७१९८-०९२-९ • दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मास्को, १९८0, पृष्ठ-५७९ ISBN: ५-0१000९0७-२ 6 - मार्क्सवाद के मूलभूत सिध्दांत अशोक कुमार पाण्डेय दखल प्रकाशन २०१५ पृष्ठ-१६६ ISBN ९७८-९३-८४१५९-१७-७ बाहरी कड़ियाँ [ ] सामान्य सामग्री [ ] • • • • • • • • • • • • • • परिचयात्मक लेख [ ] • • • • मार्क्सवादी जालस्थल [ ] • • • • • • • • • Bonilla, Fernando. Marx´s approach to Development. • • विशिष्ट विषय [ ] • • Marx and Engels on India and colonialism and Marx on caste and the village community from • Afrikaans • Alemannisch • Aragonés • العربية • مصرى • অসমীয়া • Asturianu • Azərbaycanca • تۆرکجه • Башҡортса • Boarisch • Žemaitėška • Беларуская • Беларуская (тарашкевіца) • Български • भोजपुरी • বাংলা • བོད་ཡིག • Brezhoneg • Bosanski • Буряад • Català • Нохчийн • کوردی • Čeština • Чӑвашла • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto...

# कार्ल मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद सिद्धांत

समाज और इतिहास के सम्बन्ध में कार्ल मार्क्स ने जिस सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है उसे ‘ ऐतिहासिक भौतिकवाद‘ (Historical Materialism) के नाम से सम्बोधित किया जाता है। ऐतिहासिक भौतिकवाद एक वैज्ञानिक धारणा है। यह मानव-इतिहास की घटनाओं की भौतिक आधार पर व्याख्या करती है। ऐतिहासिक भौतिकवाद की आधारभूत मान्यताओं का वर्णन मार्क्स की प्रसिद्ध रचना “ जर्मन विचारधारा” (German Ideology) में देखने को मिलता है। मार्क्स ने इस रचना में स्पष्ट किया है कि सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं का परिवर्तन वस्तुगत नियमों (Objective laws) के द्वारा होता है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • इतिहास की भौतिकवादी (आर्थिक) व्याख्या / ऐतिहासिक भौतिकवाद मार्क्स द्वारा प्रस्तुत एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त “ इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या” या “ आर्थिक व्याख्या” है जिसे ‘ ऐतिहासिक भौतिकवाद‘ भी कहा जाता है। मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की सहायता से अपने समाजवाद को एक वैज्ञानिक निश्चयात्मकता प्रदान की और इसका प्रयोग ऐतिहासिक एवं सामाजिक विकास की व्याख्या करने के लिए किया। “ इतिहास की द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी व्याख्या” को ही उसने ‘ ऐतिहासिक भौतिकवाद’ (Historical Materialism) या ‘ इतिहास की भौतिक व्याख्या‘ का नाम दिया। # मार्क्स द्वारा प्रतिपादित इस सिद्धान्त के नामकरण पर विचार प्रकट करते हुए प्रो. वेपर ने लिखा है, “ इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या के सिद्धान्त के अन्तर्गत मार्क्स ने जो बात कही है, उसके लिए यह नाम भ्रमपूर्ण है। इस सिद्धान्त को भौतिकवाद नहीं कहा जा सकता, क्योंकि भौतिक शब्द का अर्थ चेतनाहीन पदार्थ से होता है, जबकि इस सिद्धान्त में मार्क्स ने चेतनाहीन पदार्थ की कोई बात नहीं की है। इस सिद्धान्त के ...

कार्ल मार्क्स को वैज्ञानिक समाजवाद का जनक क्यों कहा जाता हैं?

