कैदी और कोकिला कविता का भावार्थ

  1. Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation :कैदी और कोकिला
  2. NCERT Solutions For Class 9 Kshitiz II Hindi Chapter 12
  3. कैदी और कोकिला
  4. कैदी और कोकिला कविता व्याख्या
  5. कैदी और कोकिल कविता का सारांश, भावार्थ, व्याख्या,प्रश्न उत्तर ,अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा
  6. कैदी और कोकिला का भावार्थ
  7. कैदी और कोकिला


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Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation :कैदी और कोकिला

Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation , Kaidi Aur Kokila Class 9 Explanation And Summary Kshitij Bhag 1 Chapter 12 , कैदी और कोकिला कक्षा 9 का भावार्थ /अर्थ क्षितिज भाग 1 अध्याय 12 Kaidi Aur Kokila Class 9 Summary कैदी और कोकिला कक्षा 9 का भावार्थ Note – • “ कैदी और कोकिला ” पाठ के MCQS पढ़ने के लिए Link में Click करें – • “ कैदी और कोकिला ” पाठ के प्रश्न उत्तर पढ़ने के लिए Link में Click करें – Next Page • “कैदी और कोकिल ” पाठ के भावार्थ को हमारे YouTube channel में देखने के लिए इस Link में Click करें। YouTube channel link – (Padhai Ki Batein / पढाई की बातें) कैदी और कोकिला कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी हैं। माखनलाल चतुर्वेदी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते-लड़ते उन्होंने कई बार जेल यात्राएं की। यह कविता भी उन्होंने अपनी एक जेल यात्रा के दौरान लिखी। उस वक्त कवि जेल में अकेले थे , निराश थे , दुखी थे। आधी रात में अचानक एक कोयल आकर उनकी जेल की दीवार पर बैठकर बोलने लगी , उस कोयल को देखकर कवि के मन में जो भाव या विचार आये , उनको ही उन्होंने इस शानदार कविता के रूप में पिरोया है । इस कविता में कवि ने अंग्रेज सरकार द्वारा राजनीतिक कैदियों को दी जाने वाली तरह-तरह की यातनाओं के बारे में लिखा है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को अंग्रेज सरकार पकड़ कर जेल में डाल देतेी थी और फिर उन पर तरह-तरह के अत्याचार , अन्याय किये जाते थे। उनसे कोल्हू (तेल निकालने वाला यंत्र) चलाया जाता था , पत्थर तुड़वाये जाते थे और मोट डालकर कुएं से पानी निकलवाया जाता था। उन्हें पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता था और अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया जाता था। स्वतंत्रता सेनानियों ने...

NCERT Solutions For Class 9 Kshitiz II Hindi Chapter 12

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 12 कैदी और कोकिला is part of Board CBSE Textbook NCERT Class Class 9 Subject Hindi Kshitiz Chapter Chapter 12 Chapter Name कैदी और कोकिला Number of Questions Solved 28 Category NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 12 कैदी और कोकिला पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास प्रश्न 1. कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी? उत्तर- कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि वह मानो उसे कुछ कहना चाहती है। या तो वह उसे निरंतर लड़ते रहने की प्रेरणा देना चाहती है या उसकी यातनाओं के दर्द को बाँटना चाहती है। उसे लगता है कि कोकिल कवि के कष्टों को देखकर आँसू बहा रही है और चुपचाप अँधेरे को बेधकर विद्रोह की चेतना जगा रही है। इसलिए अंत में कवि उसके इशारों पर आत्म-बलिदान करने को तैयार हो जाता है। प्रश्न 2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर- कवि ने कोकिल के बोलने पर निम्नलिखित कारणों की संभावना जताई है- • कोयल जेल में बंद क्रांतिकारियों को देशवासियों की दुर्दशा के बारे में बताने आयी है। • कोयल कैदी क्रांतिकारियों को धैर्य बँधाने एवं दिलासा देने आई है। • कोयल कैदी क्रांतिकारियों के दुखों पर मरहम लगाने आई है। • कोयल पागल हो गई है जो आधी रात में चीख रही है। प्रश्न 3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों? उत्तर- ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है। क्यों ब्रिटिश शासकों ने बेकसूर भारतीयों पर घोर अत्याचार किए। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को कारागृह में तरह-तरह की यातनाएँ दीं। उन्हें कोल्हू के बैल की तरह जोता गया। प्रश्न 4. कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन की...

