Kavya ki paribhasha

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Kavya Gun ki paribhasha Archives

काव्य गुण परिभाषा एवं भेद काव्य गुण परिभाषा एवं भेद, काव्य गुण क्या हैं?, काव्य-गुणों की संख्या, गुण किसे कहते हैं? प्रसाद गुण, ओज गुण, माधुर्य गुण काव्य के सौंदर्य की वृद्धि करने वाले और उसमें अनिवार्य रूप से विद्यमान रहने वाले धर्म को गुण कहते हैं। आचार्य वामन द्वारा प्रवर्तित रीति सम्प्रदाय को ही … Categories Tags

रसात्मक काव्यम वाक्यम की परिभाषा क्या है? » Rasatmak Kavyam Vakyam Ki Paribhasha Kya Hai

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छायावाद

अनुक्रम • 1 परिचय • 2 विभिन्न आलोचकों की दृष्टि में छायावाद • 3 छायावादी कवियों की दृष्टि में • 4 छायावाद की मुख्य विशेषताएँ (प्रवृत्तियाँ) • 4.1 आत्माभिव्यक्ति • 4.2 नारी-सौंदर्य और प्रेम-चित्रण • 4.3 प्रकृति प्रेम • 4.4 राष्ट्रीय / सांस्कृतिक जागरण • 4.5 रहस्यवाद • 4.6 स्वच्छन्दतावाद • 4.7 कल्पना की प्रधानता • 4.8 दार्शनिकता • 4.9 शैलीगत प्रवृत्तियाँ • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरीकड़ियाँ परिचय [ ] हिंदी कविता में छायावाद का युग वस्तुजगत् अपना घनत्व खोकर इस जग में सूक्ष्म रूप धारण कर लेता, भावद्रवित हो। कवि के केवल सूक्ष्म भावात्मक दर्शन का ही नहीं, 'छाया' से उसके सूक्ष्म कलाभिव्यजंन का भी परिचय मिलता है। उसकी काव्यकला में वाच्यार्थ की अपेक्षा लाक्षणिकता और ध्वन्यात्मकता है। अनुभूति की निगूढ़ता के कारण अस्फुटता भी है। शैली में राग की नवोद्बुद्धता अथवा नवीन व्यंजकता है। द्विवेदी युग में कविता का ढाँचा पद्य का था। वस्तुत: गद्य का प्रबंध ही उसमें पद्य हो गया था, भाषा भी गद्यवत् हो गई थी। छायावाद ने पद्य का ढाँचा तोड़कर खड़ी बोली को काव्यात्मक बना दिया। पद्य में स्थूल इतिवृत्त था, छायावाद के काव्य में भावात्मक अतंर्वृत्त था, छायावाद के काव्य में भावात्मक अंतर्वृत्त आ गया। भाव के अनुरूप ही छायावाद की भाषा और छंद भी रागात्मक और रसात्मक हो गया। ब्रजभाषा के बाद छायावाद द्वारा गीतकाव्य का पुनरुत्थान हुआ। छायावाद युग के प्रतिनिधि कवि हैं- प्रसाद, निराला, पंत, महादेवी, रामकुमार। पूर्वानुगामी सहयोगी हैं- माखनलाल और 'नवीन'। गीतकाव्य के बाद छायावाद में भी महाकाव्य का निर्माण हुआ। तुलसीदास जैसे 'स्वांत:' को लेकर लोकसंग्रह के पथ पर अग्रसर हुए थे वैसे ही छायावाद के कवि भी 'स्वात्...