खाटू श्याम कितना किलोमीटर है

  1. Rajasthan Khatu Shyam Temple Yatra Route Changed After Stampede ANN
  2. मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है?
  3. shree shyam mandir
  4. श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति ( Khatu Shyam Stuti ) Archives
  5. Khatu Shyam Mandir
  6. Khatu Shyam: तो इसलिए खाटू श्याम जी पहुंचे थे चुलकाना धाम, माना जाता है कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान


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Rajasthan Khatu Shyam Temple Yatra Route Changed After Stampede ANN

Khatu Shyam Temple News: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित बाबा श्री खाटू श्याम की यात्रा का मार्ग भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर बदल दिया गया है. स्थानीय जानकार विकाश शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर में भीड़ एक जगह इकट्ठी न हो, इसके प्रबंधन के लिए यात्रा तोरण द्वार से शनि मंदिर होते हुए मेला मार्ग से चलाई जा रही है. दर्शनार्थियों के लिए जिगजैग व्यवस्था की गई है जिससे की भीड़ ज्यादा ना हो. अब सामान्य दिनों में भी यात्रा को मेला मार्ग से ही पूरा करवाया जा रहा है. मेला मार्ग से यात्रा में समय ज्यादा लगता है. भक्तों को 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. हालांकि, पहले सामान्य दिनों में यात्रा मेन मार्केट से होकर जाने वाले रास्ते से की जाती थी. मंदिर में बंद हुए वीआईपी दर्शन दरअसल सोमवार 8 अगस्त को एकादशी के मासिक मेले के दौरान भगदड़ मचने से तीन महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. इसके बाद से खाटू श्याम में प्रशासन काफी अलर्ट नजर आ रहा है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है. यात्रा मार्ग में किए गए बदलाव के बारे में भी भक्तों को बता रहे हैं. भीड़ को काबू करने के लिए रास्ते में कुछ जगह पर बैरिकेडिंग की गई है. हालांकि, हादसे के बाद भी मंदिर आने वाले भक्तों की संख्या में कोई कमी नहीं दर्ज नहीं की गई है. वहीं मंदिर प्रशासन ने मंदिर में सभी तरह के वीआईपी दर्शन बंद कर दिए हैं. अब वीकेंड में 24 घंटे होंगे दर्शन मंदिर प्रशासन ने भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रविवार, शुक्ल पक्ष एकादशी, द्वादशी और सार्वजनिक अवकाश के मौके पर 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था शुरू की है. मिली जानकारी के अनुसार मंदिर इन दिनों में 24 घंटे खुला रहेगा. इन दिनों में बाबा 15 मिनट भोग और केवल एक मिनट शयन करेंगे. जानकारी क...

मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है?

Mehandipur Balaji to Khatu Shyam Distance: क्या आप जानना चाहते हैं कि मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है तो इस लेख में आपको इसका जवाब मिल जाएगा। मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम कितने किलोमीटर है? मेहंदीपुर बालाजी से खाटू श्याम 195.8 किलोमीटर है, और जयपुर से खाटू श्याम 111 किलोमीटर है। खाटू श्याम मंदिर पहुचने के लिए आपको सीधे ट्रेन नही मिलती है आपको जयपुर पहुच कर वहा से टैक्सी या बस से खाटू श्याम जाना होगा। खाटू श्याम के इतिहास के बारे में थोड़ा जान लेते हैं, भीम के पोते बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है। क्योकि महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने उनसे सिर मांग लिया था और बर्बरीक ने भगवान के क़दमों में उसका सिर चड़ा दिया था जिसके फलस्वरूप कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि तुम्हे कलयुग में मेरे नाम से पुकारा जाएगा राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम नामक गांव में खाटू श्याम मन्दिर स्थित है। खाटू श्याम में आपको रहने खाने के लिए सभी उचित जगहे मिल जाएगी, यहाँ की होटलों का किराया भी ज्यादा नही है 500 रूपये में एक दिन के लिए आपको आसानी से 2-3 लोगो के लिए रूम मिल जाता है। और यहा खाने के लिए 150 रूपये में एक अच्छी सी स्वदिष्ट थाली मिल जाती है। FAQs Editor’s Picks • Do You Love Me Ka Reply Kya Hoga – डु यु लव मी का रिप्लाई क्या होगा? • लौकी को इंग्लिश में क्या कहते हैं – Lauki Ko English Mein Kya Kahate Hain? • यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का अर्थ हिंदी में • गायत्री मंत्र का अर्थ, लाभ तथा सावधानियां • लैंडमार्क क्या होता है – Landmark Kya Hota Hai, Meaning in Hindi • आसमान नीला क्यों होता है? यह है इसके पीछे की वजह! • बागेश्वर धाम में घर बैठे अर्जी कैसे लगाएं? 100% क...

