Kishoravastha se aap kya samajhte hain

  1. WWW Se Aap Kya Samajhte Hain
  2. किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा
  3. समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य
  4. औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है?
  5. किशोरावस्था को प्रभावित करने वाले कारक
  6. बाल्यावस्था की विशेषताएँ


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WWW Se Aap Kya Samajhte Hain

आज के इस युग में इंटरनेट से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति या तो अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग कर ही रहा है। कई लोग तो केवल इंटनरेट का उपयोग बस व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम चलाने में ही करते हैं मगर कुछ ऐसे भी हैं जो अलग अलग वेबसाइट भी ब्राउज करते हैं। यदि आप भी इंटरनेट ब्राउज करते समय किसी वेबसाइट को अपने ब्राउज़र में खोलते हैं तो कहीं न कहीं आपके मन में भी ये सवाल आया ही होगा कि वेबसाइट के नाम के आगे जो WWW जाता है आखिर वो होता क्या है? साथ ही यह सवाल आपको अपनी किताबों में भी मिल ही जायेगा कि WWW से आप क्या समझते हैं – WWW Se Aap Kya Samajhte Hain? तो चलिए आज इसी पर चर्चा करते हैं। साथ ही हम आपको इससे जुडी अन्य टर्म्स से भी आपको अवगत कराएंगे और उनके बारे में संक्षिप्त में बताएंगे। Table of Contents • • • • • • • WWW Se Aap Kya Samajhte Hain? WWW का फुल फॉर्म वर्ल्ड वाइड वेब(World Wide Web) होता है। यह जानकारियों के एक भंडार के सामान है यहां आपको दुनियाभर की जानकरी मिल सकती है।दुनियाभर की जितनी भी वेब साइट्स है वह वर्ल्ड वाइड वेब में रजिस्टर होती है, WWW में मौजूद डॉक्यूमेंट आपस में हाइपरटेक्स्ट से जुड़े होते है, हाइपरटेक्स्टडॉक्युमेंट ध्वनि, टेक्स्ट इमेज आदि चीजों का समावेश होता है। यह एक प्राइमरी टूल की तरह काम करता है जिसके द्वारा हम इंटरनेट को access कर पाते हैं, दुनिया में जितने भी Websites और Web Pages Internet में हैं उनके Combination को वर्ल्ड वाइड वेब कहा जाता है। Web Document को Web Programming Language में लिखा जाता है जिसको HTML (Hyper Text Mark Up Language) कहा जाता है। जब कभी आप Web Browser में एक Domain का नाम लिखते हो इसको URL भी कहा ज...

किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा

आज किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा है।दोस्तों बाल मनोविज्ञान में बाल विकास की अवस्थाएँ सबसे महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष uptet,ctet,stet,kvs,dssb,btc आदि सभी एग्जाम में इससे प्रश्न पूछे जाते है। जिसके अंतर्गत हम आज किशोरावस्था की परिभाषाएं, किशोरावस्था का अर्थ,किशोरावस्था में शिक्षा किस प्रकार होनी चाहिए,किशोरावस्था की समस्याएं, किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं आदि सारी बातों की जानकारी देगे। किशोरावस्था का अर्थ और परिभाषा,किशोरावस्था किसे कहते हैं || meaning of adolescence किशोरावस्था जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण समय है। यह अवस्था 13 से 18 वर्ष तक मानी जाती है। इस अवस्था को दो भागों में बांटा गया है। प्रथम 13 से 15 वर्ष की अवस्था को पूर्व किशोरावस्था तथा 15 से 18 वर्ष की अवस्था को उत्तर किशोरावस्था कहते हैं। इस अवस्था को तूफान और संवेगों की अवस्था कहा गया है। 11 – 12 वर्ष की आयु में बालक के नसों में ज्वार उठना आरंभ होता है इसे किशोरावस्था के नाम से पुकारा जाता है। इस अवस्था में बच्चा बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर होता है। यह बच्चे का सबसे जटिल काल है। क्योंकि इस अवस्था में किशोर को नये ढंग से समायोजन करना पड़ता है। बाल अपराधों की सख्या सबसे अधिक इसी काल में होती है। बालक बाल्यकाल से किशोरावस्था में प्रवेश करता है तो उसमें शारीरिक, मानसिक,सामाजिक तथा सर्वगात्मक परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन शरीर तथा मन दोनों को ही प्रभावित करे हैं। पश्चिमी विद्वानों ने इसे “टीन एज” भी कहा है। यह विकास की सबसे जटिल अवस्था मानी गयी है। इस अवस्था में शारीरिक विकास बड़ी तेजी से होता है। किशोरावस्था की परिभाषाएं || definition of adolescene क्रो एंड क्रो क...

समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, उद्देश्य

Samajikaran arth paribhasha visheshta uddeshy;समाजीकरण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक जैविक प्राणी मे सामाजिक गुणों का विकास होता है और वह सामाजिक प्राणी बनता है। इस प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति समाज और संस्कृति के बीच रहकर विभिन्न साधनों के माध्यम से सामाजिक गुणों को सीखता हैं, अतः इसे सीखने की प्रक्रिया भी कहते हैं। समाजीकरण द्वारा संस्कृति, सभ्यता तथा अन्य अनगिनत विशेषताएं पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होती है और जीवित रहती है। समाज से बाहर व्यक्ति व्यक्ति नही हैं। समाज से पृथक वह असहाय है। समाज से दूर होकर वह चल-फिर नही सकता, बोल-चाल नही सकता। समाज के अभाव मे व्यक्ति का जीवन यदि असम्भव नही तो कठिन एवं दूभर अवश्य है, किन्तु समाज कोई ऐसा जादुई करिश्मा नही कर देता कि जन्म लेते ही बच्चा चलने-फिरने लगे, बोलने-चालने लगे, समझने-समझाने लगे। ऐसा तो सामूहिक जीवन के दौरान जीवन पर्यन्त चलने वाली एक प्रक्रिया के द्वारा सम्भव होता है। इस प्रक्रिया को समाजीकरण कहते है। समाजीकरण की परिभाषा (samajikaran ki paribhasha) ग्रीन के अनुसार," समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चा सांस्कृतिक विशेषताओं, आत्म एवं व्यक्तित्व को प्राप्त करता हैं। फिचर के शब्दों में "समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को स्वीकार करता है और उसके साथ अनुकूलन करता हैं। गिलिन व गिलिन के अनुसार, " समाजीकरण से आश्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक व्यक्ति समाज के एक क्रियाशील सदस्य के रूप मे विकसित होता हैं, समूह की कार्यप्रणालियों से समन्वय करता है, उसकी परम्पराओं का ध्यान रखता है और सामाजिक स्थितियों मे व्यवस्थापन करके अपने साथियों के प्रति सहनशक्ति की भावना विकसित करता...

औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है?

आज के समय में लगभग सभी वस्तुएं मशीनों से बनाई जाती हैं। एक समय था जब लोग हाथों से वस्तुओं का निर्माण करते थे और उसी वस्तुओं का प्रयोग करते थे। परंतु अब ऐसा समय आ चुका है जहां सभी निर्माण मशीनों द्वारा किए जाते हैं और इसे ही औद्योगिक क्रांति कहा गया है। कई लोग ऐसे हैं जिन्हें औद्योगिक क्रांति से संबंधित जानकारियां नहीं है और लोग इसका अर्थ नहीं समझ पाते। इसलिए आज के इस लेख में हम बताएंगे कि औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है? यदि आप भी औद्योगिक क्रांति से संबंधित जानकारियां पाना चाहते हैं तो कृपया लेख को पूरा पढ़ें। औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है? औद्योगिक क्रांति का आशय ऐसी वस्तुओं से है जो हाथों द्वारा नहीं बल्कि मशीनों के द्वारा बनाई जाती हैं। इसे औद्योगिक क्रांति इसलिए कहा जाता है क्योंकि हाथों के द्वारा बनाई गई वस्तुओं के स्थान पर आधुनिक मशीनों से बनाई जा रही वस्तुओं की व्यापकता बढ़ गई है। औद्योगिक क्रांति यह प्रारंभ का कोई निश्चित समय नहीं है पुलिस टॉप हालांकि लोगों द्वारा बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में कुछ नए अविष्कार किए गए जिससे ही औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई। औद्योगिक क्रांति एक ऐसी प्रक्रिया है जो आधुनिक समय में भी चल रही है क्योंकि आधुनिक समय में भी कुछ रह गए मशीनों का आविष्कार होता है जो हमारी दैनिक जीवन को आसान बनाती है। 16वीं और 17वीं शताब्दी में यूरोप के कई देशों ने मिलकर अन्य महाद्वीपों को अपने बस में कर लिया था और उसी महाद्वीपों से वहां व्यापार किए जाने लगे। इस सदी में यूरोप में इंग्लैंड ने अपना वर्चस्व फ्रांस के ऊपर जमा लिया था। जहां पर इंग्लैंड और फ्रांस व्यापार करके काफी मुनाफा कमा रहे थे। सन 1730 से इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का प्र...

