क्रमिक विकास को परिभाषित करें

  1. मनोविज्ञान क्या है?
  2. मिटना : क्रमिक विकास की कविता : आशीष बिहानी
  3. हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास । भाषा: अर्थ एवं परिभाषा। Origin and development of Hindi language
  4. क्रमिक विकास का सरल परिचय
  5. क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ में अमेरिका
  6. आनुवंशिक विचलन को परिभाषित करें :


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मनोविज्ञान क्या है?

मनोविज्ञान क्या है? (What Is Psychology In Hindi) मनोविज्ञान का अर्थ (Meaning And Concept Of Psychology) मनोविज्ञान अभी कुछ ही वर्षों से स्वतंत्र विषय के रूप में हमारे सामने आया है। पूर्व में यह दर्शनशास्त्र की ही एक शाखा माना जाता था। मनोविज्ञान क्या है? यदि यह प्रश्न आज से कुछ शताब्दियों पूर्व पूछा जाता तो इसका उत्तर कुछ इस प्रकार होता: " मनोविज्ञान दशर्नशास्त्र की वह शाखा है जिसमें मन और मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।" मनोविज्ञान विषय का विकास कुछ वर्षों पूर्व ही हुआ और अपने छोटे-से जीवनकाल में ही मनोविज्ञान ने अपने स्वरूप में गुणात्मक तथा विकासात्मक परिवर्तन किए। इन परिवर्तनां के साथ ही साथ मनोविज्ञान की अवधारणा में भी परिवर्तन आए। वर्तमान समय में मनोविज्ञान का प्रयोग जिस अर्थ से हो रहा है, उसे समझने के लिए विभिन्न कालों में दी गई मनोविज्ञान की परिभाषाओं के क्रमिक विकास को समझना होगा। कालान्तर में मनोविज्ञान (Psychology) के विषय में व्यक्त यह धारणा भ्रमात्मक सिद्ध हुई और आज मनोविज्ञान एक शुद्ध विज्ञान (Science) माना जाता है। विद्यालयों में इसका अध्ययन एक स्वतंत्र विषय के रूप में किया जाता है। 16 वीं शताब्दी तक मनोविज्ञान ' आत्मा का विज्ञान' माना जाता था। आत्मा की खोज और उसके विषय में विचार करना ही मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य था। परन्तु आत्मा का कोई स्थिर स्वरूप नहीं और आकार न होने के कारण इस परिभाषा पर विद्वानों में मतभेद था। अत: विद्वानों ने मनोविज्ञान को 'आत्मा का विज्ञान' न मानकर मस्तिष्क का विज्ञान माना। किन्तु इस मान्यता में भी वह कठिनाई उत्पन्न हुई जो आत्मा के विषय में थी। मनोवैज्ञानिक मानसिक शक्तियों, मस्तिष्क के स्वरूप और उसकी प्रकृति का निर्धारण उचित...

मिटना : क्रमिक विकास की कविता : आशीष बिहानी

मिटना : क्रमिक विकास की कविता : आशीष बिहानी (कात्सुशिका होकुसाई ,जापान की १८३२ पेंटिंग \”कानागावा-ओकी नामी ऊरा\”) आशीष बिहानी ‘कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र’ (CCMB), हैदराबाद में जीव विज्ञान में शोध कार्य कर रहें हैं और हिंदी के कवि हैं. उनकी कविताएँ आपने समालोचन पर पढ़ीं हैं. इधर वे क्रमिक विकास के विविध चेहरों को उपमानों के माध्यम से कविता में चित्रित […] समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास । भाषा: अर्थ एवं परिभाषा। Origin and development of Hindi language

हिन्दी भाषा का उद्भव एवं विकास हिन्दी भाषा के उद्भव एवं विकास की रूपरेखा की समझ के लिए भाषा की समझ होना अनिवार्य है। हिन्दी भाषा की सम्प्रेषणीयता और उसके सामाजिक सरोकार की समझ के लिए भी भाषा की समझ आवश्यक है। भाषा: अर्थ एवं परिभाषा ➧ भाषा क्या है ? हम भाषा का व्यवहार क्यों करते हैं ? यदि हमारे पास भाषा न होती तो हमारा जीवन कैसा होता ? भाषा का मूल उद्देश्य क्या है ? जेसे ढेरों प्रश्न गहरे विचार की माँग करते हैं। ➧ ' भाषा ' धातु से उत्पन्न भाषा का शाब्दिक अर्थ है- बोलना। शायद यह व्याख्या तब प्रचलित हुई होगी जब मनुष्य केवल बोलता था , यानी उस समय तक लिपि का आविष्कार नहीं हुआ था। प्रश्न यह है कि बिना बोले क्या मनुष्य रह सकता है ? ➧ वस्तुतः भाषा सामाजिकता का आधार है..... मनुष्य के समस्त चिंतन व उपलब्धियों का आधार है। इसका अर्थ यह नहीं है कि पशु पक्षियों के पास कोई भाषा नहीं होती , उनके पास भी भाषा होती है किन्तु वे उस भाषा का लियान्तरण नहीं कर सके हैं। ➧ भौतिक आवश्यकताओं से ऊपर का चिंतन व विकास बिना भाषा के संभव ही नहीं है। हम भाषा में सीचते हैं..... भाषा में ही चिंतन करते हैं यदि मनुष्य से उसकी भाषा छीन ली जाये तो वह पशु तुल्य हो जायेगा। आज अनके भाषाएँ संकट के मुहाने पर खड़ी है , दरअसल यह संकट सभ्यता व संस्कृति का भी है तो भाषा का मूल कार्य है सम्प्रेषण। ➧ जिस व्यक्ति के पास सम्प्रेषण के जितने कारण हो व उतनी ही विधियाँ व पद्धतियाँ खोज लेता है। कथन के इतने प्रकार व ढंग मनुष्य के सम्प्रेषण के ही प्रकार है। ➧ सम्प्रेषण की प्रक्रिया में कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है। यानी इस प्रक्रिया में एक वक्ता और एक श्रोता का होना आवश्यक है। इस प्रक्रिया में एक तीसरा तत्व और होता है औ...