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Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • बाबा श्याम का इतिहास खाटू श्याम महाभारत के इतिहास के समय से जाने जाते हैं खाटू श्याम जी पांडवों के पुत्र भीम के पौत्र है जब पांडवों को वनवास दिया गया था और पांडव अपनी जान बचाने के लिए अन्य ने जगह पर भ्रमण कर रहे थे तभी एक जगह भीम का सामना हिडिंबा नामक राक्षस नी से हुआ इस राक्षस नी से भीम ने शादी की और इन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ इसका नाम घटोत्कच था घटोत्कच के द्वारा पुत्र हुआ बर्बरीक और बर्बरीक को अपनी वीरता और एक बार मैं तीन तीर एक साथ चलाने के लिए जाना जाता था जब कौरवों और पांडवों का युद्ध हुआ था महाभारत में बर्बरीक ने युद्ध में हिस्सा लेना चाहा तो भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को पूछा कि हे वीर आप किसके साथ हो इस महाभारत में बर्बरीक जी ने कहा कि जो हारेगा उस की तरफ से लड़ेगे और भगवान श्री कृष्ण महाभारत का परिणाम अच्छे से जानते थे और उन्हें डरता कि यह कहीं महाभारत को अलग दिशा ना दे दे ऐसे में भगवान श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक को युद्ध में हिस्सा न लेने के लिए तरकीब लगाई और उन्होंने बरबरी से कहा की है वीर क्या तुम मेरी एक इच्छा पूरी करोगे तो खाटूश्यामजी यानी बर्बरीक बोले हां मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगा तो भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी इच्छा में उनसे उनका शीश मांग लिया और बारबरी जी ने अपना शीश हंसकर भगवान श्री कृष्ण के चरणों में रख दिया और कहा कि आपने मुझसे जो चाहिए था वह मांग लिया क्या आप आपसे मैं कुछ मांग सकता हूं भगवान इन्हें का जरूर बोलो क्या चाहिए तुम्हें उन्होंने कहा कि मैं महाभारत को अंत तक देखना चाहता हूं तो श्री कृष्ण ने उनकी इच्छा को स्वीकार करते हुए उनके सर को एक जगह रख दिया महाभारत को बर्बरीक ने शुरू से लेकर अंत तक देखा इसके...

श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति ( Khatu Shyam Stuti ) Archives

श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति | Shri Khatu Shyam Stuti | Khatu Shyam Ji Ki Aarti Stuti श्री खाटू श्याम बाबा की स्तुति हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियों चित लगाय दास आ गयो शरण मे रखियो इसकी लाज धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण श्याम श्याम तो मे रटूँ श्याम हैं जीवन प्राण श्याम भक्तजन मे बड़े उनको करू प्रणाम खाटू नगर के बीच मे बाण्यो आपको धाम फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भारी होए बाबा के दरबार से खाली जाये ना कोए उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्रीराम लज्जा सबकी रखियो खाटू के बाबा श्याम पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान श्याम भक्तपावे सदा श्याम कृपा से मान मेरे श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम बाबा श्याम || जय श्री श्याम जय जय श्री श्याम || #khatu shyam ki aarti, khatu shyam aarti, khatu shyam ji ki aarti, shyam aarti, shyam baba ki aarti, khatu shyam aarti video, om jay shree shyam hare, khatu shyam baba ki aarti in hindi, shree shyam baba ki stuti in hindi