किशोरावस्था को प्रभावित करने वाले कारक

शरीरिक विकास क्या है : अन्य प्राणियों की अपेक्षा, मनुष्य के शरीरिक विकास की गति (child development rules in hindi) धीमी होती है। शैशवावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं परिवर्तन तीव्रतम गति से होता है। इसके अलावा बाल्यावस्था में यह गति धीमी हो जाती है पुन: किशोरावस्था में विकास तीव्रतम गति से होता है शैशवावस्था एवं बाल्यावस्था में शारीरिक विकास ‘सिर से पैर की ओर’ एवं ‘निकट से दूर की ओर’ के नियमनुसार होता है शारीरिक अनुपात में परिवर्तन एवं मांसपेशिया वसा आगे चलकर किशोरावस्था के दौरान एथलेटिक्स कौशल के विकास में सहायक होते हैं। शरीरिक विकास के चार प्रमुख चरण इस प्रकार है... प्रथम चरण : जन्म से 4 माह की आयु तक जो विभीन्न प्रकार के शरीरिक विकास एवं परिवर्तनों को व्यक्त करता है। द्वितीय चरण : इस चरण में 4 से 8 माह की अवधि में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों, जिसमें लम्बाई और भार का बढ़ना शामिल है तथा शिशु के दो दांत भी आ जाते हैं। तृतीय चरण : इस चरण में (8 से 12 माह की आयु) में होने वाले परिवर्तनों में मुख्य रूप से लड़के, लड़कियों के भार में अंतर पाया जाता है। चतुर्थ चरण : इस चरण में (12 से 18 माह की आयु) में होने वाले परिवर्तनों में भार एवं लम्बाई में सार्थक वृद्धि पायी जाती है। जिससे बच्चों में चलने की क्षमता, सीढ़ी चढ़ना, पैर उछलना एवं दो शब्दों वाले वाक्यों को बोलने की क्षमता विकसित हो जाती है। किशोरावस्था के बारें में (Adolescence In Hindi) : किशोरावस्था जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण समय है। बता दे की यह अवस्था 13 से 18 वर्ष तक मानी जाती है। इस अवस्था को दो भागों में बांटा गया है। पहली 13 से 15 वर्ष की अवस्था को पूर्व किशोरावस्था तथा 15 से 18 वर्ष की अवस्था को उत्तर किशोरावस्था (adolescence...

बाल्यावस्था की विशेषताएँ

बाल्यावस्था की विशेषताएँ ( Balyavastha Ki Visheshtaen ) :- शारीरिक विकास – इस अवस्था में शैशवावस्था की मोटाई कम हो जाती है और शरीर में पतलापन आ जाता है। बाल्डविन के अनुसार जन्म के समय लंबाई 52 सेमी, पांच वर्ष में 106 सेमी, नौ वर्ष में 131 सेमी और 13 वर्ष में 151 सेमी हो जाती है। बाल्यावस्था में दूध के दाँत गिरने लगते हैं और स्थायी दांत निकलना शुरू हो जाते हैं। बालक का स्वास्थ्य ठीक रहता है। उसमें रोग का प्रतिरोध करने की शक्ति बढ़ जाती है और मांसपेशियों पर नियंत्रण करने की क्षमता का विकास होता है, उसके अंग सुदृढ़ हो जाते हैं। बालक के मुँह का भोलापन कम होने लगता है। 1 1 वर्ष की अवस्था में लड़कियाँ लड़कों से लम्बी हो जाती हैं और 15 वर्ष में सामान हो जाती हैं। इस अवस्था में बालक की ज्ञानेंद्रियां और कर्मेन्द्रियाँ पूर्ण विकसित हो जाती हैं। रॉस ने बाल्यावस्था को ‘ मिथ्या परिपक्वता ‘ का काल कहा है। शारीरिक विकास के साथ-साथ बालक के व्यवहार में स्थायित्व आ जाता है। मानसिक विकास – कहावत है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क होता है। इस अवस्था में मानसिक विकास बहुत तीव्र गति से होता है। भाषा का समुचित विकास होने के फलस्वरूप बालक शुद्ध उच्चारण के साथ भाषा का प्रयोग करता है। शब्दों के स्थान पर पुरे वाक्यों का प्रयोग करता है। उसकी रुचियों में परिवर्तन होता है। उसमें रचनात्मक प्रवृत्ति के साथ-साथ जिज्ञासु प्रवृत्ति प्रबल हो जाती है। उसमें निरीक्षण, ध्यान, मनन, तर्क और विवेक शक्तियों के विकास के साथ-साथ भूतकाल के अनुभवों को स्मरण करने की योग्यता का भी विकास होता है। अब वह इस प्रश्न कि यह क्या है ? के स्थान पर ऐसा क्यों है ? पूछता है। शैशवावस्था के ठीक विपरीत अब बालक कल्याण का सम्बन्ध वास्तवि...