कैदी और कोकिला

( लेखक परिचय - माखनलाल चतुर्वेदी ) • माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन 1889 मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गांव में हुआ था। • मात्र 16 वर्ष की अवस्था में ये शिक्षक बने • बाद में अध्यापन का काम छोड़कर सम्पादन का काम शुरू किया। • वे एक कवि- कार्यकर्ता थे और स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। • 1968 में इनका देहांत हो गया। • क्या गाती हो ? • क्यों रह जाती हो • कोकिल बोलो तो ! • क्या लाती हो ? • सन्देश किसका है ? • कोकिल बोलो तो ! ( भावार्थ ) • कवि कहते हैं कि कोयल !! तुम आधी रात में क्या गा रही हो। यह आजादी का तराना हैं • या पराधीनता का दुःख व्यक्त कर रही हो और फिर गाते –गाते अचानक बीच में चुप क्यों हो जाती हो ? • कोयल आखिर कुछ तो बोलो। • क्या तुम किसी का संदेश लेकर आई हो। कोयल बोलो तो • ऊँची काली दीवारों के घेरे में • डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में • जीने को देते नहीं पेट भर खाना • जीवन पर अब दिन रात कड़ा पहरा है • शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है ? • हिमकर निराश कर चला रात भी काली • इस समय कालिमामयी क्यूँ आली ? ( भावार्थ ) • इन पंक्तियों में कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी अपने मन की व्यथा को बता रहे हैं। • ब्रिटिश शासन द्वारा स्वतन्त्रता सैनानियों पर किये गए अत्याचारों के बारे में बात करते हुए कवि कहते हैं • कि अंग्रजों ने जेल की इन ऊंची-ऊंची दीवारों के अंदर इस अंधकारमय जगह पर हमें डाकू , चोर और लुटेरों के साथ रखा हैं। • यहां पर हमें पेट भर खाने को भी नहीं मिलता है और हर समय हमारे ऊपर अंग्रेजी सरकार की कड़ी निगरानी रहती है । • कवि ने अंग्रेजों के शासन की तुलना अंधकार से की है क्योंकि वो भारतीयों पर अन्याय, अत्याचार करते थे और उनका शोषण करते थे। • कवि आगे कहते हैं कि अब त...

कैदी और कोकिला कविता व्याख्या

Table of Contents • • • कैदी और कोकिला कविता का सार कैदी और कोकिला श्री माखनलाल चतुर्वेदी की सुप्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेजी शासकों द्वारा भारतीय पर किए गए जुल्मों का सजीव चित्रण किया है। प्रस्तुत कविता भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अंग्रेज अधिकारियों द्वारा जेल में किए गए दुर्व्यवहारों एवं यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से एक और भारतीय स्वतंत्र सेनानियों के द्वारा किए गए संघर्षों का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज सरकार की शोषणपूर्ण नीतियों को उजागर किया गया है। कवि स्वयं महान स्वतंत्रता सेनानी है। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ के एकाकी एवं यातनामय जीवन से उदास एवं निराश है। कवि रात को कोयल की ध्वनि सुनकर जाग उठता है। वह कोयल को अपने मन का दुःख, असंतोष और आक्रोश सुनाता है। वह कोयल से पूछता है कि तुम रात्रि के समय किसका और क्या संदेश लाती हो। मैं यहाँ जेल की ऊँची और काली दीवारों में डाकुओं, चोरों और लुटेरों के बीच रहता हूँ। यहाँ कैदियों को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता। यहाँ अंग्रेजों का कड़ा पहरा है। अंग्रेज शासन भी गहन अंधकार की भांति काला लगता है। तुम बताओ कि रात के समय पीड़ामय स्वर में क्यों बोल उठी हो ? क्या तुझे कही जंगल की भयंकर आग दिखाई दी जिसे देखकर तुम कूक उठी हो ? क्या तुम नहीं देख सकती कि यहाँ कैदियों को जंजीरों से बाँधा हुआ है। मैं दिन भर कुएँ से पानी खींचता रहता हूँ किंतु फिर भी दिन में करुणा के भाव चेहरे पर नहीं आने देता। रात को ही करुणा गजब दाती है। तुम बताओ कि तुम रात के अंधकार को अपनी ध्वनि से बंधकर मधुर विद्रोह के बीज क्यों बोती हो? इस समय यहाँ हर वस्तु काली है-तू काली,...

कैदी और कोकिल कविता का सारांश, भावार्थ, व्याख्या,प्रश्न उत्तर ,अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा

इस पोस्ट में हमलोग कैदी और कोकिल कविता का सारांश, कैदी और कोकिल कविता का भावार्थ व व्याख्या, कैदी और कोकिल कविता का प्रश्न उत्तर का अध्ययन करेंगे| कैदी और कोकिल कविता क्लास 9 के क्षितिज भाग 1 के चैप्टर 12 से लिया गया है| कैदी और कोकिल कविता का सारांश / summary of kaidi aur kokil kavita कैदी और कोकिल कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी हैं| इस कविता में कवि ने परतंत्रता के समय अंग्रेजी हुकूमत का व्यंग्यपूर्ण चित्रण किया है| जेल में स्वाधीनता सेनानियों के साथ अंग्रेजों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का वास्तविक चित्रण इस कविता में किया गया है| कवि देश को आजाद कराने के उद्दम से अंग्रेजों द्वारा जेल में डाल दिया गया है | वह जेल में एकाकी जीवन बीता रहा है | तभी सामने पेड़ पर अर्धरात्रि के समय एक कोयल बोलती है| कवि उस कोयल से बात करते हुए कहता है कि हे कोयल इस अर्धरात्रि के समय तुम क्यों बोल रही हो क्या तुम्हें कोई कष्ट है? फिर थोड़ी देर बार कवि कल्पना करते हुए कहता है कि क्या तुमसे मेरा यह हथकड़ी रूपी गहना नहीं देखा जा रहा है| इस पूरी कविता में कवि ने कोयल से उसके कूकने का कारण जानना चाहा है| कोयल से उत्तर न मिलने पर कवि तरह-तरह से अपनी कल्पना द्वारा उसका उत्तर निकालना चाहा है| कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो! क्या लाती हो? संदेशा किसका है? कोकिल बोलो तो! ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर खाना, मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना! जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है? हिमकर निराश कर चला रात भी काली, इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? क्यों हूक पड़ी? वेदना ...

