क्रिस्टलीय ठोस किसे कहते हैं

  1. ठोस किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?
  2. ठोस किसे कहते हैं?
  3. क्रिस्टलीय ठोस
  4. ठोस किसे कहते हैं इसके प्रकार बताइए , परिभाषा example क्या है , आकार आकृति solid in hindi definition – 11th , 12th notes In hindi
  5. क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर क्या है, गुण लिखिए
  6. MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ – MP Board Solutions
  7. ठोस अवस्था की कोई दो विशेषताएं बताइए


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ठोस किसे कहते हैं यह कितने प्रकार के होते हैं?

विषयसूची Show • • • • • • • • • सॉलिड शब्द विज्ञान से जुड़ा शब्द है, जो दैनिक जीवन मे बहुत इस्तेमाल होता है। • Solid किसे कहते हैं? • ठोस कितने प्रकार के होते हैं ? • ठोस की विशेषता • द्रव्य का वर्गीकरण यह द्रव्य की एक अवस्था है। ठोस का आकार और आयतन निश्चित होता है। इसे जिस स्थान पर रखेंगे उस स्थान को पूर्णतया घेर लेता है। इसके कण द्रव और गैस के मुकाबले एक दूसरे से बहुत ज़्यादा नजदीक और बधे होते है। solid के उदाहरण : लकड़ी का टुकड़ा, बाल्टी, बर्तन, मोबाइल, पत्थर, ईंट आदि। ठोस कितने प्रकार के होते हैं ? इसे दो वर्ग मे विभाजित किया जाता है, क्रिस्टलीय (Crystalline Solids) और अक्रिस्टलीय (Amorphous Solids)। क्रिस्टलीय वास्तविक ठोस होता है, इसके सभी परमाणु, अणु तथा आयन क्रमबद्ध और सममितीय पैटर्न से सुव्यवस्थित बधे हुये होते हैं। यही पैटर्न बार बार दोहराते क्रम मे पूरे क्रिस्टल पर होता है। जिसे lattice pattern कहते है। जैसे – हीरा, लोहा, क्वार्ट्ज (Quartz), केल्साइट (Calcite), चीनी आदि। इनको मुख्य रूप से निम्नलिखित 4 भाग मे बाँटा जाता है। • धातु (Metallic Solids) • आयनिक (Ionic Solids) • सहसंयोजक – नेटवर्क (Covalent – Network Solids) • आणविक (Molecular Solids) अक्रिस्टलीय के कण पूर्णरूप से क्रमबद्ध और सममितीय नहीं होते है। जिसके वजह से उनका टूटना या पिघलना बहुत ही आसान होता है। जैसे – रबर, काँच, मोम, पॉलीमर आदि। ठोस की विशेषता विशेषता का मतलब गुणधर्म से है। solid के निम्नलिखित गुणधर्म है। • solid के सभी परमाणु नियमित पैटर्न मे व्यवस्थित होते हैं। • इनके परमाणु बहुत ही नजदीक नजदीक बधे हुये होते है। • रासायनिक बन्ध द्वारा परमाणु आपस मे बधे हुये होते है। • इसके परमाणु स्थिर होते है। •...

ठोस किसे कहते हैं?

ठोस किसे कहते हैं? वे पदार्थ जिनका निश्चित आकार, सपष्ट सीमा, स्थिर आयतन होता है उन्हें ठोस कहते हैं.ठोस पदार्थों में उच्च यंग मापांक और अपरूपता मापांक होते है। इसके विपरीत, ज्यादातर तरल पदार्थ निम्न अपरूपता मापांक वाले होते हैं और श्यानता का प्रदर्शन करते हैं। भौतिक विज्ञान की जिस शाखा में ठोस का अध्ययन करते हैं, उसे ठोस-अवस्था भौतिकी कहते हैं। पदार्थ विज्ञान में ठोस पदार्थों के भौतिक और रासायनिक गुणों और उनके अनुप्रयोग का अध्ययन करते हैं। ठोस-अवस्था रसायन में पदार्थों के संश्लेषण, उनकी पहचान और रासायनिक संघटन का अध्ययन किया जाता है। 1.पदार्थ किसे कहते हैं.? उत्तर. दुनिया की प्रत्येक चीज जिस भी सामग्री से बनती है जो स्थान घेरती है और जिसका द्रव्यमान होता है उसे पदार्थ कहते हैं. 2. पंचतत्व क्या होते हैं.? उत्तर. भारत के प्राचीन दार्शनिकों ने जिन पांच तत्वों से पदार्थ को निर्मित माना है उसे पंचतत्व कहते हैं. 3. विसरण क्या होते हैं.? उत्तर. दो विभिन्न पदार्थों के कणों को स्वत मिला विसरण कहलाता है 4. ठोस किसे कहते हैं.? उत्तर. वे पदार्थ जिनका निश्चित आकार, सपष्ट सीमा, स्थिर आयतन होता है उन्हें ठोस कहते हैं. 5. द्रव्य किसे कहते हैं.? उत्तर. वे तरल पदार्थ जिनका निश्चित आयतन होता है पर कोई निश्चित आकार नहीं होता और उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं. जिसमें रखे जाते हैं. उन्हें द्रव्य कहते हैं. 6. गैस क्या होती है? उत्तर. अति दबाव को सहन कर सकने वाला वह पदार्थ जो किसी भी आकार के बर्तन में उसी रुप को प्राप्त कर सकता है गैस कहलाती है 7. घनत्व क्या होता है? उत्तर. किसी तत्व की द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं.? 8. गलनांक किसे कहते हैं.? उत्तर. जिस तापमान पर ठोस पिघल कर द्रव बन...

