कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ class 7

  1. Kabir Ke Dohe: संत कबीर दास के दोहे हिन्दी में अर्थ सहित।


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Kabir Ke Dohe: संत कबीर दास के दोहे हिन्दी में अर्थ सहित।

ना काहू से दोस्ती, ना कहु से बैर" उपरोक्त दोहा से रचना कर्ता के व्यक्तित्व के बारे में ठीक-ठीक अंदाजा लगाया जा सकता हैं. संत कबीर दासमानवीय भावनाओं के लेकर बहुत तार्किक और प्रायोगिक थे. Kabir Ke Dohe. उन्होंने अपने विचारों से समाज में एक सामन्जस्व स्थापित करने का प्रयास किया समानता के भाव को बढ़ावा दिया समाज में व्याप्त ऊंच-नीच को भावना को तार्किक रूप से कटघरे में खड़ा किया।तो चलिए शुरू करते हैं- संत कबीर दास के दोहे हिंदी में Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi. अर्थ- संत कबीर दास के दोहे हिंदी में -इस दोहे के माध्यम से कबीर दास यह कहना चाहते हैं की- " कोई भी कार्य को यथासमय कर लेना चाहिए यदि उसे करना अनिवार्य हैं तो कल पर ना छोड़े आज ही कर डाले और यदि और अनिवार्य हैं तो आज भी न रुके अभी कर डाले। कौन जनता हैं पल में भी प्रलय या विनाश हो सकता फिर तुम कब करोगे। Sant Kabir Das Ke Dohe In Hindi- इस दोहा के माध्यम से कबीर महाराज की दूरदर्शिता झलकती हैं वो समाज के बुराइयों की जड़ों को समझ चुके है और समाज सुधार हेतु वे इस दोहा के माध्यम से यह सन्देश देना चाहते हैं की-" जब कबीर दुसरो के अंदरव्याप्त गलतियों को खोजने चले तो उनको कोई भी गलत नहीं मिला क्युकी उन्होंने जब अपने अंदर झाँका अपने अंदर की बुराईयों को खोजा तो उन्होंने सबसे ज्यादा खुद को बुरा पाया." कहने का मर्म यह हैं की हमें दूसरों कीगलतियों को देखने का कोई अधिकार नहीं हैं जब तककी हम खुद अपने अंदर कीबुराइयों और गलतियों को ख़त्म नहीं लेते। और दुसरो की गलतियाँ सुधारने की जगह यदि गलतियों को सुधारने पर ध्यान देने लगेगा तो विस्वास कीजिये एक बहुत बड़ा क्रन्तिकारी परिवर्तन होगा जिसके परिणाम आश्चर्यजनक होगा. Kabir Ke Dohe. अर्थ- इस दोहे ...