Khatu Shyam Mandir

दोस्तों ऐसा कहा जाता है की जैसे ही आपने Khatu Shyam Mandir जाने के लिए मन में विचार बना लिया बस उसी वक़्त से आपके सभी बिगड़े काम अपने आप बनने शुरू हो जायेंगे। Khatu Shyam Baba के दर्शन मात्र से पूरानी से पूरानी समस्या का निवारण हो जाता है। तो चलिए चलते हैं Khatu Shyam Darshan करने उनकी अनूठी कहानी के द्वारा।। Table of Contents • • • • • • • • • • • • Shri Khatu Shyam Mandir । खाटू श्याम जाने का रास्ता भारत के प्रसिद्ध गुलाबी नगर जयपुर से उत्तर में वाया रींगस होकर 80 किलोमीटर और सीकर से 60 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है । पश्चिम रेल्वे का रींगस जंक्शन श्याम बाबा के आने जाने वाले यात्रियों का मुख्य रूप से रास्ते में पड़ता है। क्योंकि दिल्ली – अहमदाबद-जयपुर, सीकर आदि से आने वाले यात्रियों को रेलों बसों से पहले रींगस जंक्शन ही उतरना पड़ता है। उसके बाद पैदल या ऊंटों के लड्ढों जीपों या बसों द्वारा खाटू श्याम 17 किलोमीटर जाया जाता है । मेले लगने का समय– विशेषतः ऋतानुकूल होने के कारण फाल्गुन सुदी एकादशी, द्वादशी का ही बड़ा मेला लगता है तथा श्री खाटू श्याम का इतिहास कौरव वंश के राजा दुर्योधन ने निर्दोष पाण्डवों को सताने और उन्हें मारने के लिये लाक्षादि घर का निर्माण किया था, पर सौभाग्य वश वे उसमें बच निकल कर वनवास जाकर रहने लगे। एक समय जब वे वन में सो रहे थे उस स्थान के पास ही एक हिडम्ब नामक राक्षस उसकी बहिन हिडिम्बी सहित रहता था। तब उसको मनुष्य पाण्डवों की गन्ध आई तो उन्हें | देखकर व राक्षस अपनी बहिन हिडिम्बा से बोला इन मनुष्यों को मारकर मेरे पास ले आओ, आज इनका मांस खाकर बड़े खुश होंगे। हिडिम्बासुर के कहने से हिडिम्बा वहाँ आई जहाँ पास में ही चारों भाई कुन्ती सहित सो रहे थे और भीम उनकी...

Khatu Shyam: तो इसलिए खाटू श्याम जी पहुंचे थे चुलकाना धाम, माना जाता है कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान

डीएनए हिंदी: कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान चुलकाना गांव माना जाता है क्योकि यहां कलयुग के देवता खाटू श्याम जी का एक मंदिर है. यह स्थान बहुत ही पवित्र माना गया है और माना जाता है क्योंकि इस चुलकाना गांव में खाटू श्याम जी बसे हैं. हरियाणा के पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर दूर चुलकाना गांव को ही चुलकाना धाम के नाम से प्रसिद्ध है. यहां राजस्थान के सीकर में बसे खाटू श्याम का मंदिर है. लेकिन इस चुलकाना गांव में ही क्यों खाटू श्याम आकर बसे, इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है. अभी बता दें कि चुलकाना गांव इसलिए पवित्र स्थान है क्योंकि यहीं पर बाबा श्याम ( बर्बरीक ) ने अपने शीश का दान भगवान श्रीकृष्ण को दिया था. यही कारण है की चुलकाना धाम को कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान माना जाता है. बता दें कि चुलकाना गांव का संबंध महाभारत से भी रहा है. बर्बरीक को मिला था महादेव का आशीर्वाद पांडव पुत्र भीम के बेटे घटोत्कच की शादी दैत्य की पुत्री कामकंटकटा के साथ हुई थी और इनका एक पुत्र बर्बरीक था. बर्बरीक महादेव भक्त थे और उनको महादेव का आशीर्वाद और उनकी अराधना से बर्बरीक को तीन बाण मिले थे, जिससे वे चाहते तो पूरी सृष्टि का अंत तक कर सकते थे. जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तब बर्बरीक की मां कामकंटकटा को संदेह था कि पांडव महाभारत का युद्ध नहीं जीत पाएंगे, तब उन्होंने अपने बेटे बर्बरीक की शक्ति और महादेव के आशीर्वाद को देखते हुए बर्बरीक को युद्ध के लिए भेज दिया और कहा था कि तुम्हे हारने वाले का ही साथ देना होगा. बर्बरीक ने अपनी मां की बात मानी और वचन दिया कि मैं हारने वाले का ही साथ दूंगा इसलिए उन्हें 'हारे का सहारा' भी कहा जाता है. इसके बाद बर्बरीक युद्ध देखने के लिये घोड़े पर सवार होकर चल पड़े....