क्रिस्टलीय ठोस

क्रिस्टलीय ठोस साधारणतः लघु अधिकतर ठोस पदार्थ क्रिस्टलीय प्रकृति के होते हैं। उदाहरण के लिए सभी धात्विक तत्व; जैसे- लोहा, ताँबा और चाँदी; अधात्विक तत्व; जैसे-सल्फर, फॉसफोरस और आयोडीन एवं यौगिक जैसे सोडियम क्लोराइड, जिंक सल्पाइड और नेप्थेलीन क्रिस्टलीय ठोस हैं। क्रिस्टलीय ठोस हो निम्न प्रकार के होते हैं उनके गुण निम्न प्रकार है 1 वह ठोस जिनके के जालक में घटक कणो कि व्यवस्था निश्चित वह नियमित होती है क्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं उदाहरण Nacl,kcl,fe.... 2 इनमें दीर्घा परास व्यवस्था पाई जाती है 3 क्रिस्टलीय ठोस विद्लन का गुण प्रदर्शित करते हैं 4 इनके गलनांक उच्च होते हैं व निश्चित होते हैं क्योंकि इनके घटक कणों की व्यवस्था निश्चित वा नियमित होती है, क्रिस्टलीय ठोस को गर्म करने पर एक निश्चित ताप पर ही द्रव में बदलते हैं 5 क्रिस्टलीय ठोस और विषमदैशिकता का का गुण पाया जाता है, क्योंकि क्रिस्टल लिए ठोसो में अनेक भौतिक गुण जैसे चालकता अपवर्तनांक कठोरता आदि का मानप्रत्येक दिशा समान नहीं होते हैं 6 क्रिस्टल लिए thoso का शीतलन वक्र असतात होता हैं अक्रिस्टलीय ठोस,, 1इनके क्रिस्टल जालक में घटक कणों की व्यवस्था निश्चित व नियमित नहीं होती 2 इन ठोसो लघु परास व्यवस्था पाई जाती है 3 इनका गलनांक अनिश्चित होता है यह एक निश्चित ताप पर द्रव अवस्था में नहीं बदलते तथा ताप बढ़ाने पर धर्म होते जाते हैं क्योंकि इनके घटक कणों की व्यवस्था निश्चित वाह निर्मित नहीं होती 4 यह विदलन का गुण प्रदर्शित नहीं करते अर्थात इनको काटने पर इनकी सताए प्लेन नहीं होती खुजली होती है इनकी सताए 5 आकृष्ट लिए ठोस और शीतल वक्र सतत॒ प्राप्त होता है अनुक्रम • 1 क्रिस्टलीय ठोस के प्रकार • 1.1 आण्विक ठोस • 1.2 अध्रुवीय आण्विक ठोस • ...

ठोस किसे कहते हैं इसके प्रकार बताइए , परिभाषा example क्या है , आकार आकृति solid in hindi definition – 11th , 12th notes In hindi