क्रमिक विकास का सरल परिचय

क्रमिक विकास का सिद्धांत(Theory of evolution) विज्ञान के इतिहास में अब तक प्रतिपादित कुछ सबसे प्रसिद्द, बेहतरीन और प्रमाणिक सिद्धांतों में से एक है जो विज्ञान की तमाम शाखाओं जैसे जीवाश्म विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान, अनुवांशिकी इत्यादि द्वारा उपलब्ध कराये गए अनेकों अनेक प्रमाणों द्वारा सिद्ध है। यह सिद्धांत बेहद रोमांचक है क्योंकि यह हमारी कुछ आदिम जिज्ञासाओं का जवाब देता है....हम कहाँ से आये? जीवन कहाँ से आया? ये जैव विविधता कैसे उत्पन्न हुयी? सदियों से मनुष्य के पास इन सवालों का कोई तर्कसंगत उत्तर नहीं था सिवाय कुछ धर्मजनित दार्शनिक सिद्धांतों के, जो कितने सत्य हैं कोई नहीं जानता था। इस सिद्धांत ने मानवता के इतिहास में पहली बार न केवल मानव को अपने अस्तित्व स्रोत तलाशने का मार्ग दिखाया बल्कि यह भी बताया कि पृथ्वी पर मौजूद सम्पूर्ण जैव विविधता आपस में सम्बंधित है और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप अस्तिव में आई है। यह लेख आपको क्रमिक विकास के मूलभूत सिद्धांतों से आपका परिचय कराने के साथ-साथ वे कैसे कार्य करते हैं यह भी समझने में मदद करेगा। डार्विन ने सन 1859 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पिशीज’ में इस सिद्धांत को प्रस्तुत किया। जिसके अनुसार प्राकृतिक वरण ही जीवों में बदलावों को गति देता है जिसके कारण लम्बे समय अन्तराल में नयी जैव प्रजातियों का विकास होता है। इस सिद्धांत के तीन प्रमुख बिंदु हैं। 1. किसी एक परिवेश में रहने वाले किसी जीव प्रजाति के सदस्य न केवल शारीरिक रूप से बल्कि गुण व्यवहार इत्यादि से परस्पर आंशिक रूप से भिन्न होते हैं। 3. जिन सदस्यों के गुण उन्हें उस परिवेश में अपनी ही प्रजाति के सदस्यों पर बढ़त प्रदान करते हैं उनके बचे रहने और संतानोत्पत...

क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ में अमेरिका

जनवरी 2023 के अंत में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और अमेरिका के NSA जेक सुलिवन ने क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ (iCET) पर अमेरिका-भारत की पहल को आधिकारिक तौर पर शुरू किया. दोनों सलाहकारों ने 30 जनवरी 2023 को आयोजित हुई एक कमरा दिग्गज उद्योगपतियों, विचारकों, भारत के प्रभावशाली स्टार्टअप सिस्टम के प्रतिनिधियों और दूसरे लोगों से भरा हुआ था जिनका द्विपक्षीय साझेदारी में लंबा योगदान रहा है. उद्देश्य स्पष्ट था- दोनों देशों के बीच संबंधों में अविश्वसनीय विकास की जानकारी देना और क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज़ के मामलों में इन संबंधों को और मज़बूत करने की क्षमता को उजागर करना. कमरे की ऊर्जा सम्मोहित करने वाली थी लेकिन सच्ची थी. एक दिग्गज भारतीय सीईओ ने इसे कमरे में मौजूद लोगों ने दोनों देशों के बीच क्वांटम कम्युनिकेशंस को मज़बूत करने, भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने, रक्षा सहयोग में तेज़ी लाने, अंतरिक्ष से जुड़े कामकाज के व्यावसायिक अवसरों को तलाशने और अनुसंधान में नए अवसर और साझेदारी तैयार करने और वर्तमान अवसरों में तेज़ी लाने की संभावनाओं को उजागर किया. प्रौद्योगिकी के भविष्य से जुड़े भारतीय और अमेरिकी उद्योग जगत के लगभग हर हिस्से के प्रतिनिधियों से भरे कमरे में दिए गए सुझावों को सरकारी अधिकारियों ने बड़े धैर्य के साथ सुना. अधिकारियों ने सहभागिता बढ़ाने में आने वाली रेगुलेटरी अड़चनों पर विशेष ध्यान दिया. एक दिन बाद, दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने सरकारी प्रतिनिधियों के एक ताक़तवर समूह के साथ जी2जी बैठकों में हिस्सा लिया. 31 जनवरी की शाम को, व्हाइट हाउस ने iCET पर एक यह भी पढ़ें: iCET क्या है? iCET वास्तव में क्या है, यह अभी तक एक रहस्य बन...

आनुवंशिक विचलन को परिभाषित करें :

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