कैदी और कोकिला का भावार्थ

• • • • • कवि परिचय माखनलाल चतुर्वेदी इनका जन्म सन 1889 मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। मात्र 16 वर्ष की अवस्था में ये शिक्षक बने, बाद में अध्यापन का काम छोड़कर पत्रिका सम्पादन का काम शुरू किया। वे देशभक्त कवि एवं प्रखर पत्रकार थे। वे एक कवि-कार्यकर्ता थे और स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। सन 1968 में इनका देहांत हो गया। कैदी और कोकिला कविता का सार: short summary यह आजादी से पूर्व की कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का लिखित चित्रण किया है। स्वतंत्रता सेनानियों के यातनाओं को प्रदर्शित करने के लिए कवि ने कोयल का सहारा लिया है। जेल में बैठा एक कैदी कोयल को अपने दुःखों के बारे में बतला रहा है। अँगरेज़ उसे चोर, डाकू और बदमाशों के बीच डाले हुए हैं, भर पेट खाना भी नही दिया जाता है। उन्होंने अंग्रेज़ों के शासन को काला शासन कहा है। जहाँउन्होंने बताया है कि यह वक़्त अब मधुर गीत सुनाने का नही बल्कि आजादी के गीत सुनाने का है। कवि ने कोयल चाहा है कीवह स्वतंत्र नभ में जाकर गुलामी के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करे। कैदी और कोकिला कविता का अर्थ क्या गाती हो ?क्यों रह-रह जाती हो ?कोकिल बोलो तो !क्या लाती हो ?संदेशा किसका है ?कोकिल बोलो तो ! भावार्थ –प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि ‘माखनलाल चतुर्वेदी’ जी के द्वारा रचित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से ली गई हैं | कवि के द्वारा जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी की मनोदशा और पीड़ा को व्यक्त किया गया है | जब कोयल कवि को अर्द्धरात्री में चीखती-गाती हुई नज़र आई, तो उनके मन में कई तरह के भावपूर्ण प्रश्न उत्पन्न होने लगे कि कोयल उनके लिए कोई प्रेरणात्मक संदेश लेकर आयी होगी | जब कवि से रहा नहीं गया तो वे कोयल से...

कैदी और कोकिला

Table of Contents • • • • • • • • रचना परिचय माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित अतीव प्रसिद्ध कविता ’कैदी और कोकिला’ है। यह कविता भारतीय स्वाधीनता सेनानियों के साथ जेल में किये गये दुर्व्यवहारों और यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। जेल के एकाकी एवं उदासी भरे वातावरण में रात्रि में जब कोयल अपने मन का दुःख एवं असंतोष व्यक्त कर स्वाधीनता सेनानियों की मुक्ति का गीत सुनाती है तो लोगों में अंग्रेजों की अधीनता से मुक्त होने की भावना प्रबल बन जाती है। ऐसे में कवि कोयल को लक्ष्यकर अपनी भावना का प्रकाशन करता है। क्या गाती हो ? क्यों रह-रह जाती हो ? कोकिल बोलो तो! क्या लाती हो ? संदेशा किसका है ? कोकिला बोलो तो ! व्याख्या स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने से कवि को कारागार में जाना पङा। तब एक रात उसे वहाँ पर कोयल की कूक सुनाई पङती है। वह कहता है कि तुम रात में ही क्यों गाती हो ? तुम फिर रह-रह अर्थात् कुछ क्षणों के बाद चुप क्यों हो जाती हो ? हे कोयल बोलो। तुम क्रान्तिकारी देशभक्तों को किसका सन्देश लाती हो ? स्वाधीनता संग्राम के कैदियों को तुम क्या सन्देश देती हो ? हे कोयल, तुम स्पष्टतया बोलो। ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के घेरे में, जीन को नहीं देते पेट-भर खाना, मरने भी देने नहीं, तङफ रह जाना। जीवन पर अब दिन-रात कङा पहरा है, शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है ? हिमकर निराश कर चला रात भी काली, इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ? व्याख्या कवि अपने और जेल में बन्द अन्य कैदियों के सम्बन्ध में कायेल से कहता है हम क्रान्तिकारी देशभक्त इस जेल की ऊँची काली दीवारों के घेरे में कैद है। वस्तुतः यह स्थान तो उनका निवास है जो डाकू, चोर, लुटेरे जैसे अपराधी है। जेल में पे...