रसायन विज्ञान में ठोस किसे कहते हैं इसके प्रकार बताइए , परिभाषा example क्या है , आकार आकृति solid in hindi definition ? पदार्थों की गैस अवस्था (gaseous state) में अणु एक-दूसरे से बहुत दूर-दूर होते हैं और उन के रिक्त स्थान में स्वतन्त्रतापूर्वक विचरण करते रहते हैं, अतः उनका आकार व आयतन दोनों स्थिर होते। पदार्थों की द्रव अवस्था (diauid state) में अण परस्पर तीव्र आकर्षण बल के कारण एक-टो पास-पास होते हैं, किन्तु फिर भी उनके मध्य कछ रिक्त स्थान होता है जिसमें वे गति करते रहते उनका आकार स्थिर नहीं होता लेकिन इनका आयतन स्थिर रहता है। पदार्थों की ठोस अवस्था (solid state) में उसके अणु परस्पर बहुत प्रबल आकर्षण बल से एक-दूसरे के इतने समीप होते हैं और इतनी दृढ़ता से पैक होते हैं कि वे बिल्कुल भी गति नहीं कर पाते अतः उनका आकार व आयतन दोनों ही स्थिर होते हैं। ठोस पदार्थ दो प्रकार के होते हैं • क्रिस्टर शब्द ग्रीक भाषा के ‘क्रस्टलोज’ (Krustallos) शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है, ‘स्वच्छ बर्फ’ । यह नाम सर्वप्रथम खनिज क्वार्ट्ज को दिया गया था। क्वार्ट्ज़ पारदर्शी. चमकीला, कई प्रकार के आकर्षक रूपों में पाया जाने वाला एक खनिज होता है। अतः उन सब पदार्थों को क्रिस्टलीय ठोस कहा जाने लगा जो निश्चित आकृति वाले कणीय रूपों में पाये जाते हैं। X-किरण विश्लेषण से ज्ञात होता है कि क्रिस्टलीय पदार्थों के अणु , परमाणु अथवा आकृति ही निश्चित व्यवस्था वाली नहीं होती वरन उनकी आन्तरिक संरचना में पदार्थ के अणु, परमाणु अथवा आयन भी एक निश्चित योजनाबद्ध व्यवस्था में एक-दूसरे के साथ जड़े रहते हैं और यह स्थायी व्यवस्था ठोस अवस्था क्रिस्टलों के आकार एवं आकृति (Size and Shape of Crystals) प्रकृति में पाये जान...

क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर क्या है, गुण लिखिए

ठोसों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – 1. क्रिस्टलीय ठोस 2. अक्रिस्टलीय ठोस 1. क्रिस्टलीय ठोस वह ठोस जिनके अवयवी कण (परमाणु अणु या आयन) एक निश्चित ज्यामिति में व्यवस्थित रहते हैं। इस प्रकार के ठोस को क्रिस्टलीय ठोस (crystalline solid in Hindi) कहते हैं। क्रिस्टलीय ठोस का गलनांक तीक्ष्ण होता है। एवं इनकी गलन ऊष्मा निश्चित होती है। जब गलित अवस्था में किसी ठोस को ठंडा किया जाता है तो ठोस अपनी मूल ज्यामिति पुनः प्राप्त कर लेता है। अर्थात् क्रिस्टलीय ठोस के अवयवी कणों की लगातार पुनरावृत्ति होती रहती है। इस प्रकार के ठोसों में अवयवी कण दीर्घ परास में व्यवस्थित होते हैं। क्रिस्टलीय ठोस कठोर तथा असम पीडीए ता का गुण प्रदर्शित करते हैं क्योंकि इनका गलनांक निश्चित होता है अतः निश्चित आप से ऊपर उस्मा देने पर यह ठोस द्रव में बदलने लगते हैं अर्थात फोर्स करने लगते हैं क्रिस्टलीय ठोस वास्तविक ठोस ही होते हैं अधिकांश तत्व कृष्ण लिए ठोस ही होते हैं। क्रिस्टलीय ठोस के उदाहरण NaCl , C 12H 22O 11 , डायमंड, क्वार्ट्ज, Au, Ag आदि। वह ठोस जिनके अवयवी कण (परमाणु अणु या आयन) एक निश्चित ज्यामिति में व्यवस्थित नहीं रहते हैं। इस प्रकार के ठोस को अक्रिस्टलीय ठोस (amorphous solid in Hindi) कहते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस का गलनांक तीक्ष्ण नहीं होता है। अधिक ताप पर यह द्रव अवस्था में बदलने लगते हैं। अतः इनकी गलन ऊष्मा निश्चित नहीं होती है। अक्रिस्टलीय ठोस में पुनरावृति का गुण नहीं पाया जाता है अर्थात यह गलित अवस्था के बाद पुनः अपनी ज्यामिति प्राप्त नहीं करते हैं। इस प्रकार के ठोसों में अवयवी कण लघु परास में व्यवस्थित होते हैं। अक्रिस्टलीय ठोसों को अतिशीतित द्रव भी कहा जाता है। क्योंकि इनमें द्रव के समान ...