मार्क्स से पहले भी बहुत से ऐसे विद्वान हुये हैं जिन्होंने समाज में प्रचलित बुराइयों के विरूद्ध आवाज उठाई हैं और अपने अथक प्रयास से उन बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया हैं तथापि उन विचारों का अपना कोई व्यवहारिक कार्यक्रम नही था अतएव वे अपने सिद्धांतों एवं विचारों को कोई क्रियात्मक रूप नहीं दे सके थें। इसलिए इन विचारों को राजनीति के क्षेत्र में स्वप्नलोकीय विचार के नाम से पुकारा गया हैं। इसके विपरीत मार्क्स ने अपने समाजवादी विचारों को क्रमबद्ध रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। उसने लोगों को यह बतलाया कि उसके विचारों को किस प्रकार के कार्यक्रम कार्य-प्रणाली के कारण ही मार्क्स के समाजवाद को वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता हैं। वास्तव में मार्क्स से पहले किसी भी विचारक ने अपने विचारों को इस प्रकार की क्रमबद्ध पद्धित में किसी के सामने नही रखा। उसके कार्यक्रम का आधार वैज्ञानिक पद्धितयों के अनुसार था। इसलिए विद्वानों ने कार्ल मार्क्स को वैज्ञानिक समाजवाद का जनक कहा हैं। मार्क्सवादी समाजवाद को प्रायः सर्वहारा समाजवाद तथा वैज्ञानिक समाजवाद के नाम से पुकार जाता हैं। मार्क्स ने अपने समाजवाद को वैज्ञानिक इस कारण कहा हैं कि यह इतिहास के अध्ययन पर आधारित हैं। इसके पहले साइमन, फोरियर तथा ओवर का समाजवाद वैज्ञानिक न था क्योंकि वह इतिहास पर आधारित न होकर केवल कल्पना पर आधारित था। मार्क्स ने जिस पद्धित का अनुसरण किया वह वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। उसकी पद्धित क्रमबद्ध हैं। उसने क्रान्तिकारी कार्यक्रम को इस वैज्ञानिक ढंग से रखा हैं कि एक घटना का दूसरी घटना से पूर्ण रूप से संबंध हैं। इस प्रकार मार्क्सवाद के सभी सिद्धांत एक-दूसरे पर आधारित हैं। एक वैज्ञानिक की सफलता उसकी कार्य-पद्धति प...

कार्ल मार्क्स समाजवादी वैज्ञानिक – Gyaan Uday

Karl Marx as a Utopian/ Scientific Socialism Hello दोस्तों ज्ञानउदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम बात करते हैं, राजनीति विज्ञान में कॉल मार्क्स के वैज्ञानिक समाजवाद के बारे में । (Karl Marx as a Utopian/ Scientific Socialism in Hindi) मार्क्स ने राजनीति को आर्थिक और भौतिक दोनों ही संदर्भों में स्पष्ट किया है । हालाँकि मार्क्स को वैज्ञानिक समाजवाद का निर्माता कहा जाता है, लेकिन मार्क्स ने कभी भी वैज्ञानिक समाजवाद शब्द का प्रयोग नहीं किया । मार्क्स के विषय में कभी-कभी यह भी कहा जाता है कि वह कोई मौलिक विचारक नहीं था । क्योंकि उसके द्वारा दिये गए प्रत्येक विचार पहले से ही कोई ना कोई दे चुका था । फिर भी यह सत्य है कि उसने अपने ज्ञान को अलग अलग जगह से इकट्ठा किया । जिसका इस्तेमाल करके मार्क्स ने बहुत कुछ अपने विचारों के अनुसार किया है । अनेक विचारकों ने मार्क्स के महत्व को जाना है । मार्क्स का महत्व उसके विचारों की मौलिकता में नहीं बल्कि इस बात में है कि उसने उन्हें मिलाकर किस तरह से एक संपूर्ण व्यवहारिक विचारधारा और एक क्रांतिकारी दर्शन बना दिया । उसने समाजवाद को एक धर्म, दर्शन, विचार और एक शक्ति बना दिया । लास्की के अनुसार– “किसी भी पहलू से देखा जाए तो मार्च का चिंतन सामाजिक दर्शन के इतिहास में एक युग है ।” इस प्रकार मार्क्स के सहयोगी फ्रेडरिक एंगेल्स ने मार्क्स द्वारा प्रतिपादित सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सिद्धांत को सबसे पहले वैज्ञानिक समाजवाद का नाम दिया था । राजनीति के मार्क्सवादी दृष्टिकोण के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ Click करें । हालाँकि मार्क्स सामाजिक आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन की बात करने वाला प्रथम विचारक नहीं था । यद्यपि मार्क्स ने समाजवादी विचारधारा का प्...