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ – MP Board Solutions

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ द्रव्य की अवस्थाएँ NCERT अभ्यास प्रश्न प्रश्न 1. 30° से. तथा 1 bar दाब पर वायु 500 dm आयतन को 200 dm तक संपीडित करने के लिए कितने न्यूनतम दाब की आवश्यकता होगी? हल: स्थिर ताप बॉयल के नियमानुसार, P 1V 1 = P 2V 2, P 1 = 1 bar V 1 = 500 dm 3 P 2=? V 2 = 200 dm 3 \(\quad \) [V – nb] = nRT प्रश्न 5. श्यानता या विस्कासिता से आप क्या समझते हैं ? श्यानता को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ? उत्तर: प्रत्येक द्रव में बहने की एक प्रवृत्ति होती है क्योंकि द्रव में अन्तरअणुक आकर्षण बल कम होता है और ये असंपीड्य होते हैं। कुछ द्रव जैसे-शहद, कैस्ट्रॉल तेल अत्यन्त धीमी गति से प्रवाहित होते हैं जबकि कुछ द्रव जैसे-जल, कैरोसीन आदि में बहने की प्रवृत्ति अधिक होती है। प्रवाह की गति में भिन्नता श्यानता के कारण होती है। श्यानता वास्तव में द्रव के प्रवाह पर प्रतिरोध है और यह प्रतिरोध अंतरअणुक आकर्षण बल द्वारा प्रभावित होता है। द्रवों को कई पर्तों से मिलकर बना हुआ समझा जाता है। जब कोई द्रव किसी भी सतह पर बहता है ये पर्ते भिन्न-भिन्न वेग से बहती हैं । द्रव की विभिन्न पर्तों में उपस्थित अणु एक-दूसरे द्वारा आकर्षित होते हैं और ये अंतरअणुक आकर्षण बल द्रव के प्रवाह पर प्रतिरोध उत्पन्न करता है। श्यानता को प्रभावित करने वाले कारक – • अंतरअणुक आकर्षण बल – अंतरअणुक आकर्षण बल द्रव में अणुओं के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं । इसलिये अंतरअणुक आकर्षण बल पर श्यानता निर्भर करती है। जितना अधिक अंतरअणुक आकर्षण बल होगा, द्रव की श्यानता भी उतनी अधिक होगी। • अणुभार – अणुभार बढ़ने पर श्यानता बढ़ती है। • दाब – दाब बढ़ने पर आयतन में कमी आती है जिसके फलस्व...

ठोस अवस्था की कोई दो विशेषताएं बताइए

ठोस किसे कहते हैं (solid kise kahate hain) – पदार्थ की वह भौतिक अवस्था जिसका आकार एवं आयतन दोनों निश्चित हो, ठोस (solid) कहलाता है! ठोसों में अन्तराणुक बल काफी प्रबल होते हैं जिससे कण आपस में प्रबलता से बंधे होते हैं! इसलिए इनकी आकृति निश्चित होती है!ठोसोंके कण आपस में अत्याधिक निकट होते हैं, जिससे उनमें उच्च घनत्व और असंपीड्यता होती है! ठोस के उदाहरण– लोहे की छड़, लकड़ी की कुर्सी, बर्फ का टुकड़ा आदि! ठोसों के गुण या विशेषता (properties of solids in hindi) – (1) ठोस पदार्थों में आयतन एवं आकार निश्चित होते हैं! (2) ठोसोंमें अभिलाक्षणिक गुण असम्पीडयता, अत्यंत कम विसरण, दृढ़ता तथा यांत्रिकीय सामर्थ्य होते हैं! (3) ठोसों में अवयवी कण परमाणु, अणु या आयन आपस में घनिष्ठ एवं संकुचित होते हैं! (4) अवयवी कण आपस में एक-दूसरे से प्रबल आकर्षण बलों द्वारा बॅंधे होते हैं, जिससे यह इधर-उधर अव्यवस्थित गति नहीं कर सकते हैं! (5) ठोसों में अंतराआण्विक बल प्रबल होता हैं! ठोसों के प्रकार (types of solids in hindi) – अवयवी कणों की व्यवस्था के आधार पर ठोस पदार्थों को दो भागों में बांटा जाता है – (1) क्रिस्टलीय ठोस (2) अक्रिस्टलीय ठोस! (1) क्रिस्टलीय ठोस किसे कहते हैं (what is Crystalline solid in hindi) – वे ठोस जिनमें अवयवी कणों (जैसे परमाणु, अणु या आयन) का नियमित क्रम होता है क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline solid) कहलाते हैं! क्रिस्टलीय ठोस के गुण (properties of crystalline solids in hindi) – (1) इनकी निश्चित ज्यामिति होती है! (2) इनका का गलनांक निश्चित होता है! (3) इन कणों के मध्य प्रबल आकर्षण बल होता है! (4) ये विषम दैशिक होते हैं अर्थात इनके भौतिक गुणका सभी दिशाओं में बिना बिना होते हैं! (5) ये ...